RE: बाप बेटी की कहानी - पापा की हेल्पिंग बेटी
पापा की हेल्पिंग बेटी--भाग -2
हेल्लो दोस्तों आप लोगों ने इस कहानी के पहले भाग को काफी पसंद किया मेरे पास काफी मेल भी आए
सबने यही कहा इस कहानी का अगला भाग जल्दी मेल करो मुझे बहूत खुशी हुयी की आपको कहानी पसंद आयी
अब मैं आपको और ज्यादा बोर नहीं करूँगा क्यौकी मैं जानता हूँ आप की कहानी का मजा किरकिरा हो रहा हैं
आपका दोस्त राज शर्मा
पापा और मैं अब थक चुके थे. हम दोनो बाप बेटी बेड पेर जा कर एक दूसरे की बाँहों मैं लिपट कर लेट गाए. मैं पाप के सीने से बरी तरह चिप टी हुई थी, और पापा के होंठों को किस कर रही थी. मेरे टिट्स पापा के सीने से मिले हुए थे.
"कैसा लगा मेरी जानू को?" पापा ने आहिस्ता से मेरे कान से मुँह लगा कर पूछा.
"आप को कैसा लगा पापा?
"जानू, मुझे टॉ बहुत अछा लगा. तुम्हारी अम्मी के बाद आज तुम ने वो मज़ा दिया हे के बता नहीं सकता. बहुत टाइट चूत हे मेरी नूरी की. आज मुझे पता चला के मेरी बेटी का जिस्म कितना सेक्सी हे. जी चाहता के बस अपनी नूरी जानू को चोदता रहूं." यह कहते हुए पापा ने मेरी गाड़ की दोनो गोलाईयों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.
मैं ने अपनी एक टाँग पापा के दोनो टाँगों के बीच मैं डाल कर पापा को अपने से और क़रीब कर लिया, के पापा का लंड मेरी चूत के उपर रगर खाने लगा.
मैं नंगी थी और पापा भी नंगे थे. हमारे दोनो के नंगे जिस्मों मैं फिर से आग दहकने लगी. मैं तो आज इतनी छोटी सी उमर मैं पहली दफ़ा चुदी थी, इस लिये मुझे बहुत ज़ियादा अब बार बार चुड़वाने की खाविश हो रही थी. मेरा बस नही चल रहा था के मैं पापा के कहूँ के बस वो मुझे चोदते रहाीन.
मैं अपनी गांद को आगे की तरफ पुश कर कर के अपनी चूत को पापा के लंड से रगर रही थी. पापा का लंड फिर से तन कर सख़्त हो गया था.
"जानू फिर से चोदू तुम्हे?" पापा मेरी हरकतों से शायद समझ गये थे.
"हून …" मैं इस हून के साइवा कुछ और ना बोल सकी और शरमा कर मैं ने अपना मुँह पापा के सीने मे छुपा लिया, और एक हाथ से पापा का सख़्त लंड मुथि मैं जकर लिया. पापा का लंड मेरी मुथि मैं आते ही बुरी तरह से मचलने लगा.
"मैं अब अपनी प्यारी सी बेटी को पीछे की तरफ से घोरी बना कर चोदूगा" पापा ने यह कहते हुआी मुझे औंधी हो कर गांद ऊपर उठाने को कहा.
मैं बेड पेर औंधी हो गई और गाड़ बिल्कुल ऊपर उठा दी. पापा ने पीछे से मेरी गोल गोल गांद को अपने दोनो हाथों मैं थाम लिया और बजाए अपना लंड मेरी चूत मैं डालने के, उन्हो ने अपनी ज़बान से मेरी चूत चाटनी श्रु करदी.
पीछे से मेरी चूत चाटने की वजह से मेरा बुरा हाल हो गया और मेरे पूरे जिस्म मैं जैसे करेंट सा दौरने लगा.
"पापा …. मार गई …. उफ़ पापा …. काइया कर रहे हैं मेरी चूत मैं ….. मार जाऊंगी ….. चोदिए मुझे …… चोदिए पापा …… मेरी छूट को छोदान ….. लंड डालैन अपना मेरी छूट मैं …..!!"
पापा ने आख़िर एक हाथ से मेरी गांद पकरी और दूसरे हाथ से अपने लंड की टोपी मेरी चूत के छेड़ से लगाते हुआी कहा: "नूरी …. डालूं लंड तेरी चूत मैं .. .. .. उफ़ नूरी कितनी चिकनी और गुलाबी चूत हे मेरी बेटी की …." पापा मेरी चूत पेर अपना लंड फेर रहे थे. मेरी चूत के दाने से लंड की टोपी जुब टच होती तो मैं बुरी तरह मज़े मैं काँपने लगती .
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