RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
खेमराज- मेरी जान.. अब तो तू ना भी मिलेगी ना.. तो हम मिल लेंगे तेरे से…
डॉली- ऐसी ग़लती मत कर देना पछताओगे.. क्यों रिंकू बताओ इसे…
रिंकू- अबे चुप साले.. तेरे बाप का माल है जो मिल लेगा.. जब मेरी रानी चाहेगी तभी मिल पाओगे.. समझे.. तू जा डॉली.. इनको मैं समझा दूँगा।
डॉली वहाँ से निकल गई।
वो तीनों भी खुश होकर अपने कपड़े पहनने लगे।
डॉली घर गई.. तब उसकी माँ किसी काम से बाहर गई हुई थी।
चुदाई के कारण उसको बड़ी जोरों की भूख लगी थी, उसने खाना खाया और सो गई।
ऐसी गहरी नींद ने उसे जकड़ लिया कि बस क्या कहने.. शाम को 6 बजे उसकी माँ ने उसे जगाया.. तब वो उठी… वो फ्रेश होकर ललिता के घर की ओर चल दी…
थोड़ी देर में जब वो वहाँ गई.. तो दरवाजा खुला हुआ था।
वो चुपचाप मन ही मन बड़बड़ाती हुई अन्दर गई…
डॉली- दरवाजा खुला है.. दीदी को डराती हूँ।
ललिता बिस्तर पर बैठी कुछ सोच रही थी कि अचानक डॉली ने ‘भों’ करके उसे डरा दिया।
ललिता- डॉली की बच्ची.. डरा दिया.. तेरा क्या मेरी जान लेने का इरादा है।
डॉली- अरे नहीं दीदी.. आपकी जान लेकर मुझे क्या फायदा.. सर तो वैसे ही मेरे हैं.. हा हा हा…
ललिता- अच्छा अब हँसना बन्द कर.. ये बता कहाँ थी सुबह से.. तेरा कोई ठिकाना भी है क्या?
डॉली- दीदी चुदाई की दुनिया में थी.. आज बड़ा मज़ा आया.. तीन लौड़ों से चुदने का मज़ा ही कुछ और होता है.. कसम से आप भी होती ना.. तो मज़ा आ जाता…
ललिता- अच्छा.. ठीक से बता ना यार क्या हुआ.. उन लड़कों की तो आज बल्ले-बल्ले हो गई होगी.. विस्तार से पूरी बात बता ना.. मज़ा आएगा…
डॉली ने कल से लेकर आज तक की सारी बात ललिता को बता दी.. जिसे सुनकर ललिता की हालत खराब हो गई, उसकी चूत एकदम पानी-पानी हो गई और आँखे फटी की फटी रह गईं।
ललिता- ओह माँ.. तू लड़की है या कोई तूफान है.. कैसे से लिया इतना सब कुछ.. यार तू तो सच में रंडी बन गई है…
डॉली- हाँ दीदी.. बन गई रंडी और रंडी बनने में मज़ा बहुत आया.. तीन लौड़े एक साथ लेने का मज़ा ही कुछ और होता है.. आप ट्राई करोगी क्या?
ललिता- नहीं डॉली.. मैं बस चेतन के साथ करूँगी.. किसी और के बारे में सोचूँगी भी नहीं.. और प्लीज़ तुम भी ये सब भूल जाओ.. मैंने तुम्हें चुदाई का ज्ञान देकर बहुत बड़ी ग़लती कर दी.. तुम तो अपनी लाइफ बर्बाद करने पर तुली हुई हो.. एकदम छोड़ दो ये सब.. वरना जीवन में आगे चलकर कोई तुम्हें देखना भी पसन्द नहीं करेगा.. आज तुम जवान हो.. खूबसूरत हो.. कमसिन हो.. तो लड़के लट्टू बन कर तेरे आगे-पीछे घूम रहे हैं मगर ये जवानी हमेशा नहीं रहेगी.. पढ़ाई पर ध्यान दो अब.. और सॉरी जो मैंने तुम्हें इस दलदल में धकेला…
डॉली- अरे दीदी आज ये आप कैसी बातें कर रही हो और ‘सॉरी’ क्यों? और हाँ आपने ही तो कहा था.. कभी सुधीर के साथ ट्राइ करोगी.. तो उन लड़कों में क्या बुराई है.. और वहाँ अपनी सहेली के यहाँ भी तो आप बड़े लौड़े से चुदने की बात कर रही थीं.. वो क्या था?
ललिता- तुझे कैसे पता ये बात तुम्हें तो मैंने कुछ बताया ही नहीं?
