RE: XXX Kahani ये कौनसी राह है और कौनसी मंजिल है
मुझे लगा जैसे आंटी का साथ आज रात हो ही जाएगा. मैं बोली " मैं समझ गई आंटी जी आप का मजाक ...मगर आप मुझे चूम सकती हैं और लिपटा भी सकती है. आपकी मजबूत बाहों में आकर मुझे बहुत अच्छा लगेगा." आंटीजी और भी शरारत होते बोली " अभी नहीं, कुछ देर बाद तुझे बतलाती हूँ मैं कितनी मजबूत हूँ. हा हा "
आज शादी थी इसलिए सभी जल्दी जल्दी नहा धोकर तैयार हो रहे थे. मैं भी नहाने चली गई. मैं जैसे ही नहाकर निकली तो देखा की वो आंटी भी नहाने के लिए मेरा इंतज़ार कर रही थी. मैंने एक तौलिया लपेट रखा था. मुझे देखते ही वो बोली " बिलकुल चिकने लड़के के जैसे लग रही है तू." मैं मुस्कुरा दी. आंटी नहाने चली गई. मैं कपडे देखने लगी कि क्या पहनना है . मैं उसी तौलिये में लिपटी कपडे निकाल रही थी कि इतने में आंटी नहाकर आ गई. वो भी तौलिया ही लपेटे थी. हम दोनों एक दूजे को देखकर मुस्कुरा दिए. आंटी मेरे बेहद करीब आकर खड़ी हो गई. हम दोनों के चेहरे बहुत करीब थे. नहाने के बाद की खुशबू साँसों में घुल रही थी. आंटी ने मुझे अपनी तरफ लिया और बाहों में भर लिया. कन्धों के थोडा नीचे तक हिस्सा नंगा था इसलिए वो हिस्से हम दोनों के आपस में चिपके तो बदन में सरसराहट होने लगी. मैंने बहुत ही शरारत से आंटी की तरफ देखा और बोली " क्या इरादा है इस चिकने को देखकर ?" आंटी ने उसी शरारत के साथ जवाब दिया " समय बहुत ही कम है मगर इरादा तो नेक बिलकुल नहीं है. चल आजा चिकने कुछ देर ही सही." आंटी ने मेरी गरदन के निचले हिस्से को ऐसा चूमा कि मेरा सर घूमने लगा. आंटी ने मुझे ऊपर उठा लिया और उठाये उठाये ही मेरे गालों और गरदन को चूमने लगी. मैंने भी जवाब में आंटी के गालों को चूमा. क्या भरवां गाल थे उनके किसी रसगुल्ले की तरह. आंटी के होंठ तो बिलकुल जलेबी की तरह रस से भरे हुए लगे. मैंने अपना मुंह खोला और उसे आंटी की तरफ बढ़ा दिया. आंटी ने मेरे होंठो को देखा और बोली " लगता है संतरे का जूस भरा है इनमे." मैंने कहा " मुझे तो आप के होंठ जलेबी जैसे भरे लग रहे हैं" आंटी ने जवाब दिया " तू जलेबी का रस पी और मैं संतरे का जूस पीती हूँ." आंटी ने अपने होंठ खोले और अब मेरे होंठों से इस तरह सिला दिए कि एक बंद गोला बन गया और हम दोनों अपने जीभ की मदद से एक दूजे के होंठों के रस को अपने मुंह में खींचने लगी. हम दोनों ने दो एक मिनट तक ही किया होगा कि किसी ने दरवाजा खटखटाया . आंटी बोली " ये कौन कबाब में हड्डी आ गया. अब तो अगले मौके में ही करना होगा सब कुछ." हम दोनों बहुत अनमने मन से अलग हुए और कपडे पहन ने लगे.
पूरी शादी में कभी सरोज तो कभी आंटी मुझ से नज़रें मिलाते ही सेक्सी मुस्कराहट दे देती. आंटी ने बहुत ही बढ़िया मेक अप किया था और गज़ब ढा रही थी. सरोज ने भी गुलाबी ड्रेस पहनी जिसमे वो बहुत सेक्सी लग रही थी. आंटी के लो कट ब्लाउज से उनकी दौलत जबरदस्त झाँक रही थी और मेरे मुंह में बार बार पानी आ रहा था. एक बार जब मैं आंटी के साथ ही चल रही थी तो आंटी ने अचानक अपने कंडों को इस तरह आगे कि तरफ आपस में करीब किया कि लो कट ब्लाउज में उनके दोनों उभार आपस में और सट गए और पहले से अधिक बड़े नज़र आने लगे. मैंने सबकी नजर बचाकर अपने हाथ से उन्हें दबा दिया. मैं और आंटी हंसने लगी.
देर रात को शादी निपट गई और हम सभी सोने के लिए घर लौट आये .
मैं कमरे में कपडे बदलने के लिए दाखिल ही हुई थी कि पीछे आंटी आ गई. आंटी ने दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया. मैं भागकर उनकी बाहों में चली गई. मैंने भी लिप्सटिक लगाईं हुई थी और आंटी ने तो गहरी गुलाबी रंग के लिपस्टिक लगाईं हुई थी. अब आंटी ने मेरे होंठों से खुद के होंठ सटा दिए. लिपस्टिक का रंग और उसकी मिठास और गीलापन मुंह में घुलने लगा. हमने शीशे में देखा तो दोनों के होंठो के आसपास गुलाबी लिपस्टिक का रंग फ़ैल गया था.
