RE: अंतर्वासना Sex Stories
यह सुन कर अखिल चौंक गए, न सिर्फ कमली के आत्मविश्वास से बल्कि उसकी भाषा से भी. वे ऐसे शब्दों से अनभिज्ञ नहीं थे, अनभिज्ञ तो कोई भी नहीं होता. पर उन्होंने अब तक किसी भी स्त्री के साथ ऐसी भाषा में बात नहीं की थी. किसी स्त्री के मुंह से ऐसे शब्द सुनना तो और भी विस्मयकारी था. उनकी पत्नी तो इतनी शालीन थी कि उनके सामने ऐसी भाषा का प्रयोग करना अकल्पनीय था.
उनको चकित देख कर कमली फिर बोली, “आपको यकीन नहीं हो रहा है, बाबूजी? अभी देख लेना ... आपके लंड की क्या मजाल कि मेरे मुंह में आ जाए और खड़ा न हो!”
अब अखिल समझ गए कि कमली जिस तबके की थी उसमे मर्दों और औरतों द्वारा ऐसी भाषा में बोलना सामान्य होता होगा. चाय ख़त्म हो चुकी थी. कमली किचन में कप रख आई. उसने अखिल के सामने बैठ कर उनका अंडरवियर उतारा. उनके लंड को हाथ में ले कर वो बोली, “मुन्ना, बहुत सो लिए. अब उठ जाओ. अब तुम्हे काम पर लगना है.”
थोड़ी देर लंड को हाथ से सहलाने के बाद उसने सुपाडा अपने मुंह में ले लिया और उस पर अपनी जीभ फिराने लगी. जल्द ही उसकी जादुई जीभ का असर दिखा. निर्जीव से पड़े लंड में जान आने लगी. धीरे धीरे उसकी लम्बाई और सख्ती बढ़ने लगी. कमली ने पूरे लंड को अपने मुंह में लिया और उसे कस कर चूसने लगी. अखिल ने उसके सिर पर हाथ रख कर अपनी आँखे बंद कर ली. ... उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि उनका लंड इतनी जल्दी दुबारा खड़ा हो गया था! कमली उनके लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे वो उसके रस को चूस कर ही निकालना चाहती हो. अखिल इस सुखद एहसास का भरपूर मज़ा ले रहे थे, ''ओsssह...! कमली ... थोड़ा धीरे ... आsssह्ह ...!''
कमली पांच मिनट तक उनका लंड चूसती रही. जब उसे यकीन हो गया कि अब लंड से काम लिया जा सकता है तो उसने अखिल को पलंग पर लेटने को कहा. जब अखिल लेट गए तब उसने अपना ब्लाउज़ और पेटीकोट उतारना शुरू किया. अखिल कामविभोर हो कर उसे निर्वस्त्र होते हुए देख रहे थे. नंगी होने के बाद कमली उनकी जांघों पर सवार हो गई. वो आगे झुक कर उनके होंठों को चूसने लगी. अखिल ने उसके स्तनों को अपने हाथों में लिया और उन्हें हल्के हाथों से दबाने लगे. कमली ने अपना मुंह उठा कर कहा, “बाबूजी, जोर से दबाओ ना. मेरी चून्चियां बीवीजी जितनी नाज़ुक नहीं हैं!”
अखिल उसकी चून्चियों को तबीयत से दबाने और मसलने लगे. कमली ने फिर से अपने रसीले होंठ उनके होंठों पर रख दिए और उनसे जीभ लड़ाने लगी. अखिल को ऐसा लग रहा था मानो वो स्वप्नलोक की सैर कर रहे हों. पलंग पर स्त्री का ऐसा सक्रिय और आक्रामक रूप वे पहली बार देख रहे थे. जब वे बुरी तरह काम-विव्हल हो गए तो उन्होंने कमली से याचना के स्वर में कहा, “बस कमली, ... अब अन्दर डालने दो.”
कमली ने शरारत से उन्हें देखा और पूछा, “कहाँ डालना चाहते हो, बाबूजी? ... मुंह में या मेरी चूत में?”
