RE: Hindi Sex Stories By raj sharma
वो आज भी याद आती है --1
मेरा नाम राज शर्मा है. आप सब जानते ही हैं मैं सेक्सी कहानिया आप सब के लिए लेकर आता रहता हूँ . मगर दोस्तो
ये कहानी नही बल्कि मेरी ज़िंदगी की एक सच्ची घटना है, जो मैं शायद कभी ना भूल सकूँ. 11 साल का ये गोलडेन पीरियड मैं कोशिश करूँ गा कि कवर कर सकूँ. अगर किसी जगह आप को लगे कि मैं झूट बोल रहा हूँ या आप को लगे की ये एक काल्पनिक स्टोरी है, तो आप को इजाज़त है कि उसी जगह पढ़ना रोक दीजिए.
ऐक दिन फोन की बेल बजी, जब मैं ने फोन उठाया तो किसी ने
मेरी हेलो का जवाब नही दिया बल्कि दूसरी तरफ से एक सॉंग की आवाज़ मेरे कानों मैं आई "जब से हुई है तुझ से मोहब्बत, तेरे सिवा
कोई बात नही है". मैं समझ नही पाया की ये कॉन हो सकता है. या शायद किसी दोस्त ने मज़ाक़ किया हो. बात आनी जानी हो गयी. दोसरे दिन फिर यही कुछ हुआ. अब तो मैं ने सही मैं सोचना शुरू किया कि ये आख़िर कोन हो सकता है.
फिर ऐक दिन मैं अपने गाँव किसी काम से गया. वहाँ मेरे घर के सामने वाले घर से मेरे दोस्त प्रमोद की बहन राधा
मुझे ऐक अजीब सी प्यासी नज़रों से देखे जा रही
थी. मैं ने कुछ ध्यान नही दिया कि वो वैसे भी मुझ से काफ़ी बे तकल्लूफ थी, मगर घर के ओर लोगों के सामने नही. जब हम दोनो एक लम्हे को अकेले हुए तो उस ने मुस्करा मुस्करा कर अजीब सी नज़रों से मुझ को देखा ओर पूंच्छा की मैं ने सुना है कि तुम को कोई फोन पे लव सॉंग्स सुनाता है…? मुझे बहुत अजीब लगा के इस को किस ने बताया. उस के बार बार यही पून्चने पर मेरे दिल को धड़ाका सा लगा कि कहीं फोन पे लव सॉंग ये तो मुझे नही सुना रही…थी….
वैसे वो मुझसे 3 साल छोटी थी रंग गोरा फिगर मस्त था वो पास के शहर मे स्कूल मे पढ़ती थी नाम था राधा . मैं अपने बचपन की यादो मे खो गया . दोस्तो आप को ये सुन कर शायद हैरत हो, कि मैं बचपन मे राधा को घूर कर देखते हुए अक्सर मन मे ये सोचा करता था कि काश मेरी इस से दोस्ती हो जाए, ओर मे इस कमसिन जवानी रस चूस सकु . वैसे आप विश्ववश करे या ना करे लेकिन शहरो की अपेक्षा गाँव मे लड़के लड़किया 12-13 की उमर मे सेक्स के बारे मे जान जाते हैं . क्यूंकी गाँव का माहॉल थोडा खुला हुआ होता है . मज़ाक भी अक्सर द्वियार्थी भाषा मे ही चलते हैं . मैं जब गाँव मे रहता था तब मैं यही सोचता था कि अपने मुहल्ले की सभी कमसिन जवानियो का रस पी जाउ . मेरी राधा के बड़े भाई से दोस्ती थी इसलिए मैं अक्सर उसके घर जाता रहता था कि शायद उसकी नज़रे इनायत मुझ पर हो जाए मगर वो तो किसी से सीधे मुँह बात भी नही करती थी, इस लिए मैं ने कभी पहल नही की.
