उदयपुर की सुहानी यादें
09-18-2017, 11:57 AM,
#11
RE: उदयपुर की सुहानी यादें
हीना बोली, “माशाल्लाह, मज़ा आ गया। तू तो मेरी चूची ऐसे दबा रहा है जैसे कोई लंगड़ा-आम निचोड़-निचोड़ कर खा रहा हो। और जोर-जोर से चूस मेरी चूची। बेहद मज़ा आ रहा है। हाय आहहहह! ओहहहह! आहहहह!”



मैं तब हीना से बोला, “रानी तेरी चूचियाँ इतनी दबाने के बाद अब लंगड़ा-आम नहीं रहीं, अब ये तो चौसा या फ़ज़ली आम हो गयी हैं। वैसे जो भी हो इनका रस बहुत ही मीठा है। मज़ा आ गया तेरी चूचियों का रस पी कर।”



इसके बाद मैंने हीना को उठा कर अपनी गोद में बिठा लिया। हीना मेरी गोद में मेरी कमर के दोनों तरफ़ अपने पैरों को करके मेरी तरफ़ मुँह करके बैठ गयी। अब मेरा लंड ठीक हीना की चूत के सामने था। मैं हीना की चूचियों को फिर से मसलने लगा और हीना ने अपना एक हाथ बढ़ा कर मेरा लंड अपनी चूत के छेद से भीड़ा दिया और खुद ही अपनी कमर हिला कर एक झटका दिया और मेरा लंड फिर से हीना की चूत में घुस गया। मेरा लंड के हीना की चूत में घुसते ही हीना ने मेरे गले में अपनी बाहों को लपेट लिया और अपनी कमर उचका कर मुझे चोदने लगी। हीना जैसे ही अपनी कमर को उठा कर अपनी चूत से मेरा लंड बाहर करती, मैं उसकी चूची को जोर से दबा देता। हीना तब आहहहह! आहहहह! करके एक झटके के साथ मेरा लंड फिर से अपनी चूत में घुसा लेती।



हीना मुझको कुछ देर तक चोदती रही और फिर थक कर मेरा लंड अपनी चूत में घुसेड़े ही रुक गयी। मैं तब हीना से बोला, “क्यों रानी क्या चोदते-चोदते थक गयी?”



हीना मेरे होंठों पर चुम्मा देते हुए बोली, “हाँ, मुझसे अब नहीं चोदा जाता। अब तू ही मुझे लिटा कर जैसे मर्द किसी रंडी को चोदता है, वैसे ही चोद। मेरी चूत से आग निकल रही है। और जब तक इसको तेरे लंड का पानी नहीं मिलेगा ये आतिश नहीं बुझेगी।”



मैंने तब हीना की कमर पकड़ कर अपनी कमर चला कर चोदना चालू किया और उससे पूछा, “क्यों रानी क्या मेरी चुदाई में मज़ा आ रहा है?”



हीना मेरी छाती के निप्पल को अपने नाखुन से कुरेदते हुए बोली, “शुक्र है अल्लाह का… मेरे शौहर के टूर और उस टैंकर के बीच रासते में खराब होने के लिये, नहीं तो इस चुदाई का मज़ा मुझे कभी न मिलता।”



मैं तब हीना की चूत में दो-चार धक्के मार कर बोला, “रानी एक बात बताओ? लगती तो तुम बहुत सैक्सी और चुद्दकड़ हो, लेकिन तुम कहती हो कि तुम्हारा शौहर एक गाँडू इन्सान है। फिर तुम अपनी चूत कि आग कैसे बुझाती हो?”



हीना तब बोली, “हाँ मेरा शौहर एक गाँडू इन्सान है और उसे गाँड मरवाने का और मारने बहुत शौक है। मेरे शौहर को चूत से कुछ लेना देना नहीं है। वैसे उसे छोड़ मेरी ससुराल में सब बहुत ही सैक्सी और बहुत ही चोदू हैं।”



मैंने पूछा “मतलब?”



तब हीना बोली, “अरे मेरे ससुराल में मेरे ससुर तो बहुत चोदू इन्सान हैं। वो तो हफ़्ते में कम से कम तीन-चार बार मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी चूत की अच्छी तरह से धुनाई करते हैं और अपने लंड की पिचकारी से मेरी चूत की गर्मी को ठंडा करते हैं। और तो और जब मेरे ससुर मुझे चोदते हैं तब मेरी सास मेरी बगल में बैठ कर मेरी चूचीयों को मसलती रहती हैं और ससुर को उकसा-उकसा कर मेरी चुदाई करवाती हैं।”



मैंने आश्चर्य से पूछा, “यह कैसे होता है? और कैसे शूरू हुआ?”



तब हीना मुझसे बोली, “तू मेरी चुदाई ज़ारी रख मैं बताती हूँ मेरी ससुराल की दास्तान।”



हीना तब बोली: मेरे ससुराल वाले काफी रईस हैं और रहन-सहन भी काफी मॉडर्न है। मेरी सास उम्र में पचपन की हैं लेकिन पैंतीस-चालीस से ज्यादा की नहीं लगती। वो अक्सर जींस-टॉप वगैरह भी पहनती हैं और किट्टी पार्टियों और लेडिज़-क्लबों में भी काफी एक्टिव हैं। ससुर भी काफी हैंडसम और चार्मिंग शख्सियत वाले इंसान हैं! निकाह के बाद जब घर के सारे मेहमान मेरी ससुराल से चले गये तो ससुराल में मैं, मेरे शौहर, मेरे सास ससुर और मेरी ननद ज़ोया और नन्दोई रशीद रह गये। मेरी ननद और नन्दोई उसी शहर में रहते थे इसलिए वो बाद में जाने वाले थे। मेरी ससुराल वालों को मेरे शौहर की कमियाँ मालूम थीं, लेकिन फिर भी उन्होंने मेरी शादी करवा दी थी।



