RE: Desi Chudai Kahani Naina-नैना
नैना--पार्ट-14
गतान्क से आगे.......
मैं ने मूड कर देखा तो मुझे कुछ नज़र ना आया और मैं हैरान हुई कि आवाज़
कहाँ से आ रही है. फिर मैं ने ध्यान हटाया और बाहर लाइट्स को देखने लगी.
अचानक ऐक फिर आवाज़ आइ.
तूने मयखाना निगाहो मे छुपा रखा है
होशवालो को भी दीवाना बना रखा है
नाज़ केसे ना करूँ बंदा नवाज़ी पे तेरी
मुझ से नाचीज़ को जब अपना बना रखा है
जब भी गम मिलता है सीने से लगा लेता हूँ
मैं ने हर दर्द को तक़दीर बना रखा है
मैं ने गौर किया तो वाहा टारेस पे ही अंधेरे मे कोई ब्लॅक कलर के पेंट
कोट मे मौजूद था. मैं ने थोड़ा सख़्त लहजे मे बोला कॉन है वहाँ? और वहाँ
से आवाज़ आइ.
ए मेरे परदा नशीन तेरी ताजवाजो के निसार
मैने इश्क़ तेरी दुनिया से छुपा रखा है
मैं ने फिर ज़ोर से कहा कि कॉन है तो वो शख्स आहिस्ता आहिस्ता मेरी तरफ़
बढ़ा. मैं परेशान हो गयी कि कोई ड्रंक है. लेकिन जब वो रोशनी मे आया तो
वो आर्यन थे. खूबसूरत जवान, ऊँचा कद, कहीं से भी ड्रंक नही लग रहे थे.
मैं ने उन्है पहली दफ़ा दैखा था. ना जाने क्यो लग रहा था कि वो मुझे पहले
से जानते हैं.
इस से पहले मैं कुछ कह पाती. वो मेरे पास आए और आते ही मुझे अपनी बाँहों
मे भर के अपने होन्ट मैरे होंटो पे रख दिये.
नैना: ओह तो फिर?
आंटी: फिर क्या बस किस थी कि ख़तम ही नही हो रही थी. और उन के हाथों की
ग्रिफ्त इतनी ज़यादा मज़बूत थी कि मैं छुड़ा ही नही पा रही थी. और शोर इस
लिये नही मचा सकती थी कि सब यह ना समझे कि ड्रंक हैं दोनो और ऊपेर ग़लत
काम कर रहे हैं सो खामोश रही. ळैकेन क्या मस्ती थी उन की किस मे कि कुछ
ही लम्हे मे मैं भी उन से लिपटी चली गयी. और किस ने तो जैसे मुझ पे नशा
सा चढ़ा दिया हो.
नैना: पहली ही मुलाक़ात मे किस? ना जान ना पहचान?
आंटी: वोही तो. अच्छा सुनो तो सही. और काम संभाल के दोनो टीवी लाउंज मे आ गयीं.
फिर किसी तरहा से हमारा किस ख़तम हुआ और मैं नीचे की तरफ़ जाने लगी और
उन्हे कहा की थ्ट्स नोट फेर. और उन्हों ने जवाब मे कहा
दूर रह कर ना करो बात करीब आ जाओ
याद रह जाए गी यह रात करीब आ जाओ
आ जाओ इक मुद्दत से तमन्ना है तुम्हे चूमने की
आज बस मे नही जज़्बात करीब आ जाओ
बस उन की शायरी मे तो जैसे मॅगनेट जेसी कशिश थी और मेरे कदम वहाँ ही रुक
गये. और अगले ही लम्हे मैं उन की बाँहों मे थी. किस्सस का तूफान ऐक
मर्तबा फिर आने लगा. अब की बार तो लिप्स के साथ साथ चीक्स, नेक, इयर्स भी
तूफान की रेंज मे आ गये थे. हाथ थे कि कभी मैरे सन्तरो के बाग मे सैर
करने लगते तो कभी घूमते हुए बॅक साइड पे सफ़र करने लग जाते. मुझे कुछ समझ
नही आ रही थी कि क्या करूँ. दिल था कि कह रहा था कि यह सिलसिला ख़तम ना
हो. दिमाग़ था कि कह रहा था कि ऐक अजनबी से पहली मुलाक़ात मे यह सब? मगर
दिल जीत गया और मैं ने अपने आप को आर्यन के हवाले कर दिया.
