Hot Sex stories एक अनोखा बंधन
07-16-2017, 10:48 AM,
#97
RE: Hot Sex stories एक अनोखा बंधन
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अब आगे ....

पिताजी: चुप कर!

संगीता: प्लीज पिताजी.....

मैं: मैं इनके बिना नहीं जी सकता| जानता था की आप कभी नहीं मानोगे...फिर भी ...फिर भी आपसे सच कहने की हिम्मत जुटाई| प्लीज ...पिताजी...ये उस इंसान के साथनहीं रहना चाहतीं और अब मैं इनके बिना नहीं जी सकता.... आप अगर जबर्द्द्स्ती मेरी शादी किसी और से भी करा दोगे तो मैं उस लड़की को कभी प्यार नहीं कर पाउँगा| सात साल इनके बिना मैंने कैसे काटे हैं...ये अप माँ से पूछ लो...मैं कितना तनहा महसूस करता था...गुम-सुम रहता था...माँ से पूछो...उन्हें सब पता है| कितनी बार उन्होंने मुझे दिलासा दिया...और वो भी जानती हैं की मैं संगीता से emotionally attached हूँ! कोई फायदा नहीं होगा? प्लीज?

पिताजी अब हार मानने लगे थे....गुस्से से तो वो मुझे काबू नहीं कर पाये...इधर माँ बिलख-बिलख के रो रही थीं|

मैं: माँ...प्लीज...आप तो...

माँ: मत कह मुझे माँ....तूने....तूने ये क्या किया?

पिताजी: बेटा...तू जो कह रहा है वो नहीं हो सकता| समाज क्या कहेगा? बिरादरी में हमारा हुक्का-पानी बंद हो जाएगा...संगीता के घर वाले कभी नहीं मानेंगे?...मेरे अड़े भाई...वो कभी नहीं मानेंगे? सब खत्म हो जायेगा बेटा!!! सब खत्म ....

मैं: आपकी और माँ की भी लव मैरिज थी ना? आपके भाई ने उसे तक नहीं माना था...पर धीरे-धीरे सब ठीक हो गया ना?

पिताजी: बेटा वो अलग बात थी...ये अलग है? तुम दोनों ये भी तो देखो की तुम्हारी उम्र क्या है?

मैं: पिताजी...जब मुझे इनसे प्यार हुआ तब मुझे इनकी उम्र नहीं दिखी.... आप वो देख रहे हो की ...की दुनिया क्या कहेगी? आप ये नहीं देख रहे की मेरी ख़ुशी किस्में है? क्या आपको मेरी ख़ुशी जरा भी नहीं प्यारी? क्या आपके लिए सिर्फ दुनियादारी ही सब कुछ है? कल को आप मेरी शादी किसी अनजान लड़की से करा दोगे....जिसको मैं नहीं जानता| शादी के बाद वो क्या करेगी किसी को नहीं पता? हो सकता है मुझे आपसे अलग कर दे...या मुझे उसे divorce देना पड़े? पर दूसरी तरफ ये (संगीता) हैं... आप इन्हें जानते हो...पहचानते हो... ये कितना ख्याल रखती हैं आप लोगों का...माँ ...आप तो इन्हीें अपनी बहु की तरह प्यार करते हो! उस दिन जब मैंने इन्हें आपकी गोद में सर रखे देखा तो मैं बता नहीं सकता मुझे कितनी ख़ुशी हुई| आप लोगों को तो ये भी नहीं पता की एक पल के लिए मेरे मन में ख्याल आया था की मैं इन्हें भगा के ले जाऊँ... पर आप जानते हो इन्होने क्या कहा; "मैं नहीं चाहती आप मेरी वजह से अपने माँ-पिताजी को छोडो..मैं रह लुंगी उस इंसान के साथ|" आप ही बताओ कौन कहता है इतना? प्लीज पिताजी...प्लीज....एक बार आप दोनों ठन्डे दिमाग से सोचो की क्या ये मेरी पत्नी के रूप में ठीक नहीं हैं? रही दुनिया की बात तो वो तो हमेशा कुछ न कुछ कहेंगे ही? शादी के बाद लड़की मुझे आप से अलग कर दे तो भी और ना करे तो भी? मैं आप लोगों को धमका नहीं रहा...बस अपनी बात रख रहा हूँ| प्लीज पिताजी...हमें अलग मत करिये....हम जी नहीं पाएंगे|

पिताजी: पर ..पर ये सब होगा कैसे? क्या तू सब को बिना बताये?

मैं: नहीं पिताजी...मैं कोई पाप नहीं कर रहा जो सब से छुपाऊँ.... अगले हफ्ते इनके पिताजी आ रहे हैं| मैं खुद उन से बात करूँगा...फिर बड़के दादा से भी मैं ही बात करूँगा| आप बस अपना फैसला सुनाइए?

