RE: Hindi Porn Stories थोड़ा कस कर दबाओ ना लल्ला
भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर कहा- यह तो ऐसे रहेगा ही.. चूत की खुश्बू जो मिल गई है.. पर देखो रात के तीन बज गए है.. अगर सुबह टाइम से नहीं उठे.. तो पड़ोसियों को शक हो जाएगा.. अभी तो सारा दिन सामने है और आगे के इतने दिन हमारे हैं जी भर कर मस्ती लेना। मेरा कहा मानोगे तो रोज नया स्वाद चखोगे..
भाभी का कहना मान कर मैंने भी जिद छोड़ दी और भाभी करवट लेकर लेट गईं और मुझे अपने से सटा लिया।
मैंने भी उनकी गाण्ड की दरार में लंड फँसा कर चूचियों को दोनों हाथों में पकड़ लिया और भाभी के कंधे को चूमता हुआ लेट गया।
नींद कब आई इसका पता ही नहीं चला।
सुबह जब अलार्म बजा तो मैंने समय देखा.. सुबह के सात बज रहे थे… भाभी ने मुस्कुरा कर देखा और एक गरमा-गरम चुंबन मेरे होंठों पर जड़ दिया।
मैंने भी भाभी को जकड़ कर उनके चुंबन का जोरदार का जवाब दिया।
फिर भाभी उठ कर अपने रोज के काम-काज में लग गईं।
वो बहुत खुश थीं और उनके गुनगुनाने की आवाज़ मेरे कानों में शहद घोल रही थी।
तभी घंटी बजी और हमारी नौकरानी आशा आ गई।
उस दिन मैं कॉलेज नहीं गया।
नाश्ता करने के बाद मैं पढ़ने बैठ गया।
जब आशा कमरे में झाड़ू लगाने आई.. तब भी मैं टेबल पर बैठ कर पढ़ाई करता रहा।
अब पढ़ाई क्या खाक होती.. बस रात का ड्रामा ही आँखों के सामने चलता रहा।
सामने खुली किताब में भी भाभी का संगमरमरी बदन और उनकी प्यारी सी रसीली चूत नज़र आ रही थी।
‘बाबू ज़रा पैर हटा लो.. झाड़ू लगानी है..’
मैं चौंक कर हकीकत की दुनिया में वापस आया.. देखा आशा कमर पर हाथ रखे मेरे पास खड़ी है.. मैं खड़ा हो गया और वो झाड़ू लगाने लगी।
मैं उसे देखने लगा.. गेंहुआ रंग.. भरा-भरा बदन… तीखे नाक-नक्शे.. बड़े ही साफ-सुथरे ढंग से सज-संवर कर आई थी।
आज से पहले मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया था।
वो आती और अपना काम करके वापस चली जाती थी.. पर आज की बात ही कुछ और ही थी।
भाभी से चुदाई की ट्रेनिंग लेकर एक ही रात में मेरा नज़रिया बदल गया था।
अब मैं हर औरत को चुदाई के नज़रिए से देखना चाहता था।
आशा लाल हरी रंग की साड़ी पहने हुए थी.. जिसका पल्लू छाती पर से लाकर कमर में दबा लिया था।
छोटा सा पर गहरे रंग का चोलीनुमा ढीला ब्लाउज… जिसमें से उसकी चूचियों साफ दिखाई दे रही थीं।
मेरा लंड फनफ़ना गया… रात वाली भाभी की चूचियों मेरे दिमाग में कौंध गईं।
तभी आशा की नज़र मुझ पर पड़ी… मुझे एकटक घूरता पकड़ उसने एक दबी से मुस्कान दी और अपना आँचल संभाल कर अपने पपीतों को छुपा लिया।
अब वो मेरी तरफ पीठ करके टेबल के नीचे झाड़ू लगा रही थी।
उसके उठे हुए चूतड़ तो और भी मस्त थे, मस्त फैले-फैले और गद्देदार…अहह..
मैं मन ही मन सोचने लगा कि इसकी गाण्ड में लंड फंसा कर चूचियों को मसलते हुए चोदने में कितना मज़ा आएगा…
बस बेख्याली में मेरा हाथ मेरे तन्नाए हुए लंड पर पहुँच गया और मैं पायजामा के ऊपर से ही सुपारे को मसलने लगा।
तभी आशा अपना काम पूरा करके पलटी और मेरी हरकत देख कर मुँह पर हाथ रख कर हँसती हुई बाहर चली गई।
मैं झेंप कर कुर्सी पर बैठ कर पढ़ाई करने की कोशिश करने लगा।
जब आशा काम कर के चली गई तब भाभी ने मुझे खाने के लिए आवाज़ दी।
मैं डाइनिंग टेबल पर आ गया.. भाभी ने खाना देते हुए पूछा- क्यों लाला.. आशा के साथ कोई हरकत तो नहीं की?
मैंने अचकचा कर पूछा- नहीं तो.. कुछ कह रही थी क्या?
‘नहीं कुछ खास नहीं.. बस कह रही थी कि आपका देवर अब जवान हो गया है.. ज़रा ठीक से ख्याल रखना…’
मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप खाना खाकर अपनी स्टडी टेबल पर आकर पढ़ने बैठ गया।
भाभी रसोई का काम निबटा कर कमरे में आईं और मेरे पास पलंग पर बैठ गईं।
उन्होंने मेरे हाथ से किताब ले ली और बोलीं- ज्यादा पढ़ाई मत किया करो.. सेहत पर असर पड़ेगा..
और आँख मार दी…
मैंने उन्हें अपनी गोद में खींच लिया और उनके होंठों को कस कर चूम लिया।
भाभी ने भी अपना मुँह खोल कर मेरे ऊपरी होंठ को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं।
मैं भी भाभी के रसीले निचले होंठ को बड़ी देर तक चूसता रहा।
मैं बोला- तुम कितनी अच्छी भाभी हो.. मुझे अपनी चूत दी.. मुझे चोदना सिखाया.. सच बताओ.. क्या भैया तुम्हें ऐसे ही चोदते हैं?
‘चोदते तो पूरे जोश से हैं पर वो तुम्हारे जितने ताक़तवर नहीं हैं, उनका लंड भी तुम्हारे लंड से छोटा है और तुम्हारे लौड़े जैसा मोटा नहीं है.. बहुत जल्दी पानी छोड़ देते हैं और तुरंत सो जाते हैं मगर मैं प्यासी रह जाती हूँ और रात भर जलती हुई बुर में ऊँगली डाले जागती रहती हूँ।’
भाभी ने मुझे कस कर जकड़ लिया और मेरा मुँह अपने सीने से चिपका लिया।
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