RE: XXX Stories ऐसा भी होता है
गतान्क से आगे............
इस बार जब मेरे होंठ उसके होंठों से होते उसके गले तक आए तो वहीं आ कर रुके नही. उसके गले से नीचे होते हुए मैने कमीज़ के उपेर से ही उसके गले पर किस किया और थोड़ा नीचे होकर उसकी दोनो चूचियो को चूम लिया.
"साहिल ...." उसने मेरे बाल अपनी मुट्ठी में पकड़ लिए.
मैं उम्मीद कर रहा था के वो मना करेगी पर जब उसने कुच्छ नही कहा तो मैं बिना रुके अपने होंठ कमीज़ के उपेर से ही उसकी दोनो चूचियो पर फिराने लगा.
"देख लो"
अचानक मेरे कानो में आवाज़ आई तो मैं चौंक पड़ा.
"क्या?" मैने उसकी तरफ देखते हुए पुछा
"देख लो" उसने फिर वही बात दोहराई.
मैं तो जैसे कब्से इसके इंतेज़ार में ही बैठा था. मैने फ़ौरन उसकी कमीज़ का पल्लू पकड़ा.
"साहिल प्लीज़" उसने फ़ौरन अपने कमीज़ को पकड़ लिया "तुम्हें कसम है. कमीज़ उपेर मत करना प्लीज़"
"फिर कैसे?"
"उपेर से देख लो" उसने खुद ही रास्ता सूझा दिया.
मैं उसकी बगल से हटकर थोड़ा सा उसके पिछे होकर बैठ गया और उसकी कमीज़ के गले को थोड़ा आगे करते हुए अंदर निगाह दौड़ाई.
उसकी छ्होटी छ्होटी चूचियाँ वाइट ब्रा के अंदर क़ैद थी. उपेर से मुझे कुच्छ ख़ास नही, सिर्फ़ उसका क्लीवेज ही दिखाई दे रहा था.
मैने एक हाथ से उसकी कमीज़ के गले को पकड़ कर आगे को खींचा और दूसरा हाथ उपेर से ही कमीज़ के अंदर डाला.
"कैसा लगा?" उसने मुझसे पुछा. वो आँखें बंद किए बैठी थी.
"अमेज़िंग" मैने कहा और उसकी एक चूची को पकड़ कर उपेर से ही बाहर निकालने की कोशिश की पर शायद ऐसा करते हुए मैने कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर से दबा दिए.
"आआहह" वो फ़ौरन दर्द से बिलबिलाई और मेरा हाथ हटाते हुए आगे को सरक गयी "क्या कर रहे हो? हमें दर्द नही होता क्या?"
"आइ आम सॉरी" मैने कहा
"पता है कितनी ज़ोर से दबाया तुमने?" कहकर वो फ़ौरन उठ खड़ी हुई
"अच्छा अच्छा ग़लती हो गयी. बेध्यानी में इतनी ज़ोर से दबा दिया"
"चलो अब" वो खड़ी हुई अपने कपड़े ठीक करने लगी.
मैं भी उसके साथ उठकर खड़ा हुआ और उसको अपने गले से लगा लिया. हम दोनो एक दूसरे से लिपटे चुप चाप खड़े हो गये.
वो मेरे सीने से सर लगाए चुप चाप खड़ी थी और उसकी दोनो चूचियाँ मेरे जिस्म से दब रही थी. उसकी साँस अब भी भारी थी जिसको वो कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी पर मेरा अभी रुकने का कोई इरादा नही था. खड़े खड़े ही मेरे हाथ जो उसकी पीठ पर थे फिसलते हुए उसकी गांद पर आ टीके.
"साहिल प्लीज़ नीचे कुच्छ मत करना" वो फ़ौरन बोली पर मेरा हाथ हटाने या मुझसे अलग होने की कोई कोशिश नही की.
"ओके"
मैने कहा और कुच्छ देर तक यूँ ही उसकी गांद पर हाथ टिकाए खड़ा रहा. पेंट के अंदर मेरा लंड एकदम टाइट खड़ा हुआ था और क्यूंकी वो मुझसे लिपटी हुई थी, इसलिए उसके जिस्म को च्छू रहा था.
"एक बार दबाओ" उसकी आवाज़ मेरे कान में पड़ी. वो किस बारे में बात कर रही थी मैं नही जानता पर उसकी बात सुनते ही मैने वो काम किया जो मैं करना चाह रहा था.
उसकी गांद को थोड़ा और मज़बूती से पकड़ कर मैने अपने लंड को उसके जिस्म के साथ दबाया.
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