पिताजी ने माँ की तरफ देखा और माँ का रोना अब बंद हो चूका था...फिर माँ खुद बोलीं;

माँ: बहु....इधर आ...मेरे पास बैठ|

भौजी उनके पास कुर्सी पे बैठ गईं और देखते ही देखते उन्होंने संगीता को गले लगा लिया|

पिताजी: देख बेटा....हमारे लिए बस तू ही एक जीने का सहारा है.... अब अगर तू ही हम से दूर हो गया तो हम कैसे जिन्दा रहेंगे? माँ-बाप हमेशा बच्चों की ख़ुशी चाहते हैं...ठीक है....हमें मंजूर है|

मैं: oh पिताजी ! ...मैं बता नहीं सकता आपने मुझे आज वो ख़ुशी दी है....की मैं बयान नहीं कर सकता| Thank you पिताजी|

मैं पिताजी के सीने से लग गया और वो थोड़े भावुक हो गए थे| मैंने उनके पाँव छुए फिर माँ के पाँव छुए.... और फिर दोनों से माफ़ी भी मांगी| खेर अब जाके घर में सब शांत था! आज मुझे समझ गया की पिताजी का आखिर मेरे प्रति क्यों झुकाव था? वो मुझे किसी भी कीमत पे खोना नहीं चाहते थे| और दुनिया का कोई भी बाप ये नहीं चाहता|

अब बात थी भौजी के पिताजी से बात करने की| उन्हें अगले हफ्ते आना था और मैंने ये सोच लिया था की मुझे इस हफ्ते क्या करना है? सतीश जी पेशे से वकील थे तो उनसे सलाह लेना सब से सही था| मैं अगले दिन उनके पास गया और उनसे प्रोसीजर के बारे में पूछा| उन्होंने कहा की सबसे पहले तो हमें डाइवोर्स के लिए फाइल करना होगा| उसके बाद ही हम दोनों शादी कर सकते हैं| पर ये इतना आसान नहीं है...केस कोर्ट में जाएगा और अगले डेढ़ साल में फैसला आएगा की डाइवोर्स मंजूर हुआ की नहीं| इसका एक शॉर्टकट है पर वो legal नहीं है| Divorce thorough Registeration ....इसमें पंगा ये है की ये कोर्ट में मंजूर नहीं किया गया है| इसके चलते आप दूसरी शादी तो कर सकते हो पर जो aggrieved पार्टी है वो आगे चल के केस कर सकती है| अब मैं दुविधा में पद गया...मैं चाहता था की संगीता के माँ बनने से पहले हमारी शादी हो जाए ताकि मैं officially बच्चे को अपना नाम दे सकूँ| तो मैंने सतीश जी से एक बात पुछि, "की अगर शादी के बाद उनका पति हमपे case कर दे तो क्या उस हालत में आप बात संभाल सकते हैं?" तो उन्होंने जवाब दिया; " देखो मानु...वैसे तो उसके केस करने का कोई base नहीं है...वो जयदा से ज्यादा तुम से पैसे ही मांगेगा...अब ये तो मैं नहीं बता सकता की तुम उसे पैसे दे दो...या कुछ"|

मैं: उस सूरत में क्या मैं संगीता की तरफ से Domestic Voilence का case फाइल कर सकता हूँ?

सतीश जी: वो बहुत बड़ा पचड़ा है... तुम उसमें ना ही पदो तो बेहतर है| अब चूँकि तुम अपने हो तो एक रास्ता है| थोड़ा टेढ़ा है ...पर मैं संभाल लूँगा| कुछ खर्चा भी होगा?

मैं: बोलिए?

सतीश: मैं डाइवोर्स papers तैयार कर देता हूँ| तुम चन्दर को डरा-धमका के उसके sign ले लो| संगीता तो इस्पे sign कर हीदेगी क्योंकि वो तुमसे प्यार करती है| मैं ये केस फाइल कर देता हूँ और इसी बीच तुम शादी कर लो| marriage certificate का जुगाड़ मैं कर देता हूँ| केस को चलने दो...जब मौका आएगा तो मेरी यहाँ जान-पहचान अच्छी है...मैं कैसे न कैसे करके डेढ़ साल बाद ही सही संगीता का डाइवोर्स करा दूँगा| हाँ ये बात court में दबी रहनी चाहिए की तुम-दोनों शादी शुदा हो वरना कोर्ट उसे मतलब चन्दर को reimburse करने का आर्डर दे सकती है|

मैं: ये बात दबी कैसे रहेगी?

सतीश: यही तो पैसा खर्च होगा.... मैं अपने जान-पहचान के जज की कोर्ट में केस ले जाऊँगा| चन्दर वकील तो यहीं करेगा न?

मैं: अगर नहीं किया तो?

सतीश: हमारी Bar Council में जो चीफ थे उनसे मेरी अच्छी जान पहचान है...वो बात संभाल लेंगे|

मैं: ठीक है सर ...पर मुझे Marriage Certificate Original ही चाहिए|

सतीश: यार वो ओरिजिनल ही मिलता है| तू चिंता ना कर और मुख़र्जी नगर में XXX XXXX (उस जगह का नाम) वहां जो भी दिन हो मुझे बता दिओ... वहीँ शादी करा देंगे| मेरी अच्छी जान पहचान है वहां|

मैं: Thank you सर!

