RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
चेतन भी उसकी पीठ के ऊपर उसके साथ ही नीचे गिर गया।
इस सब में डॉली का मुँह ललिता की चूत के ऊपर कस गया।
ललिता- ऊ माँ… चेतन क्या कर रहे हो उफ्फ.. डॉली उठो आह्ह..
चेतन वैसे ही पड़ा-पड़ा लौड़े को आगे-पीछे करता रहा।
दो मिनट में ही उसने ना जाने कितने शॉट मार दिए थे।
ललिता- चेतन प्लीज़ उठो मेरी जाँघों में बहुत दर्द हो रहा है उफ़फ्फ़.. उठो भी यार…
चेतन ने लौड़ा गाण्ड से निकाल लिया और उकडूँ बैठ गया.. तब जाकर कहीं डॉली की जान में जान आई और वो एक तरफ सीधी लेट गई।
डॉली- आह आह उह्ह.. माँ.. सर ये आपने क्या कर दिया.. अई मेरी गाण्ड फट गई है.. आह्ह.. बहुत जलन हो रही है.. ऐसा लगता है अभी भी उसके अन्दर कुछ घुसा हुआ है।
चेतन- अरे कुछ नहीं हुआ है.. बस थोड़ी देर की बात है.. उसके बाद आराम मिल जाएगा।
डॉली- नहीं.. नहीं.. आहह.. मुझे उफ़फ्फ़ नहीं मरवानी गाण्ड.. बहुत दर्द हो रहा है.. देखो बिस्तर पर भी ठीक से गाण्ड नहीं टिका पा रही हूँ।
ललिता- अरे चेतन इसको दर्द हो रहा है.. तो जाने दो ना.. इसकी चूत मार लो, ताकि इसको भी थोड़ा मज़ा आ जाए और गाण्ड को आराम भी मिल जाए।
चेतन को ललिता की बात समझ में आ गई कि वो क्या कहना चाहती है।
चेतन- ओके ओके.. अब तू घोड़ी बन जा.. मैं तेरी चूत में लौड़ा डालता हूँ.. चल जल्दी कर.. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
डॉली- आह्ह.. काहे का मज़ा.. उफ्फ.. लगता है मेरी गाण्ड तो फट गई..
चेतन ने डॉली का हाथ पकड़ कर उसको उठा लिया।
चेतन- अरे कुछ नहीं हुआ है.. अब चल जल्दी से घोड़ी बन जा यार.. मेरा मज़ा खराब हो रहा है।
डॉली दोबारा उसी स्थिति में आ गई और ललिता ने उसका मुँह अपनी चूत पर लगा दिया।
ललिता- यार कितना मस्त चूस रही थी तू.. चूत को सारा मज़ा किरकिरा हो गया.. चल अब थोड़ा चूत को चाट कर मज़ा दे.. तू तो अब चूत मरवा कर ठंडी हो जाएगी.. मेरी चूत तो अब तू ही ठंडा कर सकती है।
डॉली के चेहरे पर दर्द के भाव साफ नज़र आ रहे थे, बुझे मन से वो चूत को चाटने लगी।
इधर चेतन ने लौड़ा चूत में घुसा दिया और झटके मारने लगा।
अभी कोई 5 मिनट ही हुए थे कि डॉली को अब मज़ा आने लगा और वो गाण्ड हिला-हिला कर चुदने लगी और ललिता की चूत चाट-चाट कर मज़े लेने लगी।
चेतन- आह्ह.. आह उहह.. साली कसम से आह्ह.. तू बड़ी मस्त लड़की है.. क्या गाण्ड हिला कर चुद रही है और साली तेरी चूत भी क्या मस्त है उहह उहह ले आ रानी मज़ा आ रहा है।
ललिता- डॉली आह्ह.. चाटो आह्ह.. चाटो बहुत मज़ा आ रहा है मेरे राजा आह्ह.. अब डॉली गर्म हो गई है आह्ह.. मार दो निशाना.. कर लो अपना अरमान पूरा।
डॉली कुछ समझ पाती, इसके पहले ही चेतन ने लौड़ा चूत से निकाल लिया और गाण्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से झटका मारा।
इस बार चेतन ने डॉली की कमर को अच्छे से पकड़ा हुआ था ताकि वो आगे ना जा पाए।
एक ही वार में लौड़ा गाण्ड के अन्दर और डॉली की चीख बाहर।
डॉली- आह आआह्ह.. सर प्लीज़ आराम से करो ना.. अई दीदी आप बहुत गंदी हो आह्ह.. आपने ही कहा ना सर को उईईइ आह…
ललिता- अरे कुछ नहीं होगा.. जब चूत का दर्द नहीं रहा.. तो ये भी ठीक हो जाएगा और इसमें भी मज़ा आने लगेगा।
चेतन पागालों की तरह गाण्ड में दे-दनादन लौड़ा पेल रहा था। डॉली दर्द से कराह रही थी।
डॉली- अई आह मार लो आह्ह.. अगर अई आपका मन गाण्ड मारने का हुआ है.. तो ठीक है आह्ह.. मगर मुझे अधूरा क्यों छोड़ दिया.. मेरी चूत में बड़ी खुजली हो रही है आह्ह..
चेतन- आह्ह.. आह.. मज़ा आ रहा है साली क्या चिकनी गाण्ड है तेरी.. आह्ह.. लौड़ा खुश हो गया आह्ह.. आज तो.. हाँ जान.. रुक थोड़ी देर और गाण्ड का मज़ा लेने दे.. आह्ह.. उसके बाद तेरी चूत को भी शान्त कर दूँगा।
दस मिनट तक गाण्ड मारने के बाद चेतन ने लौड़ा चूत में डाल दिया और रफ़्तार से चोदने लगा। इधर डॉली ने ललिता की चूत चाट-चाट कर उसको चरम सीमा पर पहुँचा दिया था।
ललिता- आहइ आह मज़ा आ गया.. चाट आह्ह.. ज़ोर-ज़ोर से चाट.. आह्ह.. मैं झड़ने वाली हूँ आह्ह..
चेतन- ओह्ह ओह्ह ओह्ह मैं भी आहह… करीब ही हूँ उफ़फ्फ़ मज़ा आ गया आज तो.. ओह्ह।
डॉली- रफ्तार से करो राजा जी.. हम एक साथ ही झड़ेंगे आह्ह.. मेरी चूत में भी आह्ह.. तूफान उठ रहा है।
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