मगर क़िस्मत को शायद यही मंज़ूर था, और वही हुआ जो मैं चाहता था, कभी कभी ऐसा भी होता है. मैं उस समय 16 साल का था ओर गाँव मे ही रहता था ओर राधा यही कोई 12-13 साल की थी . मेरी मम्मी कुछ दीनो के लिए मामा के घर जा रही थी . पापा गुड़गाँवा मे नोकरि करते थे . इसलिए मम्मी जब जाने लगी तो उन्होने राधा की मम्मी को कहा कि राधा को कुछ दिन हमारे घर ही सोने देना . सभी बच्चो का मन लगा रहेगा
राधा की मा ने हाँ कर दी . ओर मेरी मम्मी मामा के यहाँ चली गई . घर मे मैं ओर मेरे छोटे भाई बहन ही थे . रात को राधा हमारे साथ सोने के लिए हमारे घर आ गई . तब तक सभी सो चुके थे . राधा ने कहा मे कहाँ सोऊ तो मैने कहा आज तो तुम मेरे साथ ही सो जाओ कल से तुम्हारे लिए अलग से एक बिस्तर लगा दूँगा . पहले तो राधा मेरे साथ सोने के नाम पर झिझकी पर फिर वो मेरे साथ लेट गई . हम कुछ देर आपस मे बात करते रहे . राधा हूँ हां मे जबाब देती देती सो गई . पर मुझे नींद नही आ रही थी मेरे लंड फूँकार मार रहा था . मैं कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा ओर जब मैने देखा कि राधा गहरी नींद मे सो गई है तो मैने डरते डरते अपना एक हाथ उसके सीने पर रख दिया . फिर मैने अपने हाथ को उसकी छोटी छोटी चूचियो पर घुमाने लगा . वो नींद मे थोड़ा कसमासाई तो मैने अपना हाथ रोक लिया राधा ने अंगड़ाई लेते हुए अपना एक पैर मेरे पैरो के उपर रख दिया . अब मेरी हिम्मत भी थोड़ी सी बढ़ गई थी
मैने अपना हाथ उसकी पीठ पर रख दिया ओर धीरे धीरे उसकी पीठ सहलाने लगा
मैने अपने होंठ उसके गाल पर रख दिए ओर धीरे धीरे उसके गालों को चूमने लगा
राधा अभी तक चुप चाप लेटी थी . मेरी हिमात बढ़ती जा रही थी . अब मैने अपना हाथ राधा की पीठ से हटाकर चूचियो पर रख दिया . वाह! क्या चूचिया थी उसकी. पूरे राउंड शेप मैं बूब्स के उपेर पिंक कलर के दो दाने थे. क्या खूबसूरत नज़ारा था मैने मेरी ज़िंदगी मैं पहली बार इतने अच्छे बूब्स देखे थे ऐसे बूब्स तो शायद ही किसी के होंगे. मैं तो पागल हो गया था मैं उसकी दोनो चुचियो को हाथ मे लेके दबाने लगा. क्या कसाव था उनमे. वाह! मैं तो बस उसे दबाते ही रह गया. ऐसे लग रहा था इन्हे छोड़ के कही ना जाउ. 15-20 मिनट. के बाद मैं एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा. और फिर धीरे से उसकी सलवार का नाडा खिछा ओर खोल दिया धीरे धीरे उसकी चूचियो को सहलाने लगा . दोस्तो उसकी चूचिया अभी एक छोटे नीबू के आकार की थी जो मेरी मुठ्ठी मे ठीक से भी नही आ पा रही थी . पर मुझे उसकी चूचियो पर हाथ फिराना बहुत अच्छा लग रहा था . अब मेरी हिम्मत ओर बढ़ गई थी मैने अपने पैर को राधा की जाँघो पर धीरे धीरे रगड़ना शुरू कर दिया .अब मेरे होंठ भी आवारा हो चले थे
