RE: Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
"तभी कल मुझे चोदने नहीं आया बदमाश, अपनी अम्मा को ही चोदता रहा तू तो दिन रात चुदाती है अपने बेटे से, तेरा मन नहीं भरता? रोज रात को पहले मेरे पास ले आया कर उसे तुझे मालूम है उसकी रात की ड्यूटी मेरे कमरे मे है तू भी रोज आ जाया कर, सब मिलकर चुदाई करेंगे हफ्ते मे एक बार चुद कर मेरा मन नहीं भरता मंजू बाई चल अब चूस मेरी बुर, ज़्यादा ना तडपा"
"मैं तो रोज आऊ बाई पर अब मुन्ना आ गया है ज़रा छुपा कर करना पड़ता है" मंजू बोली
"अरे वह बच्चा है, जल्दी सो जाता है अब चूस ले मेरी बुर को, मत तडपा मेरी रानी अपनी मालकिन को" माँ कराहते हुए बोली
सुनकर मैं बहुत गरम हो गया था दरवाजे से अंदर झाँकने की कोशिश की पर कोई छेद या दरार नहीं थी आख़िर अपने कमरे मे जाकर दो बार मुठ्ठ मारी तब शांति मिली मन ही मन मे कल्पना कर रहा था कि माँ और मंजू की रति कैसी दिखती होगी! एक दो बार मैंने लेस्बियन वाली कहानियाँ पढ़ी थीं पर चित्र नहीं देखे थे
अब मैं इस ताक मे था कि रात को कौन माँ के कमरे मे आता है यह देखूं रघू कभी ना कभी आएगा और माँ को चोदेगा इस बात से मैं ऐसा गरमाया कि समझ मे नहीं आ रहा था कि क्या करूँ माँ के साथ साथ अब मंजू बाई के नंगे बदन की कल्पना भी करने लगा चालीस साल उमर होने के बावजूद मंजू बाई का शरीर काफ़ी छरहरा और तंदुरुस्त था साँवली ज़रूर थी पर दिखने मे काफ़ी ठीक लगती थी दोपहर को उसके नाम की मैंने दो तीन मुठ्ठ मार लीं
दूसरे दिन भी रात मे मंजू माँ के कमरे मे आई पर अकेले उस रात मैं चुपचाप माँ के कमरे तक गया और कान लगाकर अंदर की बातें सुनने लगा
"कल ले आऊन्गि रघू को अपने साथ बहूरानी वह ज़रा काम मे था खेतों को भी तो देखना पड़ता है! अब चुपचाप मेरी बुर चूसो खुद तो चुसवा लेती हो, मैं क्या मुठ्ठ मारूं? कल रघू ने भी नहीं चोदा" मंजू बोली
कुछ देर की खामोशी के बाद मंजू बोली "हाँ, ऐसे चूसो मालकिन, अब आया मज़ा ज़रा जीभ अंदर तो डालो, देखो आपकी नौकरानी की चूत मे क्या माल है तुम्हारे लिए और तुम्हें पसंद है ये मुझे मालूम है! कई बार तो चखा चुकी हो!"
मैं समझ गया रघू के लंड का लालच दे कर आज मंजू माँ से खूब चूत चुसवा रही थी कुछ ही देर मे मंजू के कराहने की आवाज़ आने लगी और फिर वह चुप हो गयी साली झड गयी थी शायद
"अच्छा लगा मेरी बुर का पानी मालकिन? मैं तो पहले ही कहती थी कि रोज चखा करो अब रोज चुसवाऊँगी आप से" बोलकर मंजू फिर सिसकारियाँ भरने लगी
कुछ देर बाद मंजू बोली "बहू रानी, अब मुन्ना भी आ गया है उससे भी चुदा कर देखो, घर का लडका है, कब काम आएगा? अब मैं या रघू किसी दिन ना हों आपकी सेवा के लिए फिर भी प्यासा रहने की ज़रूरत नहीं है तुम्हें!" मेरे कान खड़े हो गये मेरी बातें हो रही थीं लंड भी उछलने लगा
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