XXX Kahani ये कौनसी राह है और कौनसी मंजिल है
08-07-2017, 10:58 AM,
#5
RE: XXX Kahani ये कौनसी राह है और कौनसी मंजिल है
ये कौनसी राह है और कौनसी मंजिल है 
भाग चौथा 


मैं आंटी और सुंदरा के साथ अपनी जिंदगी को मजे से जीने लगी. सारे दिन एक ही काम, मौका मिलते ही लेस्बियन सेक्स. मेरी जवानी निखरने लगी थी. आस पड़ोस के लड़के मेरे को देखते ही आहें भरते मगर मेरे दिल में कभी लडको को लेकर कोई उत्तेजना नही पैदा होती. 
सुंदरा बहुत खुश रहने लगी थी. उसकी सेक्स की भूख रोज मिट जाती थी.
एक दिन आंटी बाहर गई हुई थी. मैं सुंदरा के आते ही उसके साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो गई कि अचानक अंकल घर में आ गए. सुंदर और मैं बाल बाल बच गयी. मगर हम दोनों बहुत उतावले हो गयी थी. इसलिए हम दोनों बाथरूम में चली गई. अंकल अपने कमरे में थे. बाथरूम में धोने के बहुत सारे कपडे रखे हुए थे. हम दोनों ने अपने अपने कपडे उतर दिए और उन धोने के लिए रखे कपड़ों को बिस्तर बनाया और लिपट गयी आपस में. आज सुंदरा बहुत उत्तेजित हो चली थी. वो बार बार मेरी ऊँगली पकडती और पाने जनांग में घुसा देती . जबकि मैं पहले दोनों के जननांगो को आपस में टच कराकर सेक्स पूरा करना चाह रही थी.मगर आखिर में जीत सुंदर के हुई. मैंने अपनी ऊँगली उसके भीतर घुसाई और लगातार अन्दर बाहर करने लगी. इस दौरान मैंने सुंदरा के होंठों को अपने होंठों से पूरी तरह सील दिया और अपनी जीभ से उसके मुंह की सारी मिठास अपने मुंह में खींचने लगी. इस तरह मैं भी अपनी भूख मिटाने लगी. कुछ ही देर बाद हम दोनों तड़पने लगी. मैंने अपनी दोनों जाँघों को आपस में मिलाकर खुद को कंट्रोल करने की कोशिश की. उधर सुंदरा भी अब बेकाबू होने लगी. फिर अचानक मुझे अपने भीतर एक गीलेपन का अहसास हुआ और मैं सुंदर के मुंह में अपनी जीभ से सारी लार उसके मुंह में डालकर उसके साथ जोर से लिपट गई. इतने में ही सुंदरा भी मलाई बहाने लगी और हम दोनों सेक्स के अंतिम सुख में पहुँच चुकी थी. इस बीच अंकल उठ गए मगर बाथरूम तक आकर ये समझे कि मैं अकेली हूँ उसमे उन्हें कोई शक नही हुआ.
सुंदर अब पूरी तरह से मेरे साथ प्रेम करने लगी थी. जबकि आंटी मेरे और अंकल दोनों के साथ डबल मज़ा लेती थी. कई बार तो ऐसा होता कि आंटी अंकल के साथ सेक्स करने के बाद मेरे कमरे में ऐसे ही बिना कपड़ों के आ जाती मुझे नंगा कर मुझे अपने साथ लिपटा लेती. मुझे इस वक्त बहुत अच्छा लगता था क्यूंकि आंटी थकी हुई होती थी और उनका जिस्म एकदम ठंडा होता. ऐसे में मैं उनके होंठों को लगातार चुस्ती रहती जो मेरा सबसे पसंदीदा था. आंटी थकी होने के कारण कोई विरोध नहीं करती और अपने होंठ फैलाकर मेरे होंठों के हवाले कर देती और मैं उनके होंठों पर अंकल द्वारा ना चूसा हुआ सारा रस चूस लेती. बाद में मैं आंटी के उभरे सीने को खूब सहलाती और अपने दोनों बूब्स को उनके साथ टच कराकर फिर से उनके होंठों को अपने होंठों से मिलाकर सो जाती.
