Hindi Samlaingikh Stories समलिंगी कहानियाँ
07-26-2017, 11:58 AM,
#24
RE: Hindi Lesbian Stories समलिंगी कहानियाँ
मस्त कर गया पार्ट --01

दोस्तों ये कहानी काल्पनिक है भाइयों, आपको पढने के पहले ही वॉर्न कर दूँ कि मेरी इस कहानी में भी बहुत सी ऐसी चीज़ें हैं जो शायद आप में से कुछ को अच्छी ना लगें! ये केवल एंटरटेनमैंट के लिये लिखी गयी हैं! इस में गाँड की भरपूर चटायी के बारे में, पिशाब से खेलने और उसको पीने के बारे में, इन्सेस्ट, गालियाँ, गेज़ और लडकियों के प्रति गन्दी गन्दी इन्सल्ट्स, फ़ोर्स्ड सैक्स, किन्की सैक्स वगैरह जैसी बातें हैं!इसकी रेटिंग कुछ पार्ट्स में एक्स।एक्स.एक्स. होनी चाहिये! इसमें चुदायी की ओवरडोज़ है! कभी कभी लगेगा, कि सिर्फ़ चुदायी ही जीवन है! जिस किसी को ये बातें अच्छी ना लगें वो कॄप्या आगे ना पढें!ये बात उन दिनों कि जब मैं सिर्फ़ 20 साल का हुआ करता था और होटल डिप्लोमा करके देहली में एक कम्प्यूटर कोर्स करने गया था! तब मोबाइल और ई-मेल्स नहीं थे, कम्प्यूटर भी नया नया आया था इसलिये गेज़ को ढूँढने के लिये सिर्फ़ इन्स्टिंक्ट, चाँस, लक और एक्सपीरिएंस ही इस्तेमाल होता था! अब तो मैं आराम से इंटरनेट के ग्रुप्स और चैट्स पर लडकों से मिलता हूँ मगर तब बात अलग थी! अभी मैं कुछ दिन से, इन्फ़ैक्ट डेढ साल से ज़ायैद नाम के एक लडके से चैट करता हूँ! उसने मुझे अपने फ़ेस के अलावा अपने जिस्म की बहुत पिक्स दिखाई हैं और खूब दिल खोल के चैट किया है! वो मुझे लम्बी लम्बी मेल्स लिखता है! लडका अभी शायद 18-19 का ही है, मुझे भी पता है कि वो मिलेगा नहीं! नेट पर अक्सर लोग मिलते हैं और बिछड जाते हैं... इंटरनेट कुम्भ के मेले की तरह है, जिसमें खो जाना आसान है!

इन्फ़ैक्ट, मैं जितने लोगों से नेट पर चैट करता हूँ उसमें से मिलते कम और बिछडते ज़्यादा हैं, मगर फ़िर भी आदत सी बन गयी है! जब तक ज़ायैद जैसे लडके, चाहे कुछ देर को ही सही, दिल बहलाते रहेंगे, मैं बहलता रहूँगा! मेरे ऑफ़िस में भी इसका चलन है! सभी साइड में एक विन्डो खोल कर चैट करते रहते हैं! वैसे आजकल मेरे ऑफ़िस में एक नया एग्ज़िक्यूटिव आया हुआ है! देखिये, उसके साथ कुछ हो पाता है या वो भी कुम्भ में खो जायेगा! इन्फ़ैक्ट अभी ये लिखते लिखते भी ज़ायैद से चैट कर रहा हूँ और वो चिकना सा सैक्सी एग्ज़िक्यूटिव भी मेरे आसपास ही अपना काम कर रहा है! अभी कुछ देर पहले, वो अपनी ड्रॉअर में कुछ ढूँढने के लिये बहुत देर तक झुका हुआ था! उसकी मज़बूत गाँड फ़ैल के मेरी नज़रों के सामने थी! उसकी थाईज़, पैंट के अंदर से टाइट होकर दिख रही थी!!! काश मैं उनको सहला पाता, उनको छू पाता या उनको किस कर पाता!