... अखिल ने शर्मा कर कहा, “तुम्हारी चूत में.”
कमली ने अपनी चूत पर थूक लगाया और उसे अखिल के लंड से सटा दिया. लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसने अपनी कमर को नीचे धकेला. एक ही धक्के में चूत ने पूरे लंड को अपने अन्दर निगल लिया. अब कमली हौले-हौले धक्के लगाने लगी.
कमली की गर्म चूत में जा कर अखिल के लंड में जैसे आग सी लग गयी. उनके नितम्ब अनायास ही उछलने लगे पर इस बार कमान कमली के हाथों में थी. उसने अखिल की जाँघों को अपनी जाँघों के नीचे दबाया और उन्हें उछलने से रोक दिया. उसने अखिल से कहा, “बाबूजी, आप आराम से लेटे रहो और मुझे अपना काम करने दो.”
अखिल ने समर्पण कर दिया. जब कमली ने देखा कि अखिल अब उसके कंट्रोल में हैं तो उसने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी. अखिल लेटे-लेटे कमली के धक्कों का मज़ा लेने लगे. कमली एक-दो मिनट धक्के मारती और जब उसे लगता कि अखिल झड़ने वाले हैं तो वो रुक जाती. ऐसे ही वो एक बार धक्कों के बीच रुकी तो उसने पूछा, “बाबूजी, कभी बीवीजी भी आपको ऐसे चोदती हैं या वे सिर्फ चुदवाती हैं?”
अखिल ने थोडा शरमाते हुए कहा, “वे तो सिर्फ नीचे लेटती हैं. बाकी सब मैं ही करता हूं.”
“बाबूजी, मेरा मरद तो मुझे हर तरह से चोदता है - कभी नीचे लिटा कर, कभी ऊपर चढ़ा कर, कभी घोड़ी बना कर तो कभी खड़े-खड़े,” कमली ने कहा.
अखिल को लगा कि उसे चुदाई के साथ-साथ कमली की अश्लील बातें सुनने में भी मज़ा आ रहा है. ... चुदाई और कमली की बातें दो-तीन मिनट और चलीं. फिर अखिल को लगा कि वे आनन्दातिरेक में आसमान में उड़ रहे है. जब आनंद का एहसास अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया तो उन्होने कमली की कमर पकड़ ली. उनके नितंब अपने आप तेज़ी से फुदकने लगे. वैसे भी उन्होंने बहुत देर से अपने को रोक रखा था. उन्होंने कमली को अपनी बाहों में भींच लिया. उन्हें अपने लंड पर उसकी चूत का स्पंदन महसूस हो रहा था जिसे वे सहन नहीं कर पाये. उनका लंड कमली की चूत में वीर्य की बौछार करने लगा. जब कमली की चूत ने उनके वीर्य की आखिरी बूंद भी निचोड़ ली तो उनका लंड सिकुडने लगा. दोनों एक दूसरे को बाहों में समेटे लेटे रहे. ... कुछ देर बाद जब अखिल की साँसे सामान्य हुईं तो उन्होंने कहा, "कमली, तुमने आज जो आनंद मुझे दिया है वो मैं कभी नहीं भूलूंगा."
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महीना समाप्त हुआ. कमली को तनख्वाह देनी थी. अखिल ने वादे के मुताबिक उसे एक की बजाय दो हज़ार रुपये दिए. पर कमली ने एक हज़ार रुपये वापस करते हुए उन्हें कहा, “बाबूजी, मेरे मर्द ने मना किया है. मैं एक हज़ार ही लूंगी.”
यह सुन कर अखिल चौंक गए. उन्होंने आश्चर्य से कहा, “क्या? ... तुमने उसे यह बता दिया?”
कमली ने गर्दन झुका कर जवाब दिया, “इतनी बड़ी बात मैं उससे कैसे छुपाती. उसके हाँ करने पर ही मैं आपकी इच्छा पूरी करने को तैयार हुई थी.”