एक दिन रात को मैंने सुन्दरा को घर पर आंटी से बचाकर रोक लिया. रात को मैं और सुंदरा दोनों मेरे कमरे में भरपूर सेक्स का मज़ा ले रही थी. आंटी अंकल से फ्री होकर मेरे कमरे में आ गई. हम दोनों को पता नहीं चल सका इस बात का. आंटी ने हम दोनों को देखा तो गुस्से में आ गई. हम दोनों को खूब डांटा , अगले ही दिन आंटी ने सुन्दरा की छुट्टी कर दी. मेरा दिल टूट गया. मैंने आंटी को बहुत समझाया ,मगर आंटी ने मेरी एक नहीं सुनी. अगले चार पांच दिन हम दोनों में बिलकुल बोलचाल नहीं हुई और ना ही सेक्स. 
आखिर में आंटी से नहीं रहा गया और उसने सुंदरा को फिर से बुला लिया. 
सुंदरा के लौट आने के बाद सब कुछ फिर से नोर्मल हो गया. अब आंटी को मेरे सुंदरा के साथ शारीरिक सम्बन्ध को लेकर कोई आपत्ति नहीं रही. कई बार जब आंटी को सेक्स की इच्छा नहीं होती तो मैं अपने कमरे में सुंदरा के साथ लेस्बियन सेक्स का मज ले लेती.

पहले कुछ दिन तो सब शांत थे. अगले दिन अंकल कहीं बाहर गए दूसरे शहर में दो दिन के लिए. आंटी ने सुंदरा को रात को रोक लिया क्यूंकि बरसात का मौसम था और रात को अक्सर लाइट्स चली जाती. इसी डर से हम तीन होंगे तो डर नहीं लगेगा इसलिए सुन्दरा रो रोक लिया. 
मैं और आंटी एक पलंग में सो रहे थे. सुन्दरा पास के सोफे में सो गई. आंटी ने कुछ देर बाद हम दोनों के कपडे उतराकर मेरे साथ सेक्स में लग गई. सुन्दरा अँधेरे में जो कुछ भी दिख रहा था देख रही थी. तभी अचानक बहुत ही तेज बारिश शुरू हो गई. बादल गरजने लगे और बिजलियाँ चमकने लगी. हम सभी घबरा उठे. मैं आंटी से जोर से कसकर लिपट गई. तभी अचानक लाइट्स चली गई. हवा भी तेज हो चलने लगी. सुन्दरा भी अब बहुत घबरा उठी. आंटी समझ गई उसकी घबराहट को और उन्होंने सुंदरा को हमारे पलंग पर बुला लिया. मैं और आंटी अब भी आपस में बिलकुल नंगे आपस में लिपटी हुई थी. सुंदरा और आंटी के एक तरह से मैं बीच में थी. मैंने अपना एक हाथ पीछे किया और सुन्दरा के सीने को खोजने लगी. जैसे ही मेरा हाथ सुन्दरा के जिस्म से टच हुआ सुन्दरा ने मेरे हाथ को जोर से दबाया और अपने उभारो के बीच में दबा दिया. 
आंटी को कुछ देर बाद मेरी और सुंदरा के बीच हो रही हलचलों का पता चल गया. आंटी ने मुझे अपने से अलग किया और उठ गई और सुन्दरा के करीब जाकर धीरे से उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगी. मैं हैरानी से आंटी को देखने लगी. सुंदरा ने अपना सीना ढीला कर आंटी को सहयोग किया. ब्लाउज के बाद आंटी ने सुन्दरा की चोली भी उतार कर दूर रख दी. इसके बाद आंटी ने सुंदरा के पेटीकोट का नाडा खोला और साडी के साथ दूर फेंक दिया. अब हम दोनों के साथ सुंदरा भी बिना कपड़ो के हो गई. आंटी वापस मेरे पास आकर लेट गई. मैंने सुन्दरा को अपनी तरफ आने का इशारा किया. अब मैं आंटी और सुन्दरा के बीच में थी किसी सेंडविच की तरह. आंटी ने मुझे अब सीधा लेटने को कहा और अपनी एक टांग मेरी टांग पर रखकर मेरे गालो को चूमने लगी. सुंदरा को भी मैंने इसी तरह करने को कहा. सुन्दरा और आंटी की मजबूत मांसल टाँगे मेरे जिस्म में लहरें उठा रही थी. अब दोनों और पास आ गई इससे मेरा जिस्म उन दोनों के जिस्मो से पूरी तरह से जैसे कवर हो गया. हम सभी की सांसें आपस में टकराने लगी. मैं कभी आंटी तो कभी सुन्दरा के गालों को और होठों को चूमती. तीनों को मजा आने लगा. आंटी मेरे होंठों को चूम रही थी. जैसे ही आंटी ने चूमना बंद किया सुंदरा ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. आंटी अपनी बारी का इंतजार करने लगी. इस तरह दोनों बारी बारी से एक के बाद एक मेरे होंठों को चूमने लगी. एक बार आंटी के चूमते ही सुंदरा थोड़ा सा पहले अपने होंठ मेरे तरफ ले आई. इस से उसके होंठ आंटी के गालों से टकरा गए. मेरे दिमाग में कुछ आया और मैंने तुरंत अपने होंठ इस तरह से आगे किये कि आंटी के गाल और सुंदरा के होंठ मेरे होंठों से छूने लगे. आंटी ने अपने गाल को पीछे किया और अपने होंठ मेरे और सुंदरा के होंठो के पास ले आई. सुन्दरा ने अपने होंठ थोड़े आगे बढाए. मैंने भी भी ऐसा ही किया. अब हम तीनों के होंठ एक दूजे के एकदम करीब आ गए. मैंने अपना मुंह पूरा खोल दिया. मेरी देखाया देखी आंटी और सुंदरा ने भी अपने अपने मुंह पूरी तरह से खोल दिए. फिर हमने अपने अपने होंठ एक दूजे से टच करवा दिए और हमारे तीनों के होंठ अब आपस में मिल गए. 
