RE: Hindi Sex Stories बदले की आग रीना का हनीमून या...?दस लाख का सवाल
फ़्राईडे की दोपहर आफ़िसर, मिस्टर लोहाणे, दिल्ली से आया। एक होटल में एक सुईट का इंतज़ाम कर दिया गया था उसके लिये। आफ़िस ने आकर माल को देखा। तमाम तरह के सवाल करने लगा। मेरा बॉस परेशान हो गया। उसने मेरी तरफ़ उम्मीद की नज़रों से देखा। मैंने अब अपनी पोजिशन संभाल ली। अपने हसीन जिस्म का फ़ायदा उठाने लगी। आफ़िसर के नज़दीक आ कर उसे हर बात का जवाब देने लगी। लो-कट ड्रैस में से मेरे झलकते हुस्न ने उसके सवालों को कम कर दिया। उसकी दिलचस्पी अब सवालों में नही बल्कि मेरे नज़दीक आने में होने लगी। मैं भी एक घरेलू टाईप की लड़की का रोल अदा करते हुए उससे दूर रहने की कोशिश करती और फिर थोड़ी देर में अनजान बनती हुई उसके एकदम करीब आ जाती। आफ़िसर एकदम बेचैन हो उठा। फिर मेरे बॉस से कहा, "राहुल। माल तो तुम्हारा ठीक है लेकिन तीन-चार फोरमैलिटीज़ करनी पड़ेगी।" यानी तीर एकदम निशाने पर बैठा। अब उसे पिघलने में ज्यादा देर नही थी।
मेरे बॉस ने कहा, "सर, आपकी हर जरूरत पूरी की जायेगी। आप एक-दो फोरमैलिटीज़ अभी पुरी कर लीजिये बाकी शाम के समय मैं होटल आकर पुरी कर देता हूँ।"
"ठीक है। वैसे तुम्हरी सेक्रेटरी बड़ी इंटैलिजैंट है। तुम्हारा बिज़नेस बड़ा ही ग्रो करेगा," आफ़िसर मेरे जिस्म को घूरता हुआ बोला। अब बॉस के लिये मुश्किल खड़ी हो गयी। आफ़िसर मिस्टर लोहाणे का इरादा समझ में आ रहा था। बॉस ने मुझसे कहा, "अब क्या करें?"
मैंने हंसते हुए जवाब दिया, "नो प्रॉब्लम सर, मैं सब संभाल लुँगी ।" आखिर दस लाख का सवाल था।
शाम के बजाय आठ बज़े हम लोग यानी मैं और मेरा बॉस राहुल होटल में पहुंचे। उसके पहले मैंने सादिया से बात कर ली थी। वो रात के करीबन दस बज़े वहाँ पहुँचने वाली थी। उस शाम के लिये मैंने पूरी तैयारी कर ली। अपने जिस्म को अच्छी तरह से वैक्सिंग कर के और काफी मेक- अप कर अपने उपर तीन-चार ड्रैस की रीहर्सल करने के बाद शॉर्ट स्कर्ट और हाई हील के सैंडल के उपर बस्टीयर और ओपन-जैकेट पहन कर मैं एकदम तैयार थी। दस लाख कमाने के लिये। जिसमे पाँच लाख मेरे लिये होंगे। और मेरा बॉस स्कॉच व्हिस्की की तीन-चार वैराइटी लिये तैयार था।
जैसे ही हम सुईट के अन्दर घुसे आफ़िसर मिस्टर लोहाणे मुझे देखते ही पंक्चर हो गया। उसकी आँखें मेरे जिस्म से चिपक गयी। मेरी गोरी-गोरी चिकनी जांघें, लंबी टांगें उसके जिस्म में तूफ़ान ला रही थीं। टाईट स्कर्ट से चिपके हुए मेरे चूतड़ों से उसकी नज़रें चिपकी हुई थी। ओपन-जैकेट से झलकते हुए मेरे बस्टीयर में दबे मेरे मम्मे दबोचने के लिये उसे दावत दे रहे थे। फेशियल से तरो ताज़ा मेरे गाल और हल्के रोज़ रंग की लिपस्टिक से रंगे हुए मेरे नाज़ुक होंठ उसे गुलाब की पंखुड़ियाँ लग रही थीं। वो मेरा ये हुस्न देख अपने सूखे हुए होंठों को गीला करते हुए बोला, "मिस्टर राहुल क्या यही सेक्रेटरी दोपहर में तुम्हारे आफ़िस में थी?"
