RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा और मुझे अपने लंड सहलाने का इशारा किया.मैने अपना हाथ उसके लंड से हटा लिया तो उसने पूचछा ' मेरी जान अच्छा नही लगा रहा है क्या?'
में इनकार करते हुए बोली' नही यह बात नही है पर हुमको शर्म आ रही है.' वो बोला ' चूत मरेनी, भोसदीवाली, दो दिनों से चूत मरवा रही है , और अब कहती है कि शर्म आ रही है. मादार-चोद , चल अच्छे से लंड सहला नही तो तेरी बुर में चाकू घोंप कर मार डालूँगा.
मैं डर कर उसके लंड को सहलाने लगी. जैसे-जैसे लंड सहला रही थी मुझे आभास होने लगा कि महेश का लंड सुरेश के लंड से करीब आधा इंच मोटा अओर 2 इंच लंबा है. मैने भी सोच जो होगा देखा जाएगा. उसका लंड एक लोहे के रोड की तरह कड़ा हो गया था.
अब वो खड़ा होकेर पास पड़ा तकिया उठा कर मेरे छूतदों के नीचे लगाया और फिर ढेर सारा थूक [स्पिट] मेरी बुर के मुहाने पर लगा कर अपना लंड मेरी चूत के मुँह पेर रख कर ज़ोर का धक्का मारा. उसका आधे से ज़्यादा लंड मेरी बुर में घुस गया. में सीस्या उठी. जबकि में कुच्छ ही देर पहले सुरेश से चूत और गंद दोनों मरवा चुकी थी फिर्र भी मेरी बुर बिलबिला उठी.उसका लंड मेरी बुर में बड़ा कसा-कसा जा रहा था. फिर दुबारा ठप मारा तो पूरा लंड मेरी बुर में समा गया.
मैं जोरो से चिल्ला उठी ' हाईईईईईई में दर्द से मारी, ............. दर्द हो रहा है, प्लीज़ थोड़ा धीरे डालो , मेरी बुर फटी जा रही है
महेश - अर्रे चुप साली, तबीयत से चुदवा नही रही है और हल्ला कर रही है, मेरी फटी जा रही है, जैसे की पहली बार चुदवा रही है.अभी- अभी चुदवा चुकी है चुटमारानी और हल्ला कर रही है जैसे कोई सील बंद कुँवारी लड़की हो.
अब वो मुझे पकड़ कर धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर बहेर करने लगा.मेरी बुर भी पानी छ्चोड़ने लगी. बुर भीगी होने के कारण लंड बुर में आराम से अंदर बहेर जाने लगा, और मुझे भी मज़ा आने लगा.
महेश ने मुझे पलटी देकर अपने ऊपेर किया और नीचे से मुझे चोदने लगा. जब वो नीचे से उपर उचक कर अपने लंड को मेरी बुर में ठासता था तो मेरी दोनो चूचियाँ पकड़ कर मुझे नीचे की ओर खींचता था जिस से लंड पूरा चूत के अंदर तक जा रहा था. इस तरह से वो चोदने लगा और साथ-साथ मेरे मम्मे भी पंपिंग कर रहा था, और कभी मेरे गालों पर बॅट्का भर लेता था तो कभी मेरे निपल अपने दाँतों से काट ख़ाता था.पर जब वो मेरे होंटो को चूस्ता तो में बहाल हो जाती थी और मुझे भी खूब मज़ा आता था.
मैं मज़े में बड़बड़ा रही थी - है मेरे रज़ाआआअ मज़ा आ रहा है, और ज़ोर से चोदो और बना दो मेरी चूत का भोसड़ा..............
और साथ ही मैने भी अपनी तरफ से धक्के मारने शुरू कर दिया, और जब उसका लंड पूरा मेरी बुर के अंदर होता था तो में बुर को और कस लेती थी, जब लंड बहेर आता था तौ बुर को ढेला छ्चोड़ देती थी.वो कुच्छ रुक-रुक कर मुझे चोद रहा था.
में बोली ' हाई राजा ज़रा जल्दी-जल्दी करो ना, और मज़ा आएगा, इतना धीरे क्यों मार रहे हो मेरी चूत.
