RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
चेतन अपनी पूरी ताक़त से झटके मारने लगा और डॉली ने भी ललिता की चूत को होंठों से दबा कर उसको ऐसा चूसा कि सबसे पहले ललिता की चूत ने पानी छोड़ा।
ललिता ने आनन्द में आँखें बन्द कर लीं और डॉली के सर को कस कर पकड़ लिया और मस्ती से झड़ने लगी।
डॉली भी पानी को ज़ुबान से चाटने लगी।
डॉली की चूत भी लौड़े के इतने तेज प्रहार को सहन ना कर पाई और उसका बाँध भी टूट गया।
वो गाण्ड को पीछे धकेलती हुई झड़ने लगी।
उसकी कमर कभी नीचे तो कभी ऊपर को उठ रही थी।
चेतन- आह ह आह.. साली ओह्ह ओह्ह ओह्ह.. मुझसे पहले झड़ गई आअहह ले संभाल आह..
दो-चार धक्कों के बाद चेतन एकदम से रुक गया और डॉली की चूत को पानी पिलाने लगा।
वो हाँफने लगा था क्योंकि उसने कुछ ज़्यादा ही रफ्तार से शॉट लगा दिए थे।
वो एक तरफ बिस्तर पर लेट गया.. डॉली भी उसके सीने पर सर रख कर सो गई।
ललिता वैसे ही बैठी रही।
ललिता- वाह.. मेरी बहना, तू तो मेरी सौतन बन गई है.. चुदवा भी रही हो और मेरे पति के सीने पर भी सो रही हो।
डॉली झट से बैठ गई और उसके चेहरे पर डर के भाव आ गए।
डॉली- नहीं दीदी.. प्लीज़ आप गलत समझ रही हो.. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था.. आपको बुरा लगा तो ‘सॉरी’ मैंने पहले ही कहा था.. अगर आपको ऐतराज ना हो तो मैं सर से चुदवा लूँ.. आपने ‘हाँ’ कही.. तभी मैं राज़ी हुई।
ललिता- अरे अरे.. पागल मैं तो मजाक से बोली हूँ.. तुमने तो मेरी बात दिल पर ले ली यार.. अबे कूल.. मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता.. अगर सच में भी तू मेरी सौतन बन जाए तो मैं तो खुश रहूँगी.. तेरी जैसी स्वीट सौतन पाकर.. कभी चेतन ना भी होगा तो तू मेरी चूत चाट कर मुझे ठंडा कर देगी।
चेतन हँसने लगता है और डॉली का माथा चूम कर उससे कहता है कि वो ललिता की किसी भी बात का कभी बुरा ना माने क्योंकि इसको मज़ाक करने की आदत है।
डॉली- दीदी आपने तो मेरी जान निकाल दी थी.. एक तो सर ने मेरी गाण्ड फाड़ दी.. कितना दर्द हो रहा है और रही-सही कसर आपने पूरी कर दी।
ललिता- अच्छा बाबा ले.. मेरे निप्पल पकड़ कर ‘सॉरी’ बोलती हूँ बस…
ललिता ने अपने निप्पल इस तरह पकड़े कि डॉली को हँसी आ गई और वो ललिता क गले लग गई।
चेतन ने दोनों को बांहों में भर लिया।
चेतन- चलो दोनों ही मेरे सीने पर सर रख लो यार.. बहुत थक गया हूँ थोड़ी देर आराम कर लूँ.. कसम से जानेमन तेरी गाण्ड बहुत कसी थी साला लौड़ा बहुत मुश्किल से हरकत कर रहा था।
डॉली- हाँ पता है.. तभी तो गाण्ड की हालत बिगड़ गई.. मुझे तो बहुत नींद आ रही है.. मैं तो ऐसे ही आपके सीने पर सोऊँगी।
ललिता- अरे अभी तो रात शुरू हुई है अभी से सोने की बात कर रही हो यार.. अभी मैंने तो चुदवाया ही नहीं है।
डॉली- दीदी आप चुदवा लो.. पर मुझे सोने दो.. हाँ दो घंटा सो लूँ.. उसके बाद मुझे उठा लेना।
चेतन- सो जा मेरी रानी.. इस बहाने मुझे भी आराम मिल जाएगा।
दोस्तो, क्या हाल हैं आपके.. सोच रहे होंगे मैं कहाँ हूँ आपसे बात करने नहीं आ रही..