किस्सिंग ख़तम हुई तो उन्हों ने मेरी आँखो मे आँखे डाल के कहा कि जानू आइ
आम आर्यन. मुझे पता था कि तुम ज़रूर ऊपेर आओ गी कब से मैं ऊपेर इंतजार कर
रहा था तुम्हारा. और चलते हुए टारेस की साइड पे खड़े हो के यह पोएटरी
कहने लगे.
शबनमी रात हो और हर तरफ़ अंधैरा हो
एक चादर मे लिपटे दो बदन ऐक तेरा और ऐक मेरा हो
तेरे मखमली बदन मे खुश्बू के चमन मे सदिओं तक वो रात चले
तेरे होंठो को जब सी दूं मैं अपने होंठों के धागे से
इक सन्नाटे मे खामोशी से तेरी बाँहों ने मुझ को घैरा हो
मेरे जिस्म मे घर मिल जाए तुझको तेरे जिस्म मे मेरा बसेरा हो
बिस्तेर पर तेरे मेरे सिवा, सिर्फ़ जुनून और खामोशी का डेरा हो
और साथ ही बोले विल यू मॅरी मी ?
नैना: हाउ सेक्सी आंड हाउ रोमॅंटिक? फिर आप ने क्या कहा?
आंटी: तुम होती तो क्या कहती?
नैना: मैं क्या कोई भी लड़की होती तो हां बोल देती.
आंटी: तो मैं भी तो लड़की ही थी. फ़ौरन हां बोल दिया. बस हां बोलना ही था
कि आर्यन करीब आए और मैरा हाथ पकड़ के टारेस के साथ वाले रूम मे ले गये.
और वहाँ उन्हों ने अपनी पोएटरी को प्रॅक्टिकल मे कॉनवर्ट कर दिया.
नैना: क्या किया हुआ रूम मे?
आंटी: अरे मैं वो बताने बैठ गयी ना तो रात यहाँ ही रुकना पड़ जाए गा. हाहहहहाहा
नैना: तो क्या है रुक जाओ ना?
आंटी: अरे नही भाई इतनी जल्दी भी क्या है बता दूंगी. वेसे भी शान आने
वाले हों गे और जिम्मी भी वेट कर रहा हो गा.
नैना: (दिल बिल्कुल भी नही कर रहा था कि आंटी ऐसे चली जाए पर ज़यादा
इन्सिस्ट भी नही कर सकती थी कि आंटी के ऊपेर बॅड इंप्रेशन ना पड़े) सो कह
दिया ओके आंटी ठीक है.
आंटी: ओके मैं चलती हूँ. कल बात होती है फिर. और यह कह कर गेट की तरफ़ चल दी.
नैना गेट क्लोज़ कर के आइ और टीवी लाउंज मे आ के बैठ गयी और शान के आने
का वेट करने लगी और आज पूरे दिन को याद करने लगी.
नैना आज बहोत खुश थी क्योंकि काफ़ी दिन बाद आज नैना को दिन भर अपनी
पुरानी यादों को खुरचने के अलावा भी कुछ करने का मौक़ा मिला था. पूरा दिन
इतना जल्दी गुज़र गया कि पता ही नही चला कि कब सुबह हुई और कब रात हो
गयी. पूरा दिन बहोत ही हॅपी हॅपी गुज़र गया. नैना पूरा दिन इतना बिज़ी थी
कि उसे अपने अतीत मे जाने की ज़रूरत ही पेश ना आइ. ऐक ही दिन मे नैना की
आंटी के साथ इतनी पक्की दोस्ती हो गयी थी जेसे बचपन के साथी हों. आंटी थी
ही इतनी अच्छी और ज़िंदा दिल कि दिल करे के बाते करते जाओ और बहोत ज़यादा
को-ऑपरेटिव भी.
नैना को आज काफ़ी दिन बाद अकेला पन फील हो रहा था. आंटी और जिम्मी के
जाने के बाद घर खाली खाली सा लग रहा था. हालाँकि ऐसा रोज़ होता था लेकिन
आज नैना को तन्हाई का शिदत से एहसास हो रहा था. दिल कर रहा था कि कॉल कर
के आंटी को बुला ले. ळैकेन फिर यह सोच के इरादा बदल लिया कि आज पूरा दिन
भी तो वो साथ ही थी और वेसे भी थोड़ी देर मे शान आ जाएँगे .