मेरी इस कहानी में भी बहुत सी ऐसी चीज़ें हैं जो कुछ लोगों को बुरी लग सकती हैं! इसलिये मैं पहले ही बता दूँ कि ये कहानी भी मेरी और कहानियों की तरह केवल एंटरटेन्मैंट के लिये लिखी गयी है! इस में पता नहीं कितना सच है और कितना झूठ! बहुत सी ऐसी चीज़ों का विवरण है, जो मैने ना कभी की हैं और शायद ना कभी करूँगा... बस फ़ैंटेसीज़ हैं, या लोगों से सुना है, देखा है... इसलिये उनके बारे में लिखा है!
वैसे ऐसा कुछ भी नहीं है जो चुदायी शास्त्र में नहीं होता है! हम मे से बहुत लोग शायद मेरी कहानी के कैरेक्टर्स की तरह बहुत सी चीज़ें कर भी चुके होंगे! इसलिये भाइयों, इस कहानी को थोडा नमक मिर्च के साथ पढियेगा तो मज़ा आयेगा!

ये सब टाइप करने के कारण 'मेरा' वैसे भी कुछ खडा है और मैं चुपचाप अपनी ज़िप पर हाथ रख कर हल्के हल्के अपना लँड भी सहला लेता हूँ! कुछ देर पहले वो मेरी तरफ़ मुडा था और मुझे देख कर मुस्कुराया था! उसकी स्माइल बहुत ही सुंदर है! लगता है सारी की सारी गदरायी नमकीन जवानी जैसे पिघल कर होंठों पर आ गयी हो! उसकी उम्र 21 से ज़्यादा नहीं हुई होगी! वो हमारे यहाँ अपनी पहली जॉब ही कर रहा है और अभी दो महीने ही हुए हैं! पहले दिन ही उसकी जवानी मेरी नज़र में बस गई थी! मगर ये कहानी यहाँ शुरु नहीं होती है!

चलिये, आपको करीब 15 साल पहले ले चलता हूँ जब ये कहानी शुरु हो रही थी! मेरे कम्प्यूटर कोर्स के दिन थे! मैं जिस ढाबे पर खाना खाता था, वहाँ एक चिकना सा बिहारी लडका, असद, रोटियाँ बनाता था! उस ढाबे पर जाने का कारण ही था कि मैं उसकी जवानी आराम से निहार सकूँ! मैं ऐसी टेबल पर बैठता, जिससे मुझे वो तंदूर पर झुकता हुआ साफ़ दिखे और मैं उसकी निक्‍कर में लिपटी गदरायी गाँड और नँगी सुडौल माँसल जाँघों को देख सकूँ!

वो उम्र में मुझसे कुछ साल छोटा था मगर उसकी जवानी बडी उमँग से भरी थी! साले की पतली कमर चिकनी और गोरी थी, उसके बाज़ू कटावदार थे, रँग गोरा था, चूतड गोल और रसीले थे और आगे ज़िप के अंदर लौडा जैसे उफ़नता रहता था! वो चिकना और देसी था, मासूम सा मर्द, मुस्कुरा के रोटियाँ देता, मगर ढाबे की भीड में मैं बस उसको देख कर उसके नाम की मुठ ही मार सकता था! कभी रोटियाँ पैक करवाने के बहाने उसके पास कुछ देर खडा होकर उसको पास से देखता और वैसे ही मैने उससे काफ़ी दोस्ती कर ली!

