RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
माँ कुछ देर चुप रही फिर थोड़ी शरमा कर बोली "अरे अभी छोटा है अनिल बच्चा है और फिर मेरे बेटे से ही मैं कैसे चुदाऊ?"
"वाह मालकिन, मेरे बेटे से चुदाती हो, मेरे और मेरे बेटे की चुदाई मे बड़ा रस लेती हो और खुद के बेटे की बात आई तो शरमाती हो मुझे देखो, अपने बेटे से चुदा कर क्या सुख पाती हम! वैसे बड़ा प्यारा छोकरा है अपना मुन्ना और छोटा वोटा कुछ नहीं है रोज सडका लगाता है बदमाश मुझे पता है, मैं कपड़े धोती हँ उसके और तुम्हारे भी तुम्हारी ब्रा कई बार कड़ी रहती है, उसमे दाग भी रहते हैं कौन मुठ्ठ मारता है उसमे? रघू तो नहीं मारता यह मैं जानती हूँ और उस दिन तुम मुझ पर झल्ला रही थीं तुम्हारी ब्रा और पैंटी नहीं मिले इसलिए! कौन बदमाश उन्हें ले गया था, बताओ तो?" मंजू हँसते हुए बोली
कुछ देर कमरे से सिर्फ़ चूसने और चूमा चाटी की आवाज़ें आईं फिर माँ की वासना भरी आवाज़ आई "बदमाश है बड़ा, अपनी माँ की ब्रा मे मुठ्ठ मारता है अब तो उससे चुदा ही लूँ मंजू! अभी लंड छोटा होगा मेरे बेटे का पर होगा बड़ा रसीला री मेरा तो मन हो रहा है चूसने का"
"और उससे बुर चुसवाने का मन नहीं होता मालकिन? एक माँ के लिए इससे मस्त बात क्या हो सकती है कि वह अपने बेटे को अपनी उसी चूत का रस पिलाए जिसमे से वह बाहर आया है! ये बेटे बड़े बदमाश होते हैं बहू रानी अपनी अम्मा पर मरते हैं इनसे तो कुछ भी करा लो अम्मा के गुलाम होते हैं ये बच्चे" मंजू हँस कर बोली
कुछ देर बाद मंजू बोली "तुम्हें शर्म आती है तो मुन्ना को मेरे हवाले कर दो मैं और रघू मिलकर उसे सब सिखा देंगे फिर जब सधा चोदू बन जाए तुम्हारा बेटा तो तुम उसे अपनी सेवा मे रख लेना"
माँ बोली "तेरी बात तो समझ मे आती है पर इसमे रघू क्या करेगा?"
मम्जू बोली "बहू रानी, रघू महा हरामी है, शायद उसे मुन्ना अच्छा लगता है बचपन मे वही तो संभालता था मुन्ना को, नहलाता भी था तुम खुद रघू से क्यों नहीं बात कर लेती? कल तो आएगा ही वह तुम्हें चोदने, तब पूछ लेना वैसे बड़ा रसिक है मेरा लाल खट्टा मीठा दोनों खाना चाहता है और मुन्ना से ज़्यादा मस्त मीठा स्वाद उसे कहाँ मिलेगा? अब यह बताओ बहू रानी कि मेरी बुर का पानी पसंद आया कि नहीं वैसे पानी नहीं शहद है तुझे पक्का माल चखाने के चक्कर मे आज मैंने रघू से चुदाया भी नहीं और मुठ्ठ भी नहीं मारी सीधा आपके मुँहा मे झड रही हूँ कल रात के बाद"
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