यार, क्या करूँ कहानी ऐसे मोड़ पर चल रही थी अगर मैं बीच में आपसे बात करने आती तो आपका मज़ा खराब हो जाता..
उम्मीद है आपको स्टोरी पसन्द आ रही होगी।
मैं प्लीज़ आप सबसे हाथ जोड़ कर विनती करती हूँ कि मुझे ईमेल के जरिए कोई गंदी बात ना कहो..
मैं बस एक लेखिका हूँ इसके अलावा मेरी खुद की कोई सेक्सी स्टोरी नहीं है।
जिसे देखो वो मेरे पीछे पड़ा है कि आपकी स्टोरी भेजो..
कोई कहता है हमसे भी चुदवा…
लो तो प्लीज़ सोच बदलो जो कहानी लिखता है..
जरूरी नहीं कि वो भी ऐसा करता हो..
ओके बस यही कहना था मुझे..
तो अब आप कहानी का मज़ा लो।
लगभग 30 मिनट तक कोई कुछ भी नहीं बोला..
बस ऐसे ही आँख बन्द करके पड़े रहे और उसी अवस्था में उनको नींद आ गई।
करीब 2 घंटे बाद ललिता उठी, उसको शायद बाथरूम जाना था तो वो उठी और चली गई।
उसके कदमों की आहट से चेतन भी उठ गया, उसने ललिता को जाते हुए देखा तो डॉली को एक बगल सुला कर वो भी उसके पीछे चला गया।
दोस्तों डॉली गहरी नींद में सो गई थी।
बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था चेतन सीधा अन्दर चला गया।
ललिता बस पेशाब के लिए कमोड पर बैठ ही रही थी कि उसको चेतन दिख गया।
उसको देख कर ललिता मुस्कुराई।
ललिता- क्या बात है राजा.. लौड़े में तनाव हो गया क्या.. जो मेरे पीछे-पीछे आ गए।
चेतन- अरे ऐसी बात नहीं है.. ज़ोर से पेशाब आया था.. तुम्हें जाते देखा तो मैं भी आ गया.. सोचा दोनों साथ में करेंगे.. इसमें भी एक अलग मज़ा मिल जाएगा।
ललिता- उह्ह.. ये बात है.. अच्छा उस दिन की याद आ गई क्या?
चेतन- हाँ.. यार उस दिन कितना मज़ा आया था और हम दोनों कितना हँसे थे।
ललिता- अरे उस दिन तो बस हो गया था.. हमने सोचा थोड़े ही था.. ऐसा भी हो सकता है। आप बस मुझे चोदे जा रहे थे और मेरा जोरों से पेशाब आने लगा। मैंने आपसे कहा भी.. मगर आप कहाँ माने.. आख़िर में जब माने.. तब तक बहुत देर हो गई थी.. और जैसे ही अपने लौड़ा बाहर निकाला मेरी चूत से पेशाब की धार निकल कर सीधे आपके लौड़े पर आई.. हा हा हा…
चेतन- हा हा हा मैं तो सन्न रह गया.. तुमने पूरी पेशाब मुझ पर कर दी थी।
ललिता- तो अपने कौन सा मुझे बख्श दिया.. अपने भी तो उसी वक्त मेरी चूत पर पेशाब कर दिया था.. कितना गर्म था…
चेतन- हाँ जान कहाँ तो हम चुदाई कर रहे थे.. पानी आने की बजाय साला पेशाब निकल गया।
दोनों खिलखिला कर हँसने लगे।
ललिता- अब आपकी बातें बन्द करो मेरी तो बड़े ज़ोर से आ रही है।
चेतन ने लौड़ा चूत से सटा दिया।
चेतन- रोका क्यों है.. चल कर दे.. मैं भी करता हूँ.. मज़ा आएगा।
दोनों एक साथ शुरू हो गए.. गर्म-गर्म पेशाब की धार से चेतन के लौड़े को बड़ा सुकून मिल रहा था और वहीं ललिता ने अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।
जब दोनों का हो गया.. तब एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।
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