उसका ढाबा मेरे रूम से एक घर आगे था, वो ग्राउँड पर था और मेरा रूम फ़र्स्ट फ़्लोर पर! अक्सर वो बालकॉनी से भी दिखता था! रात में वो वहीं ढाबे पर सोता! उसके साथ पाँच और लडके रहते थे! एक दिन ठँड में बारिश हो गयी तो एरीआ सूनसान हो गया! उस दिन 7 बजे ही आधी रात का सन्‍नाटा था! मैं जब उसके ढाबे पर गया तो वो और लडकों के साथ छुपा हुआ कम्बल ओढ कर टी.वी. देख रहा था! मैने भी दो पेग लगा रखे थे! वो हाथ मलता हुआ आया और तंदूर खोल कर रोटियाँ डालने लगा! दूसरे लडके ने मेरा खाना लगाया! उस दिन जब तीन रोटियाँ हो गयी तो मैने असद को अपने पास बिठा लिया! ठँड के मारे असद का सुंदर सा चेहरा गुलाबी हो गया था, उसके होंठ मुझसे बातें करने में थिरक रहे थे, वो एक पुरानी सी जैकेट पहने था!
'आज टी.वी. का प्रोग्राम है?' मैने पूछा!
'नहीं, ये साले आज कहीं से अध्‍धा ले आये थे...'
'तुम भी पीते हो क्या?'
'नहीं, मगर आज इन्होने पिला दी...'

मैं खुश हो गया! वो मुझे अचानक और ज़्यादा सैक्सी लगने लगा!
'तो क्या अब फ़िर प्रोग्राम चलेगा?'
'कहाँ... सब खत्म हो गयी... एक एक ही पेग बन पाया...'
'तो आज मेरे रूम पर आ जाओ, मेरे पास और भी है...'
'सच?'
'हाँ'
'मगर मैं कैसे आपके रूम पर आ सकता हूँ?'
'क्यों? इसमें क्या है, मैं चलता हूँ... तुम आ जाओ... इनको मत बताना, क्योंकि सबके लिये नहीं होगी...'

मैने उसको अकेले बुलाने का बहाना किया जो कामयाब रहा!
'नहीं नहीं... सबको थोडी पिलाऊँगा भैया...'
'तो आ जाओ'
'कुछ जुगाड करता हूँ...'
उसके साथ अकेले बैठ के दारू पीने की सोच के ही मेरा लौडा ठनक के खडा हो गया! उस दिन उसके चेहरे पर कसक, कामुकता और कसमसाहट थी! शायद मौसम ही इतना सैक्सी था, जिस वजह से उसकी जवानी हिचकोले खा रही थी! उसकी आँखों में एक पेग का नशा और एक कसक भरी प्यास थी जो शायद वैसे मौसम और माहौल में कोई भी गे या स्ट्रेट लडका महसूस कर सकता था और वैसे माहौल में चूत का बडा से बडा रसिया इतना कामातुर हो चुका होता कि वो गाँड मारने से भी परहेज़ नहीं करता!

मैं वहाँ पेमेंट करके उससे आँखों ही आँखों में इशारा करके बडी कामुकता से अपने रूम पहुँचा और वहाँ पहुँच के सिर्फ़ अपने बेक़ाबू लँड को ही सहलाता रहा! मेरे अंदर बेसब्री थी, पता नहीं साला कुछ करने देगा कि नहीं मगर फ़िर भी ये तो था कि मैं कम से कम उसकी जवानी को अकेले सामने बिठा के निहार तो सकता था! मैने जब चुपचाप खिडकी से नीचे झाँका तो वो नहीं दिखा मगर तभी मेरे दरवाज़े पर नॉक हुआ! मैने धडकते हुये दिल से दरवाज़ा खोला! वो अपनी उसी जैकेट और नीचे ट्रैक के ब्लूइश ग्रे लोअर में खडा था! ठँड के मारे उसकी हालत खराब थी!
'भैयाजी, बडी ठँड है... बहनचोद गाँड फ़ट गयी...'
'हाँ, ठँड तो बहुत है...'
मैने अपने लँड को छुपाने के लिये अपने लोअर के नीचे अँडरवीअर पहन ली थी!
'आओ, वोडका से गर्मी आ जायेगी...'
मैं बेड पर टेक लगा के आधा लेट के बैठ गया और वो बगल पर पडी कुर्सी पर बैठ गया, जहाँ मैने जानबूझ के कुछ अश्लील किताबें रख दी थी! मैने जल्दी जल्दी दो पेग बनाये और एक उसको दे दिया! साले ने गटागट अपना ग्लास खाली कर दिया!

