RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
"हां" महक ने शरमाते हुए जवाब दिया. राज की ये गंदी बातें उसे
और उत्तेजित कर रही थी... चूत गीली हो चुकी थी और उसे रस
उसकी जाँघो तक बह रहा था......... उसने उसे अभी छिनाल कहा था
और वो गुस्सा होने की बजाई उसकी बात सुनकर उत्तेजित हो गयी थी....
ये लड़का तो उसे बिना चोदे ही उसका पानी छुड़वा देगा...."
"उसने तुम्हारी जमकर चुदाई की की नही?" उसने फिर पूछा.
"हां" उसने झूट बोला.
"क्या तुम्हारी चूत ने पानी छोडा?" उसने पूछा.
"नही" उसने धीरे से कहा.
"फिर तो उसने त्म्हरी जाम कर चुदाई नही की है ना?"" उसने फिर
पूछा.
महक शरम के मारे कोई जवाब नही दे पाई, एक अंजान लड़के से
कैसे कहती की हर रात उसका पति उसे चोदता तो है लेकिन उसकी प्यास
नही बुझा पता है.... वो सिर्फ़ हुम्म कर के रह गयी.
"अगर तुम्हारा पानी नही छूटा तो फिर उसे चोदना नही आता, में
सही कह रहा हूँ ना?"
उसने फिर कोई जवाब नही दिया और चुप चाप अपनी गर्म साँसे फोन के
रेसीएवेर पर छोड़ती रही.
"जान मेरी मेने एक सवाल पूछा है... उसका जवाब दो ना... देखो
मेने तुम्हे छोडा तो तुम्हारी चूत ने पानी चोदा... तुम्हारे पति
तुम्हारी चूत का पानी नही चूड़ा पाया इसका मतलब है की वो तुम्हे
ठीक से नही चोद्ता.... में सही कह रहा हूँ ना? इसका मतलब ये
यही के तुम्हारे पति के मुक़ाबले में तुम्हारी आक्ची चुदाई करता
हूँ." उसने आत्मविश्वास से कहा.
महक जानती भी थी और महसूस भी कर चुकी थी की राज उसके पति
के मुक़ाबले कहीं बेहतर चुदाई करता था.... और राज भी ये बात
जान चुका था.... पर वो ये बात राज से ये बात कबूल करना अपने
पति से बेवफ़ाई करने जैस होगा इसलिए वो फोन पकड़े चुप चाप
बैठी रही..... इस उमीद मे की राज इस विषय को बंद कर वापस
अपनी हरकतों पर आ जाए उससे गॅंड गंदी बातें करे.
"अगर तुम मेरी बात का जवाब नही देना चाहती हो..तो हमारे बीच
और कोई बात करने को कुछ नही बचा है... जब तुम्हे लगे की तुम
जवाब दे सकती हो उस दिन मुझे फोन कर लेना..." उसने बड़ी बेरूख़ी
से कहा.
"ऩही.. नही फोन मत रखना.." वो फोन लगभग चिल्ला पड़ी. तभी
उसे एहसास हुआ की उसकी आवाज़ सुनकर कहीं उसका पति ना जाग
जये.....इस्लिये वो फोन पर धीरे से बोली.... "हां तुमने मुझे
मेरे पति से कहीं ज़्यादा अकचे तरीके से चोदा ये बात मनती हूँ."
"ये हुई ना बात मेरी छिनाल रंडी... मुझे विश्वास नही होता की तुम
इतनी छीनाल भी हो सकती हो... एक दिन मे इतनी बार... पहले में....
फिर पति के साथ... फिर वापस मेरे साथ फोन पर.. तुम्हे रंडी
बनना अच्छा लगता है ना?" उसने फिर आत्मविश्वास से कहा.
महक की समझ मे नही आया की राज की बात का क्या जवाब दे लेकिन
हां उसने महसूस किया की उसे इन सब मे मज़ा आ रहा है और वो सही
मे छिनाल बनने मे आनंद आ रहा है. बहोट कुछ खोया है उसने
अपनी जिंदगी मे अब वो एक छीनाल बनकर.... एक रंडी की तरह जिंदगी
के मज़े लूटना चाहती है.. राज ने उसकी सोई हुई बावनाओं को जगा
दिया था... जो कुछ उसने एहसास कराया था उसमे अलग ही आनंद छिपा
था.....
"हां मुझे तुम्हारे साथ इन सब बातों मे मज़ा आता है... में
तुम्हारी छिनाल रांड़ हूँ..." शब्द तो उसके मुँह से निकाल रहे थे
लेकिन असर उसकी चूत पर हो रहा था
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