RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
मैने देखा की विश्वनथजी मेरी भाभी की चून्चियो को बड़ी ही बेदर्दी से किसी हॉर्न की तरह दबाते हुए घचघाच पेले जा रहे थे.
तब पीछे से सुरेश ने आकेर मेरे बगल में हाथ डाल कर मेरी चूचियाँ दबाते हुए बोला, अरी छिनाल तुम यहाँ इनकी चुदाई देख कर मज़े ले रही और में अपना लंड हाथ में लिए तुम्हे सारे घर में ढूँढ रहा था. इधेर मेरी भी चूत भाभी और ममीज़ी की चुदाई देख कर पनिया रही थी. मुझे सुरेश बगल वाले कमरे में उठा ले गया और मेरे सारे कपड़े खींच कर मुझे एकद्ूम नानी कर दिया, और खुद भी नंगा हो गया. फिर मुझे बेड पर लेटा कर मेरी दोनों चूचिया सहलाने लगा, और कभी मेरे निपल को मुँह मे लेकर चूसने लगता.इन सबसे मेरी चूत में चीटिया सी रेंगने लगी, और बुर की पूतिया [क्लाइटॉरिस] फड़फड़ने लगी. उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने खड़े लंड पर रखा और में उसके लंड को सहलाने लगी. मैं जैसे-जैसे उसके लंड को सहला रही थी वैसे ही वो एक आइरन रोड की तरह कड़क होता जा रहा था. मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था और में उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत से भिड़ा रही थी कि किसी तरह से ये जालिम मुझे चोदे, और वो था कि मेरी चूत को उंगली से ही कुरेद रहा था.
शरम छ्चोड़ कर में बोली हाईईइ राजा अब बर्दाश्त नही हो रहा है, जल्दी से करो ना. मेरे मुँह से सिसकारी निकल रही थी. अंत में मैं खुद ही उसका हाथ अपनी बुर से हटा कर उसके लंड पर अपनी चूत भिड़ा कर उसके ऊपेर चढ़ गयी और अपनी चूत के घस्से उसके लंड पर देने लगी. उसके दोनो हाथ मेरे मम्मो को कस कर दबा रहे थे और साथ में निपल भी छेड़ रहे थे.अब में उसके ऊपेर थी और वो मेरे नीचे. वो नीचे उचक-उचक कर मेरी बुर में अपने लंड का धक्का दे रहा था और में ऊपेर से दबा-दबा कर उसका लंड सटाक रही थी.
कभी कभी तो मेरी चूचियों को पकड़ कर इतनी ज़ोर से खींचता कि मेरा मुँह उसके मुँह तक पहुँच जाता और वो मेरे होन्ट को अपने मुँह में लेकर चूसने लगता. मैं जन्नत में नाच रही थी और मेरी छूट में खुजलाहट बढ़ती ही जा रही थी. मैं दबा दबा कर चुद रही थी और बोल रही थी, है मेरे चोदु सेयियैयेयाया और जोरो से चोदो मेरी फुददी, भर दो अपने मदन रस से मेरी फुददी, आआआअह्ह्ह्ह्ह्हाआआ बड़ा मज़ा आ रहाहै, बस इसी तरह से लगे रहो, हाआआईईईइ कितना अच्छा चोद रहे हो, बस थोडा सा और, में बस झड़ने ही वाली हू और थोड़ा धक्का मारो मेरे सरताज.................... अह्हाआआ लो मे गयी, मेरा पानी निकला...
और इस तरह मेरी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया. मुझे इतनी जल्दी झड़ते देख , सुरेश खूब भड़क गया और, " साली छूटमरनी, मुझसे पहले ही पानी छ्चोड़ दिया, अब मेरा पानी कहाँ जाएगा.