'क्यों गर्मी आयी?' मैने पूछा!
'अभी कहाँ भैया, अभी तो ठँडी ही उतरी है...'
'एक और ले लूँ क्या?' मैने उसको एक और पेग दिया!
वो जब कुर्सी पर बैठा था तो उसकी सुडौल जाँघें फ़ैल गयी थीं और उसके लोअर से बाहर आयी जा रहीं थीं! उसके लँड के पास सलवटें पड गयी थीं और उसके टट्‍टे भी साफ़ पता चलने लगे थे! मेरी नज़र रह रह कर वहीं टिक रही थी! नशे में उसकी आँखें मस्त लगने लगीं थीं!. उसने मुझे अपना जिस्म निहारते हुए देखा! एक बार उसका हाथ नर्वसनेस में अपने आँडूओं पर गया और एक बार इंस्टिंक्टिली अपने लँड पर, मगर उसने कुछ देर में वहाँ से हाथ हटा लिया!

'आओ बेड पर बैठो ना आराम से...' मैने उसको इंवाइट किया!
'ठँड बहुत है भैया, कुछ ओढने का नहीं है...'
'आओ ना, रज़ाई ओढ कर साथ में बैठ जाओ...'
अब वो नशे में था! वो मेरे बगल में आ गया और मैने पैरों पर रज़ाई डाल ली! उसमें से पसीने की खुश्बू आ रही थी, तीखा मर्दाना देसी पसीना!
मैने बातों बातों में उसकी जाँघ पर हाथ रख कर हल्का सा सहलाया और फ़िर हाथ हटा लिया! उसकी जाँघ गर्म और मुलायम थी! कुछ देर में हमें एक दूसरे के बदन की गर्मी मिलने लगी तो रज़ाई कम्फ़र्टेबल हो गयी!
'ये किताबें कैसी हैं?'
'वहीं... लँड चूत वाली...' मैने डायरेक्टली कहा तो वो हल्का सा शरमाया! मगर लौंडा हरामी था!
'हाय... इस मौसम मे दारू के बाद गर्म गर्म चूत मिल जाती तो मज़ा आ जाता... खैर फ़ोटो ही दिखा दो भैया...' मैने एक पोर्न बुक उठा के उसका एक एक पेज उसको गोद में रख कर दिखाने लगा!
'अरे मेरी जान.. क्या आइटम है... साली की बुर देखो...' उसने एक नँगी लडकी की चूत देख के कहा! जब तक मैं दूसरी किताब पर पहुँचा वो कामातुर हो चुका था! मैं जब किताब उठाने के लिये उसके ऊपर से टेबल की तरफ़ झुका और उसकी जाँघ पर हाथ रख कर मज़ा लेने के लिये जैसे ही हाथ रखा तो वो हल्का सा ऊपर की तरफ़ हुआ और मेरा हाथ सीधा उसके लँड पर पडा जो उस समय तक पत्‍थर सा सख्त हो चुका था!

'अरे ये कहाँ थाम रहे हो?' उसने हरामीपने से कहा मगर मैने तब तक हाथ हटा लिया!
'अबे नशे में हाथ सरक गया...' मैने कहा!
'और साला सरक के सही निशाने पर पहुँच गया...'
'साला खडा है क्या?'
'और क्या, अब भी खडा नहीं होगा... तीर की तरह तना हुआ है... माल फ़ेंकने को तैयार...' उसकी बातें गर्म थी! मैने दूसरी किताब भी उसको दिखायी, इस वाली में चुदायी थी!
'बहनचोद, क्या चुदवा रही है साली...'
'इसका लौडा देखो, कितना मोटा है...'

