RE: XXX Kahani इस रात की सुबह नही
इस बात को दो साल हो गये …….इस दौरान मैने लाइव चुदाई नही देखी है ……आज शायद मौका मिले …….वैसे अभी मैने अनिता दीदी की बुर तो देखी ही नही …….मैं रात का इंतजार करने लगा …..
रात को मैं टॉम की आँखो से दीदी के कमरे मे झाँका …….
दीदी जीजाजी की तरफ घूमकर बच्चे को सुला रही थी ओर जीजाजी खिड़की ( जो आँगन मे खुलता है ) के पास बिस्तर पर अढ़लेते हुए लॅपटॉप पर पॉर्न मूवी देख रहे थे …….उन्होने लॅपटॉप दीदी की तरफ घुमाया ओर अपना मूसल लूँगी से बाहर निकाल लिया …….
वाहह…..ये तो पहले से भी विकराल लग रहा था ……फिर उन्होने दीदी की नाइटी कमर तक सरका दिया ओर उनकी बुर देखने लगे …..
मुझे दीदी की बुर तो नही दिखी , पर उनकी बड़ी बड़ी गांद की गोलाइयाँ मेरी आँखो के आगे नाचने लगी …….
मुन्ना सो चुका था ……जीजाजी ने इशारा किया …… दीदी ने बच्चे को साइड कर हाथ बढ़ाकर मूसल पकड़ लिया ओर सहलाने लगी ……..फिर धीरे से मुँह मे ले लिया …..
आहह…………जीजाजी के मुँह से निकला ओर वो हाथ बढ़ाकर दीदी की चूतर सहलाते हुए पीछे से बुर मे उंगली करने लगे …….
मुझे कमरे की भरपूर रोशनी मे पहली बार अनिता दीदी की बुर की झलक मिली …..मेरे छोटे उस्ताद ने तुरंत उछलकर सलामी दी ….
तभी मैं चौंका ……मुझे खिड़की के बाहर कोई साया हिलता महसूस हुआ ……कहीं कोई चोर तो नही ?……मेरा खून सूखने लगा …..मैं चिल्लाकर जीजाजी को बता भी नही सकता था …..फिर साया दिखना बंद हो गया …..
इधर जीजाजी दीदी को चित लिटाकर उनके उपर चढ़ चुके थे ओर हुमच हुमचकर चोद रहे थे …..दीदी मस्ती मे कराह रही थी …..फिर जीजाजी रुक गये ओर बोले …..अनु, बच्चे के कारण तुम्हारी बुर थोड़ी फैल गयी है मुझे मज़ा नही आ रहा है…..
लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा है , मेरे राजा …….दीदी अपनी बुर उचकाती हुई बोली …. थोड़ी देर ओर …..बस मैं झड़नेवाली हूँ ……….ओर जीजाजी से चिपककर झड़ने लगी ……….
जीजाजी ने अपना लंड निकाल लिया ….रोड की तरह तना हुआ …….दीदी का चूत रस पीकर ओर ख़ूँख़ार लग रहा था ……
अनु , अभी मेरा हुआ नही है …..प्लीज़ आज गांद मारने दो ना ……..
दीदी की जगह मुझे घबराहट होने लगी ……बुर तो ठीक था ….वो होती ही है चुदने के लिए ….लेकिन इतना मोटा लंड गांद की छोटी सी छेद मे कैसे घुसेगा ?.........
परंतु आश्चर्यजनक ढंग से दीदी कुतिया की तरह बनकर अपनी गांद उपर उठा दी ओर लॅपटॉप सामने रखकर चुदाई सीन देखने लगी …….
जीजाजी ने बच्चे की मालिश के लिए रखी तेल की कटोरी से दीदी की गांद के छेद पर तेल डाला ओर फिर अपना लंड गांद की मुहाने पर रखकर ज़ोर लगाने लगे ……लंड अंदर सरकने लगा ……..मैं मुँह बाए देख रहा था …….
तभी तेज हवा के कारण अधखुली खिड़की का पल्ला धाड़ से खुला ओर बंद हो गया ……शायद बाहर आँधी चलने लगी थी ……….
मैं चौंका……..
खिलडी के पल्ले के नीचे कपड़े का एक टुकड़ा फँसा था …..मैने ध्यान से देखा ………वो किसी साड़ी का पल्लू लग रहा था ………..