मैने उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए ओर उन्हे बड़े प्यार से चूसने लगा . दोस्तो ये पहली बार था जब मैने किसी लड़की के होंठो को चूसा था . मेरा शरीर रोमांच से भर उठा . अचानक मुझे लगा कि शायद राधा जाग चुकी थी लेकिन वह चुप चाप लेटी हुई थी . मैं समझ गया कि उसे भी मेरा चूमना ओर सहलाना अच्छा लग रह रहा है
अगर उसे बुरा लगता तो अब तक वो मुझे झिड़क चुकी होती . अब मैने उसके बदन से खुल कर खेलना शुरू कर दिया . राधा धीरे धीरे मस्ती की तरफ बढ़ रही थी . मैने उसके एक हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया . कुछ देर तक तो उसके हाथ मे कोई मूवमेंट नही हुई तो मैने उसके हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर दबा दिया . राधा ने मेरे लंड को पकड़ लिया ओर उसे दबाने लगी . मैने राधा की एक चूची को मुँह मे ले लिया ओर उसे चूसने लगा . राधा मुझसे चिपत गई शायद उसे मेरा इस तरह से चूची को चूसना बहुत अच्छा लग रहा था . दोस्तो मैं उसकी शलवार का नाडा तो पहले खोल चुका था
अब मैं बेड पे उसके उपेर लेट गया और उसके बूब्स दबाने लगा. मैने उससे कहा मेरा लंड मुँह मे लेकर टेस्ट करोगी उसने ना कहा वो बोली "मुझे मुँह मे नही लेना" मैं बोला "ठीक है तुम्हारी मर्ज़ी" और फिर एक हाथ नीचे ले जाके उसकी चूत सहलाने लगा. उसकी चड्धि गीली हो गई थी. मैने हाथ फिर उसकी चड्धि मैं डाल दिया वो सिहर गयी. मेरा एक हाथ उसकी चूत को सहलाने लगा . मैं एक उंगली उसकी चूत के छेद पे फेरने लगा वो आअहह उउउफफफफफफ्फ़ आआआहह सस्स्स्स्सिईईईईईईईई आआआहह करती रही मैने फिर वही उंगली उसकी चूत मे घुसेड़ने लगा वो उछालने लगी मैं धीरे धीरे अपनी उंगली को उसकी चूत मे अंदर बाहर करने लगा अब मेरी पूरी उंगली उसकी चूत मे चली गयी उसकी चूत काफही टाइट थी. फिर मैने मेरी उंगली अंडर ही गोल गोल घुमाने लगा .वो सिर्फ़ आहह उउउफ़फ्फ़ ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ूऊओरसईए कर रही थी. थोड़ी देर बाद मैने अपना हाथ उसके चड्डी से निकाला और उठ के बैठ गया. और उसकी चड्धि निकालने लगा वो शर्मा रही थी. मैने उसकी चड्धि उसके पैरो से अलग करदी और उसकी चूत देखने लगा. तभी उसने अपने दोनो पैर एक के उपेर एक रख दिए और चूत छुपाने की कोशिश करने लगी मैने उसके दोनो पैर अलग करके उसे पकड़ लिया. और मुझे उसकी चूत दिखने लगी क्या चूत थी वो . एक दम कोरी चूत. चूत पूरी तरह से सील पेक थि.उस्के उपर हल्के हल्के रोँये थे मैने फिर अपनी एक उंगली उसकी चूत मे घुसा दी और उसके गुलाबी होंठो पर आपने होंठ रख कर किस करने लगा साथ ही साथ उंगली अंदर बाहर करने लगा. वो एक दम पागल हो गई और मेरा हाथ पकड़ के ज़ोर ज़ोर से उंगली अंदर बाहर करने लगी. थोड़ी देर मे उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा हाथ गीला कर दिया.राधा मुझसे चिपक गई ओर मुझे अपनी बाँहो मे भींच लिया . अब मेरे से नही रुका जा रहा था मने अपना अंडर-वेअर उतार दिया . मेरा लंड बेकाबू हो चुका था अब मैने अपनी पोज़ीशन ली ओर अपने लंड को उसकी चूत से रगड़ने लगा . मैने राधा के होंठो को अपने होंठो मे ले लिया ओर चूसने लगा राधा पूरी तरह उत्तेजित होचुकी थी मैने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर टिकाया ओर धीरे से एक धक्का दिया . मेरा लंड चूत मे नही घुसा ओर फिसल गया
