XXX Kahani ये कौनसी राह है और कौनसी मंजिल है
08-07-2017, 10:58 AM,
#4
RE: XXX Kahani ये कौनसी राह है और कौनसी मंजिल है
ये कौनसी राह है और कौनसी मंजिल है 
भाग तीसरा. 


सब कुछ इसी तरह चलता रहा मगर एक दिन सब कुछ पता चल गया घर में मेरे . हुआ ये के सभी घरवाले सुबह किसी शादी में गए हुए थे. मैं बहाना कर नहीं गई. मैंने सायरा को बुला लिया . मैं और सायरा बिना किसी कपड़ों के बेखौफ्फ़ बिस्तर में लिपटी हुई थी. मैं सायरा के उपर थी और अपने गुप्तांग को उसके गुप्तांग से टच करा कराकर मसाज कर रही थी. हम दोनों ने ढेर सारा क्रीम लगा रखा था अपने अपने गुप्तांगों के आसपास जिस से चिकनाई और भी बढ़ गई थी. मेरे पापा शादी में देनेवाली गिफ्ट घर पर ही भूल गए थे. वे उसी को लेने आये. वे गिफ्ट लेकर वापस बाहर निकलते वक्त मेरे कमरे की तरफ आकर मुझसे यह कहने वाले ही थे कि तुम खाना खा लेना , कि उन्होंने मेरे कमरे की खिड़की से मुझे और सायरा को इस स्थिति में देख लिया. पापा ने मम्मी को सब बतला दिया. मुझे खूब डांटा गया. मगर मैं इतनी लेस्बियन सेक्स की आदी हो चुकी थी कि उनसे वादा करने के बाद भी दो बार और पकड़ी गई लेस्बियन सेक्स करते हुए. खूब झगडा हुआ . मुझे घर छोड़ने को कह दिया गया.
मैं कुछ दिन सायरा के यहाँ रही. इस बीच मैंने एक दिन उसी मौसी के यहाँ जाकर यह पता लगाया कि वो आंटी जिनके साथ मैंने शादी के दौरान खूब मजा किया था वो कहाँ रहती है. मुझे आंटी का पता मिल गया. मैं एक दिन अपना बेग गले में डाले आंटी के सामने खड़ी थी. आंटी ने मुझे देखा और बोली " अरे चिकने तू यहाँ कैसे आ गया आ गई! " मैंने आंटी को सब कुछ बता दिया. आंटी का दिल पसीज गया. उन्होंने अपने पति से झूठ बोलकर कि मैं उनकी दूर के रिश्ते में भतीजी लगती हूँ, और बिना माँ-बाप की हूँ, अपने घर रख लिया. पहली ही रात आंटी मेरे पास आ गई. मैं आंटी की बाहों में थी. आंटी ने मेरी प्यास बुझा दी.
अब लगभग हर रोज़ दिन में कम से कम दो बार तो मैं और आंटी नंगे बदन लिपटी रहती कुछ देर तक. मेरा आंटी के साथ रिश्ता दिन बा दिन गहरा होता जा रहा था.
आंटी के यहाँ काम करनेवाली बाई काम छोड़कर चली गई तो आंटी ने दूसरी बाई रखी. मैंने जब इस बाई को देखा तो उसकी गरीबी पर दया आ गई. सांवला रंग , जबरदस्त कसा हुआ जिस्म और उभरा हुआ सीना और सेक्सी मुस्कान . मैंने दो तीन दिन में एक बार हिम्मत कर उस बाई जिसका कि नाम सुन्दरा था , गालों को चूम लिया. पता चला कि सुंदरा अकेली है, उसका पति शराबी है इसलिए सुंदरा उसे छोड़ चुकी है. एक दिन मैंने सुंदरा से अपने बदन की मालिश करने को कहा. मैं पलंग में सिर्फ ब्रा और पेंटी में लेट गई. सुंदरा ने मसाज शुरू किया. मुझे नशा चढ़ने लगा. मैंने अचनक सुन्दरा को अपनी तरफ खिंचा और उसके होंठों को अपने होंठों से चूम लिया. सुंदर हैरान रह गई. मैंने फिर एक बार अचानक से उसके होंठों को चूमा. सुंदर को शायद यह अच्छा लगा. मैंने सुंदरा को अपने बारे में सब कुछ बतला दिया. सुंदर ने मेरा साथ देने की बात कही और बोली " मैं भी अकेली हूँ. हर रात तड़पती हूँ. तुम मेरा साथ देना."

एक दिन दोपहर को आंटी सो रही थी तब मैं सुंदरा के साथ मेरे कमरे में आ गई. हम दोन एक दुसरे की बाहों में थी. सुंदर मुझे चूमती और मैं सुंदरा को. फिर हम दोनों ने अपने सारे कपडे उतार दिए. सुंदरा मेरे हाथ को अपने जननांग के पास ले गई और मेरी ऊँगली को अपने अन्दर डाला. मुझे इशारे से सुन्दरा ने कहा कि मैं अपनी ऊँगली को अन्दर बाहर करूँ. मैं समझ गई कि ये एक औरत की प्यास है. मैंने ऐसा ही किया. कुछ देर ऐसा करने के बाद सुन्दरा के जननांग के अन्दर से मलाई बाहर आकर बहने लगी. सुन्दरा के चेहरे पर एक प्यास मिटने की मुस्कान आ गई. मैंने सुंदरा के होंठो को जोर से चूसा और मेरी प्यास बुझा ली.
अब तो लगभग हर रोज मैंने और सुंदरा ऐसा ही करते. धीरे धीरे मैंने सुंदरा के साथ जननांगों को आपस में मिलाकर सेक्स करना भी शुरू कर दिया. सुंदरा को भी यह सब अच्छा लगने लगा था. कई बार तो सुन्दरा मुझे पकड़ पकड़कर ऐसा नशा ला देती कि मैं सुंदरा की बाँहों में 
कई देर तक मदहोश लिपटी रहती.
मैं आंटी और सुंदरा के साथ खूब मजे में थी. मेरी भूख जितनी बढती दोनों मेरी भूख को उतना ही मिटा देती थी. आंटी तो अब शाम को मुझे लेकर बाथरूम में घुस जाती और हम दोनों नंगे बदन फवारे में लिपट जाते और काफी देर तक नशे में रहती. आंटी अक्सर अंकल के जाने के बाद मेरे साथ ही नाश्ता करती थी. मैं नाश्ता करते वक्त सिर्फ ब्रा और पेंटी में हो जाती और आंटी की गोद में बात जाती. आंटी मुझे और मैं आंटी को चूमती और नाश्ता करती रहती. मैंने कई बार फ्रूट्स के टुकड़े अपने मुंह में लेकर आंटी के मुंह में डाल देती और आंटी भी बदले में ऐसा ही करती. एक बार हम दोनों ने केले इसी तरह से खाए और एक दूजे के मुंह में डालकर निकालते और फिर वापस ले लेते. . ऐसा नशा हो गया कि हम दोनों पागल हो गई थी.
अगले और चौथे भाग में मैं आपको मेरी जिंदगी की रंगीनियों के बारे में बताऊंगी कि किस तरह से हम तीनों ( आंटी, मैं और सुंदरा ) 
अब एक नयी सेक्स की दुनिया में आ चुकी हैं.
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