RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
वह बहुत खुश थी "मस्त चूसता है तू मुन्ना एक दिन मे एक्सपर्ट हो गया बदमाश! मालकिन बहुत खुश होगी दिन रात अपने बेटे से बुर चुसवाएगी वह हरामन" प्यार से गाली देते हुए वह बोली
"अब मुझे चोदने दो ना बाई" मैंने आग्रह किया लंड कस कर तन्नाया था और मुझसे रहा नहीं जा रहा था
"आज नहीं बेटे, अभी मैं चूस लेती हूँ चुदवाउन्गि कल रघू के सामने पर आज रात मैं तेरे साथ सोऊन्गि रात भर मज़ा करेंगे"
"रघू आज नहीं आएगा बाई?" मैंने पूछा मुझे निराशा भी हुई थी कि रघू का लंड चूसने का मौका अब कल ही मिलेगा खुशी भी थी कि मंजू के साथ अकेले मज़े करूँगा रघू का लंड आज लेने से बच गया इससे भी एक राहत सी लग रही थी
"आज उसे काम है मुन्ना कल से वह भी हमारे साथ सोएगा जब तक तेरी माँ ठीक नहीं हो जाती अब आ, मुझे लंड दे अपना" मंजू बोली मुझे पास खींचकर उसने मेरा लंड मुँह मे लिया और दो मिनिट मे चूस कर झडा दिया मुझे बहुत मज़ा आया मंजू के चूसने का ढंग अलग था पर रघू के चूसने का जादू कुछ और ही था
झड कर मैं सुसताने लगा होंठो पर जीभ फिराती हुई मंजू बोली "अब आराम कर मैं खाना बनाती हूँ पर पहले जाकर मालकिन का दूध पी आऊ उनकी चूचिया भर कर सनसना रही होंगीं"
"मैं भी आऊ अम्मा का दूध पीने?" मैंने उत्साह से पूछा
"नहीं, इन माहवारी के दिनों मे वह चिडचिडी हो जाती है मुझे छोड़ कर किसी को पास नहीं आने देती, रघू को भी नहीं" कहकर मंजू चली गयी मैं पड़ा पड़ा रात के बारे मे सोचने लगा
रात को सब सॉफ सफाई करके मंजू मेरे कमरे मे आई तो मैं नंगा पड़ा पड़ा लंड मुठिया रहा था "मुठ्ठ मार रहा है शैतान? अब इस घर मे कभी मुठ्ठ मारी तो बहुत मारूँगी जब भी लंड खड़ा हो, मेरे पास चले आना"
मंजू ने कपड़े उतारे और मुझे लेकर पलंग पर लेट गयी मेरा सिर अपनी बुर मे खींचते हुए बोली "अब पहले चूस ले मेरी बुर, तू बहुत अच्छा चूसता है आज मन भर कर चुसवाउन्गि"
दो घंटे कैसे बीत गये पता ही नहीं चला मंजू ने लगातार मुझसे चूत चुसवाई, मम्मे दबवाए और मुझसे अपने निपल चुसवाए उस रात उसने कटोरी भर चूत का रस मुझे पिलाया होगा आख़िर मैं तडपने लगा लंड अब ऐसा उछल रहा था कि मैं पागल हुआ जा रहा था
मेरी हालत देख कर वाहा बोली "चल अब तुझे इनाम देती हूँ गान्ड मारेगा मेरी?"
मैं खुशी से उछल पड़ा "बाई, मख्खन लाऊ? तुम्हारी गान्ड चिकनी करने को?"
मम्जू झल्लाई "तू इधर आ, बड़ा आया है मख्खन वाला मख्खन लगेगा कल जब रघू आएगा मैं रघू का लेती हूँ गान्ड मे, तेरी प्यारी मिर्ची तो ऐसे ही चली जाएगी अब आ और मैं कहती हूँ वैसे कर मुझपर चढ और मेरी बुर मे लंड डाल चोद दो मिनिट झडना नहीं नहीं तो हग्गू मार मारूंगी"
मैं खुशी खुशी मंजू पर चढा और उसकी बुर मे लंड डाल दिया तपते गीले उस कुएँ मे वह ऐसा समाया कि पता ही नहीं चला मंजू ने मुझे छाती से चिपटा लिया और मेरे मुँह मे चूची ठूंस दी मैं मंजू की चूची चूसता हुआ चोदने लगा बुर ढीली थी फिर भी मज़ा आ रहा था मंजू ने एक उंगली अपनी बुर के पानी से गीली की और मेरी गान्ड मे डाल दी
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