मैने दुबारा लंड को छेद पर सेट किया ओर एक जोरदार धक्का मारा अबकी बार मेरे लंड का मुँह राधा की चूत मे घुस चुका था . राधा की चीख निकल जाती अगर मैं उसके मुँह
पर अपना हाथ ना रख देता . राधा बुरी तरह से मचल रही थी उसकी आँखो से आँसू निकल रहे थे वो मुझे अपने से दूर धकेल रही थी मैने काफ़ी कोशिश की कि मैं अपना लंड पूरी तरह से अंदर कर दूं . लेकिन वो बुरी तरह से दर्द की वजह से काँप रही थी
आँखो से आँसू निकल रहे थे . मुझसे उसका दर्द नही देखा गया ओर मैं उसके उपर से हट गया . मैं उसे प्यार से सहलाने लगा . राधा अब भी रो रही थी उसने रोते हुए कहा - राज ये तुमने क्या कर दिया . मेरी इस मे बुरी तरह से मिर्ची लगा दी . अब मैं तुमसे कभी बात नही करूँगी ओर तुम्हारी मम्मी को आने दो मैं उन्हे तुम्हारी इस हरकत के बारे मे सब बता दूँगी . मैं घबरा गया . मैने उसे प्यार से चूमा ओर कहा पागल ये काम तो सभी करते हैं . कोई बचपन मे करता है कोई जवानी मे करता है . अगर तुम नही चाहोगी तो मैं तुम्हारे साथ अब ऐसा कुछ नही करूँगा . मेरे काफ़ी समझाने पर वह शांत हुई . ओर फिर वो हमारे घर सोने के लिए नही आई . जैसा कि उसने कहा वो मेरी मम्मी के आने पर सारी बात उन्हे बताएगी ऐसा उसने कुछ नही किया
पर हां उस दिन के बाद उसने मुझसे कभी ज़्यादा बात नही की . दोस्तो कुछ दीनो के बाद मे गुड़गाँवा पढ़ने केलिए अपने पापा के पास आ गया था . मैं अपनी उन सुहानी यादो से निकल कर वर्तमान मे लौट आया . मैं अपनी बचपन की इस बात पर खुद ही हंस पड़ा . लेकिन अब मैं उसे पूरी तरह से अपना बनाना चाहता था . लेकिन मेरी हिम्मत उससे कुछ कहने की नही होती थी पर उस रात मैं अपने दोस्त प्रमोद के कहने पर उस के घर रात को सो गया. मैं, उस का भाई प्रमोद ओर राधा तीनो एक ही रूम मैं सो गये.
सारी रात मैं राधा के बारे मे सोचता रहा और ठीक से ना सो सका, और शायद वो भी ना सो सकी. सुबह वो जल्दी उठ गयी और मैं अभी सोया था, कि वो आई और ये परवाह किए बेगैर की उस का भाई भी साथ ही सो रहा है, उस ने मेरे गाल पर किस किया….. मैं ख्वाब मैं था, उस के होंठो की तपिश से मेरे सारे बदन मैं हलचल सी मच गयी. क्यों कि ज़िंदगी मैं पहली बार किसी लड़की ने मुझे किस किया था. वो ये समझ रही थी कि मुझे पता नही चला है क्योकि मैं तो सोया हुआ था.
जब मैं उठा तो वो मुझ से शर्मा रही थी, सुबह उस ने किस और अब उस के शरमाने से मुझे यक़ीन हो गया कि फोन पर सॉंग्स भी वही सुनाती थी दाल मैं ओर भी कुछ काला है पर मैं ने उस से ज़ियादा बात नही कि सिर्फ़ यही कहा कि तुम ने जो सुबह किया मुझे उस का पता चल गया है. और मैं उसी दिन गुड़गाँवा वापस आ गया.