नैना ने टीवी ऑन किया और रिमोट से चॅनेल चेंज करने लगी. वन बाइ वन न्यूज़
चॅनेल्स चल रहे थे. नैना ने ऐक चॅनेल जंप किया तो अचानक उसे शान की झलक
दिखी. फ़ौरन चॅनेल वापिस लगाया तो ऐक फीमेल बीच से प्रोग्राम कर रही थी
जो कि बीच पे मौजूद कपल्स के बारे मे था कि वो बीच पे आ के केसा फील करते
हैं और बीच किस तराहा उन के रोमॅंटिक जज़्बात को ज़्यादा उभारता है.
लड़की की बॅक पे ऐक कपल खड़ा था. लड़के का फेस दूसरी तरफ था. नैना ने सब
से पहले लड़के के ड्रेस पे नज़र डाली. उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ यह तो
वोही ड्रेस है जो आज शान पहन के गये थे. वोही स्काइ ब्लू शर्ट और ब्लॅक
ड्रेस पॅंट. लड़की की शकल थोड़ा क्लियर दिख रही थी. नैना ने थोड़ा गौर
किया तो नैना के पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी, ये वोही लड़की थी जो
उस दिन लॅडीस अंडर गारमेंट्स की शॉप पे शान के साथ थी.
प्रोग्राम होस्ट इस कपल की तरफ़ बढ़ी और कपल को कहा एक्सक्यूस मी. लड़का
पलटा तो नैना की आँखे खुली की खुली रह गयीं, यह तो शान ही थे और बीच पे
उस लड़की के साथ. प्रोग्राम होस्ट ने क्वेस्चन किया लेकिन शान ने आन्सर
करने से इनकार कर दिया और सॉरी कह कर कॅमरा के आगे से हट गये.
यह 2न्ड टाइम था कि शान ने नैना से झूट बोला था और ऑफीस का काम कह कर उस
लड़की के साथ बिज़ी थे. आज पूरा दिन शान घर पे भी नही आए थे ईवन लंच या
टी पे भी नही आए. यानी यह आज पूरा दिन इस लड़की के साथ थे और बीच पे सैर
की जा रही थी. नैना को बहोत ज़यादा गुस्सा आया और बैठ के शान की इस
बेवफ़ाई पे रोने लगी. नैना अभी शान की इसी हरकत पे रो रही थी कि शान की
कॉल आ गयी.
शान: हेलो नैना क्या कर रही हो?
नैना: कुछ नही अपनी किस्मत पे रो रही हूँ.
शान: क्या मतलब किस्मत पे रो रही हो?
नैना: आप बेहतर समझते हैं.
शान: क्या कहना चाहती हो खुल के बताओ.
नैना: आप घर आओ तो बात करती हूँ.
शान: इसी लिये तो कॉल की कि आज मैं घर नही आ पाउन्गा. सुबह हेड ऑफीस मे
तमाम रेकॉर्ड पेश करना है स्टाफ पर्फॉर्मेन्स का उस की तैयारी कर रहे हैं
मैं और मेरा ऑफीस मेट. सो आज पूरी रात काम करेंगे.
नैना: क्या आप आज घर नही आएँगे?
शान: क्या पहले मैं ने लतीफ़ा सुनाया है? यही कहा है कि घर नही आ रहा.
नैना: आप को पता है कि मैं घर पे अकेली हूँ. आप उस फ्रेंड को यहाँ क्यों
नही ले आते. पूरी रात बैठ कर काम करो आराम से?
शान: प्लीज़ मुझे मशवरा देने की ज़रूरत नही, मुझे बेहतर पता है कि मैं ने
क्या करना है. और तुम बच्ची नही हो अपनी हिफ़ाज़त खुद कर सकती हो, घर के
तमाम डोर्स लॉक करो और चुप कर के सो जाओ.
नैना: ओके और कुछ?
शान: कुछ नही. अगर कोई प्रोबलम हो तो कॉल कर लेना.
नैना: थॅंक्स मैं बच्ची नही हूँ अपना ख़याल खुद रखी सकती हूँ. और फोन बंद कर दिया.
तो भाई लोगो ये पार्ट यही पर पर ख़तम कर रहा हूँ आगे की कहानी अगले पार्ट
मे दोस्तो कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः..........
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