हमने अपने अपने होंठ खोले और एक दूसरे के होंठों को को चूमना शुरू कर दिया. हम तीनों पर ऐसा नशा छाया कि सभी एक दूसरे को कसकर पकड़कर तड़पने लगी. काफी देर तक ऐसा किया तो हम तीनों के अन्दर जोर से हलचलें शुरू हो गई. आंटी और सुंदरा ने अपनी अपनी जाँघों से मेरी जांघों पर दबाव बढ़ाना शुरू किया जिस से उनके भीतर के हलचलें काबू में आये. इस दबाव से मेरी हलचलें भी काबू में आने में मदद मिली. मगर कुछ ही देर के बाद ऐसा लगा हम तीनों को कि अब अन्दर से तीनों का ही बहाव बाहर आ जाएगा. सुंदरा ने मुझे अपने भीतर ऊँगली घुसाने को कहा. मुझे ऐसा करते देख आंटी ने भी मुझसे मदद मांगी. मैंने अब अपनी एक ऊँगली सुन्दरा के और दूजी आंटी के भीतर घुसा दी. मैं बैठ कर ऐसा कर रही थी. मेरी हालत ख़राब हो रही थी कि मैं अपना बहाव किस तरह महसूस करूँ जो भीतर से आ रहा है. सुंदरा और आंटी ने एक साथ अपने हाथ मेरे जननांग के पास ले आई और मेरे अपनी हथेलियाँ मेरे जननांग पर रखकर दबाने लगी. मुझे यह बहुत अच्छा लगा. अगले ही पल सुंदरा ने एक आह भरी. उसकी जननांग में से गाढ़ी मलाई बाहर की तरफ आने लगी और मेरी ऊँगली से टकराकर हम दोनों को लहरों में डूबने लगी. तभी आंटी ने भी के मीठी आवाज से मुझे लहर में बाँध दिया. मेरी दोनों उंगलियाँ गीलापन और जबरदस्त मीठापन महसूस करने लगी. आंटी और सुंदरा की हथेलियों के दबाव ने अब मेरी अन्दर की मलाई को बाहर ला दिया. हम तीनों अब एक बार जोर से तडपी और फिर शांत हो गई. 
बाद में फिर से आंटी और सुंदरा मेरे ऊपर टंगे रखकर सो गई और मैंने उन दोनों के साथ होंठों और गालों के साथ किस का दौर जारी कर दिया. बाद में हम इसी मुद्रा में एक दूजे से लिपटी हुई सो गई.
सुबह जब हम उठी तो हम तीनों ही बहुत खुश थी. आंटी ने मुझे कहा " चिकने तू हम को पाता नहीं किस दुनिया में ले जाकर छोड़ेगी. अब तो ऐसा लग रहा है कि हम तीनों रोजाना ऐसा ही करें." मैं बहुत खुश हुई. सुंदरा भी खुश हो गई. 
इसके बाद करीब दस बारह दिन में एक बार ऐसा मौका मिल ही जाता जब हम तीनों आपस में एक साथ लेस्बियन सेक्स करते.
हम तीनों अभी भी इसी तरह से एक साथ हैं. 