फिर ऐक दिन उस ने फोन किया, मैं ने उठाया तो मैं ने पूछा कि
किस से बात करनी है, उस ने जवाब दिया के तुम से. ओर उस ने अपने
दिल की सारी बातें मुझे बता दी, कि कब से ओर कैसे वो मुझ से
प्यार करने लगी है. अब तो उस ने फोन करने का एक चैन
बना लिया, तक़रीबन हर रोज़ वो मुझे फोन किया करती थी.
एक बार उस ने फोन पर कहा के मैं तुम से ऐक बात शेअरे करना चाहती हूँ मगर मुझे शरम आती है. मैं ने कहा बोलो. उस ने कहा तुम खुद ही बता दो कि मैं किया कहना चाहती हूँ. मैं ने कहा मुझे किया पता, मैं तुम्हारे दिल का कया जानू. उस ने कहा कि तुम तो बिल्कुल बुद्धू हो…… फिर उस ने शरमाते हुए कहा कि मैं ये बात सिर्फ़ तुम से शे-आर कर रही हूँ और किसी को मैं ये सब नही बता सकती. मैं ने विश्ववश करने का शुक्रिया अदा किया और कहा कि अब बता भी दो क्या बात है?.......
उस ने शरमाते हुए कहा कि मेरी छाती का मामला है, जो काफ़ी
छोटी हैं ओर मैं इस का एलाज़ कराना चाहती हूँ ताकि ये थोड़े
बड़े हो जाएँ. किसी लड़की के मुँह से उस की छाती की बात सुन कर
मेरे तो होश ही उड़ गये. मेरे सारे जिस्म मैं गुदगुदी सी होने
लगी. फिर उस के कहने पर मैं ने उस के लिए मेडिसिन लिए. मैं
सोच भी नही सकता था कि इतनी रिज़र्व रहने वाली लड़की मुझ से
इतनी ज़ियादा क्लोज़ हो जाए गी, कि अपने इतने सेकरीट मसले मुझ से
डिसकस करे गी. मैं ने ऐक दिन मज़ाक़ मैं उससे कहा कि तुम्हारा ये मामला दवाओ से हल नही हो गा बल्कि इस के लिए मालिश की ज़रोरत है. उस ने कहा अच्छा ऐसी कोई चीज़ है जिस की मालिश (मसाज) से मेरा ये प्राब्लम ठीक हो जाए ? मैं ने कहा हां अगर मैं अपने हाथों से मास्लिश करूँ या अपने मूँह (माउत) से तो कुछ ही दीनो मैं ये मामला ठीक हो जाए गा. वो बोहुत शरमाई और उसने हंसते हुए कहा कि तुम बोहुत खराब हो जो ऐसी बातें करते हो.
अब तो वो मुझ से अपने मोन्थलि पीरियड्स का जीकर भी करती थे. मुझे तक़रीबन फीमेल्स की सारी सेकरीट उसी से ही पता चली. धीरे धीरे हम दोनो इतने क्लोज़ हो गये कि हम हर तरह की बात एक दूसरे से शेअरए करते, हमारे बीच बातों का कोई परदा बाक़ी ना रहा. मैने उसे मेल्स के बारे मैं सब कुछ बताया ओर उस ने मुझे फीमेल्स के बारे मैं.
हम घंटों तक एक दूसरे से फोन पे बातें करते थे. जैसा की मैं ने पहले बताया कि वो स्कूल मे पढ़ती थी, क्योकि उसका स्कूल शहर मे था इस लिए वो मुझे
बहुत फ़ोन करने लगी, ओर जब मैं मना करता तो वो रोने
लग जाती कि मेरा सब कुछ तो अब तुम्हारा है, ओर अगर तुम ने मुझे
मना किया तो मेरा दिल टूट जाए गा. फिर ये तय हुआ कि एक दफ़ा
फोन मैं करूँगा ओर दोसरि दफ़ा वो करेगी.
ज़िंदगी यूँ ही चलती रही, ओर हम क़रीब से क़रीब आते गये.