सतीश: अरे यार थैंक यू कैसा? दो प्यार करने वालों को मिलाना पुण्य का काम है|

मैंने घर लौट के पिताजी को और माँ को सारी बात बता दी| वो चाहते तो थे की शादी धूम-धाम से हो पर...हालात कुछ ऐसे थे की...ये पॉसिबल नहीं था| पर मैंने उनकी ख़ुशी के लिए मैंने Reception प्लान कर ली|

माँ पिताजी इस एक हफ्ते में बहुत खुश थे...और माँ ने तो संगीता को अपनी बहु की तरह दुलार करना शुर कर दिया था और अब संगीता भी बहुत खुश थी...बच्चे भी खुश थे...और मैं...मैं अपने होने वाले सौर जी से बात करने की सोच रहा था| खेर वो दिन आ ही गया जब होनेवाले ससुर जी आ गए, उन्हें रिसीव करने मैं ही स्टेशन गया| उनके पाँव छुए...और सामान उठा के गाडी में रखा और रास्ते भर वो बड़े इत्मीनान से बात कर रहे थे....जब घर पहुंचे तो संगीता ने उनके पाँव छुए और उनके गले लगी| दरअसल वो यहाँ संगीता को अपने साथ गाँव वापस ले जाने आये थे| जब उन्होंने ये बात रखी तो मजबूरन मुझे ही बात शुरू करनी पड़ी|

ससुर जी: अरे संगीता बेटा...तुमने तो यहाँ डेरा ही डाल लिया| तुम्हारा पति वहां गाँव में है...हॉस्पिटल मं भर्ती है और तुम यहाँ हो? मैं तुम्हें लेने आया हूँ! चलो सामान पैक करो रात की गाडी है|

मैं: उम्...मुझे माग कीजिये ...पर वो वहां वापस नहीं जाएँगी|

ससुर जी: क्या? पर क्यों?

मैं: क्योंकि वो इंसान इन्हें मारता-पीटता है...बदसलूकी करता है!

ससुर जी: हाँ तो? वो पति है इसका?

अमिन: तो वो जो चाहे कर सकता है? यही कहना चाहते हैं ना आप?

ससुर जी: वो उसकी बीवी है...धर्म है उसका की निभाय अपने पति के साथ?

मैं: वाह! सही धर्म सिखाया आपने? वो स्त्री है तो आप दबाते चले जाओगे?
(मैं अब भी बड़े आराम से बात कर रहा था|)

ससुर जी: तो तुम मेरी लड़की की वकालत कर रहे हो?

मैं: नहीं...मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैं...मैं उनसे प्यार करता हूँ!

ससुर जी: क्या? सुन रहे हैं आप?

उन्होंने मेरे पिताजी से कहा और इससे पहले की वो कुछ कहते मैंने पिताजी को रोक दिया और उनकी बात का जवाब दिया|

मैं: हाँ वो सब जानते हैं.... और मैं सिर्फ कह नहीं रहा| मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूँ...और वो भी मुझसे पय्यार करती है| और हम...शादी करना चाहते हैं!!!

जवाब बहुत सीधा था... और वो हैरान....की मैं ये सब क्या कह रहा हूँ|

ससुर जी: तू....तू ....पागल हो चूका है...लड़के.....तू नहीं जानता...तू क्या कह रहा है| तू एक शादी शुदा औरत से शादी करना चाहता है? वो औरत जिसे तू "भौजी" कहता है? कभी नहीं...ऐसा कभी नहीं हो सकता...मैं ...मैं बिरादरी में कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूँगा| नहीं....नहीं ...मैं ये नहीं होने दूँगा| संगीता...संगीता ...सामान बाँध...हम अभी निकल रहे हैं|

मैं: देखिये...मैंने उन्हें भौजी बोलना कब का छोड़ दिया.... और सिर्फ बोलने से क्या होता है? ना तो मैंने उन्हें कभी अपनी भाभी माना और ना ही कभी उन्होंने मुझे अपना देवर...प्लीज ...

उनके अंदर का अहंकार बोलने लगा था| पर मैं अब भी नम्र था...मैंने अपने घुटनों पे आके उनसे विनती की;

मैं: प्लीज...प्लीज...पिताजी हम एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते...प्लीज हमें अलग मत कीजिये?

ससुर जी: लड़के...तू होश में नहीं है...ये शादी कभी नहीं होगी! कभी नहीं! कभी नहीं! संबगीता ...तू चल यहाँ से?

संगीता उनकी बगल में खड़ी थीं पर कुछ बोल नहीं रही थी और ना ही उनके साथ जा रही थी| ससुर जी ने संगीता का हाथ पकड़ा और जबरदस्ती खींच के ले जाने लगे पर वो नहीं हिलीं;

ससुर जी: तो तू भी यही चाहती है? तू प्यार करती है इस लड़के से?

