RE: मज़ेदार अदला-बदली
मज़ेदार अदला-बदली--5
गतांक से आगे..........................
मिंटू: चल बे आज के विजेता......अब तू भी निकल ले.......
और फिर उसके भी जाने की आवाज़ आती है..............
मिंटू: चल पिंकी तू भी बाहर आ जा, हम भी चलते हैं......
मैं फिर झांकती हूँ......मिंटू, ठीक जहाँ से मैं झांक रही थी, उसके नीचे खड़ा होकर बोरियों के ढेर के अन्दर झांक रहा था....
और वहीँ से पिंकी बाहर आती है.............
शायद इन बोरियों के नीचे गुफा जैसी बना रखी होगी इन्होने तभी पिंकी अन्दर से बाहर की ओर निकल रही है.
मैंने देखा पिंकी अपने अस्त व्यस्त से कपड़ो को ठीक करने लगी.
पिंकी: साला कुत्ता, मैंने तो उसके दोनों हाथ ही पकड़ रखे थे पुरे टाइम, वरना......खेल पचास का खेलेगा और तमन्ना.......साला भड़वा.
मिंटू ये सुन कर हंसने लगा.....
मिंटू: थोडा बहुत इधर उधर चलता है यार पिंकी, तभी तो ये १०० और २५० वाला गेम खेलेंगे.
पिंकी: अब तू कहता है तो ठीक है......
मिंटू: मज़ा आया की नहीं आज के गेम में.
पिंकी: मज़ा आता है तभी तो तेरे इस खेल में शामिल होती हूँ.
मिंटू: अरे तेरे कारण ही तो ये गेम चल रहा है.
पिंकी: चल यार अब चलते हैं.....बहुत देर हो गई है.....
मेरे समझ में कुछ कुछ आने लगा था.......कुछ गड़बड़ तो चल रही थी...........मुझे गुस्सा आने लगा था..... और तभी....
पिंकी की नज़र मुझपे पड़ती है............वो जोर से चीख कर मिंटू को पकड़ लेती है.............."दीदी".....
मिंटू को भी समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले, परन्तु वो मेरे नज़रों का सीधा सीधा सामना कर रहा था .......
तभी मैं एक गुस्से भरी तेज़ आवाज़ में चिल्लाती हूँ- "ये सब क्या हो रहा था"
मिंटू: रोमा दीदी, आप यहाँ कैसे..........
मैं: कैसे के बच्चे...ये पिंकी के साथ तू क्या खेल खिलवा रहा था......
वो चुप रहा है..............
मैं: और तू...........तुझे इतनी आज़ादी दी तो ये गुल खिला रही है.......
दोनों हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगने लगे......दीदी गलती हो गई.....इस बार माफ़ कर दो......
मैं: इस गलती के लिए माफ़ी............तुम रुको तुम्हारे अभी होश ठिकाने लगाती हूँ.................
और मैंने अपना मोबाइल निकाला और चाचा का नंबर फ़ोन लिस्ट में सर्च करने लगी..............
जैसे ही मिंटू ने देखा उसने तेज़ी से मेरा मोबाइल छीना और फिर से गिडगिडा कर माफ़ी मांगने लगा....
मैं बहुत गुस्से में थी.......मैंने अपना मोबाइल वापिस छीनने का प्रयास किया लेकिन उसने पीछे कर लिया...
बहुत कोशिशो के बाद भी वो हाथ नहीं आया.........
इस बीच पिंकी लगातार मुझसे माफ़ करने कि मिन्नतें कर रही थी.....
हार कर मैंने कहा.....चल मैं सीधे चाचा के घर जाकर वहीँ सब बातें बताती हूँ....
और मैं तेज़ी से हाल से बाहर जाने लगी.........
मिंटू ने तेज़ी से आकर मेरा हाथ पकड़ लिया....नहीं दीदी...तुम प्लीज़ ऐसा मत करो आगे से कोई शिकायत नहीं
होगी आपको....