आखिर में आपको एक रात के फुल टॉप सेक्स की बात बता रही हूँ. उस रात मैंने अंकल से बचाकर छुपाकर सुंदरा को मेरे कमरे में रोक लिया. आंटी को पता था. मैं और सुन्दरा बिस्तर में थी. सुन्दरा ने खूब सारा मसाज आयल लगाकर मेरे सारे जिस्म केस खूब मालिश की और मेरे सारे बदन को तेल की चिकनाई से फिसलन भरा और चमकीला कर दिया. मैंने भी बदले में सुन्दरा के साथ यही किया. फिर बाद में हम दोनों अपने अपने फिसलन वाले नंगे जिस्मो को एक दूजे के साथ अलग अलग जगह टच करा कराकर जबरदस्त मजे करने लगी. उधर आंटी अंकल के साथ थोड़ी देर मजे लेने के बाद जब अंकल सो गए तो हमारे साथ आ गई. हम दोनों को ऐसी हालत में देख आंटी के मुंह में पानी आ गया. मगर वो थोडा थकी हुई थी. हम दोनों ने मिलकर आंटी के बदन की उसी तेल से जबरदस्त मालिश कर आंटी को ताज़ा कर दिया और नशे में ला दिया. फिर हम तीनों बारी बारी से शुरू हो गई. मुझे ऐसा लगा जैसे ये मेरी अब तक की सबसे मीठी रात है.
मसाज के तेल की फिसलन हम तीनों को पागल किये जा रही थी. उत्तेजना बढती जा रही थी. मेरे अन्दर तूफ़ान उठने लगा था. कुछ देर बाद मैं पूरी तरह से बेकाबू हो गई और पलंग पर तड़पने लगी. सुन्दरा ने मुझे अपने से लिपटकर मुझे जगह जगह चूमना शुरू किया. आंटी भी हमारे पास आ गई और वो भी मुझे सुन्दरा के साथ जगह जगह चूमने लगी. मेरी भूख मिटने लगी मगर उत्तेजना एकदम टॉप में पहुँचने लगी. आंटी ने कुछ सोचा और फिर सुन्दरा के जननांग को मेरे जननांग से टच कर दिया , मैं सुंदरा के ऊपर लेटी थी. अब आंटी ने अपनी ऊँगली सुन्दरा के जननांग में इस तरढ़ से डाली कि मुझे मेरे जननांग के आसपास गुदगुदी महसूस हुई. 
मेरी तड़प फिर भी कम नहीं हो रही थी. मुझे यह लग रहा था कि दोनों ही मुझे इतना चूमे, इतना दबाये कि मैं किसी झरने की तरह बहने लगूँ. आंटी और सुंदरा दोनों ही मेरी तड़प को समझ गई. आंटी ने सुन्दरा को सोफे की कुर्सी पर बैठने को कहा. फिर आंटी ने मुझे सुंदरा की गोद में इस तरह बिठाया कि मेरी पीठ सुंदर के उभरी हुई छातीयों से सट गई और मेरा और सुंदरा का मुंह आंटी के सामने था. अब आंटी धीरे से आगे आई और सुन्दरा और मेरी टांगों को फैला दिया और अब हम दोनों के जननांग आंटी के सामने थे एक के ऊपर एक. अब आंटी ने धीरे से अपने निचले हिस्से हम दोनों के जननांगों से टच कर दिया और धीरे धीरे सहलाने लगी. तेल की फिसलन से हम तीनों को जबरदस्त मज़ा आने लगा और मेरी हलचलें तेज होती चली गई. आंटी कभी मेरे तो कभी सुंदरा के होंठों को चूमती. मैं एक सेंडविच की तरह दो बड़ी बड़ी छातीयों के बीच गुदगुदपन महसूस करने लगी. आंटी के निचले हिस्से की जगह ने ऐसा नशा चढ़ाया के करीब दस मिनट की इस रगदन ने एक के बाद हम तीनों के अन्दर की मलाई क्रीम को बाहर बहा दिया. चूँकि हम तीनों के निचले हिस्से एक दूजे से बिलकुल सटे हुए थे तो उस गीलेपन का मजा हम तीनों को खूब आया और काफी देर तक इस मलाई क्रीम के साथ हम मालिश करती रही. बाद में आंटी और सुन्दरा ने अपनी अपनी जगहें बदली और यही शुरू रखा. आखिर में हम तीनों ने खड़े होकर एक साथ एक लम्बा फ्रेंच किस अपनी अपनी जीभ से किया और बाद में पलंग में एक दूजे के सह लिपटकर सो गई.
मैंने कहा था ना कि आप भी इस को पढ़कर अपने बहाव को रोक नहीं सकोगे.
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RE: XXX Kahani ये कौनसी राह है और कौनसी मंजिल है - by sexstories - 08-07-2017, 10:58 AM

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