संगीता: हाँ...

ससुर जी: तो आखिर इसका जादू चल ही गया तुझ पे? मुझे पहले ही शक था....जब तू अपने चरण काका के यहाँ शादी में आई थी| हमारे बुलाने पे तू ना आई...बस इस लड़के ने जरा सा कह दिया और तू आ गई|

संगीता: जादू...कैसा जादू..... प्यार मैं इनसे करती हूँ....जब से मैंने इन्हें देखा था.... आप नहीं जानते पिताजी....पर मैंने इनसे प्यार का इजहार किया था... मुझे इनसे पहली नजर में प्यार हो गया था| इन्होने मुझे अपनाया...नेहा को भी!
(डर के मारे भौजी के मुंह से बातें आगे-पीछे निकल रही थीं|)

ससुर जी: अगर तू ने इससे शादी की...तो हमसे सारे नाते -रिश्ते तोड़ने होंगे! मेरे घर के दरवाजे तेरे लिए बंद!

मैं: नहीं...प्लीज ऐसा मत कहिये! संगीता...प्लीज ....प्लीज.... आप चले जाओ....प्लीज...मैं नहीं चाहता की आप...आप मेरी वजह से अपने परिवार से अलग हो!

पिताजी: ये तू क्या कह रहा है? अगर ये अपने घर के दरवाजे बंद कर डाई तो क्या? अब वो बहु है हमारी!

मैं: पिताजी... जब वो नहीं चाहती थीं की, उनकी वजह से मैं आपसे अलग हूँ तो भला ...भला मैं कैसे?

पिताजी: पर बेटा?

मैं: कुछ नहीं पिताजी? आप सोच लेना की मैं जिद्द कर रहा था...और...

इसके आगे बोलने की मुझमें हिम्मत नहीं थी| मेरे सारे सपने ससुर जी के एक वाक्य ने तोड़ डाले थे! पर मैं उन्हें बिलकुल भी नहीं कोस रहा था...बस अफ़सोस ये था की उन्हें अपनी बेटी की ख़ुशी नहीं बल्कि अपना अहंकार बड़ा लग रहा था! मैं पलट के बाहर जाने लगा तो संगीता की आवाज ने मेरे कदम रोक दिए;

संगीता: सुनिए .... मेरा जवाब नहीं सुनेंगे?

मैं: नहीं....क्योंकि मैं नहीं चाहता आप अपने माँ-बाप का दिल तोड़ो| मैं ये कतई नहीं चाहता|

संगीता: मेरी ख़ुशी भी नहीं चाहते?

मैं: चाहता हूँ ...पर .... Not at the cost of your parents!

संगीता: पर मैं आपसे अलग मर जाऊँगी...

मैं: मैं भी...अपर आपको हमारे बच्चों के लिए जीना होगा!

संगीता: और आप?

मैं: मुझे अपने माँ-पिताजी के लिए जीना होगा? मुश्किल होगी....पर...

संगीता: पर मैं अब भी आपसे शादी करना चाहती हूँ!

मैं: नहीं...

आगे उन्होंने कुछ नहीं सुना और आके मेरे गले लग गईं और रो पड़ीं...मेरे भी आँसूं निकल पड़े| अब बात साफ़ थी... भौजी ने अपने परिवार की बजाय मुझे चुना था!

पिताजी: भाईसाहब...मैं चुप था...अपने बच्चे की ख़ुशी के लिए....पर आप...आपको अपना गुरुर ज्यादा प्यार है...अपनी बेटी की ख़ुशी नहीं! पर आप चिंता मत कीजिये.... ये हमारी बेटी बन के रहेगी|

ससुर जी ने अपनी अकड़ दिखाई और चले गए|

मैं: I'm sorry ....so sorry .... I put you in this difficult situation! I'm sorry !!!

संगीता: नहीं...आपने कुछ नहीं किया....मेरे पिताजी....उन्होंने आपका इतना अपमान किया...और फिर भी आप.....नहीं चाहते थे की हम शादी करें| आप तो मेरे परिवार के लिए हमारे प्यार को कुर्बान कर रहे थे| (भौजी ने ये सब रोते-रोते कहा...इसलिए उनके शब्द इसी प्रकार निकल रहे थे|)

हम दोनों ये भूल ही गए की घर में पिताजी और माँ मौजूद हैं| जब पिताजी की आवाज कान में पड़ी तब जाके हमें उनकी मौजूदगी का एहसास हुआ|

पिताजी: बेटा...तुम दोनों का प्रेम .... मेरे पास शब्द नहीं हैं...तू मदोनों एक दूसरे से इतना प्रेम करते हो की एक दूसरे के परिवार के लिए अपने प्रेम तक को कुर्बान करने से नहीं चूकते| मुझे तुम दोनों पे फक्र है....मानु की माँ...इन दोनों को शादी करने की इज्जाजत देके हमने कोई गलत फैसला नहीं किया|

और पिताजी ने हम दोनों को अपने सीने से लगा लिया|

पिताजी: अब बस जल्दी से तुम दोनों की शादी हो जाए!

