RE: अंतर्वासना Sex Stories
इस बार शर्मिला को उसकी भाषा पर तो अचम्भा नहीं हुआ पर वो जो करने के लिए कह रही थी उस पर उन्हें हिकारत महसूस हुई. अखिल के बहुत इसरार करने पर उन्होंने एक-दो बार यह करने का प्रयास किया था पर उन्हें यह बिलकुल अच्छा नहीं लगा. उनकी यह धारणा बन चुकी थी कि जो मर्द औरत को यह काम करने के लिए कहते हैं वे उस औरत को जलील करना चाहते हैं! लेकिन साथ ही उनको यह एहसास भी था कि कालू ने मुखमैथुन के द्वारा ही उनको चरमसुख दिया था इसलिए उनको भी इसका प्रतिदान करना चाहिए. पर वे अपनी धारणा के कारण मजबूर थीं. उन्होंने धीमी आवाज में उत्तर दिया, “कमली, यह मेरे से नहीं होगा.”
“क्यों नहीं होगा, बीवीजी?” कमली ने पूछा. “आप बाबूजी का भी तो चूसती होंगी.”
“नहीं,” उन्होंने जवाब दिया.
“अच्छा? बाबूजी आपसे नहीं चुस्वाते?” कमली ने आश्चर्य से कहा. “पर मैंने तो उनका लंड चूसा था और उन्हें बहुत अच्छा लगा था. आप ज़रा कोशिश तो कीजिये.”
“नहीं कमली, मेरे से नहीं होगा,” उन्होंने फिर इंकार में कहा.
“रहने दे, कमली,” इस बार कालू बोला. “मेमसाहब बड़े घर की औरत हैं. ये मेरे जैसे छोटे आदमी का लंड अपने मुंह में कैसे ले सकती हैं!”
“यह बात नहीं है, कालू,” शर्मिला ने फ़ौरन उसकी बात काटी. “मुझे सच में यह अच्छा नहीं लगता ... मेरा मतलब है किसी का भी चूसना.”
“पर बीवीजी, मुझे तो लंड चूसने में बहुत मज़ा आता है,” कमली ने कहा. “पता नहीं आपको अच्छा क्यों नहीं लगता!”
“अब छोड़ न कमली,” कालू ने कहा. “ज़रा तू ही चूस दे.”
कमली उठ कर कालू की जाँघों पर बैठ गई. उसने अपना सर झुकाया. कालू का लंड किसी डंडे की तरह तन कर खड़ा हुआ था. शर्मिला पहली बार उसके खड़े लंड को देख रही थीं. बड़ा तंदरुस्त और सुडौल लंड था, अखिल के लंड से कम से कम दो इंच लम्बा और गोलाई में भी बड़ा. उन्होंने सोचा कि इस मूसल को मुंह में लेने से वे भले ही बच गईं पर उन्हें इस को अपनी योनी में तो लेना ही होगा. और उन्हें यह कोई आसान काम नहीं लग रहा था.
कमली ने एक हाथ से कालू के लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से लंड की टोपी को पीछे कर के उसके सुपाड़े को नंगा कर दिया. सुपाड़ा बहुत चिकना दिख रहा था. कमली उसे अपनी जीभ से चाटने लगी. उसकी लपलपाती जीभ सुपाडे के चारों ओर घूम रही थी, कभी नीचे, कभी ऊपर, कभी बांयें तो कभी दायें. कालू को शायद अपने लंड पर कमली की जीभ का फिसलना बहुत अच्छा लग रहा था. उसके मुंह से सिस्कारियां निकल रही थीं.
शर्मिला कमली के कृत्य के अलावा उसकी मुखमुद्रा को आश्चर्य से देख रही थीं. वो बड़ी आनंदमग्न दिख रही थी. कुछ देर सुपाडे को चाटने के बाद कमली ने अपना मुंह खोला और पूरे सुपाडे को अपने मुंह में ले लिया. उसके होंठ लंड पर भिंच गए. वह अपने सर को धीरे-धीरे ऊपर नीचे करने लगी. कालू के नितम्ब भी हौले-हौले ऊपर उठने लगे. शर्मिला ने आश्चर्य से देखा कि कुछ ही देर में कालू का समूचा लंड कमली के मुंह में समा गया. कमली अपना सर ऊपर नीचे करने लगी तो कालू मज़े से सीत्कार कर उठा. अब वो पूरी तरह कमली के वश में दिख रहा था. तभी कमली की नज़र उनकी नज़रों से मिली. उसकी गर्वीली आंखें मानो कह रही थीं, ‘देखो, यह ताक़तवर मर्द अब मेरे काबू में है!’ यह देख कर शर्मिला को कमली से ईर्ष्या होने लगी. उन्होंने मन ही मन सोचा ‘काश, मैं भी यह कर पाती.’
कमली ने शायद उनके मन की बात पढ़ ली. उसने लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल कर उनसे पूछा, “बीवीजी, अब आप कोशिश करेंगी?”