फ़िर वो जब मूतने के लिये गया और वापस आया तो मेरी नज़र उसके खडे लँड पर पडी जो उसकी लोअर को तम्बू की तरह उठाये हुए था! मैं उसको देखता रहा, वो जब फ़िर मेरे बगल में बैठा तो मैं रज़ाई सही करने के बहाने एक बार फ़िर उसके लँड को सहला दिया और इस बार हल्का सा मसल दिया! मेरे ऐसा करने पर इस बार उसके चेहरे पर एक हरामी सी मुस्कुराहट आ गयी और आँखों में चमक!
'क्यों लँड खडा है क्या?'
'और क्या भैया, इतना भरपूर आइटम दिखाओगे तो साला ठनक ही जायेगा ना...'
वो मेरे बगल में था और जब हम एक दूसरे की तरफ़ मुह करके बातें करते तो उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे से टकराती!
'कोई लडकी वगैरह पटायी क्या?' मैने फ़िर पूछा!
'अरे ढाबे पर लडकी कहाँ मिलने वाली है... साले सब लडके होते हैं...'
'हाँ वो तो देखा है मैने...' मैने जवाब दिया!
'यहाँ तो लडकों के साथ ही रहना होता है... आप तो अकेले रहते हो, आप कोई लडकी नहीं लाये कभी?'
'मुझे तो मिलती ही नहीं यार...'

मैने अब रज़ाई के अंदर अपना हाथ आराम से उसकी चिकनी माँसल जाँघ पर रखा तो वो कुछ बोला नहीं!
'तो तुम अकेले सोते हो?'
'कहाँ भैया, आजकल तो एक रज़ाई में तीन लडके सोते हैं...'
मैने अब उसकी जाँघों को सहलाना शुरु किया!
'लडकों के साथ सोने में खतरा नहीं है?'
'कैसा खतरा... हमसे खतरनाक कौन हो सकता है?'
'अच्छा... कैसे?'
'बस लँड खडा हो जाता है कभी कभी... मगर किसी ने कुछ कोशिश की तो साले का छेद बंद कर दूँगा...'
'कैसे?'
'गाँड में लौडा डाल के... और कैसे...'
'मतलब लडको के साथ ही?'
'जब लडके ही मिलते हैं तो क्या करूँ?'
मैने अब अपना हाथ थोडा ऊपर खिसकाया!
'गाँड मार चुके हो क्या?'
'आप को क्या लगता है?'
'मुझे क्या लगेगा...'
'लौडे का साइज़ देख कर समझ नहीं आया?'
'लौडा कहाँ देखा?'
मेरा हाथ अब उसकी जाँघ को, लौडे के बहुत करीब और दोनो जाँघों के बीच के हिस्से की तरफ़ सहलाने लगा!
'ऊपर से दिखा तो होगा ना...'
'ऊपर से आइडिआ कहाँ लगता है?'
'तो क्या अंदर से आइडिआ लगाना चाहते हो?'
मैं अब गर्म हो रहा था और जल्द से जल्द उसकी बाहों में समा जाना चाहता था!
'अंदर से कैसे यार?'
'पजामे में हाथ डाल के और कैसे?'
'तुम बुरा मान जाओगे...'
'इसमें बुरा मानने की क्या बात है? आपको इतनी देर से सहलाने तो दे रहा हूँ...'
मैं थोडा झेंपा... लगता था लडका तैयार है!
'मगर लँड कहाँ सहलाया?'
'उसके पास तो पहुँच रहे हो...'
मैने अब और रास्ता नहीं देखा और अपनी हथेली उसके लँड पर रख दी तो उसका लँड उछला, साला गर्म और सख्त हो गया था! अच्छा मोटा और लम्बा लँड था!
'अआह भैया... सिउउहहआहह... ऐसे क्या मज़ा आयेगा... अंदर हाथ घुसाओ ना...'
'अबे तू तो बडा खिलाडी है...'
मेरे ये कहने पर वो हल्के से हँसा!
'हा हा हा... ये खेल तो अपने आप आ जाता है...'
मैने अब अपना हाथ उसकी लोअर की इलास्टिक पर फ़िराया!
'अंदर डाल के मसल दो ना...' जब उसने कहा तो मैने अपना हाथ उसकी लोअर के ऊपरी हिस्से से अंदर घुसा दिया! अंदर उसका लौडा उफ़ान पर था, मैने अपनी उँगलियों से उसकी नयी नयी झाँटें सहलायी, उनमें अपनी उँगलियों को नचाया तो उसने फ़िर सिसकारी भरी! फ़िर मैने उसके लँड को पकड लिया और उसके सुपाडे पर अपना अँगूठा फ़िराया तो पाया कि वो प्रीकम से भीगा हुआ था! मैने उसके प्रीकम को उसके लँड पर रगड दिया वो अब मेरे क़ाबू में आने लगा था! उसका लँड मेरे हाथ में नाच रहा था, तभी उसका हाथ मेरे लँड की तरफ़ आया!
'अपना भी दिखाइये ना...' कह कर उसने मेरे लँड पर अपना मुलायम और गर्म हाथ रखा तो मेरा लौडा भी मचल गया! मैने उसके कँधे पर सर रख के उसकी गर्दन को हल्के से अपने होंठों से छुआ! वो पसीने के कारण नमकीन सी थी और वहाँ उसके पसीने की खुश्बू भी बहुत तेज़ थी! मैने अब हाथ पूरा उसकी लोअर में घुसा दिया और वैसे ही उसकी पूरी जाँघें सहलाने लगा! बीच में मैं हाथ ऊपर तक लाकर उसके टट्‍टों को थाम के हल्के हल्के दबाता भी था और उसके लँड को पकड के दबा देता था!