मैं: पिताजी....अभी भी कुछ बाकी है! चन्दर के sign! (मैंने अपने आँसूं पोछे और कहा) बगावत का बिगुल तो अब बज चूका है|

मैं जानता था की आज जो आग ससुर जी के कलेजे में लगी है वो गाँव में हमारे घर तक पहुँच गई होगी| रात के खाने के बाद मैं ऑनलाइन टिकट बुक कर रहा था की तभी पिताजी कमरे में आ गए| भले ही पिताजी ने हम दोनों को शादी की इज्जाजत दे दी हो पर हमारे कमरे अब भी लग थे...और हम अब पहले की तरह चोरी-छुपे नहीं मिलते थे!

पिताजी: बेटा टिकट बुक कर रहा है?

मैं: जी ..कल दोपहर की गोरक्धाम की टिकट अवेलेबल है!

पिताजी: दो बुक करा|

मैं: दो...पर आप क्यों?

पिताजी: तू बेटा है मेरा....तेरा हर फैसला मेरा फैसला है| और वो बड़े भाई है मेरे....मैं उन्हें समझा लूँगा|

मैं: आपको लगता है...की वो मानेंगे?

पिताजी: तुझे लगा था मैं मानूँगा?

मैं: नहीं...पर एक उम्मीद थी|

पिताजी: मुझे भी है| अब चल टिकट बुक कर|

मैंने टिकट बुक कर ली और Divorce Papers और अपने एक जोड़ी कपड़े रखने लगा| इतने में संगीता आ गई|

संगीता: तो कल जा रहे हो आप?

मैं:हाँ...

संगीता: अगर उन्होंने sign नहीं किया तो?

मैं: I'm not gonna give him a choice!

अब उन्होंने मेरे कपडे तह कर के पैक करने शुरू कर दिए|

संगीता: जल्दी आना?

मैं: ofcourse ...अब तो वहां रुकने का कोई reason भी नहीं है हमारे पास!

संगीता: हमारी एक गलती ने ....सब कुछ...

मैं: Hey .... गलती? Like Seriously? आपको लगता है की हमने गलती की? अगर सोच समझ के करते तो गलती होती..पर क्या आपने प्यार करने से पहले सोचा था?

संगीता: नहीं ...

मैं: See told you ...

भौजी मुस्कुराईं और अपने कमरे में चली गईं| उसी एक बैग में माँ ने पिताजी के कपडे भी पैक कर दिए| रात को as usual बच्चों कोमैने संगीता के कमरे में ही सुला दिया और मैं अपने कमरे में आ के सो गया| 

सुबह तैयार हो के हम निकलने वाले थे की मैं अपना रुमाल लेने आया तो पीछे से संगीता भी आ गई;

संगीता: I'm sorry ...for last night! I didn't mean that!

मैं: Hey .... I know ....

मैंने उन्हें गले लगा लिया और उनके सर को चूमा| उन्होंने ने भी मुझे कस के गले लगा लिया| इतने में माँ आ गईं और हमें इस तरह देखा;

माँ: O ... अभी शादी नहीं हुई है तुम्हारी...चलो....

माँ ने बड़े प्यार से दोनों को छेड़ते हुए कहा और उनका हाथ पकड़ के बाहर ले आईं| मैं भी उनके पीछे-पीछे बाहर आ गया|

माँ: ये दोनों ....अंदर गले लगे हुए थे!

माँ ने हँसते हुए कहा और ये सुन भौजी ने माँ के कंधे पे सर रख के अपना मुँह छुपा लिया|

पिताजी: (हँसते हुए) भई ये तो गलत है! (पिताजी ने ये नसीरुद्दीन साहब की तरह गर्दन हिलाते हुए कहा|)

हम हँसते हुए घर से निकले और ट्रैन पकड़ के अगले दिन गाँव पहुंचे| हालाँकि हमें लखनऊ में हॉस्पिटल (नशा मुक्ति केंद्र) जाना था और वहां से चन्दर के sign ले के गाँव जाना था परन्तु वहां पहुँच के पता ये चला की वो तो दो दिन पहले ही वहां से भाग के घर आ चुके हैं| तो अब अगला स्टॉप था गाँव!
हम गाँव पहुंचे तो वहां के हालात जंग के जैसे थे| जैसा की मैंने सोचा था, ससुर जी के कलेजे की आग ने घर को आग लगा दी थी|

बड़के दादा: अब यहाँ क्या लेने आये हो? (उन्होंने गरजते हुए कहा)

पिताजी: भैया...एक बार इत्मीनान से मेरी बात सुन लो?

बड़के दादा: अब सुनने के लिए कुछ नहीं बचा है! चले जाओ यहाँ से...इससे पहले की मैं भूल जाऊँ की तू मेरा ही भाई है!