सुरेश - अब तेरी पिलपीली चूत में क्या रखा है, क्या मज़ा आएगा भैरी चूत में पानी निकलने का अब तो तेरी गंद में पेलुँगा. और उसने तुरंत अपने लंड को मेरी बुर से बहेर खींचा और मुझे नीचे गिरा कर कुत्ति बनाया और मेरे उपर चढ़ कर मेरी गंद को पकड़ कर अपना लंड गंद के छेद पर रख कर ज़ोर का ठप मारा. बुर के रस में भीगे होने के कारण उसके लंड का टोपा फट से मेरी गंद में घुस गया और में एकदम से चीख पड़ी. उउउउउउउईईईईईईइ माआआ मर गयी, है निकालो अपना लंड मेरी गंद फट रही है हहााआ
तब उसने दूसरी ठप मेरी गंद पर मारी और उसका आधे से ज़्यादा लंड मेरी गंद में घुस गया. और में चिल्ला उठी ' आरीई राम , थोड़ा तो रहम खाओ, मेरी गंद फटी जा रही हएरए जालिम थोडा धीरे से , आरीईए बदमाश अपना लंड निकाल ले मेरी गंद से नही तो मैं मर जाऊंगी आज ही,
सुरेश- अररी च्छुप्प, साली च्चिनाल, नखरा मत कर नही तो यहीं पर चाकू से तेरी चूत फाड़ दूँगा, फिर ज़िंदगी भर गंद ही मरवाते रहना, थोड़ी देर बाद खुद ही कहेगी कि है मज़ा आ रहा है, और मारो मेरी गंद.
और कहते के साथ ही उसने तीसरा ठप मारा कि उसका लंड पूरा का पूरा समा गया मेरी गंद में. मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे और में दर्द को सह नही पा रही थी. मैं दर्द के मारे बिलबिला रही थी. मैं अपनी गंद को इधर-उधर झटका मार रही थी किसी तरह उसका हल्लाबी लंड मेरी गंद से निकल जाए.लेकिन उसने मुझे इतना कस के दबा रखा था कि लाख कोशिशों के बावज़ूद भी उसका लंड मेरी गंद से निकल नही पाया.
अब उसने अपना लंड अंदर-बाहर करना हुरू किया. वो बहुत धीरे-धीरे धक्का मार रह था, और कुच्छ ही मिनूटों में मेरी गंद भी उसका लंड आराम से अंदर करने लगी. धीरे-धीरे उसकी स्पीड बहती ही जा रही थी, और अबवो थपथाप किसी पिस्टन की तरह मेरी गंद में अपना लंड पेल रहा था.मुझे भी सुख मिल रहा था, और अब में भी बोलने लगी, है आज़ाज़ा आ रहा है, और ज़ोर से मारो, और मारो और बना दो मेरी गंद का भुर्ता, और दबओ मेरे मम्मा, और ज़ोर दिखाओ अपने लंड का और फाड़ ओ मेरी गंद. अब दिखो अपने लंड की ताक़त.
सुरेश- हाईईईई जानी अब गया, अब और नही रुक सकता, ले साली रंडी, गंदमारानी, ले मेरे लंड का पानी अपनी गंद में ले. कहते हुए उसके लंड ने मेरी गंद में अपने वीर्य की उल्टी कर दी.वो चूचियाँ दबाए मेरी कमर से इस तरह चिपक गया था मानो मीलों दौड़ कर आया हो. थोड़ी देर बाद उसका मुरझाया हुआ लंड मेरी गांद में से निकल गया और वो मेरी चूचियाँ दबाते हुए उठ खड़ा हुआ, और मुझे सीधा करके अपने सीने से सटा कर मेरे होंटो की पप्पी लेने लगा. तभी महेश आकेर बोला ‘ आबे किसी और का नंबर आएगा आ नही, या सारा समय तू ही इसे चोद्ता रहेगा.
महेश- नही यार तू ही इसे संभाल अब में चला.
यह कह कर सुरेश ने मुझे महेश की तरफ धकेला और बहेर चला गया.
महेश ने तुरंत मुझे अपनी बाहों में समा लिया और मेरे गाल चूमने लगा. और एक गाल मुँह में भर कर दाँत गाड़ने लगा., जिससे मुझे दर्द होने लगा और में सीस्या उठी.
वो मेरी दोनो चूचियों को कस कर भोंपु की तरह दबाने लगा. कहा मेरी जान मज़ा आ रहा है कि नही.
और मुझे खींच कर पलंग पर लेटा दिया और अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे पास आया, और वहीं ज़मीन पर पड़ा हुआ मेरी पेटिकोट उठा कर मेरी बुर् पोंचछते हुए कभी मेरे गालो पर काटने लगा और मेरी चूचियाँ जोरो से दबा देता.जैसे-जैसे वो मेरे मम्मों की पंपिंग कर रहा था, वैसे ही उसका लंड खड़ा हो रहा था मानो कोई उसमे हवा भर रहा हो.
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