एक दिन दोपहर में मैंने सास को अपने दामाद से नंगी हो कर चुदवाते देख लिया, या यह कहो कि उन्होंने अपनी चुदाई मुझे दिखला दी। हुआ ऐसे कि एक दिन दोपहर में मैं अपने कमरे में सो रही थी कि मुझे कुछ खुसुर फुसुर कि आवाज़ सुनाई दी। मैं उठ कर देखने गयी तो देखा कि मेरे नन्दोई और मेरी सास बेडरूम में नंगे लेटे हुए हैं और नन्दोई अपनी सास की चूचियों से खेल रहे हैं। तभी सास नन्दोई से कुछ बोलीं और नन्दोई ने उठ कर सास के पैरों के बीच लेट कर उनकी चूत पे अपना लंड भीड़ा दिया और फिर एक धक्के के साथ अपना लंड सास की चूत के अंदर पेल दिया। फिर सास भी नीचे से अपनी कमर उठा-उठा कर चुदवाने लगी। मैं कमरे के बाहर खड़ी-खड़ी सास और दामाद की चुदाई देख रही थी और अपनी सलवार के ऊपर से अपनी चूत को सहला रही थी। कहानी की नायिका हिना है!



तभी सास की नज़र मेरे ऊपर पड़ गयी और उन्होंने बिना शरम के मुझे कमरे में बुला लिया और मुझसे पूछा, “अरे हीना! कमरे के बाहर खड़ी-खड़ी क्या देख रही हो? हमारे करीब आओ और करीब बैठ कर हम लोगों की चुदाई देखो। तुम्हें शरमाने की कोई जरूरत नहीं है। यह घर का मामला है।”



मैं तब धीरे-धीरे कमरे के अंदर जा कर बिस्तर के करीब खड़ी हो गयी। मुझे देखते ही नन्दोई मुस्कुरा दिये और अपना हाथ बढ़ा कर मेरी चूची को दबाना शूरू कर दिया। तब सास मुझे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए बोली।



मैं भी सास और दामाद की चुदाई देख कर गरमा गयी थी और इसलिए मैं भी शरम के साथ-साथ अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गयी। तब नन्दोई अपनी सास को चोदते हुए मेरी चूचियों को पकड़ कर मसलने लगे और सास मेरी चूत में अपनी उँगली डाल कर धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगी। मैं इस दोहरी मार से तड़प गयी और झुक कर सास की चूचियों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी। मेरे झुकते ही नन्दोई अपना हाथ मेरे चूचीयों से हटा कर मेरे चूत्तड़ों पर ले गये और मेरे नंगी चूत्तड़ और मेरी चूत को सहलाने लगे। ऐसे ही थोड़ी देर तक चलता रहा और थोड़ी देर के बाद नन्दोई सास की चूत में अपने लंड की पिचकारी छोड़ कर हाँफने लगे और सास ने भी कमर उठा कर नन्दोई का पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में ले कर अपनी टाँगों से नन्दोई की कमर को कस कर पकड़ लिया और थोड़ी देर तक शाँत पड़ी रही। मैं समझ गयी कि इनकी चुदाई पूरी हो गयी है।



थोड़ी देर के बाद सास ने मुझे नन्दोई की गोद में धकेल दिया और खुद बैठ कर नन्दोई का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। थोड़ी देर में नन्दोई का लंड फिर से खड़ा हो गया और वो मुझे वहीं बिस्तर पर लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गये और अपना मोटा लम्बा लंड मेरी चूत में पेल दिया।



शादी के पहले भी मैं अपनी चूत में कईं लंड पिलवा चुकी थी फिर भी नन्दोई का लंड कुछ ज्यादा ही लम्बा और मोटा था और इसलिए मेरी चूत तो मानो फट ही गयी और मैं जोर से “उईईईईईईईईईईई अल्लाहऽऽऽ मररर गयीईईईईईईई अपनाआआआआआ लंड निकालो मेरी चूत से…” कह कर चिल्ला उठी।



सास मेरे मुँह को चूमते हुए बोली, “हीना बेटी… बस अब और थोड़ा बर्दाश्त कर, अभी सब ठीक हो जायेगा। बस अभी और थोड़ा सा लंड बाहर है। जैसे ही पूरा का पूरा लंड अंदर घुस जायेगा तुझे बहुत मज़ा आयेगा।”



मैं जैसे तैसे नन्दोई का लंड अपनी चूत में झेलती रही। लेकिन इस दौरान नन्दोई चुप नहीं थे और धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहे थे और थोड़ी देर के बाद मुझे भी मज़ा आने लगा और मैंने भी अपनी टाँगों से नन्दोई की कमर पकड़ कर और अपनी कमर ऊपर उठा-उठा कर नन्दोई के धक्कों का जवाब देना शूरू कर दिया। अब सास ने मेरी एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसना शूरू कर दिया और बोली, “हीना! मुझे मालूम है कि तेरी चूत शादी के बाद अभी चुदी नहीं होगी…। अब तू आराम से रशीद से जी भर कर अपनी चूत चुदवा। कोई कुछ नहीं बोलेगा।”
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