मैं: दादा...प्लीज ...मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ...एक बार मेरी बात सुन लीजिये! उसके बाद दुबारा मैं आपको कभी अपनी शक्ल नहीं दिखाऊँगा

इतने में बड़की अम्मा भी आ गईं|

बड़की अम्मा: सुनिए...एक बार सुन तो लीजिये लड़का क्या कहने आया है? शायद माफ़ी मांगने आया हो!

मैं: दादा ...मैं आपसे माफ़ी मांगने नहीं आया...बल्कि बात करने आया हूँ| मैं संगीता से बहुत प्यार करता हूँ...और शादी करना चाहता हूँ|

बड़के दादा: देख लिए...ये बेगैरत हम से इस तरह बात करता है| हमारे प्यार का ये सिला दिया है?

मैं: दादा...मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूँ और अम्मा आप...आप मेरे लिए दूसरी माँ हो...मेरी बड़ी माँ...पर संगीता वो इस (मैंने चन्दर की तरफ इशारा किया जो पीछे खड़ा था|) इस इंसान से प्यार नहीं करती....बल्कि मुझसे प्यार करती हैं| वो इससे क्यों प्यार नहीं करती ये आप लोग जानते हैं...बल्कि मुझसे बेहतर जानते हैं| शादी से पहले ये जैसा हैवान था...शादी के बाद भी वैसे ही हैवान है|

चन्दर : ओये ...जुबान संभाल के बात कर|

मैं: Shut up! (मैंने चिल्लाते हुए कहा|) आप लोगों ने ये सब जानते हुए भी इसकी शादी संगीता से कर दी.... क्यों बर्बाद किया उसका जीवन| ये जानवर उन्हें मारता-पीटता है ...जबरदस्ती करता है... और तो और ये बार-बार मामा जी के घर भाग जाता है! जानते हैं ना आप....किस लिए भागता है वहां...और किसके लिए भागता है? फिर भी आप मुझे ही गलत मानते हैं?

बड़के दादा: अगर जाता भी है तो इसका कारन बहु ही है! वो इसकी जर्रूरतें पूरी नहीं करेगी तो ये और क्या करेगा?

मैं: जर्रूरतें? इस वहशी दरिंदे ने उनकी बहन तक को नहीं छोड़ा....ये जानने के बाद ऐसी कौन सी लड़की होगी जो ऐसे इंसान को खुद को छूने देगा?

बड़के दादा: वो औरत है?

अब तो मेरे सब्र का बाँध टूट गया पर इससे पहले मैं कुछ बोलता पिताजी का गुस्सा उबल पड़ा|

पिताजी: बस बहुत हो गया.... वो औरत है तो क्या उसे आप दबा के रखोगे? जैसे आपने भाभी (बड़की अम्मा) को दबा के रखा था? मैं आज भी वो दिन नहीं भुला जब आप भाभी को दरवाजे के पीछे खड़ा कर के उनके हाथ को कब्जे के बीच में दबा के दर्द दिया करते थे| मैं उस वक़्त छोटा था...आप से डरता था इसलिए कुछ नहीं कहा...पर ना आप बदले और ना ही आपकी सोच! अब भी वही गिरी हुई सोच!

बड़के दादा: जानता था....जैसा बाप वैसा बेटा.... जब बाप को प्यार का बुखार चढ़ा और उसने दूसरी जाट की लड़की से ब्याह कर लिया तो लड़का....लड़का भी तो वही करेगा ना...बल्कि तू तो दो कदम आगे ही निकला? अपनी ही भाभी पे बुरी नजर डाली|

अब मेरा सब्र टूट चूका था...उन्होंने हमारे रिश्ते को गाली दी थी|

मैं: बहुत हो गया....मैंने बुरी नजर डाली....मैं उनसे प्यार करता हूँ...वो भी मुझसे प्यार करती हैं.... और मैं यहाँ आप लोगों के कीचड भरी बातें सुनने नहीं आया| ये ले sign कर इन पर|

मैंने divorce papers chander की तरफ बढाए| वो हैरानी से इन्हें देखने लगा;

मैं: देख क्या रहा है? तलाक के कागज़ हैं...चल sign कर! (मैंने बड़े गुस्से में कहा|)

चन्दर: मैं....मैं नहीं ...करूँगा sign!

मैं: जानता था...तू यही कहेगा....

मैंने जेब से फोन निकाला और सतीश जी को मिलाया|

मैं: हेल्लो सतीश जी... सर मुझे आपसे कुछ पूछना था... (मैंने फोन loudspeaker पे डाल दिया|) जो पति अपनी बीवी को मारता-पीटता हो ...उसके साथ जबरदस्ती करता हो...ऐसे इंसान को कौन सी दफा लगती है?

सतीश जी: सीधा-सीधा Domestic Voilence का केस है| पत्नी हर्जाने के तहत कितने भी पैसे मांग सकती है...ना देने पर जेल होगी और हाँ किसी भी तरह का धमकाना...जोर जबरदस्ती की गई तो जेल तो पक्की है|

मैं: और हाँ cheating की कौन सी दफा लगती है?