जीजाजी ने भी अव्वाज के कारण खिड़की की तरफ देखा ……उनके चेहरे पर भी चौकने के भाव आए …….फिर उन्होने हाथ बढ़ाकर कपड़े को पकड़ लिया ओर उसके छोर को उंगली मे लपेट लिया …….फिर आराम से अपना लंड दीदी की गांद मे पेलने लगे ……दीदी की कामुक कराहट कमरे मे गूँज रही थी …….
मैने देखा कि जीजाजी की कपड़े लपेटे उंगली कई बार खींची …..लेकिन जीजाजी कपड़ा छोड़ने को तैयार नही थे ……अब मुझे पक्का विश्वास हो गया कि दूसरी तरफ कोई है …..शायद कोई औरत ….लेकिन कौन ?...........मेरा दिल धड़का ……..मैं टेबल से उतरकर बे-आवाज़ दरवाजा खोला ओर मा के कमरे मे देखा ……दरवाजा खुला था ….मम्मी गायब थी ……..मैं टाय्लेट तक आया ….वो भी खाली था …..आँगनवाला दरवाजा सटा था……लेकिन खुला था ……..टाय्लेट के बाहर वॉशबेसिन के उपर खिड़की से उचक्कर देखा…….मम्मी ही थी ………मेरा दिल बैठने लगा ……मम्मी फँस गयी थी ……
मम्मी अपने पल्लू को ढीला करके खींच रही थी ……उन्हे लग रहा था कि शायद किसी कील मे फँस गया है …..जीजाजी शातीर थे ………मम्मी जितना पल्लू ढीला करती उतना ही वह अंदर खीच जाता ……मम्मी ने आधी साड़ी खोल ली ओर फिर ढीला करके पूरा झटका देकर देखा….इतने मे तो साड़ी फॅट्कर बाहर आ जाती , अगर कील मे फँसी होती …..लेकिन उसे ना बाहर आनी थी ना आई …..
मम्मी परेशान……अंत मे उन्होने अपनी पूरी साड़ी खोली ओर धीरे से खिड़की के अंदर फेंक दिया……अब वह पेटिकोट ओर ब्लाउज मे दीवाल से सटकार गहरी साँसे लेने लगी ……..
तभी मुझे जीजाजी के कमरे के खुलने की आवाज़ सुनाई दी ……मैं झट टाय्लेट मे घुस गया ……
जीजाजी आए ओर उन्होने आँगन के दरवाजे की कुण्डी लगा दी ओर लौट गये ……थोड़ी देर बाद मैं चुपचाप टाय्लेट से निकला ओर अपने कमरे मे दौड़ गया …….डर इतना था कि ख्याल ही नही रहा कि आँगन का दरवाजा खोलता आउ…..
मैं फिर टॉम की आँखो से देखने लगा ………दीदी सो चुकी थी ……….जीजाजी पेग पी रहे थे ओर लॅपटॉप पर पॉर्न देख रहे थे ……..मेच्यूर औरत ओर जवान लड़को की क्लिप्स……..मैं समझ गया कि जीजाजी के मन मे क्या है …..लेकिन मैने मम्मी को बचाने का फ़ैसला कर लिया ….
जैसे ही मैं अपने कमरे से बाहर निकलकर आगे बढ़ा…..दीदी का दरवाजा खुला ……
मैं हड़बड़ाकार सामने मा के कमरे मे घुस गया …….जीजाजी मेरे कमरे तक आए ओर आहिस्ते से दरवाजे की सिटकिनी बाहर से लगा दी ……..फिर सिगरेट सुलगाते हुए आँगन का दरवाजा खोला ओर वहीं खड़े पीने लगे ..…फिर उन्होने आँगन की लाइट जला दी ……अब मम्मी कहाँ छुपति ?........
कौन है वहाँ? ……बाहर से एक डंडा उठाकर उनकी तरफ बढ़ते हुए जीजाजी बोले
मम्मी क्या बोलती ?.............
सासुमा आप यहाँ ?...........ओर इस हालत मे ??
मैं अबतक वॉशबेसिन के पास आकर खिड़की से देखने लगा ……
गर्मी लग रही थी , इसलिए बाहर टहलने चली आई …..अब मुझे अंदर जाने दीजिए दमादज़ी …..धीरे से कहते हुए मम्मी अंदर आना चाही ….