मगर उस के उस पहले किस के अलावा ना कबी उस ने मुझे फिज़िकली टच किया, ओर ना ही मैं ने उस को कभी हाथ लगाया.( दोस्तो बचपन की बातो को छोड़ कर क्योंकि वो सिर्फ़ बचपना था )
काफ़ी टाइम बाद मेरे छोटे भाई की शादी मैं जब लेट नाइट मैं घर आया तो में गेट लॉक था, इस लिए मुझे गेट पर चढ़ना
पड़ा. हमारे घर मैं बिल्कुल अंधेरा था, जैसे ही मैं गेट से
कूदा राधा एक रूम से दोसरे रूम मैं जा रही थे, मैं उसे देखकर खुश हो गया मैं ने
उस को हल्की सी आवाज़ दी ओर वो घर के एक कॉर्नर मैं आ गयी.
विश्वाश कीजिए ये सब प्री-प्लन्नेड़ बिल्कुल भी नही था, सब कुछ खुद बखुद ही हो गया. सर्दियों की सर्द रात, सब लोग तक़रीबन सो गयेथे.
हम एक कॉर्नर मैं बैठ गये, ये हमारी पहली वन टू वन
मुलाकात थी. हम ने कुछ देर सरगोशियों मैं बातें की, उस
दोरान उस ने पहली मेरे मेरे कंधे (शोल्डर) पर सर रख
दिया. मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था.
फिर मैं ने उस से कहा कि कोई आ ना जाए इस लिए हम दोनो उस जगह
से उठे ओर साथ ही घर का एक स्टोर रूम था उस मे चले गये. स्टोर रूम मैं बिल्कुल अंधेरा था, लाइट तो थी मगर मैं ने इस डर से ऑन नही कि किसी को शक ना हो.
हम कुछ देर तो चुप ही खड़े रहे, फिर आहिस्ता आहिस्ता मैं उस
के क़रीब हो गया, ओर उसे अपने साथ चिपटा लिया. वो भी मेरे गले लगी.
मेरे तन बदन मैं हल चल मची हुई थी, फिर मुझ से ना रहा
गया ओर मैने उस के होंठो पर अपने होंठ रख दिए. पहले तो वो रेस्पॉन्स नही दे रही थी मगर फिर वो जो शुरू हुई, तो मुझे छोड़ ही नही रही थी. ये पहली किस तक़रीबन 5 मिनट तक जारी रही. फिर मैं ने उस से कहा कि आज के लिए ये काफ़ी है. ओर मैं जाने लगा, तो उस ने मुझे पकड़ लिया ओर जाने नही दिया, ओर उसने दुबारा मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए….. फिर मैं ने उस से जाने के लिए कहा, ओर मैं चला गया. हम ने ज़ियादा कुछ नही किया. मेरी ज़िंदगी की एक मदहोश रात बीत गयी. दो तीन दिन हम शादी के काम काज मे बहुत व्यस्त रहे . ज़्यादातर रिश्तेदार भी जा चुके थे . अपने दोस्त परमोद से कहकर राधा को मैने 5-7 दिन के लिए वही रोक लिया था .ओर मैने प्रमोद को कह दिया था कि राधा को मैं गाँव पहुँचा दूँगा .
अगले दिन डोपेहर को वो किचन मैं कुछ बना
रही थी, सब घर वाले एक रूम मैं गप शप लगा रहे थे. मैं चुपके चुपके किचन गया, वो अकेली थी, उस ने दुपट्टा उतारा हुआ था, ओर अपने काम मैं मसगूल थी. मैं ने एकदम उस को बाँहो मैं पकड़ लिया, वो पहले तो डर गयी, फिर वो भी मेरे गले लग गई.