सतीश जी: दफा 420

इसके आगे सुनने से पहले ही चन्दर ने घबरा कर sign कर दिया|

मैंने उसके हाथ से पेन और पेपर खींच लिए और वापस निकलने को मुड़ा... फिर अचानक से पलटा;

मैं: अम्मा...दादा तो अभी गुस्से में हैं...शायद मुझे माफ़ भी ना करें ....पर आप...आप प्लीज मुझे कभी गलत मत समझना| मैं शादी में आपके आशीर्वाद का इन्तेजार करूँगा|

मैंने आगे बढ़ के बड़के दादा और बड़की अम्मा के पैर छूने चाहे तो बड़के दादा तो मुझे अपनी पीठ दिखा के चले गए पर बड़की अम्मा वहीँ खड़ी थीं और उन्होंने मेरे सर पे हाथ रखा और मूक आशीर्वाद दिया| मेरे लिए इतना ही काफी था! शायद अम्मा संगीता के दर्द को समझ सकती थीं! पिताजी ने भी हाथ जोड़ के अपने भाई-भाभी से माफ़ी माँगी| मुझे लगा शायद बड़के दादा का दिल पिघल जाए पर आगे जो उन्होंने कहा ...वो काफी था ये दर्शाने के लिए की उनके दिल में हमारे लिए कोई जगह नहीं|

बड़के दादा: दुबारा कभी अपनी शक्ल मत दिखाना| इस गाँव से अब तुम्हारा हुक्का-पानी बंद!

ये सुनने के बाद पिताजी का दिल तो बहुत दुख होगा...और इसका दोषी मैं ही था! सिर्फ और सिर्फ मैं! इसके लिए मैं खुद को ताउम्र माफ़ नहीं कर पाउँगा! कभी नहीं! मैंने पिताजी के कंधे पे हाथ रखा और उनका कन्धा दबाते हुए उन्हें दिलासा देने लगा| हम मुड़े और वापस पैदल ही Main रोड के लिए निकल पड़े|

और तभी अचानक से खेतों में से भागती हुई रास्ते में सुनीता मिल गई|

सुनीता: नमस्ते अंकल!

पिताजी: नमस्ते बेटी...खुश रहो!

सुनीता: Hi !

मैं: Hi !

सुनीता: मानु जी...आप जा रहे हो? मेरी शादी कल है...प्लीज रूक जाओ ना?

मैं: सुनीता...My Best Wishes for your marriage! पर मैं तुम्हारी शादी attend नहीं कर पाउँगा| तुम तो जानती ही हो...और तुम क्या पूरा गाँव जानता है की मैं संगीता से शादी करने जा रहा हूँ| तो ऐसे में मैं अगर तुम्हारी शादी के लिए रुका तो खामखा तुम्हारी शादी में भंग पड़ जायेगा|

सुनीता: प्लीज रूक जाओ ना!

मैं: अगर रूक सकता तो मना करता?

सुनीता: नहीं...

मैं: अच्छा ये बताओ की लड़का कौन है?

सुनीता: मेरे ही कॉलेज का! Wholesale की दूकान है ...दिल्ली में|

मैं: WOW! मतलब लड़का तुम्हारी पसंद का है! शादी के बाद तुम भी दिल्ली में ही रहोगी... That's cool! तब तो मेरी शादी में जर्रूर आना?

सुनीता: मैं बिन बुलाये आ जाउंगी| अपना मोबाइल नंबर दो!

मैंने उसे अपना मोबाइल नंबर दिया और उसने तुरंत miss call मारके अपना नंबर दे दिया| हम ने उससे विदा ली और रात की गाडी से अगले दिन सुबह-सुबह दिल्ली पहुँच गए| घर पहुँचते ही पिताजी ने मेरे सामने अपना सरप्राइज खोल दिया;

पिताजी: बेटा... तुम्हारी शादी धूम-धाम से हो ये हम दोनों की ख्वाहिश है| तो मैंने तीन दिन पहले ही पंडित जी को तुम दोनों की कुंडली दिखाई थी और उन्होंने मुहूर्त 8 दिसंबर का निकाला है!

मैं: सच? (ये सुन के मेरा चेहरा ख़ुशी से खिल गया|)

पिताजी: हाँ...शादी की तैयारी भी शुरू हो चुकी है.... पर ये अभी तक secret था....तुम्हारी माँ का कहना था की ये बात तुम्हें आज ही के दिन पता चले|

मैं उठा और जा के माँ और पिताजी के पाँव छुए| पिताजी ने तो मुझे ख़ुशी से अपने गले ही लगा लिया|

पिताजी: तो बेटा वैसे तो guest की लिस्ट तैयार है...पर कुछ लोग ...जैसे की अनिल मेरा होनेवाला साल), अशोक, अनिल, गट्टू (तीनों बड़के दादा के लड़के) इन सब को बुलाएं या नहीं...समझ नहीं आता|

मैं: हजहां तक अनिल, मतलब मेरे होने वाले साले सहब (ये मैंने जान बुझ के संगीता की तरफ देख के बोला) की बात है...तो मैं उनसे बात करता हूँ| बाकी बचे तीन लोग....में से कोई नहीं आएगा|

पिताजी: पर अशोक? वो तो तुझे बहुत मानता है?

