RE: अंतर्वासना Sex Stories
अखिल ने मन ही मन तय तो कर लिया था कि शर्मिला के लौटने पर वे उससे बात करेंगे पर ऐसी बात करना कोई आसान काम नहीं था. वे अच्छी तरह जानते थे कि स्थिति उस के सामने रखने में उन्होंने ज़रा भी गलती कर दी तो परिणाम भयानक हो सकता है. वे शर्मिला को खो भी सकते हैं. वैसे शर्मिला क्रोधी स्वाभाव की नहीं थीं पर अपने पति की बेवफाई कौन स्त्री बरदाश्त करेगी. अखिल समझते थे कि उनको एक-एक शब्द तौल कर बोलना होगा और साथ ही उन्हें अच्छी खासी एक्टिंग भी करनी होगी. उन्हें अपने कॉलेज के दिन याद आ गए जब वे नाटकों में अभिनय किया करते थे. गनीमत थी कि शर्मिला के लौटने में तीन दिन थे. इन तीन दिनों में उन्हें पूरा रिहर्सल करना था. लेकिन मुश्किल यह थी कि यहाँ कोई संवाद लेखक और निर्देशक नहीं था. सब कुछ उन्हें स्वयं करना था. अखिल दिन-रात सोचते रहते थे कि उन्हें क्या और कैसे बोलना है.
कमली रोज़ काम करने आती थी और अखिल से पूछती रहती थी कि बीवीजी कब आएँगी. कमली और उसके पति ने उनका वासना का भूत ऐसा उतारा था कि कमली को देख कर अब उन्हें रोमांच के बजाय वितृष्णा होती थी. उन्होंने तय कर लिया था कि इस बार वे बच जाएँ तो भविष्य में किसी परायी स्त्री कि तरफ आँख उठा कर भी नहीं देखेंगे.
बार-बार सोचने पर भी अखिल के समझ में नहीं आ रहा था कि वे शर्मिला को क्या कहें. उन्होंने मन ही मन कई तरह के वाक्य बनाए पर हरेक में कुछ न कुछ कमी नज़र आ जाती थी. अंत में उन्होंने सोचा कि शर्मिला को कोई गहरा शॉक देना ही एक मात्र रास्ता था जो उन्हें उसके गुस्से से बचा सकता था. शॉक कैसा हो यह भी उन्होंने सोच लिया. रिहर्सल का तो वक़्त ही नहीं मिला क्योंकि शर्मिला के लौटने का दिन आ गया था. ट्रेन पहुँचने से पहले उन्होंने शर्मिला को फ़ोन से बताया कि तबियत ख़राब होने के कारण वे स्टेशन नहीं आ सकेंगे. शर्मिला ने उनको कहा कि वे ओटो रिक्शा ले कर आ जायेंगी. वे अपनी तबियत का ध्यान रखें.
छुट्टी का दिन था. कमली काम करके जा चुकी थी. शर्मिला घर पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि ड्राइंग रूम का दरवाजा खुला हुआ था. उन्हें लगा कि अखिल की तबियत जितना उन्होंने सोचा था उससे ज्यादा ख़राब है. वे सूटकेस नीचे रखने के लिए झुकीं तो उन्हें मेज पर पेपर वेट से दबा एक बड़ा कागज़ दिखा जो हवा से फडफडा रहा था. मेज पर और कुछ नहीं था. उन्होंने आगे बढ़ कर वो कागज़ उठाया. जैसे ही उन्होंने उसे पढना शुरू किया, उनकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया.
किसी तरह मेज़ पर अपने हाथ रख कर वे गिरने से बचीं. उन्होंने बड़ी हिम्मत कर के खुद को संभाला और वे बिजली की तेज़ी से अन्दर की ओर दौड़ पडीं. बैडरूम के दरवाजे पर पहुँचते ही वे एक पल के लिए ठिठकीं और फिर चिल्ला उठीं, “नहीं. रुको.”
अखिल ने चौंक कर उन्हें देखा और कहा, “मत रोको मुझे. मेरे लिये और कोई रास्ता नहीं बचा है. हो सके तो मुझे माफ़ कर देना.”
इससे पहले कि वे कुछ करते, शर्मिला ने दौड़ कर उनकी टांगों को पकड़ लिया. उन्होंने हाँफते हुए कहा, “ये क्या पागलपन है! नीचे उतरो. तुन्हें मेरी कसम है. अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मैं भी आत्महत्या कर लूंगी.”
(आप समझ ही गए होंगे कि अखिल ने क्या किया था. उन्होंने ड्राइंग रूम में एक पत्र लिख छोड़ा था जिसमे लिखा था –
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मेरे प्राणों से प्रिय शर्मिला,
जब तुम यह पत्र पढ़ोगी तब तक मेरी आत्मा मेरे अधम शरीर से विदा हो चुकी होगी. मैंने जो पाप किया है उसका कोई प्रायश्चित नहीं है. तुम्हे मुंह दिखाना तो दूर, मैं तो तुम से माफ़ी मांगने के लायक भी नहीं रहा हूं.
तुम्हारा गुनाहगार,
अखिल
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पत्र पढ़ते ही किसी अनहोनी की आशंका से त्रस्त शर्मिला तुरंत अन्दर दौड़ पडी थीं. बैडरूम के दरवाजे पर पहुंचते ही उन्होंने देखा कि अखिल एक स्टूल पर खड़े थे. उनके हाथ में एक रस्सी का फंदा था जिसे वे गले में डालने ही वाले थे. रस्सी का दूसरा छोर ऊपर पंखे से बंधा हुआ था.)
क्रमशः
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