RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
माँ सिसकती हुई बोली "हाँ रे चोदू, तुझे तो मज़ा आएगा पर मेरी फट जाएगी आज तक नहीं मरवाई मैंने अब तुझसे मराउ? मैं नहीं मरवाती गान्ड इतने मोटे लंड से"
मंजू बोली "नहीं फटेगी मालकिन घर का मख्खन लगा कर प्यार से मारेगा मेरा बेटा आसानी से फिसलेगा मेरी भी गान्ड मारता है यह हरामी, बहुत मज़ा आता है अब मेरी गान्ड चुद चुद कर फुकला हो गयी है, मेरे बेटे को भी किसी नयी तंग गान्ड का मज़ा लेने दो"
अम्मा अब हाथ पैर फेंक रही थी "चोद रघू, चोद डाल मुझे राजा, मंजू बाई, मेरी चूची दबा और ज़ोर से मुझे चुम्मा दे दे मेरी जान!"
"बहुत चिचिया रही है यह रंडी इसका मुँह बंद करना पड़ेगा" कहकर मंजू माँ के मुँह पर चढ कर बैठ गयी अपनी चूत माँ के मुँह पर रख कर उसने अम्मा की बोलती बंद कर दी और फिर जांघें आपस मे कस कर माँ का सिर अपनी जांघों मे दबा लिया फिर उचक उचक कर माँ की मुँह चोदने लगी
यहा नज़ारा देख कर मुझसे नहीं रहा गया मुँह से आवाज़ ना निकले ऐसी कोशिश करता हुआ अपने लंड को मैं रगड रगड कर अंदर चल रही धुआँधार चुदाई देखने लगा मंजू माँ का सिर कस कर अपनी बुर पर दबा कर उपर नीचे उछल रही थी दोनों माँ बेटे मिलकर बहुत देर अम्मा को गूंधते रहे जब माँ झडने को आ जाती तब मम्जू बाई रघू को इशारा कर देती "रुक बेटे, लंड पेलना बंद कर, नहीं तो झड जाएगी ये साली चुदैल औरत बहुत दिन से मुझे कह रही थी कि रघू नहीं आया चोदने, तो आज ऐसा चोद कि दो दिन उठ ना सके"
दस मिनिट मे माँ की हालत बुरी हो गयी वह रो पडी मंजू की चूत मे दबे उसके मुँह से हल्की दबी चीखें निकल रही थीं उसे यह चुदासी सहन नहीं हो रही थी बिना झडे उस मीठी सूली पर लटके लटके वह अब बुरी तरह तडप रही थी मंजू खुद शायद एक दो बार अम्मा के मुँह मे झड चुकी थी
माँ के सिर पर से उतर कर वह लेट गयी और अम्मा के चुंबन लेने लगी "पसंद आया अपनी नौकरानी की बुर का रस मालकिन? रघू से चुदते चुदते तो यह और मसालेदार लगा होगा आपको"
माँ कुछ कहने की स्थिति मे नहीं थी बस सिसकती जा रही थी माँ की चरम सुख की इस स्थिति मे मौका देखकर मंजुने मेरी बात आगे छेडी "मालकिन, मैं कह रही थी की कल से रघू मुन्ना को स्कूल छोड़ आया करेगा और ले भी आएगा आते आते मेरे पास छोड़ दिया करेगा"
माँ सिर इधर उधर फेकते हुए हाथ पैर पटकते हुए बोली "तुम दोनों क्या करोगे मेरे बच्चे के साथ मुझे मालूम है, हाय मैं मरी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, रघू दया कर, चोद डाल रे बेटे, मत तडपा अब"हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
रघू माँ की चूत मे लंड पेलता हुआ बोला "बहुत प्यार करेंगे मुन्ना को मांजी, उसे भी सब काम क्रीडा सिखा कर आपके कदमों मे ला कर पटक देंगे फिर आप दिन भर उस बच्चे के साथ मस्ती करना"
माँ को बात शायद जच रही थी क्योंकि उसने कुछ नहीं कहा मंजू ने माँ के निपल मसलते हुए कहा "अरे अभी से उसे चुदाई के खेल मे लगा दिया तो दो साल मे लंड भी बड़ा हो जाएगा उसका रघू को देखो, जब से लंड खड़ा होने लगा, तब से चोद रहा है मुझे बदमाश अब देखो कैसा घोड़े जैसा लौडा हो गया है उसका"
माँ आख़िर तैयार हो गयी "ठीक है रघू, कल से तेरे और मंजू के सुपुर्द किया मैंने मुन्ने को, हाइईईईईईईईईईईई य्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, मैं मरती क्यों नहीं? चोद चोद कर मार डाल मुझे मेरे राजा" मस्ती मे पागल होकर अम्मा बोली
मंजू खुश हो गयी रघू को बोली "रघू बेटे, कल से ही शुरू हो जा मैं कहती थी ना कि मालकिन मान जाएँगी! आख़िर अपने बेटे को भी तो पक्का चोदू बनाना है इन्हें तू अब चोद डाल बेटे ऐसे चोद अपनी मालकिन को कि वह सीधे इंद्रलोक पहुँच जाए"
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