RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
उसने अपनी धोती ठीक की और मुझे पैंट पहनाते हुए बोला "अब नहीं मेरे मुन्ना राजा अब ज़रा सबर कर अब शाम को स्कूल छूटने के बाद मज़ा करेंगे मेरी अम्मा के लिए भी तो कुछ माल रख और देख, स्कूल मे मुठ्ठ नहीं मारना"
मुझे स्कूल छोड़कर रघू चला गया मैं बहुत खुश था मुँह मे अब भी रघू के वीर्य का स्वाद था उसके लंड को याद कर कर के मेरा और खड़ा हो रहा था एक दो बार लगा कि बाथरूम जाकर मुठ्ठ मार आऊ पर रघू को दिए वायदे को याद करके मैं चुप रहा
आख़िर स्कूल छूटा और मैं बस्ता उठा कर भागा रघू मुझे लेने आया था मैं साइकिल पर बैठा और हम चल दिए बीच मे अकेले मे साइकिल रोक कर रघू ने मुझे चूम लिया सॉफ था कि उसे मेरे चुंबन लेने मे बहुत मज़ा आता था अपने मुँह मे मेरे होंठ लेकर वह मन लगा कर चूस रहा था उसका लंड खड़ा होकर मेरी पीठ पर धक्के दे रहा था
"रघू, लंड चूसने दे ना" चुंबन ख़टमा होने पर मैंने ज़िद की एक गहरी साँस लेकर वह फिर साइकिल चलाते हुए बोला "अब घर जाकर अम्मा इंतजार कर रही होगी"
हम घर आए तो माँ अपने कमरे मे सिर पर पट्टी बाँध कर लेटी थी मंजू उसका सिर दबा रही थी "क्या हुआ माँ" मैंने पूछा
"अरे कुछ नहीं बेटा, तेरी माँ की माहवारी शुरू हो गई है, उसे बड़ी तकलीफ़ होती है इन दिनों मे तू बता, मेरे बेटे ने ठीक से स्कूल छोड़ा या नहीं तुझे?" मंजू बाई बोली उसकी आँखों मे शैतानी की चमक थी माँ ने भी उसकी हाँ मे हाँ मिलाई "हाँ अनिल बेटे अच्छा लगा तुझे? तेरा ख़याल रखा ना रघू ने?"
मैं क्या कहता, शरमा गया चुपचाप रघू की ओर देखने लगा मेरे चेहरे की खुशी और लज्जा से दोनों औरतें समझ गयीं और हँसने लगीं रघू भी बोला "मालकिन, मुन्ना को मस्त मलाई खिलाई मैंने मैंने भी खाई बड़ा मज़ा आया बहुत प्यारा बच्चा है अम्मा, एकदमा सही!" कहकर उसने उंगली और अंगूठा मिलाकर मेरी दाद दी
"चलो, अच्छा हुआ अब मैं तो बीमार हूँ, ऐसा करो मंजू बाई, तुम और रघू दो तीन दिन यहीं मुन्ना के कमरे मे सो जाओ उसका मन बहलाओ अनिल बेटे, जा अपने कमरे मे मंजू बाई को अभी भेजती हूँ और देख, उनकी सब बातें सुनना जो कहें वह करना कुछ गडबड की तो हाथ पैर बाँध कर चाबुक से मारूँगी" माँ ने मुझे धमकी दी
"नहीं अम्मा, रघू दादा मुझे बहुत प्यार करता है मैं कुछ नहीं करूँगा" मैंने खुशी खुशी कहा और वहाँ से भाग लिया मंजू बाई ने रसोई मे नाश्ता बना कर रखा था मैंने खाया और कमरे मे आकर अपने पलंग पर लेट गया मन मे खुशी की लहर दौड रही थी लंड कस कर खड़ा था लग रहा था कि मुठ्ठ मार लूँ पर अपने आप पर कम्ट्रोल करके पड़ा रहा
थोड़ी देर मे मंजुबाई कमरे के अंदर आई दरवाजा लगाकर मेरे पास आकर बैठ गयी "तो मज़ा आया मेरे बेटे का लंड चूस कर मुन्ना?" आँख मारकर मुस्कराते हुए उसने पूछा
मैं शरमा कर बोला "हाँ बाई, बहुत स्वाद आया"
अपनी चोली उतारते हुए मंजू बोली "रघू कहा रहा था कि तू जनमजात गान्डू और चुदक्कड है, इतना मस्त चूसा तूने उसका लौडा पहली बार मे कि तुझ पर मर मिटा है वह कह रहा था कि साधी हुई रंडियाँ भी इतना मस्त नहीं चुसतीं" अपनी प्रशंसा सुनकर मैं और शरमा गया पर अब मेरी आँखें मंजू बाई पर लगी हुई थीं
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