मैं ने शरारत मैं कहा कि तुम्हारी टाँगों के बीच मेरा कुछ महसूस हो रहा है ? वो शर्मा गयी ओर मुस्कराते हुए अपना सिर हां मैं हिलाया. उसने मेरी आँखो मैं देखा ओर कहा प्लीज़ मुझे ये दिखाओ ना, मैं तुम्हारा ये देखना चाहती हू. मैने कुछ सोचा ओर फिर उससे कहा कि खुद ही देख लो. उस ने फॉरन पेंट के ऊपर से मेरा लंड पकड़ लिया. ओर अपने मुँह पर हाथ रख कर बोली हाय मर गयी, इतना बड़ा ओर मोटा….. बचपन मे तो ये इतना बड़ा नही था . जब ये छोटा सा था तब इसने मेरा बुरा हाल कर दिया था अब तो ये बिल्कुल बर्दाश्त से बाहर होगा (वैसे मेरा नॉर्मल साइज़, 6
इंच). का था .
ये भी मेरा अगर बचपन की बात छोड़ दी जाय तो ये पहली ही बार था कि किसी लड़की ने मेरा लंड पकड़ा हो.
मेरा तो बुरा हाल हो गया. फिर उस ने मुझ से पूछे बगैर ही
मेरी पेंट की चैन खोल दी. एक बार फिर उस ने अपना मुँह मेरे सीने मैं छुपा लिया ओर कहा मेरे राज मैने तो इतने बड़े ओर मोटे का ख़याल भी नही किया था, ओर उसने डाइरेक्ट मेरे लंड को पकड़ लिया, उस के हाथो की तपिश से मेरे जिस्म मैं एक करेंट सा दौड़ गया. उस ने झुक कर मेरे लंड के सर पर अपने होंठों से प्यार किया, ओर कहा अब ये सिर्फ़ मेरा है, बचपन मे तो इसने रुला दिया था पर अब हमारी दोस्ती हो गई अब ये मेरा पक्का दोस्त है…. उस दिन मैं सारा वक़्त हवा मैं उड़ता रहा.
फिर तो ये सिलसिला चलता रहा, हम जब भी मिलते ओर एक भी मिनट
के लिए अकेले हो जाते तो वो फ़ौरन मेरा लंड पकड़ लेती ओर इतना
मसल देती कि उस मैं दर्द शुरू हो जाता. मगर मैं ने कभी भी उस के जिस्म के किसी हिस्से को हाथ नही लगाया.
मेरा बहुत दिल चाहता था कि कम से कम इस की चूचियो को हाथ
लगाउ ओर प्यार करू, मगर हिम्मत ही नही होती थी.
ओर एक दिन मैं ने हिम्मत कर ही ली, ओर उस की चुचियो को हाथो
मैं पकड़ लिया उस के मूँह से सस्स्सस्स….. की आवाज़ निकली, फिर मैं
ने उससे कहा कि तुम ने तो मेरा लंड देख लिया अब मुझे तुम्हारी
चूचिया देखनी हैं. (ये याद रहे कि हमारी ज़ियादा तर मोलक़ातें अब वॉशरूम मे होती थे, ताकि कोई हम को देख ही ना सके) पहले तो उस ने ना ना की फिर मान गयी ओर अपनी क़मीज़ उठा ली. मैं ने पहली मर्तबा किसी जवान लड़की की चूचिया देखी, मैं ने उसकी चूचियो पर हाथ फेरा,
बहुत ही नरम ओर मुलायम थी, मैं ने उस से कहा कि तुम वैसे ही कह रही थी कि ये छोटे हैं, ये तो बिल्कुल नॉर्मल हैं. तो उसने कहा कि तुम ने ओर कितनी लड़कियो की देखी हैं जो इस के बारे मैं कह रहे हो कि नॉर्मल हैं. मैं ने कहा कि जो भी है मुझे तो ये साइज़ ही अच्छा लगा है. वो मुस्कुरा कर बोली के अच्छा मैं तो तुम्हारे लिए ही कह रही थी कि शायद तुम को छोटे पसंद ना हों . अगर तुम को पसंद हैं तो मैं ने इलाज नही कराना बस ऐसे ही ठीक हैं. ओर इस के साथ ही मैं ने अपने होंठ उस की चूचियो पर रख दिए. थोड़ी देर दोनो चूचियो को चूसा, उस ने मेरी पेंट की चैन नीचे कर के मेरा लंड पकड़ हिलाने लगी.
क्रमशः..........................
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