शर्मिला को कमली की बात एक चुनौती जैसी लगी. उन्होंने सोचा कि अगर कमली जैसी अनपढ़ औरत इस तरह मर्द पर काबू कर सकती है तो वे क्यों नहीं! वे इंकार नहीं कर सकीं. वे बैठ कर कालू के लंड की ओर झुकीं. कमली ने उन्हे लंड चूसने का तरीक़ा समझाया. अपनी उंगली को लंड का प्रतीक बना कर उसने दिखाया कि इसे कैसे चाटना और चूसना है. उसे देखते हुए शर्मिला ने कालू का लंड अपने हाथ में लिया और उसे चाटने लगीं. उन्हे उसका जायका कोई खास बुरा नहीं लगा. कुछ ही देर में उन्होंने लंड का सुपाड़ा अपने मुंह में लेने की कोशिश की. इतने बड़े सुपाड़े को मुँह के अंदर लेने में उन्हें मुश्किल तो हुई पर उन्होंने हार नहीं मानी क्योंकि यह उनकी इज्ज़त का सवाल बन गया था. पूरा सुपाड़ा उनके मुंह में चला गया तो उन्होने कमली की ओर विजयी दृष्टि से देखा. कमली ने भी आँखों ही आँखों उनकी प्रशंसा की. शर्मिला अपनी मनोदशा से चकित भी थीं. वे सोच रही थीं कि कल तक जिस पुरुष के साथ यौनाचरण करना उन्हें अपनी बेईज्ज़ती लग रही थी आज उसी के लंड को मुंह में लेना उन्हे गर्व की अनुभूति दे रहा है (अब उन्हें ‘लंड’ जैसा शब्द भी वर्जनीय नहीं लग रहा था). कमली की सलाह पर उन्होंने अपनी जीभ को सुपाड़े के गिर्द घुमाना शुरू कर दिया. इसका तुरंत असर हुआ और कालू के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं.
धीरे-धीरे उन्होंने अपने मुख को नीचे धकेला और वे आधा लंड अपने मुंह में लेने में सफल हो गयीं. वे उसे आम की गुठली की तरह चूसने लगीं. अब उन्हें लंड का जायका भी रास आ रहा था. यह सिलसिला चलता रहा और कालू लंड-चुसाई का मज़ा लेता रहा. वो समय आने में देर न लगी जब कालू झड़ने के कगार पर पहुँच गया. उसने किसी तरह शर्मिला के हठीले मुंह को अपने लंड से दूर धकेला और हाँफते हुए उनसे गुज़ारिश की, “बस मेमसाहब, अब चोदने दीजिये.”
शर्मिला ने जब पहली बार कालू का लंड देखा था तब वे उसके साइज से डर गयी थीं पर अब उनकी कामोत्तेजना इतनी तीव्र हो चुकी थी कि वे चुदने के लिए अधीर थीं. उन्होंने अपनी आँखों से कालू को मौन निमन्त्रण दिया. कालू ने उन्हें पीठ के बल लिटा दिया. वो उनकी जाँघों को फैला कर उनके बीच आ गया. उसने अपना लंड हाथ में ले कर उसे शर्मिला की जांघों के बीच फिराया. लंड चूत की फांकों को सहलाते हुए चूत के मुहाने पर आया पर वहां थोड़ी छेड़खानी करने के बाद क्लाइटोरिस पर पहुँच गया. कालू ने थोड़ी देर सुपाडे से क्लाइटोरिस को मसला और फिर उसे चूत के द्वार पर पहुंचा दिया. इस बार उसकी चूत के साथ छेड़छाड़ कुछ लम्बी चली. चूत अनवरत पानी छोड़ कर लंड का प्रवेश सुगम बना रही थी पर लंड था कि टालमटोल किये जा रहा था. अनुभवी कालू अपनी चेष्टा से शर्मिला को कामावेग के शिखर पर ले गया था. इस बार जब उसने लंड को चूत से हटाया तो शर्मिला बेसाख्ता बोल उठीं, “ऐसे क्यों तरसा रहे हो? अब घुसा भी दो.”
चालाक कालू ने लंड को उनकी गांड से सटा कर पूछा, “कहाँ, मेमसाहब?”
शर्मिला को अपनी गांड पर चिकने और गीले लंड का स्पर्श सुहावना लग रहा था पर वे कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थीं. उन्होंने फ़ौरन उत्तर दिया, “मेरी चूत में!” और यह कह कर वे शर्मा गईं.
चुदाई में उस्ताद कालू ने भांप लिया था कि गीली होने के बावजूद शर्मिला की संकड़ी चूत उसका लंड आसानी से नहीं ले पाएगी. उसने अपने हाथ से लंड पर अच्छी तरह थूक लगाया. फिर उसने झुक कर अपने मुंह से सीधे चूत पर थूक टपकाया. एक ऊँगली से थूक को चूत के अन्दर तक पहुँचा कर वो शर्मिला के ऊपर लेट गया. उसने अपनी उँगलियों से उनकी जांघों को टटोल कर अपना निशाना ढूंढा और अपने लंड को निशाने पर रख दिया. उसने अपने कूल्हों को हौले से आगे धकेला. शर्मिला के मुँह से एक सिसकारी निकल गई पर लंड को अभी प्रवेश नहीं मिला था. कालू ने कहा, “मेमसाहब, आपकी चूत बड़ी संकड़ी है! आपको थोडा दर्द हो सकता है.”
