RE: Hindi Porn Stories दो आर्मी नर्सों की चुदाई
फिर मैंने अपना मोबाइल बंद किया और शाज़िया के साथ गुज़रे हुए तमाम सीन को ज़हन में लाया और एक खुशगवार फ़ीलिंग के साथ एक गहरी नींद सो गया। शाम को जब मैं उठा और मोबाइल ऑन किया तो शाज़िया की तरफ़ से मिले प्यारे और सैक्सी एस-एम-एस पढ़े। फिर मैंने उसके मोबाइल पर फोन किया तो वो बेचारी ड्यूटी पर थी। उसने बताया कि वो मुझे और मेरे लंड को मिस कर रही है। मुझसे रहा नहीं गया और जल्दी से तैयार होकर अपनी होंडा बाईक निकाली और उसके बताये हुए हास्पिटल में एक फूलों के गुलदस्ते के साथ पहुँचा। ये शिफा हास्पिटल कोरांगी रोड पर है और इसमें फौज के तमाम लोगों का इलाज होता है। शाज़िया भी वहीं जॉब करती थी। मैं उसके बताये हुए वार्ड में गया। उसने आर्मी-नर्स का युनिफ़ॉर्म पहना हुआ था और वो बहुत ज़्यादा सैक्सी लग रही थी। उसकी आँखों से मालूम हो रहा था कि वो बहुत थकी हुई है। पिछली पुरी रात रम पी कर चुदाई की थी और सोना तो नसीब ही नहीं हुआ था।
खैर उसने मुझे विज़िटर रूम में बिठाया और मेरे लिये कोल्ड-ड्रिंक्स मंगवायी। मैंने उसको वह फूलों का गुलदस्ता दिया और उधर विज़िटर रूम में ही पकड़ कर चूमने लगा मगर उसने मुझे मना किया कि ये मेरी ड्यूटी प्लेस है.... यहाँ चुदाई करना खतरनाक है। खैर मैंने उसके साथ काफी समय गुज़ारा और इस दौरान मैंने उसे काफी चूमा और काफी दफा उसकी गाँड और चूचियों को दबाया उसके बाद मैं वापिस अपनी यूनिट आ गया और इसके बाद मैं वीक-एंड का इंतज़ार करने लगा। अगले शनिवार को फिर शाज़िया के साथ डेट लगायी। मेरे पास जगह नहीं थी लेकिन मैं उसको समंदर किनारे ले गया और वहाँ पर अंधेरे में कुछ चूमा-चाटी की और चूचियों को मसल और चूसा। उसने मेरे लंड की चुसायी की और फिर रात को वापिस मैं उसको उसके मेस छोड़ आया।
उसके बाद मेरा ये रूटीन बन गया था कि जब भी वो शाम को फ़्री होती तो मैं उसको अपनी मोटर-बाईक पर बिठा कर लेकर जाता और कोई भी खाली जगह देख कर कुछ चुदाई करता। मगर अभी तक कोई फ़्लैट या घर नहीं मिला था कि मैं अपने लंड की तमाम मस्ती उतार सकूँ।
इस दौरान शाज़िया ने मुझे अपनी बेस्ट-फ्रेंड फौज़िया से भी मिलवाया। वो होस्टल में शाज़िया की रूम-मेट थी। वो भी काफी सैक्सी लड़की थी। उसकी उम्र भी शाज़िया के जितनी थी मगर फिगर थोड़ा कम था। मेरे ख्याल से उसका फिगर ३४-२६-३४ था। शाज़िया ने मुझे उससे होस्टल में मिलवाया और उसने मेरी बड़ी खातिर की।
अब चूँकि शाज़िया की चूत को एक लत पड़ गयी थी और वो अपनी चूत को हर-रोज़ चटवाना और चुदवाना चाहती थी। मगर ना तो मैं इतना फारिग था और ना हमारे पास कोई घर या फ़्लैट था कि मैं उसको हर वक्त लेकर जाता और उसकी चूत की आग बुझाता। इसलिये उसने अपनी रूम-मेट फौज़िया से आहिस्ता-आहिस्ता चुदाई का सिलसिला स्टार्ट किया, जिसका मुझे बाद में मालूम हुआ। फिर मेरा रूटीन काफी मसरूफ हो गया था और मैं बस शाज़िया से रात को फोन पर चुदाई की बातें करता और वो फोन पर ही मेरी मुठ लगवा देती थी। वजह यह थी कि मेरी यूनिट में मेरी जिम्मेवारियाँ कुछ दिनों के लिये बढ़ गयी थीं, सो मैं शाज़िया को वक्त नहीं दे सका। मगर हम लोग फोन हर रोज़ करते और फोन-सैक्स करते थे। जबकि उसको तो उसकी फ्रेंड फौज़िया मिल गयी थी और वो दोनों हर रोज़ लेस्बियन चुदाई करती थीं। जब शाज़िया मेरे साथ फोन सैक्स करती तो उस वक्त साथ ही वो फौज़िया कि साथ चुदाई कर रही होती थी। उसके लहज़े से मालूम पड़ता था कि उसने शराब पी रखी होती थी।
काफी दिनों बाद मुझे एक काम से शिफ़ा हास्पिटल जाना पड़ा और मैं युनिफ़ॉर्म में था। मगर मेरे लंड में काफी खुजली हो रही थी और काफी दिन से शाज़िया की चूत का मज़ा नहीं लिया था। मैं अचानक युनिफ़ॉर्म में उसके ड्यूटी वार्ड में पहुँच गया तो वो हैरान हो गयी और मुझे युनिफ़ॉर्म में देख कर काफी खुश हुई। बेशक मैं युनिफ़ॉर्म में काफी स्मार्ट लगता हूँ और मेरे कंधों पर स्टार्स काफी अच्छे लगते हैं। खैर वो ड्यूटी पर थी और कोई जगह नहीं थी तो उसने मुझे अपने चेंजिंग रूम में बिठाया। ये इमरजेंसी वार्ड में नर्सेज का चेंजिंग रूम था। इधर नर्सें कुछ आराम और कुछ चेंजिंग वगैरह करती थीं। हालांकि इधर अदमियों को इजाज़त नहीं थी मगर शाज़िया ने रिस्क ले कर मुझे वहाँ बिठाया और मैं उसका इंतज़ार करने लगा।
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