मैं: उनसे एक बार बात कर के देखता हूँ! इन सब के आलावा आपने और किस-किस को बुलाया है?

पिताजी: ये रही लिस्ट...खुद देख ले और मैं चला चांदनी चौक...तेरी शादी के कार्ड्स लेने!

मैं: आपने वो भी बनवा दिए...पिताजी आप तो आज surprise पे surprise दे रहे हो|

पिताजी: बेटा तुझी से सीखा है! (पिताजी खिलखिला के हँसे और चला दिए| सच पूछो तो उनके और माँ के चेहरों पे ख़ुशी देख के मैं बहुत खुश था|)

माँ नहाने चली गईं और पिताजी तो निकल ही चुके थे| 

अब बारी थी अनिल से बात करने की, मैं जानता था की उसे अब तक इस बात की भनक लग गई होगी| बस यही सोच रहा था की उसने फोन क्यों नहीं किया? क्या वो मुझसे नफरत करता है? पर मेरे सवालों का जवाब दरवाजे पे खड़ा था| दरवाजे पे knock हुई और संगीता ने दरवाजा खोला ये सोच के की पिताजी ही होंगे| पर जब उन्होंने अनिल को दरवाजे पे देखा और उसके हाथ में प्लास्टर देखा तो वो दांग रह गईं|

संगीता: अनिल...ये...ये सब कैसे हुआ?

अनिल: दीदी...वो सब बाद में ... क्या मैंने जो सुना वो सच है? आप मानु जी से शादी कर रहे हो? (उसने काफी गंभीर होते हुए कहा|)

संगीता: तू पहले अंदर आ और बैठ फिर बात करते हैं|

अनिल अंदर आया और बैठक में बैठ गया| मैं उसके सामने ही सोफे पे बैठा था....

संगीता: हाँ...हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी कर रहे हैं|

अनिल: पर आपने मुझसे ये बात क्यों छुपाई? क्या मुझ पे भरोसा नहीं था? I mean ...मुझे तो पहले से ही लगता था की मानु जी....आप से दिल ही दिल में बहुत प्यार करते हैं...और आप....आप भी तो उनके बारे में ही कहते रहते थे...पर आपने मुझे बताया क्यों नहीं?

संगीता: भाई...

मैं: (मैंने उनकी बात काट दी) क्योंकि हम नहीं जानते थे की हम इस मोड़ पे पहुँच जायेंगे की .... एक दूसरे के बिना जिन्दा नहीं रह सकते! Still if you think we're guilty ....then I guess we're sorry ...for not telling you anything !

अनिल: नहीं मानु जी....आप दोनों ने कोई गलती नहीं की....मैं...मैं आपकी बात समझ गया..... खेर...मेरी ओर से आप दोनों को बधाइयाँ?

मैं: क्यों? तू शादी तक नहीं रुकेगा? शादी 8 दिसंबर की है!

अनिल: I'm sorry .... दरअसल पिताजी ने मुझे कल ही फोन करके आप लोगों के बारे में बताया...खुद को रोक नहीं पाया और इस तरह यहाँ आ धमका... और दीदी ...आपने तो घर से सारे रिश्ते नाते तोड़ दिए!

संगीता: इसका मतलब तू हमारी शादी में नहीं आएगा?

अनिल: किसने कहा? मैं तो जर्रूर आऊंगा...पर आज मुझे जाना है... मेरी return ticket शाम की है| 1 दिसंबर की टिकट बुक करा लूँगा और आप दोनों को कोई चिंता नहीं करनी...मैं सब संभाल लूँगा|

दोनों बहुत खुश थे ...और संगीता के चेहरे की मुस्कान ने मुझे भी खुश कर दिया था|

संगीता: अब ये बता की .... तुझे ये चोट कैसे लगी?

अनिल मेरी तरफ देखने लगा...शायद उसे लगा की मैंने सब बता दिया होगा और हम दोनों की ये चोरी संगीता ने पकड़ ली|

संगीता: तो आपको सब पता था? है ना?

मैं: हाँ... याद है वो दिवाली वाली रात... जो फ़ोन आया था ...वो अनिल के मोबाइल से ही आया था|

फिर मैंने उन्हें साड़ी बात बता दी...सुमन की बात भी...बस college fees की बात छुपा गया|

संगीता: आपने इतनी बड़ी बात छुपाई मुझसे?

[color=#0000bf][size=large]मैं: I'm sorry यार.....really very sorry !!! पर
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RE: Hot Sex stories एक अनोखा बंधन - by sexstories - 07-16-2017, 10:48 AM

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