“कोई बात नहीं,” शर्मिला ने हौसला दिखाया. “तुम घुसाओ.”
कालू ने अपना मुँह उनके होठों पर रख दिया. कुछ देर वो उनके होंठों को चूमता रहा और फिर अचानक उसने पूरी ताक़त से एक धक्का मारा. उसका फौलादी लंड अपना निशाना भेदता हुआ पूरा अंदर घुस गया. शर्मिला का मुंह कालू के मुंह से छिटका और उससे एक लम्बी ‘उईई…!’ निकल गई. साथ ही उनका शरीर बेसाख्ता लरज़ उठा. कमली ने कालू को लताड़ा, “ये क्या कर दिया, ज़ालिम! बीबीजी को दर्द हो रहा है!”
कालू अपना लंड बाहर खींच पाता उससे पहले शर्मिला ने उसकी कमर को अपने हाथों से थामा और कहा, “नहीं कालू, बाहर मत निकालना. मैं ठीक हूँ.” उन्हें थोड़ी तकलीफ हुई थी पर वे हार मानने को तैयार नहीं थी. उन्हें लगा कि जिस लंड को कमली रोज़ झेलती थी उसे वे नहीं झेल पायीं तो उनकी हार हो जाएगी.
कालू बहुत खुश था. जिस चूत को हासिल करने के सपने वो कई दिन से देख रहा था वो अब उसके कब्जे में थी. और अपने लंड पर उस टाईट चूत की कसावट उसे बहुत मज़ेदार लग रही थी. अब उसे कोई जल्दी नहीं थी. कुछ देर वो बिना हिले शर्मिला के होंठों का रस पीता रहा. जब शर्मिला का दर्द दूर हो गया तब उन्होंने अपनी कमर को हरक़त दी. कालू उनके इशारे को समझ गया. चुदाई-कला में एक्सपर्ट तो वो था ही. अब वो उन्हें पूरी महारत से चोदने लगा. उसके मोटे लंड ने शर्मिला की कसी हुई चूत को फैला दिया था और अब लंड का आवागमन बेरोकटोक हो रहा था. कालू ने धीरे-धीरे अपने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी. शर्मिला ने अपनी टांगों से कालू की कमर को भींच रखा था. दर्द की जगह अब मस्ती ने ले ली थी और वे अब कालू के धक्कों का लुत्फ़ ले रही थीं. उनकी आँखें बंद थीं. कुछ देर बाद उनकी साँसें बेतरतीब हो गईं. चुदते हुए उन के मुँह से बराबर ‘ऊंsssऊं…! ओह...! आहsss...!’ की ध्वनि निकल रही थीं.
कमली जान गई थी कि शर्मिला चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थीं पर उन्हें छेड़ने के लिए उसने पूछा, “दर्द हो रहा है क्या, बीवीजी? इसे निकालने के लिए कहूं?”
“नहीं,” शर्मिला ने सिसकारियों के बीच जवाब दिया.
“कैसा लग रहा है अब?” कमली ने फिर पूछा.
“बहुत अच्छा लग रहा है,” शर्मिला ने कहा. अब उतेजनावश उनके नितम्ब उछलने लगे थे. उनकी सक्रिय भागीदारी से कालू और भी खुश हो गया. वो पूरी तबीयत से धक्के लगाने लगा. शर्मिला उसकी ताल से ताल मिला कर उसके पुरजोर धक्कों का जवाब दे रही थीं.
कमली को अखिल बाबू की एक बात याद आई. उन्होंने कहा था कि बीवीजी सिर्फ नीचे लेटती हैं, बाकी सब उन्हें ही करना पड़ता है. उसने सोचा कि क्यों न आज इनसे कुछ नया करवाया जाए! उसने कालू से कहा, “ज़रा रुक तो. तू ही ऊपर चढ़ा रहेगा या बीवीजी को भी ऊपर आने देगा?”
“ओह, मैं तो भूल ही गया था,” कालू ने रुक कर अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की.
“नहीं,” शर्मिला ने अपनी चूत को भींचते हुए कहा. “ऐसे ही ठीक है.”
चूत की पकड़ मजबूत होने के कारण कालू का लंड अंदर ही फंसा रहा पर वो कमली की बात से सहमत था. वो जानता था कि जब शर्मिला उसके ऊपर होंगी तो वो चुदाई का मज़ा लेने के साथ-साथ उनके हुस्न का पूरा नज़ारा भी देख सकेगा. वो बोला, “कमली ठीक कहती है, मेमसाहब. आपको भी तो अपने सेवक सवारी करनी चाहिए.”
क्रमशः
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