जब मुझसे रहा नही गया तो में खुद ही उपेर से अपनी कमर के धक्के उसके लंड पर मारने लगी
इतनी देर में देखा की दूसरे रूम से विश्वनथजी नंगे ही [ मेरी प्यारी भाभी की चूत, जिसे भोसड़ा कहना ज्याद ठीक होगा, चोद कर } हमारे रूम में घुसे और मुझे चूड्ता हुआ देखा कर बोले ' यहाँ चूत मरा रही , साली नंद रानी, इसकी भाभी को तो पेल कर आ रहा हूँ चलो इस से भी लंड चुस्वा लूँ, क्या याद रखेगी कि एक साथ दो-दो लंड मिले थे इसे.'
और इतना कह कर तुरंत मेरे पास आकर खड़े हुए और अपना लंड, जो कि तब पूरी तरह से खड़ा नही था , मेरे मुँह में घुसा दिया. मैने भी पूरा मुँह खोल कर उसके लंड को अंदर किया और फिर धक्को की ताल पर ही उसे चूसने लगे. विश्वनथजी साथ-साथ में मेरी चूचियाँ भी मसल रहे थे. कुच्छ ही देर में उनका लंड भी पूरा खड़ा हो गया और मुझे अपने हलक में फँसता हुआ सा महसूस होने लगा. पर मैने उनका लंड छ्चोड़ा नही और बराबर चूस्ति ही रही. यह पहली बार था की मेरी बुर और मुँह में एक साथ दो-दो लंड थे और में इसका पूरा मज़ा लेना चाहती थी, और मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था इस दोहरी चुदाई और चूसा में.
कुच्छ ही देर में महेश के लंड ने पानी छ्चोड़ दिया और उसके कुच्छ ही पलों बाद विश्वनथजी के लंड ने भी मेरे मुँह में पानी की धार छ्चोड़ दी. जब मैने उनके लंड को मुँह से निकलना चाहा तो उन्होने कस कर मेरे चेहरे को अपने लंड पर दबे रखा और जब तक में पूरा स्पर्म पी नही गयी उन्होने मुझे छ्चोड़ा नही. इसके बाद वो भी निढाल से वहीं पर पड़ गये.
चुदाई और चूसा का यह प्रोग्राम रात भर इसी तरह चलता रहा और ना जाने में और भाभी और ममीज़ी कितनी बार चुद होंगी उस रात.अंत में तक हार कर हम सभी यूँ ही नंगे ही सो गये.
सुबह मेरी आँख खुली तो देखा कि में नंगी ही पड़ी हुई हूँ. मैं जल्दी से उठी और कपड़े पहन कर बाहर किचन की तरफ गयी तो देखा कि भाभी भी नंगी ही पड़ी हुई हैं. मुझे मस्ती सूझी और में करीब ही पड़ा बेलन उठा कर उस पर थोडा सा आयिल लगा कर उनकी बुर में घोंप दिया. बेलन का उनकी चूत में घुसना था कि वो आआआअहह्ा करते हुए उठ बैठी, और बोली ' यह क्या कर रही हो'.
मैं बोली ' मैं क्या कर रही हूँ, तुम चूत खोले पड़ी थी में सोची तुम चुदासि हो, और चोदने वाले तो कब के चले गये,इसलिया तुम्हारी बुर में बेलन लगा दिया.
भाभी' तुम्हे तो बस यही सूझता रहता है'.
मैने उनकी बुर से बेलन खींच कर कहा' चलो जल्दी उठो, वरना मामा मामी आ जाएँगे तो क्या कहेंगे. रात तौ खूब मज़ा लिया, कुकच्छ मुझे भी तो बताओ क्या किया?
भाभी- बाद में बताऊंगी कि क्या किया' कह कर कपड़े पहनने लगी तो में ममीज़ी को उठाने चली गयी.
मामी भी मस्त चूत खोले पड़ी थी.मैने उनकी चूचियों पर हाथ रख कर उन्हे हिलाया और उठाया और कहा ' मामी यह तुम कैसे पड़ी हो कोई देखेगा तो क्या सोचेगा.'
वो जल्दी से उठी और कपड़े पहनने लगी, फिर मेरे साथ ही बाहर निकल गयी.
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