अखिल को यकीन नहीं हो रहा था कि कमली का पति यह कर सकता है. उन्होंने विस्मय से पूछा, “तुम्हारा पति यह मान गया? उसने तुम्हे मेरे से चुदने की इजाज़त दे दी ... और इसके बदले में वो कुछ नहीं चाहता?”
‘‘आपने मेरे मरद को ग़लत समझा है ... वह कोई धर्मात्मा नहीं है ... वो भी आपकी तरह औरतों का रसिया है. उसे सिर्फ इतना चाहिए कि जैसे उसने आपकी इच्छा पूरी की वैसे ही आप उसकी इच्छा पूरी कर दें.’’
कमली की बात से अखिल चकरा गए. वे यह तो समझ गये कि कमली का पति एक नई औरत चाहता है और कमली को इस में कोई ऐतराज़ नहीं है पर उन्हें यह समझ में नहीं आया कि इसमें वो क्या कर सकते हैं. उन्होंने कहा, “लेकिन इस के लिए तो एक हज़ार काफी होंगे! ... मेरा मतलब है कि इतने में तो वो एक अच्छी-खासी औरत का इंतजाम कर सकता है.”
“क्या कह रहे हैं, बाबूजी?” कमली ने नाराज़गी से कहा. “मेरा मरद ऐसा नहीं है. वो बाज़ारू औरतो के पास नहीं जाता.”
“तो ... तो फिर क्या चाहता है वो?”
“बीवी के बदले बीवी! ... बीवीजी के आने में अभी टाइम है पर वो इतना इंतजार कर लेगा. जिस दिन वो वापस आयें, उस दिन आप उन्हें मेरे मरद के पास भेज देना.”
यह सुन कर अखिल का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा. उन्होंने क्रोध से कहा, ‘‘जानती हो क्या कह रही हो तुम?’’
‘‘अदला-बदली की ही तो बात कर रही हूं. एक हज़ार में बाज़ारू औरत तो आप भी ला सकते थे ... फिर आप मुझे एक हज़ार रुपये क्यों दे रहे थे? ... इसीलिये ना कि मैं धंधा करने वाली बाज़ारू औरत नहीं हूं!”
“यह तो धोखाधड़ी है! तुमने यह पहले क्यों नहीं बताया?” अखिल ने तमतमा कर पूछा.
“बाबूजी, मैंने तो कहा था कि मेरी एक शर्त है,” कमली ने कहा. “पर आपने उसे सुने बिना ही कह दिया कि आपको मेरी हर शर्त मंजूर है.”
अखिल को याद आया कि कमली की बात सच थी. पर वो अब भी अपने आपे से बाहर थे. वे गुस्से से बोले, “एक हज़ार कम हैं तो दो हज़ार ले लो.”
अब कमली भी उसी लहज़े में बोली, “बाबूजी, आप बीवीजी को मेरे मरद के पास भेज देना, मैं आपको दो हज़ार रुपये दे दूंगी!”
अखिल अब गुस्से से पागल हो गए. वे बोले, ‘‘तू अपनी औकात भूल गई है! अपने पैसे ले और जा. ... और हां, कल से काम पर नहीं आना.’’
कमली को उन पर गुस्सा भी आया और दया भी. वो सहज स्वर में बोली, ‘‘मैं तो आपकी औकात देख रही हूँ, बाबूजी! आपकी बीवी सती सावित्री और गरीब की बीवी रंडी! ... यह है बड़े लोगों की औकात! ... ठीक है, जाती हूं अब.’’
कमली जाने के लिए मुड़ी. अखिल का वासना का नशा अब पूरी तरह से उतर चुका था. कमली को जाती हुई देख कर वे सोच रहे थे कि आज वे बाल-बाल बचे हैं. तभी कमली फिर मुड़ी. उसने अपना मोबाइल ऑन किया और उसे अखिल के सामने कर दिया. उसे देख कर अखिल का सर घूमने लगा. उन्हें लगा कि वे गश खा कर गिरने वाले हैं. ... मोबाइल में उनकी और कमली की चुदाई का वीडियो था. वे किसी तरह संभले और उनके मुंह से निकला, “ ये...! ये कैसे...!!!”
क्रमशः
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