बॉस खुश होते हुए बोला, "पहले आफ़िस टाईम था अभी ये रिलेक्स टाईम है। चेन्ज तो होना ही है मिस्टर लोहाणे।"
लोहाणे ने मुझे अपने हाथों से खींच कर एक चेयर पर मुझे बैठाया और सामने वाली चेयर पर खुद बैठ गया। मेरे बॉस को अपनी चेयर खुद ही खींच कर बैठना पड़ा। मेरी खूबसूरती का जादू चल चुका था। तभी बॉस ने बात की शुरुआत की, "तो मिस्टर लोहाणे, हमारा माल कैसा लगा?"
बॉस का मतलब आफ़िस के माल से था। मगर लोहाणे इसे मेरे बारे में समझा। उसने कहा, "मिस्टर राहुल। बहुत ही खूबसूरत। मानो स्वर्ग से एक अपसरा अभी-अभी उतरी है।"
मैंने शरमा कर अपनी नज़रें झुका ली। लोहाणे का मतलब समझते हुए बॉस ने कहा, "मेरा मतलब कान्ट्रैक्ट के माल से था, मिस्टर लोहाणे।"
लोहाणे ने मेरे जिस्म से अपनी नज़र को ना हटाते हुए कहा, "छोड़ो उस माल को यार, बात अभी की करो। वो वाला भी परफ़ेक्ट और ये वाला भी...!" ये सुन कर बॉस झूम उठा।
मैंने भी खड़े होते हुए कहा, "रियली! तब तो हमें इस बात की पार्टी रात भर मनानी चाहिये।"
ये सुनकर बॉस ने एक फोन होटल रिसेप्शन पर मिलाया और सोडा और कुछ स्नैक्स का आर्डर दे दिया। हम लोग बातें करने लगे। थोड़ी देर में ही वेटर ने आकर आर्डर वाली सब चीज़ें ला कर टेबल पर रख दीं। मैंने रूम में रखे फ़्रिज में से आईस निकाली और तीन ग्लास में स्कॉच, सोडा और आईस डाल कर पार्टी के शुरु होने का एलान कर दिया। चीयर्स करते हुए बॉस बोला, "आज के इस कान्ट्रैक्ट की सफ़लता के लिये चीयर्स।"
लोहाणे ने कहा, "मिस सानिया के इस बेपनाह हुस्न के लिये चीयर्स।" और मैंने कहा, "आज की इस खूबसूरत पार्टी के लिये चीयर्स।" और हम सब अपनी ग्लासों को टकरा के पीने लगे।
आधे घन्टे तक हम अपनी सीट पर बैठे जाम से जाम टकराते रहे। लोहाणे मेरे सामने बैठा मेरे जिस्म का स्वाद अपनी नज़रों से ले रहा था। मेरे शॉर्ट-स्कर्ट से झांकती मेरी मांसल जाँघों को जी भर के देख रहा था। मैंने भी गौर किया कि लोहाणे के पैंट में एक उभार पैदा हो रहा था। उसकी पैंट ज़िप के पास से टाईट हो रही थी। अपने मचलते हुए खिलौने को लोहाणे बीच-बीच में एडजस्ट भी कर रहा था। लेकिन उसकी कोशिश असफ़ल हो रही थी। जितना एडजस्ट करता उतना ही उसका खिलौना और मचल रहा था। मैं एक पेग के बाद जब दूसरा आधा पेग ले रही थी तब तक बॉस और लोहाणे ३-३ पेग पी चुके थे। मैं इन्तज़ार कर रही थी अपनी फ़्रेन्ड सादिया का। वो आये और हमारा काम हो जाये। मैंने कभी भी एक पेग से ज्यादा नही पिया था। इसलिये स्कॉच का नशा पूरा चढ़ा हुआ था। जबकी बॉस और लोहाणे स्कॉच के नशे में अब बहकने लगे। उनके आपस में कही जा रही बातों में तीन-चार गालियां साथ-साथ आ रही थीं। मैं उनके ग्लास को खाली होते देख उनके ग्लास रिफ़िल करने लगी।
