RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
मुझे भाभी ने कहा जाओ मामा को खाने के लिए बुला दो ,में उपर मामा के कमरे में जा कर दरवाजे को खोल ही रही थी कि मामा किस से बात कर रहे थे मैं सुनने लगी ,मामा -देखो मेने जैसे कहा वैसे करना
मुझे कोई गडबड़ी नही चाहिए रात को 12 बजे आना में पीछे के दरवाजे के पास होउँगा ,तुम्हे अच्छा इनाम मिलेगा.
मैं दरवाजा खोल के अंदर गयी तो देखा मामा फोन पे बात कर रहे थे और मामा ने मुझे देख कर झट से फ़ोन रख दिया उनके चेहरे पर घबराहट हुई थी मानो साप सूंघ लिया हो मेने बोला मामा आओ खाना लग गया है वो बोले तू जा में आता हू,में नीचे आ रही थी पर मेरे मन मे हज़ारो सवाल गूँज रहे थे मामा नीचे आए और खाना खाने लगे और कुछ देर बाद भाभी जो कि नहाने के बाद एक पिंक सारी और पिंक ब्लाउस में थी आकर दाल देने लगी भाभी झूकि हुई थी तो मामा को भाभी की चुचियो के दर्शन हो रहे थे घूँघट में होने के बाबजूद ,मामा ने उस दिन 2-3 बार भाभी को बुलाया और उनकी चुचियो का मज़ा उठाया खाना के बहाने और फिर कहा बहू आज का खाना बहुत संदर था.फिर हम ननद भाभी खाने लगे और मेने भाभी से पूछा मामा आज कल अपनी बहू की कुछ ज़्यादा तारीफ कर रहे है वो बोली
में हू ही तारीफ के काबिल ,मेने भाभी से मेरी मन की बात नही कही क्यूंकी भाभी जो भी हो अपने ससुर्जीका आदर करना था.मेने टॉपिक चेंज करते पूछा भाभी मामी तो अब मज़े ही मज़े मे खूब चुदे गी विशवनाथ जी से भाभी बोली हां री हमारी ऐसी किस्मत कहाँ,क्यूँ भैंसा है ना भाभी तुम्हारी चूत की प्यास भुजाने के लिए भाभी बोली चुप शैतान मामा सुन लेंगे.खाने के बाद भाभी बोली चल तबेले मे मेरे साथ भैसे को खाना देना है में बोली क्यूँ भाभी चुदवाने की इच्छा हो रही है क्या वो बोली चुप कर और चल हम तबेले गये और भैसे को भाभी ने खाना दिया और घर के सारे काम कर के लेटे थे कि हम दोनो की नींद लग गयी,
क्रमशः.....................................
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