RE: Sex Hindi Kahani बलात्कार
गतान्क से आगे..................
रूपाली को लग रहा था मानो नर्म मक्खन के बीच गर्म गर्म चाकू अंदर बाहर हो रहा हो………नीचे लेटे मोतिया को जन्नत का सुकून मिल रहा था. वो रूपाली की फेली हुई, कसी चूत का कड़ा दबाव महसूस कर रहा था…….और फिर, चमत्कार हो गया. एक साथ मोतिया ऊपर की ओर धक्का लगाता……मुंगेरी नीचे की ओर और दोनो के धक्कों का समय बिल्कुल एक साथ होने की वज़ह से, हर धक्के पे रूपाली दोनो के बीच भींच जाती और उसकी घुटि हुई आवाज़ आती,”हुन्न्ञनह………………….हुन्न्ञणनह……………हुनह”. मोतिया नीचे से खुशी से झूमते हुए चीखा,”मज़ाआआआअ…..आाआईयईई….गावा
ााआआआ रीईईईईई….ले….ले….ले, ले और ले….”
मुंगेरी कस कस के रूपाली की सुंदर गान्ड मार रहा था और इन दोनो काले चामारों के बीच रूपाली का गोरा, दूधिया बदन पिसता हुआ देख के कालू और सत्तू अपने लंड रगड़ रहे थे.
रोने धोने से कोई फ़ायडा नहीं था…..इसलिए रूपाली कोशिश करके बदन में पैदा होती हुई सनसनाहट का आनंद लेने लगी. उसे इस तरह कभी किसी ने नहीं चोदा था और मुंगेरी का लंड वाकई उसकी गान्ड में बहुत ही सख्ती से अंदर बाहर हो रहा था…….मुंगेरी के लंड की वज़ह से उसकी चूत पूरी तरह मोतिया के लंड को जाकड़ चुकी थी और ले-बद्धह तरीके से चुदाई-थुकायी जारी थी……
मोतिया का लंड कम आसानी से ऊपर नीचे हो रहा था मगर मुंगेरी के लंड ने गान्ड के अंदर आग सुलगा रखी थी…….. पुकछ-पुच्छ-पुकछ-पुकछ…….फुकच्छ…फुकच्छ…फुच…फुकच के बीच रूपाली की…….”हुन्न्ञणनह……..हाअएं…….हुन्न्ञनह….हुन्न्ह…..” दोनो चमारों के लंड में आग लगा रही थी……….12-15 मिनिट की ये चुदाई रूपाली को 12-15 युग समान लगी…..अचानक, मुंगेरी चीखा…..”आआआआआआाअगघह………हुमको…..माआआफ…..करो………ठकुर्ााआआईन्न्नननननननननननननणणन्…..आाागघ….आागघह……आअघह”….और उसने अपना सालों का जमा वीर्य रूपाली की गान्ड के अंदर छोड़ दिया……….”हाअए….हाअए……….मर गया रे रंडीईईईईईईईईईईईईईई”, बोलके मोतिया ने भी रूपाली की चूत के अंदर वीर्य-पात कर दिया.
चूत तो ठीक थी मगर गान्ड में रूपाली को लग रहा था मुंगेरी ने आधा लीटर वीर्य छोड़ा था. इस बेबसी की हालत में भी उसके दिल ने कहा,”हे भगवान, ये चमार चूत के अंदर झाड़ा होता तो आज तो मैं मा बन ही गयी थी……..”, ना चाहते हुए भी अपने ख़याल पे मुस्कुरा उठी. हालाँकि वो सिर्फ़ एक पल के लिए मुस्कुराइ थी मगर, मोतिया ने देख लिया और हंसते हुए बोला,”आए हाए रानी….अब तो बहुत खुस हो……पंचायत नहीं जाओगी सायद..हाहहाहा.”
रूपाली ने उठना चाहा मगर मोतिया और मुंगेरी, दोनो ने उसको जाकड़ लिया और बहुत ज़ोर से दोनो के बीच में दबा लिया. कोई 10-15 मिनिट वो ऐसे ही पड़े रहे!
कोई 15 मिनिट बाद, मुंगेरी ने अपना लंड रूपाली की सुंदर गान्ड से और मोतिया ने उसकी खूबसूरत चूत से, बाहर खींचा और रूपाली लड़खड़ाती हुई उठी. सत्तू ने पानी की बोतल उसकी ओर बढ़ाई और ना चाहते हुए भी रूपाली ने पानी पिया. गाओं में ये सोचना भी पाप था कि कोई चमार किसी ठकुराइन को पानी के लिए पूछ भी सकता है. मगर यहाँ वो बस एक मज़बूर औरत थी.
धीरे से रूपाली उठी और घने गन्नो की तरफ बढ़ी. वो सब जानते थे वो भागने की हालत में नहीं है, इसलिए सिर्फ़ उस तरफ ध्यान से देखते रहे. रूपाली लंबे गन्नो की आड़ में बैठ गयी और पेशाब करने लगी. हिस्स्स्स्सस्स……..की आवाज़ आते ही मानो कालू को करेंट लग गया. झटके से उठा और दौड़ के रूपाली की ओर दौड़ा. झट से उसने अपना दायां हाथ बैठी हुई रूपाली की गान्ड के नीचे घुसाया और रूपाली के पेशाब की गरम गरम धार अपने हाथों पे महसूस करने लगा.
हिस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…………………….हिस्स्स्स्स्सस्स……हिस्स्सस्स……….हिस्स्स….” की आवाज़ के साथ पेशाब का गिरना बंद हुआ और रूपाली की चूत के होंठों को दबा दबा के कालू ने आखरी बूँद तक निचोड़ के चूत को पूरा सूखा दिया. उसके बाद कालू ने मज़बूत हाथों से रूपाली को किसी बच्चे की तरह गोद में उठा लिया और वापस, सबके बीच में ले आया.
चाँदनी रात में सब नंगे बैठे थे, और हल्की ठंडक हवा में होने के बावजूद, सबको हल्का पसीना आ रहा था. इतनी मेहनत जो की थी सबने. रूपाली ने अपनी सारी को अपने कंधों पे इस कदर रख लिया कि उसका नन्गपन कुछ छुप जाए. उसकी देखा-देखी साँवली-सलोनी कमला ने भी अपना घाघरा कंधो पे रख लिया अपनी छाती को ढकने के लिए. चाँदनी रात में कमला का नंगा बदन, पैरों में सिर्फ़ दो चाँदी की पाजेबें और सांवला सलोना रंग बहुत आकर्षक लग रहा था. रूपाली, का ननगपन, उसकी गुलाबी सारी से छन के बाहर निकल रहा था और उसके गोरे चेहरे पे फैला हल्का काजल, उसके खूबसूरत घने काले बाल, गोरा रंग और खूबसूरत चेहरा उसे किसी अप्सरा से कम नहीं लगने दे रहे थे.
|