RE: xxx Kahani नौकरी हो तो ऐसी
बहू ने सासू मा के मूह पे हाथ रख दिया. और मैने फिरसे पोज़िशन लेके ज़ोर का धक्का मार दिया . सेठानी जगह पे ही कापने लगी उसके हाथ पैर हिलने लगे. बहुत ही कच्ची खिलाड़ी थी वो, ऐसा लग रहा ये नीचे बैठ जाएगी या गिर जाएगी, परंतु बहू ने उसकी कमर को पकड़े रखा. अब कि जब मेरा पूरा लंड अंदर था मैने ज़ोर्से झटके मारने शुरू कर दिए. और सासू मा की हालत पतली हो गयी.उसके मूह के उपर कपड़ा रखने के कारण उसके मूह से ज़यादा आवाज़ नही निकल रही थी परंतु मूह से "एयेए…सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…स्साआअ.सस्सस्स ऊऊओ…." की आवाज़े आ रही थी. अब मैने अपनी गति और तेज कर दी. और ज़ोर से झटके मारने लगा, चूत टाइट होने के कारण मुझे सातवे आसमान पे होने का एहसास हो रहा था और हर 1 धक्का मुझे स्वर्ग का एहसास दिला रहा था. थोड़ी ही देर मे मैने मेरा वीर्य परीक्षण सेठानी की चूत को करा दिया.
मैने लंड बाहर निकाला और बहू का सर पकड़ के खिचा और ज़बरदस्ती अपना वीर्य से भरा हुवा लंड उसके मूह मे डाल दिया. एक दो झटके मे मैने आधे से उपर लंड बहू के मूह मे घुसेड दिया…और उसकी आँखो से आसू निकल आए. मैने लंड बाहर निकाला तो वो बोली "सच मे जानवर हो तुम….इतना बड़ा लंड मेरे मूह मे डाला …मेरा मूह फॅट जाता…." उसकी चुचिया पकड़ते हुए मैने उसे उठाया और बोला "थोड़ी देर पहले जब तेरी सासू मा की चूत मे लंड डाल रहा था तब तुझे कुछ दर्द का नही सूझा और जब अपने पे आ पड़ी तो गाली दे रही रंडी…" उसकी चुचियो को कस्के पकड़ने के कारण वो तड़प रही थी. अब मैने उसका एक निपल मूह मे लिया और उसे ज़ोर्से चूसने लगा. थोड़ी ही देर मे मैने उसमे से दूध चूसना शुरू कर दिया. और सेठानी की बहू मुझे दूर धकेलने की कोशिश करने लगी.
परंतु मैं थोड़े ही माननेवालो मे से था. मैने उसकी टाँगो को अपने टाँगो के बीच जाकड़ लिया. और ज़ोर से उसके निपल चूसने लगा. अब मैने दूसरा निपल मूह मे लिया. और उसमे से दूध चूसने लगा. बहू तड़प तो रही थी परंतु अभी उसका प्रतिकार कम हो गया था. और वो थोडिसी शांत हो गयी थी. इधर सेठानी बोली "और चूसो …और चूसो …सब दूध निकाल लो इस गाय का…..रंडी साली मुझे चुदवाते वक़्त बहुत खुश हो रही थी अब भुगत …."
अब मुझे बहू को चोदने की मजबूत इच्छा होने लगी. मैने उसका निपल कामूह बाजू किया. और पीछे से जाके उसके गांद से चिपक गया और सारी खीच के उसे नंगा करने लगा. वो थोड़ा प्रतिकार करने लगी परंतु उसकी भी चुदाई बहुत दिनोसे ना होने के कारण उसके प्रतिकार मे दम नही था. मैने सारी खिच ली और निकर भी, अब सिर्फ़ पीला ब्लाउस बाकी था. मैने उसकी गांद के पहाड़ के बीच अपना लंड घुसा दिया. और आगे पीछे करने लगा. उसकी चुचिया भी दबाने लगा. जो की मेरे चूसने से एकदम सख़्त और लाल हो गयी और सहेम गयी थी.
मैने अभी अपना लंड उसके पहाड़ो मे ज़ोर्से आगे पीछे करना शुरू किया. और उसके ब्लाउस खोल के ब्रा का हुक खोल दिया. उसके अंग से एक अलग ही खुशबू आ रही थी. मैं उसकी पीठ से चिपक गया. और 2 मिनिट तक उसी पोज़िशन मे खड़ा रहा. ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मैं किसी अप्सरा के साथ प्रण कर रहा था. उसके कांख मे हल्के हल्के काले रंग के बाल थे मैने उसके हाथ उपर उठाए और उन बालो को सहलाने और चूमने लगा. इस वजह से बहू बहुत ही गरम हो गयी. मैने वाहा पे चुम्मा लेना शुरू कर दिया और अपना सर उसके कांख के बालो मे डाल के हिलाने लगा. वो बहुत ही उत्तेजित होती जा रही थी. और बोल रही थी "मुझे और ना तड़पओ मेरी भूक शांत करो …दया करो" इतने मे सेठानी बोली "इस रंडी को ऐसा चोदना की जनम जनम इसे याद रहे कि इसकी चूत का भी समुंदर तुमने किया था." सेठानी ने बहू के कहे गये वाक्य का बदला ले लिया था. कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्तो
क्रमशः.........
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