वो भी अब मेरे ट्रैक के अंदर हाथ घुसा कर मेरे लँड को सहला रहा था, उसने जब मेरी अँडरवीअर के अंदर उँगलियाँ घुसायी तो मेरी सिसकारी निकल गयी! कुछ देर बाद हमने एक दूसरे को मुड के देखा और फ़िर एक दूसरे से लिपट के लेट गये और अपने लँड को आपस में भिडाने लगे! मैने उसकी एक जाँघ को अपनी जाँघों के बीच फ़ँसा के दबा लिया और उनसे ऐसे रगडने लगा कि मेरा घुटना उसके लँड तक जाने लगा! इस बीच मैने पहली बार उसकी कमर सहलाते हुये उसकी गाँड को सहलाना भी शुरु कर दिया तो वो भी मेरी गाँड सहलाने लगा!

'क्या करवायेगा?' मैने कामातुर होकर उससे पूछा!
'क्या करेंगें?' उसने पूछा!
'चूस लूँ क्या?'
'चूस लो...'

फ़िर हम धीरे धीरे नँगे हुए! उसने अपना लोअर उतार के मेरी ट्रैक और अँडरवीअर भी उतरवा दिये! मैं रज़ाई में नीचे सरका और फ़िर अपने होंठ उसकी झाँटों में लगा दिये तो मेरी नाक उसके पसीने की खुश्बू से मस्त हो गयी! उसने सिसकारी भरी 'सिउउहहह...' मैने अपना एक हाथ ऊपर करके उसका सीना सहलाया! उसके सीने पर कटावदार मसल्स थी, मैं एक एक करके अपने अँगूठे से उसकी चूचियाँ रगडी! वो और मस्त हो गया और दूसरे हाथ को उसकी जाँघों के बीच फ़ँसा के उसके टट्‍टे दबा के सहलाने लगा! और वैसे ही अपनी उँगलियों से उसकी गाँड के छेद के पास भी सहला देता! उसकी गाँड पर अभी बाल नहीं थे! गाँड चिकनी और गर्म थी! मैने उसके भीगे हुये सुपाडे पर अपने होंठ रखे तो उसकी साँस रुक गयी! मैने ज़बान निकाल के एक बार उसके सुपाडे पर फ़िरायी तो उसके प्रीकम का नमकीन टेस्ट महसूस हुआ! मैने अपने होंठों को हल्का सा खोल के उसके सुपाडे को उनसे भींचा, प्यार से पकड के दबाया तो उसकी सिसकारी से माहौल भर गया!
'हाय... इइइससस... उउउहहह... भैया...'
'क्यों, मज़ा आया?' मैने पूछा!
'बहु...त... मगर अभी तो आपने शुरु किया है...'
'हाँ बेटा, अब देखना... आगे आगे कितना मज़ा देता हूँ...'

