Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती
गाँव मे मस्ती
चेतावनी ........... ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन और बाप बेटी के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक पारवारिक सेक्स की कहानी है
दोस्तो आपके लिए एक ऑर मस्त कहानी हिन्दी फ़ॉन्ट मे पेश करने जा रहा हूँ
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जब ये सब मादक घटनाये घटना शुरू हुई तब मैंने अभी अभी जवानी मे कदमा रखा था गाँव के बड़े पुश्तैनी मकान मे मैं कुछ ही दिन पहले माँ के साथ रहने आया था पाँच साल की उम्र से मैं शहर मे मामाजी के यहाँ रहता था और वहीं स्कूल मे पढता था तब गाँव मे सिर्फ़ प्राइमरी स्कूल था इसलिए माँ ने मुझे पढने शहर भेज दिया था अब गाँव मे हाई स्कूल खुल जाने से माँ ने मुझे यहीं बुलावा लिया था कि बारहवीं तक की पूरी पढ़ाई मैं यहीं कर सकूँ
घर मे माँ, मैं, हमारा जवान तेईस चौबीस साल का नौकर रघू और उसकी माँ मंजू रहते थे मंजू हमारे यहाँ घर मे नौकरानी थी चालीस के आसपास उमर होगी घर के पीछे खेत मे एक छोटा मकान रहने को माँ ने उन्हें दे दिया था जब मैं वापस आया तो माँ के साथ साथ मंजू और रघू को भी बहुत खुशी हुई मुझे याद है कि बचपन से मंजू और रघू मुझे बहुत प्यार करते थे मेरी सारी देख भाल बचपन मे रघू ही किया करता था
वापस आने के दो दिन मे ही मैं समझ गया था कि माँ रघू और मंजू को कितना मानती थी वे हमारे यहाँ बहुत सालों से थे, मेरे जन्म के भी बहुत पहले से, असल मे माँ उन्हें शादी के बाद मैके से ले आई थी अब मैंने महसूस किया कि माँ की उनसे घनिष्टता और बढ़ गयी थी वहाँ उनसे नौकर जैसा नहीं बल्कि घर जैसा बर्ताव करती थी रघू तो मांजी मांजी कहता हमेशा उसके आगे पीछे घूमता था
घर का सारा काम माँ ने मंजू के सुपुर्द कर रखा था कभी कभी मंजू माँ से ऐसे पेश आती थी जैसे मंजू नौकरानी नहीं, बल्कि माँ की सास हो कई बार वह माँ पर अधिकार जताते हुए उससे डाँट दपट भी करती थी पर माँ चुपचाप मुस्कराकर सब सहन कर लेती थी इसका कारण मुझे जल्दी ही पता चल गया
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