RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
राज ने अपने हाथ को उसकी शॉर्ट्स के अंदर डाला और पेंटी के अंदर
होते हुए उसकी चूत को अपनी मुति मे भर लिया और साथ ही अपने
दूसरे हाथ को टॉप के अंदर डाल उसकी नंगी चुचि को पकड़ लिया. राज
अब एक हाथ से उसकी चुचि मसल रहा था और दूसरे हाथ से उक्की
चूत.
राज ने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल अंदर बाहर करने लगा
और महक अपनी गॅंड को आगे पीछे कर उसके लंड को रगड़ने लगी. वो
गरमा चुकी थी और उसे राज का लंड चाहिए था अपनी चूत मे. राज
उसके उत्तावलेपन को समझ रहा था.
राज जानता था की उसे लंड चाहिए और वो देने भी वाला था पर ऐसी
ही नही, वो नही चाहता था की वो कहती फिरे की राज ने उसकी मर्ज़ी के
खिलाफ उसे चोद... वो उसकी मर्ज़ी से उसे चोदना चाहता था... वो
चाहता था की वो लंड के लिए गिड़गिडाए उसकी मिन्नत करे.
महक की चुचि और चूत को मसल्ते हुए राज ने अपनी गर्दन झुकाई
और उसकी कान मे फुसफुसाया, "मेरे लंड को पाकड़ो."
महक ने अपना हाथ पीछे किया और उसकी शॉर्ट्स के उपर से उसके लंड
को पकड़ लिया. वो शॉर्ट्स के उपर से ही लंड को सहला कर उसकी लंबाई
और मोटाई मापने लगी. उसके मोटे और लंबे लंड का एहसास कर उसकी
चूत किसी अधखुली नाल की तरह बूँद डर बूँद छुओआने लगी.
इतने साल हो गये थे उसकी शादी को और इतने साल मे अपने पति से
चुड़वाते वक़्त उसने कभी इस एहसास को महसूस निया किया था जो आज वो
राज के साथ महसूस कर रही थी. पता नही आज उसे क्या हो गया था
शायद बरसों की तम्मानाएँ शरीर की अग्नि उसपर हावी हो गयी थी.
शादी शुदा होते हुए वो आज अपने बेटे के दोस्त के साथ अपने ही
किचन मे उसके लंड को पकड़ खेल रही थी जहाँ उसका बेटा अपने
बाकी के दोस्तों के साथ बाहर ही खेल रहा था.
"मेरी शॉर्ट्स उतार कर मेरे नंगे लंड को पाकड़ो" तभी राज ने महक
से कहा.
महक राज की तरफ घूमी और घोटनो के बाल बैठ कर उसकी शॉर्ट्स को
नीचे खींच दी. राज ने अपने पैरों से शॉर्ट्स निकाल दी. अब उसका
मोटा और लंबा लंड महक के मुँह से कुछ ही इंच की दूरी पर था.
वो उस लंड को अपनी चूत मे लेना चाहती थी पर वो उसे घूरती रही
उसकी समझ मे नही आया की वो क्या करे.
"खड़ी हो जाओ?" राज ने उससे कहा, "अब मेरे लंड को पकड़ कर
मुठियाओ."
वो खड़ी हो गयी और जैसा राज ने कहा करने लगी. उसने उसके लंड को
अपनी मुति मे भर लिया और उसकी चाँदी को उपर नीचे कर उसे
मुठियाने लगी. वो राज की आँखे मे देख कर उसके लंड को मसल रही
थी.
"तुम चाहती हो ना की में तुम्हारी चूत मे अपने लंड को डाळ कर
तुम्हारी जम खाऱ चुदाई करूँ?" राज ने पूछा.
"हाआं हाआं" वो बोली.
"बताओ मुझे तुम्हे क्या चाहिए" उसने उसे हुकुम देते हुए कहा.
"हां चोडो मुझे ऑश चोडो" वो सिसकते हुए बोली.
"ऐसे नही प्लीज़ बोलो गिड़गिडियो मेरे आगे, प्लीज़ तुम्हारे लंड
से मुझे चोडो." उसने महक से कहा.
महक ने इसके पहले कभी किसी से इस तरह से बात नही की थी. उसने
इन शब्दों को पहले या तो किसी क मुँह से सुना था या फिर कीताबों
मे पढ़ा था लेकिन हक़ीकत मे उसने कभी अपनी ज़ुबान से कहा नही
था. लेकिन राज के मुँह से ऐसे सहबों को सुन वो और गरमा गयी और
खुद बा खुद उसके मुँह से निकालने लगा.
"ओह ऱाज़ प्लीज़ अपने इस मोटे और तगड़े लॉड से चोडो मुझे प्लीज़
जल्दी से चोडो और मत तड़पाव ना प्लीज़....."
ये शब्द निकाल तो उसके मुँह से रहे थे लेकिन धुन उसकी चूत बाज़ा
रही थी.
राज ने उसे घूमा दिया और सींक पर हाथ रख झुकने को कहा. फिर
उसकी शॉर्ट्स और पनटी दोनो को साथ पकड़ उसने उन्हे उसके घूटने तक
नीचे खींच दिया. महक ने अपना एक पैर शॉर्ट्स और पनटी मे से
निकाल अपना पैर फैला दिए और राज ने अपने लंड को पकडा और उसकी
चूत पर रखते हुए एक ही धक्के मे पूरा लंड अंदर घुसा दिया.
महक के मुँह से एक ज़ोर की सिसकारी निकाल पड़ी, तभी उसे एहसास हुआ
की उसे अपनी आवाज़ को धीमा रखना होगा. रात हो चुकी थी और
किचन मे अगर मे रोशनी थी तो सिर्फ़ बाहर के हाल मे चल रहे टीवी
की. बाकछे सब बाहर खेल रहे थे वो यहाँ आएँगे तो नही पर वो
नही चाहती थी की उसकी कराहें और सिसकियाँ उन्हे सुनाई पड़े.
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