हूँ………..जीजाजी ने रास्ता रोकते हुए कहा …….लगता है गर्मी कुछ ज़्यादा ही लग रही थी …..तभी आपने साड़ी खोलकर इस हालत मे आँगन मे घूमने आ गयी …….
प्लीज़, मुझे जाने दीजिए दामाद जी ……..
लेकिन आपने साड़ी खोलकर फेंकी कहाँ ?
दामाद जी ,आपको शर्म आनी चाहिए ऐसी वाहियात बाते अपनी मा जैसी सास से करते हुए …..मम्मी धीमे से तुनक्कर बोली
अपनी बेटी- दामाद की चुदाइ देखते हुए आपको शर्म नही आई ,….तो मुझे बोलते हुए क्यों ?........जीजाजी ने खुल्लंखुल्ला बोला…….. मैं अभी अनु को जगाता हूँ ओर बताता हूँ कि आपने साड़ी खोलकर कहाँ फेंकी ………..
मम्मी शर्म से पानी पानी हो गयी ….. फिर हौले से बोली …..दमादज़ी ,…..प्लीज़ जाने दीजिए , बात क्यों बढ़ा रहे हैं …ग़लती हो गयी ….
ग़लती हो गयी तो सज़ा भी भुगतिए …..जीजाजी कुटिलता से डंडा लहराते बोले ……डंडे खाने पड़ेंगे ………आगे झुक जाइए ….
मम्मी विवशतावश आगे को झुक गयी …..जीजाजी आगे बढ़े ओर झटके से उनके पेटिकोट का नाडा खींच दिया ………
मेरा दिल धक से रह गया……
मम्मी का पेटिकोट खुलकर ज़मीन पर गिर पड़ा ……….मम्मी तुरंत झुककर पेटिकोट उठाने की कोशिश की , लेकिन जीजाजी ने पेटिकोट पर पैर रख दिया था ….
अपनी नाकाम कोशिश के बाद मम्मी तुरंत दरवाजे की तरफ भागी पर जीजाजी लपककर दरवाजे पर खड़े हो गये …….. मम्मी ब्लाउज मे दीवाल से सटकार अपना बदन छुपाते उकड़ू बैठकर सूबकने लगी……
जीजाजी उनके तरफ बढ़ते हुए बोले ….ये तो ग़लत बात है सासुमा, ……आप मुझे नंगा देख सकती है तो मैं आपको क्यों नही ?………..अगर देखना ही था तो मुझे कहती …..बहुत अच्छे से आपको दिखाता ….
फिर लूँगी खोलकर अपना घोड़े जैसा लंड मम्मी की आँखो के आगे लहराने लगे ……मम्मी नज़र उठाकर भी नही देख रही थी ……. जीजाजी अपना मूसल उनके चेहरे पर रगड़ने लगे , फिर कमर को आगे पीछे करते हुए मम्मी के चेहरे पर ठोकर मारने लगे ……….कुछ देर ऐसा ही चलता रहा ……अचानक, मम्मी ने मुँह खोलकर जीजाजी का हथौड़ा अपने होटो से दबा लिया ओर जंगली बिल्ली की तरह चूसने लगी …….
आहह………….सासुमा आप तो अनु से भी अच्छा चुस्ती हो ………ओर मम्मी का सर पकड़कर उनका मुँह चोदने लगे ……
फिर उन्होने मम्मी को खड़ा किया ……दोनो हाथो से उनके ब्लाउज को बिपरीत दिशा मे खींचकर फाड़ दिया ओर उनके बड़े बड़े पपीते को चूसने लगे ………फिर उनकी जांघे फैलाई ओर थोड़ा झुककर खड़े खड़े अपना दन्दनाता मूसल मम्मी की बुर मे पेल दिया ……..
उसी समय मैं अपने पैंट मे ही झाड़ गया…….
उस रात जीजाजी ने मम्मी की गांद भी बुरी तरह मारी ……
मैं सोंच रहा था जीजाजी ने मेरे घर की सभी औरतों को चोद लिया …..अनैतिक संबंधो की शृंखला …….जिसे मैं रात कह रहा हूँ ……कम से कम इस जनम मे इसकी सुबह नही ……………
|