RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--11
महक अपने बाथरूम मे शोवेर के नीचे खड़ी नहा रही थी. वो उन
निशानो को मिटाने की कोशिश कर रही थी जो थोडी देर पहले हुए
हादसे मे उसके बदन पर गिरे थे. तभी उसके पति ने बाथरूम का
दरवाज़ा खोल अपने आने के बारे मे उसे बताया.
"में बस दो मिनिट मे आई." उसने जवाब दिया.
महक ने फिर साबुन की टिकिया उठाई और अपने शरीर पर मलने
लगी. जब उसके हाथ उसकी चुचियों पर पहुँचे तो वो उन्हे अची
तरह सब्बुं के झाग से मलने लगी, फिर अपने साबुन से भर हाथ
अपनी चूत पर ले गयी और मसल्ने लगी. एक बार फिर मीठी सी लहर
उसके बदन मे दौड़ गयी. वो उस समय को याद करने लगी जब राज का
लंड उसके मुँह के अंदर बाहर हो रहा था और वो अपनी चूत को मसल
रही थी. छूट मसल्ते मसल्ते उसके मुँह से सिसकारी निकाल पड़ी.
अचानक उसे याद आया की उसका पति बाहर कमरे मे है, उसने जल्दी से
अपने बदन को धोकर पौंचा. वो एक रोब पहन बाहर आने लगी तो
उसे लगा की राज के ख़यालों से ही उसकी चूत गीली हो चुकी थी.
महक जब अपने बेडरूम मे पहुँची तो देखा की उसका पति कपड़े उत्तर
रहा था. उसे देख वो बीच मे ही रुक गया और उसे चूमने के लिए
उसकी और बढ़ा. महक ने भी अपना रोब खोल दिया. वो घूर कर महक
को देखने लगा, ऐसा नही था की उसने उसे इस तरह पहले कभी नही
देखा था, लेकिन वो एक हफ्ते से घर से बाहर था और वो उसे चोदने
के लिए बेताब था.
उसने महक को अपनी बाहों मे भरा और चूमने लगा. थोडी देर
चूमने के बह उसने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके बदन को चूमने
लगा. महक भी उसका साथ देने लगी और उसे चूमने लगी. थोडी देर
तक दोनो एक दूसरे के शरीर से खेलने के बाद उसका पति उसकी टांगो
को फैला उस पर चढ़ गया.
उसका पति ने एक हुंकार भरते हुए अपने लंड को उसकी चूत मे डाल
दिया उर जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा. महक शनिवार की शाम
की घटना को याद करने लगी जब राज ने किचन मे उसकी चूत को
चोदा था. उसकी चूत गरम होने लगी थी और शरीर मे उत्तेजना
बढ़ने लगी थी. आज कई सालों मे पहली बार उसे पति के साथ चुदाई
करते हुए अक्चा लग रहा था.
उसकी चूत ने उबाल खाया ही था की उसने देखा की उसक पति ने एक
झटका देते हुए उसकी चूत मे पानी छ्चोड़ दिया था. उसने उसे चूमा
और कहा की वो नहाने जा रहा है.
बरसों की तरह आज एक बार फिर उसका पति उसे तड़प्ता हुआ छ्चोड़ कर
चला गया था, उसकी चूत हमेश की तरह आज फिर प्यासी रह गयी
थी......
महक बिस्तर पर झल्लाई हुई लेती थी. उसके पति का वीर्या अभी भी
उसकी चूत से बह रहा था. वो अपनी चूत का पानी छुड़ाना चाहती थी
और अभी इसी वक्त झड़ना चाहती थी.... वो जोरों से अपनी चूत को
मसल्ने लगी. दूसरे हाथ से वो अपनी चुचियों को भींचने लगी.
वो ख़यालों मे फिर राज को याद करने लगी... किस तरह उसका लंड
उसके मुँह के अंदर बाहर हो रहा था... वो किस तरह उसके साथ गंदी
बातें कर उसे गरमा रहा था ....उसके वीर्या के स्वाद को याद कर
रही थी जो उसने अपनी ही चुचि पर से चाता थ......उसक अंदर
की गर्मी भदने लगी थी और वो जोरों से अपनी चूत और चुचि को
मसल्ने लगी. अपने कुल्ह उठा अपनी चूत को अपने ही हाथों पर दबाने
लगी...... चूत मे उबाल बढ़ने लगा था की उसे बाथरूम का दरवाज़ा
खुलने की आवाज़ सुनाई दी.
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