मैं, सरोज और आंटी एक ही कमरे में लेटे. तीनो के बिस्तर जमीन पर थे. मैं सरोज और आंटी के बीच में लेट गई. अब सभी के मन में अरमान मचल रहे थे. कल हम सभी जुदा होनेवाले थे. सरोज ने मेरे हाथ अपने हाथ में लिए और अपने सीने की तरफ ले गई और खुद ही मुझे दबाव लाने के लिए जोर लगाने लगी. मैंने देखा कि आंटी को नींद आ गई थी. मैंने सरोज की तरफ मुंह घुमाया और हम दोनों शरू हो गए. हम दोनों ने जल्दी ही ब्रा-पेंटी को छोड़ सभी कपडे उतार दिए. काफी देर हम दोनों युहीं लिपटे रहे, चूमते रहे. सरोज थक गई जल्दी ही और सो गई., मैंने अब आंटी की तरफ खुद को घुमाया और उनके ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए. जब सबसे उपरवाला बटन मैंने खोल रही थी जो कि सबसे कसा हुआ था तो आंटी की आंख खुल गई. मुहे देखकर वो भी मेरी ओर मूड गई. आंटी ने मेरे भी कपडे खोल दिए. मैंने आंटी की साडी उतर दी. अब मैं और आंटी केवल ब्रा-पेंटी में ही रह गई. मुझे आंटी ने कसकर जकड लिया.
आंटी के गरम गरम बूब्स ( सीने ) मुझे दबा कर पागल किये जा रहे थे. कुछ देर कसमसाहट के दौर के बाद मैंने जब आंटी के होठों को चूमा तो आंटी ने मुझे अपने सीने को चूमने के लिए कहा. आंटी ने खुद ही अपनी ब्रा उतार दी. नाईट लेम्प की रौशनी में मैंने आंटी के सीने को देखा. एक एक बूब मुझे किसी रस से भरे गुब्बारे जैसा लगा. मैं आंटी के दोनों बूब्स ( स्तन या वक्ष ) को चूमने लगी. मैं कुछ ही देर में पागल हो गई. आंटी ने मेरे मुंह को अपनी सीने की गहराई में दबा दिया. इसके बाद आंटी ने मेरे सीने को चूम चूमकर गीला तो किया ही मैंने ध्यान से देखा वो गुलाबी लाल हो गए थे. आंटी ने मुझे अपने ऊपर लेटने को कहा. मैं आंटी के ऊपर लेट गई. उनके पहाड़ जैसे बूब या स्तन मुझे बार बार पागल कर रहे थे. आंटी ने अब धीरे से मेरी पेंटी उतार दी और खुद की पेंटी भी उतार दी. मैं पहली बार थोड़ा घबराई. अब मेरा निचला हिस्सा एंटी के निचले हिस्से से छू गया. मुझे हलकी मीठी चुभन महसूस हुई. मैंने अपना हाथ आंटी के निचले हिस्से से छुआ दिया. आंटी के उस हिस्से पर बाल थे जो मुझे बहद अच्छे लगे. आंटी ने मुझे निचले हिस्से पर मेरे निचले हिस्से से दबाने और रगड़ने को कहा. मैंने वैसा ही किया. मेरा निचला हिस्सा जहाँ एकदम चिकना था आंटी के बाल थे. मुझे बहुत मजा आने लगा.
आंटी मुझे बार्बर दबाव बढ़ाने के लिए कहती और मैं दुगुने जोश से दबाव बढ़ा देती. कुछ देर बाद अचानक मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मेरे भीतर एक गीलापन हो रहा है और कुछ कुछ बाहर आने को है. मैंने अपनी टांगों को आपस में मिलाकर दबाया. आंटी ने मुझे अपने सीने पर जोर से दबाकर पकड़ लिया और मेरे होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया. मुझे आज पहली बार इतना अनुभव हुआ था जिसमे सारा जिस्म रस में जैसे नहा लिया हो.
सुबह होते ही सबसे पहले आंटी रवाना हो गई. आंटी ने ईशारा किया और मुझे एक कमरे में बुलाकर मेरे होंठों पर एक बहुत ही मीठा चुम्बन जड़ दिया और अपनी निशानी दे दी.
दोपहर को हम लोग रवाना होने वाले थे. मैंने सरोज को भी निशानी के लिए उसके होंठों को जोर से चूमा ही नहीं बल्कि चूस ही लिया.
वापस घर लौटने के बाद कई दिन मुझे आंटी और सरोज याद आती रही.
यहाँ आने के बाद फिर से रश्मि और सायरा की कंपनी मुझे मिल गई थी मगर सरोज और आंटी के साथ लेटने और मजा करने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा कि हर बार कोई नया हो तो कितना अच्छा लगेगा.
बस इसी बीमारी ने अब मुझे एक बहुत अलग और गलत रास्ते पर चलने को मजबूर कर दिया था.
|