डॉली ने उस दिन की सारी बात ललिता को बताई.. यह सुनकर वो भौंचक्की रह गई…
ललिता- ओह माँ.. तू लड़की है या जासूस.. मेरा पीछा किया तूने.. मेरी बहना वो मेरी सहेली है.. और दोस्तों में ऐसी बातें होती रहती हैं। इसका ये मतलब नहीं कि मैं अपने पति के अलावा किसी से भी चुदवा लूँ.. मेरा पति मेरे लिए भगवान् है।
डॉली- अच्छा भगवान हैं तो मेरे साथ उनको सुला दिया.. ऐसा क्यों? आप किसी के साथ नहीं कर सकतीं और वो कहीं भी कर ले.. आपको फ़र्क नहीं पड़ता।
ललिता- मेरी बहन फ़र्क पड़ता है.. बहुत फ़र्क पड़ता है.. दिल भी दु:खता है.. मगर मेरी मजबूरी ने मुझे ये सब करने पर मजबूर कर दिया था।
डॉली- ऐसी क्या मजबूरी दीदी.. प्लीज़ बताओ ना प्लीज़.. आपको मेरी कसम है…
ललिता- डॉली तुम नहीं जानती.. मैं चेतन को दिल ओ जान से चाहती हूँ उनको बच्चों से बहुत लगाव है.. मगर हमारी शादी को इतने साल हो गए.. पर अब तक बच्चा नहीं हुआ.. यह बात चेतन को मालूम नहीं है.. वो यही समझते हैं कि मैं अभी गोली लेती हूँ.. बच्चा नहीं चाहती हूँ अभी मज़ा लेने के दिन हैं.. बाद में कर लेंगे.. ऐसा कहकर मैं उन्हें टाल देती हूँ। मगर हक़ीकत यह है कि मैं कभी माँ नहीं बन सकती हूँ शादी के कुछ महीनों बाद मैंने चेकअप करवाया.. तब यह बात पता चली.. उस दिन से ये डर मुझे खाए जा रहा था कि कहीं चेतन मुझे छोड़ ना दे। बस मुझे भगवान ने मौका दिया.. तुम आईं.. तब मैंने सोचा मर्द क्या चाहता है.. किसी कमसिन को चोदना अगर मैं चेतन को ये मौका दे दूँ.. तो वो कभी बच्चे के लिए मुझसे दूर नहीं होगा और मैंने अपने स्वार्थ में तुमको रंडी बना दिया.. सॉरी बहना सॉरी…
डॉली- अरे नहीं.. नहीं.. दीदी आप क्यों ‘सॉरी’ बोल रही हो.. ग़लती मेरी भी है मुझे भी चुदाई में मज़ा आने लगा था। आपने तो बस सर से ही चुदवाया मुझे.. मगर मैंने तो ना जाने किस-किस से चुदाई करवा ली… मुझे आपके ऐसे बर्ताव से शक तो हुआ था.. मगर मैं समझ नहीं पाई थी। अब मुझे अहसास हो रहा है कि आपको कितनी तकलीफ़ हुई होगी.. सॉरी दीदी…
ये दोनों बातों में इतनी मग्न थीं कि कब चेतन अन्दर आया इनको पता भी नहीं चला।
चेतन ने इनकी सारी बातें सुन ली थीं जब उसने ताली बजाई.. तब दोनों चौंक गईं।
चेतन- वाह ललिता.. वाह.. मेरे प्यार का क्या इनाम दिया तुमने वाह…
ललिता- आ.. आप कब आए…
चेतन- जब मेरा प्यार एक गाली बन कर रह गया.. तब मैं आया.. जब मेरी अपनी बीवी बेवफा हो गई… तब मैं आया.. जब एक मासूम सी लड़की रंडी बन गई.. तब मैं आया…
ललिता- सॉरी चेतन.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. मैंने तुम्हें धोखा दिया है…
डॉली- सॉरी सर माफ़ कर दो ना दीदी को प्लीज़…
चेतन- चुप रहो तुम.. और ललिता तुमने मुझे इतना घटिया इंसान कैसे समझ लिया कि एक बच्चे के लिए मैं तुम्हें अपने से दूर कर दूँगा.. छी: छी: इतना नीचे गिरा दिया तुमने मुझे.. और मुझसे ऐसा पाप करवा दिया जिसका मैं शायद प्रायश्चित कभी भी ना कर पाऊँ।
ललिता- सॉरी चेतन प्लीज़ सॉरी..
दोस्तो, चेतन ने ललिता को सीने से लगा लिया और उसे माफ़ कर दिया।
डॉली से भी उसने माफी माँगी कि ललिता ने उसे कहा और वो बहक गया।
उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। डॉली को भी उसने समझाया कि इन सब कामों में अपनी लाइफ खराब मत करो।
डॉली- थैंक्स सर मैं कोशिश करूँगी मगर आप भी दीदी को कभी तकलीफ़ नहीं दोगे.. आप वादा करो…
चेतन ने भी उससे वादा किया और आज के बाद ललिता के अलावा किसी को देखेगा भी नहीं.. उसने ऐसी कसम खाई।
अब सब ठीक हो गया था। डॉली वहाँ से चली गई।
दूसरे दिन इम्तिहान शुरू हो गए तो सब अपनी-अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गए.. इम्तिहान का टेन्शन ही ऐसा था।
हाँ.. रिंकू को मौका मिलता.. तो वो प्रिया के साथ अपनी हवस पूरी कर लेता था।
इम्तिहान के दौरान वो तीनों ने बहुत कोशिश की कि डॉली के साथ चुदाई करें.. मगर डॉली ने उनसे किसी ना किसी बात का बहाना बना दिया।
इम्तिहान ख़त्म होने के बाद एक बार चेतन और प्रिया का आमना-सामना हो गया।
तब चेतन ने उसे कहा- उस दिन जो भी हुआ उसे भूल जाओ.. किसी को कुछ मत कहना.. डॉली को भी नहीं।
प्रिया अच्छी लड़की थी.. वो खुद ऐसा नहीं चाहती थी, तो ये बात भी राज की राज रह गई।
अब तो डॉली को चेतन ने अपने घर आने से भी मना कर दिया, उसका कहना था हम दूर रहेंगे तभी पुरानी बातें भूल पाएँगे।
अब डॉली का मन इस शहर से भर गया।
उसने अपने पापा से बात करके दूसरे शहर में कॉलेज में एडमिशन ले लिया और अब पुरानी यादें उसे तकलीफ़ देने लगी थीं।
सुधीर और उस भिखारी को कभी पता नहीं चला कि डॉली नाम की एक कमसिन कली आख़िर कहाँ गायब हो गई।
ओके दोस्तो.. अब इस कहानी में आपको बताने के लिए कुछ नहीं बचा क्योंकि यह कहानी पूरी हो गई है
समाप्त
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