RE: Hindi Porn Stories दो आर्मी नर्सों की चुदाई
होक्स्र-बे पर मैंने पहले से हट बुक करवाया हुआ था और हम लोग कुछ सामान लेकर गये थे। वहाँ मैंने फौज़िया को अहमद के साथ किया और खुद शाज़िया के साथ सी-साईड पर वॉक करने लगा। उसके बाद वो दोनों कुछ आगे चले गये और मैं शाज़िया को लेकर हट में आया। वहाँ मैंने उसको चूमना शुरू किया और फिर दोबारा एक ज़ोरदार चुदाई की। जब वो दोनों वापस आये तो मैंने रूम को लॉक किया हुआ था। उन्होंने नॉक किया और मैंने डोर खोला। हालांकि मैं चुदाई खतम कर चुका था मगर शाज़िया के ड्रेस से मालूम हो रहा था कि हम लोग चुदाई कर रहे थे। मगर उन्होंने कुछ नहीं कहा।
उसके बाद हमने मिल कर बियर पी और लंच किया। फिर लंच के बाद जब शाज़िया और फौजिया सामान संभालने में लगी तो अहमद बालकोनी में मेरे पास आया और आँख मार कर हालात मालूम किया। वो मेरा बेस्ट फ्रैंड है तो मैंने उसको हालात का बताया और उससे फौज़िया का मालूम किया। उसने बताया कि फौज़िया ने भी काफी बातें चुदाई पर की थीं उसके साथ और वो भी जल्द राज़ी हो जायेगी।
उसके बाद मैं शाज़िया को लेकर सी-साईड पर गया और अहमद और फौज़िया को हट पर छोड़ा और कहा कि, तुम लोग आराम करो, हम लोग राऊँड लगा कर आते हैं। फिर मैं शाज़िया को बगल में लेकर हट से दूर चला गया। पीछे मालूम हुआ कि अहमद साहब ने भी अपनी लंड की आग बुझा ली है और फौज़िया की चूत की सैर कर ली है। इस दौरान फौज़िया ने शाज़िया के साथ लेस्बियन सैक्स का भी अहमद को बताया। हम दोनो काफी देर बाद वापस आये तो हम सब ने मिल कर बियर पीनी शुरू की। इस दौरान हमने काफी गपशप की और फिर जब मैं अहमद के साथ अकेला हुआ तो उसने बताया कि काम हो गया है और उसने फौज़िया की चूत को पार कर लिया है।
खैर हमने एक बहुत अच्छा दिन होक्स-बे पर गुज़ार कर शाम को वापसी की। अहमद ने ड्राइविंग मुझे दी और वापसी पर मैं ड्राइविंग करता हुआ कार लेकर आया। वापसी पर शाज़िया मेरे साथ आगे की सीट पर थी जबकि फौज़िया अहमद के साथ पीछे सीट पर थी। हमने पूरे रास्ते बहुत इंजॉय किया मगर शाज़िया ने या फौज़िया ने ये नहीं शो किया कि दोनों अपनी चूत फिरवा कर आ रही हैं।
उसके बाद हम चारों का एक अच्छा ग्रुप बन गया। चूँकि अहमद काफी अमीर लड़का था और अकेला फ़्लैट में रहता था, तो मेरी निसबत उसके पास पैसा काफी था। वैसे भी आर्मी में तनखा काफी कम होती है और मैं वैसे भी काफी खर्चा नहीं करता था। मगर अहमद हर डेट पर हम चारों का खर्च बर्दाश्त करता था।
उसके बाद मैं कईं दफा शाज़िया को अहमद के फ़्लैट पर लेकर गया और शाज़िया की चूत की आग बुझाता रहा। इधर शाज़िया और फौज़िया तो अच्छी फ्रैंड्स थी ही और आपस में भी चुदाई करती थीं। उन्होंने एक दूसरे को हमारे साथ चुदाई की कहानी भी बता दी थी। अभी तक हम चारों ने ग्रुप सैक्स नहीं किया था और उसकी वजह या तो शरम थी या अभी तक मौका ही नहीं मिला था। अक्सर शाज़िया की ड्यूटी होती तो फौज़िया फ़्री होती, या फौज़िया की ड्यूटी होती तो शाज़िया फ़्री होती। आखिरकार २३ नवंबर को अहमद की सालगिरह थी और उसने मुझे पहले ही से दावत दे रखी थी और उन दोनों को भी कहा कि उन्होंने भी पार्टी में आना है।
यहाँ मैं एक बात वाज़िया कर दूँ कि नर्सों को होस्टल से बाहर रात गुज़ारने की इज़ाजत नहीं थी। इसलिये हम लोग या तो दिन में मिलते या रात दस बजे तक वापिस आ जाया करते थे, क्योंकि उनकी रोज़ाना रात को हाज़री होती थी और रोज़ाना उनकी रिपोर्ट उनकी हेड नर्स को जाती थी। जब से मैं कराची वापस आया था, मैंने दोबारा शाज़िया के साथ रात नहीं गुज़ारी थी और न कभी मौका मिला था। बरहाल मैंने शाज़िया को अहमद की सालगिरह और सैक्स प्रोग्राम का बताया। उसका भी दिल किया कि काफी इंजॉय किया जाये, सो उन दोनो ने अपनी हेड नर्स को इल्तज़ा की कि उनकी रिश्तेदारी में शादी है और उनको रात बाहर रहना पड़ेगा। लेखक: अंजान
उनकी दरख्वास्त मंज़ूर हो गयी। मैं और अहमद २३ नवंबर को शाम के वक्त शाज़िया और फौज़िया के होस्टल उन दोनों को लेने अये। वो रात भी मेरी ज़िंदगी की ना भूलने वाली रात थी। शाम को हम चारों अहमद की कार में तारीक रोड गये और मैंने और दोनों लड़कियों ने अहमद के लिये कुछ गिफ़्ट पैक करवाये। उसके बाद अहमद के फ़्लैट पर
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