तब लोहाणे ने खड़े हो कर मुझे अपनी एक बाँह से पकड़ लिया और कहा, "जानेमन तुम तो कुछ भी नही ले रही हो। लो ये पीस खाओ। बड़ा ही टेस्टी है।" और यह कहकर मेरे मुँह में स्नैक्स का एक पीस ठूँसने लगा। फिर स्कॉच के नशे में वापस बोला, "अरे केचप लगाना तो भूल ही गया। इसे केचप के साथ खाओ।" यह कहकर मेरे मुँह में ठूँसे हुए स्नैक्स के उपर सीधे केचप की बोतल से केचप लगाने लगा और वो केचप सारा का सारा मेरी जैकेट और बस्टीयर पर जा गिरा। लोहाणे शर्म से झेंप पड़ा और कहने लगा, "ओह, आई एम वेरी सॉरी.. वेरी सॉरी," और अपनी रुमाल निकाल कर साफ़ करने की कोशिश करने लगा, "प्लीज़.. प्लीज़ मुझे साफ़ करने दीजिये।"
मैंने कहा, "ओह। कोई बात नही। मैं खुद साफ़ कर लुँगी।" एक खूबसूरत लड़की के कपड़ों पर ऐसा हो जाये तो ज़ाहिर है की कोई भी आदमी परेशान हो ही जाता है। मैं टेबल पर पड़े पेपर नैपकिन्स से केचप को साफ़ करने लगी। लेकिन वो कहाँ से साफ़ होता। नशे में मैं थोड़ा अपसेट हो गयी और मेरा बॉस भी थोड़ा अपसेट हो चुका था।
लेकिन लोहाणे अपनी सूटकेस खोलने लगा। एक पार्सल को निकलते हुए कहा, "मैं अपनी फ़्रेन्ड के लिये कुछ कपड़े लाया था। शायद आप के काम आ जाये। प्लीज़ देख लिजिये।"
मैंने भी कोई और चारा नही देख कर उससे वो पैकेट ले लिया और बाथरूम में घुस गयी। वाशबेसिन में अपने कपड़े साफ़ किये और पैकेट को खोल कर कपड़े देखने लगी। ये कपड़े कहाँ थे। ये तो नाईटीज़ थी। वो भी बेबी-डॉल (मिनी) नाईटीज़। अब मैं अपने कपड़े साफ़ करने के चक्कर में काफ़ी गीले कर चुकी थी और कोई चारा नही था मेरे पास। तीन नाईटीज़ में से मैंने एक नाईटी चूज़ की। वो नाईटीज़ पहनो या ना पहनो कोई मतलब ही नही था। केवल नाम के लिये पहनना था... छुपाने के लिये कुछ भी नही था। वो नाईटी पहनने के बाद मुझे वापस खोलनी पड़ी क्योंकि मेरी ब्रा के स्ट्रैप्स अलग से नज़र आ रहे थे। जब मैंने अपनी ब्रा उतार कर वो नाईटी पहनी तो मेरे निपल्स उस नाईटी से झलकने लगे। मेरे मम्मे तो साफ़-साफ़ नज़र आ रहे थे। लेकिन कोई चारा नही बचा था और स्कॉच के नशे ने मेरी हिम्मत भी बढ़ा दी। फिर मेरी फ़्रेन्ड भी थोड़ी देर में आने वाली थी।
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