परन्तु गुस्से में मेरी सोचने समझने को शक्ति काम नहीं कर रही थी....
नहीं तुमको तो सबक सिखाना ही पड़ेगा........
जब मैं उसके रोके से नहीं रुकी तो अचानक उसने पीछे से मुझे पकड़ लिया....
उसके दोनों हाथ मेरे पेट को कसे हुवे थे और चेहरा मेरे कंधो को छू रहा था...
मिंटू: नहीं दीदी आपको जाने नहीं दूंगा....आप हमें माफ़ करदो.....
मैं: साले हरामी, मेरी बहन को बहका के ऐसे गंदे काम करवा रहा था.....तुझे तो नहीं छोडूंगी मैं....
और ये सुन कर मिंटू का सब्र टूट गया.............
उसने मुझे कस के जकड लिया और खीच कर वापिस पीछे ले गया.....साली मुझे गाली दे रही है, जबसे माफ़ी मांग रहा हूँ समझ में नहीं आता क्या, अब मैं देखता हूँ तू कैसे जाती है.
मैं छटपटाने लगती हूँ, वो अपनी जकड और मज़बूत कर लेता है, और अचानक वो मेरे मम्मो पर से अपने हाथो की जकड मज़बूत कर लेता है......
मैं जोर से चिल्लाने लगती हूँ.............वो अपना एक हाथ मेरे मुंह पर रख देता है............
मिंटू: पिंकी, इसका मुंह कपडे से बंद करना होगा वरना हम गए......
पिंकी: नहीं मिंटू, वो हमारी रोमा दीदी है.....
मिंटू: पागल हो गई है क्या, ये तो हमें बर्बाद करने पर तुली है.....जा जल्दी से कुछ लेकर आ....
पिंकी फिर भी ऐसे ही कड़ी रही, मिंटू चिल्ला कर बोला, कुतिया तू भी मरेगी और मुझे भी मरवाएगी.....जा लेकर आ..
पिंकी इस बार पीछे कुछ बोरो में से ढून्ढ कर एक लम्बा कपडा लेकर आती है......
मिंटू: चल इसे फाड़ कर इसकी पट्टी बना......
इधर मैं उनके इरादे समझ गई थी.......इससे मेरा गुस्सा और बढने लगा......जितना मैं छटपटा रही थी उतना उसका एक हाथ की कसावट मेरे मम्मो पर मज़बूत होती जा रही थी ...
छटपटाने से मेरा पिछवाडा उसके लंड को बुरी तरह से मसल रहा था और अचानक वो खड़ा हो गया.....
मुझे वो अपनी गांड पर बुरी तरह से चुभने लगा....तभी मिंटू के कहने पर पिंकी ने उस पट्टी से अछे से मेरा मुंह बाँध दिया.....
हाँ ये जरूर चेक किया कि कहीं मुझे सांस लेने मैं दिक्कत न हो..............
अब उसने अपना दूसरा हाथ भी मेरे मम्मो पर रख दिया......
मैं फिर छूटने का प्रयास करने लगी उसने मुझे पीछे से पकड़ कर उठा लिया और सीधा उस बिस्तरनुमा जगह पर पीठ के बल पटक दिया.....
मैं उठने की कोशीश करती इसके पहले ही वो मेरे ऊपर चढ़ गया .....अपने दोनों हाथो से मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और दोनों पैरों से मेरे पैर दबा दिया........
अब उसका खड़ा लंड सीधे मेरी छूट पर था.........पुरे दबाव के साथ.......
मैं जितना हिलती छूटने के लिए उतना उसका लंड मेरी छूट को घीस रहा था....
पिंकी को यही दिख रहा था कि वो मुझे काबू में करने का प्रयास कर रहा है....
मैं थक गई थी तो थोडा सा ढीला पड़ गई........
वो अभी भी ऐसा ही लेटा था और शायद इस स्थिति का मज़ा उठाने लगा था....
क्रमशः........................
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