उसने रज़ाई में हाथ घुसा के मेरा सर अपने दोनो हाथों से पकड लिया और मैने अपने मुह को खोल के उसके सुपाडे को चूसना शुरू कर दिया! मैने अब अपना एक हाथ उसकी गाँड पर आराम से रख के उसको दबा के रगडना शुरु कर दिया और उसके छेद तक अपनी उँगलियाँ प्यार से रगडने लगा! उसकी गाँड हल्के हल्के चुसवाने के मोशन में आने लगी! उसका लँड धीरे धीरे मेरे हलक तक घुसने और निकलने लगा और उसकी गाँड भिंच भिंच के आगे पीछे होने लगी!

अब रज़ाई के अंदर चुसायी की 'चप चप' गूँजने लगी और उसका लँड सधे हुये अँदाज़ में मेरा मुह चोदने लगा! कुछ देर में हमने रज़ाई हटा दी! अब वैसे ही गर्मी हो चुकी थी! उसका गोरा बदन नँगा होकर और ज़्यादा मस्त लग रहा था! मैं दूसरे हाथ से उसकी जाँघ और टट्‍टे सहला रहा था! उसने मेरा सर पकड रखा था! फ़िर उसके धक्‍के तेज़ होने लगे, वो मेरे दाँत हिला हिला के अपने लँड की मार से मेरे मुह को मस्त कर रहा था और साथ में सिसकारियाँ भरे जा रहा था!

फ़िर उसका लँड मेरे मुह में फ़ूलने लगा, और हिचक के दहाडने लगा! उसके धक्‍कों में अग्रेशन बढ गया! उसकी सिसकारी, मोनिंग में बदलने लगीं! वो सिसकरियाँ ले लेकर करहाने लगा!
'अआहहह... हा..ये... अआहहह...' तो मैं समझ गया कि अब किसी भी पल उसका माल झड जायेगा और फ़िर उसका सुपाडा उछला और उसने मेरे सर को अपने हाथ से भरपूर जकड के सिसकारी ली 'हाँ... अआहहह...' और फ़िर उसके लँड से बुलेट की तरह वीर्य की पहली धार सीधे मेरे हलक से टकरायी और उसके बाद सिसकारियों के साथ उसके लँड ने हिचकोले खाना शुरु किया और अपना गर्म गर्म वीर्य मेरे मुह में झाड दिया! जब वो थोडा शांत हुआ तो मैने वैसे ही लेटे लेटे उसका वीर्य हलक के अंदर निगल लिया और फ़िर जब उसके लँड पर ज़बान फ़ेरी तो उसके नमकीन और मर्दाने टेस्ट का अहसास हुआ! मैने उसके झडे हुये लँड को भी खूब चूसा!

उसके बाद वो उठा! अब वो थोडा डिस-इंट्रेस्टेड सा लगा और अपने कपडे पहनने लगा!
'यहीं सो जा ना...' मैने कहा तो वो कोल्डली बोला 'नहीं यार, लौंडे सोचेंगे कहाँ गया?'
'फ़िर आयेगा?'
'देखूँगा...'
'देखना क्या है... आ जाना ना... मज़ा नहीं आया क्या?'
'मज़ा तो ठीक है और भी सब देखना पढता है... चल दरवाज़ा बन्द कर ले, मैं चलता हूँ...'

वो चला तो गया मगर मुझे काफ़ी मस्त कर गया! उसके जाने के बाद मैने उसके नाम की मुठ मारी! अगले कुछ दिन वो मुझसे नज़रें बचा के कतराता रहा तो मैं समझ गया कि लौंडे को शायद शर्म और गिल्ट है इसलिये मैने भी ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया! इस टाइप के लौंडे मुझे पहले भी बहुत मिल चुके थे!
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RE: Hindi Lesbian Stories समलिंगी कहानियाँ - by sexstories - 07-26-2017, 11:58 AM

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