Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
07-14-2017, 12:30 PM,
#1
Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
ये कैसा परिवार !!!!!!!!! पार्ट--1

ये है देल्ही देश का सबसे व्यस्त सिटी आबादी लगभग 1.5 करोड़ से भी ज़्यादा ... यहा सभी धर्म सभी प्रांत के लोग रहते है यहा कभी कोई लड़ाई झगड़ा न्ही होता यहा के लोग के काम {चुदाई या जॉब डिसाइड युवर सेल्फ़ आफ्टर रेड} मैं विश्वास रखते है ...यहा एक एरिया पड़ता है महरौली.... अधिकतर पंजाबी फॅमिलीस रहती है और किराए पर अप्प्ना घर उठाते है एसे ही एक घर मैं एक परिवार किराए पर रहने आया फॅमिली मैं केवल 2 लोग ही थे मियाँ {सुरेश} और बीवी {रत्ना}. मकान मालकिन एक 50 वर्षीया विधवा थी जिसके पति की डेथ कोई 10 साल पहले हो गई थी उसका एक लड़का था टीटू जो कुछ करना ही न्ही चाहता था एज करीब 18 साल ....मा अपने घर को किराए पर उठा कर घर का खर्चा चलाती थी...अभी तो शुरुआत है देखिए कितने आए लोग मिलते है इस परिवार मैं और किसका कैसा नेचर है ...........

सुरेश को रिलाइयन्स मैं सेल्स टीम लीडर है इसलिए कोई वर्किंग टाइम फिक्स न्ही है पोलीस की तरह 24 अवर सर्विस मैं उपलब्ध रहता है रात के 1 बजे हो 2 बजे हो कोई फ़र्क न्ही पड़ता बस उठो और पीसी पर रिपोर्ट तैयार करके भेजो कभी कभी तो हेड अपने घर पर बुला लेते है...

सुरेश की एज कोई 28 साल की थी हाइट 5.9 हैल्थि सुंदर था और रत्ना भी 5.4 के आसपास्स थोड़ा फॅट एक्सट्रा था लेकिन पूरी हाउस वाइफ टाइप थी हमेशा मॅक्सी और साडी पहनना पसंद करती थी....

सुरेश को काम पर जाने के लिए डेली रूटीन से गुज़रते हुए खाना ज़रूर खाना पड़ता था क्योंकि रत्ना उन्हे बिना खाना खाए न्ही जाने देती थी क्योंकि सुरेश बहुत चोदु किस्म के थे और लिए बिना न्ही मानते थे इसलिए रत्ना का मानना था कि कुछ ना कुछ खाते रहो तो निकलने से ज़्यादा असर न्ही होगा...खाना बनाते बनाते पसीने से भीग चुकी थी रत्ना और पसीने की वज़ह से जो खुसबू वाहा फैली थी उसने सुरेश को मदहोश कर दिया सुरेश धीरे से रत्ना के पीछे जा कर खड़ा हो गया और पीछे से अपपना लॅंड उसके टच करने लगा रत्ना बोली

उफ्फ तुम भी ना हर समय ये सब क्या है कभी तो चैन से रहने दिया करो यार्र हर वक़्त ठुकाई तुम्हारा मन न्ही भरता क्या कभी

सुरेश : यार्र शादी किसलिए की थी ..तुम्हारे घर गया था 5 लाख खर्चा किए है तुम्हारे बाप न्ही फिर इतनी खूबसूरत बीवी भी किसी किसी को मिलती है आओ एक राउंड होज़ाये..

रत्ना : अरे ऑफीस का टाइम हुआ है अभी 5 बजे ही तो ली थी तुमने अब्ब फिर

सुरेश : अरे आ जाओ यार्र

रत्ना : न्ही, काम करवाने के बाद मैं बहुत थक जाती हूँ और फिर मैं खाना न्ही ब्ना पाउन्गी

सुरेश : कोई बात न्ही यार्र मैं ऑफीस की कॅनटिन मैं ले लूँगा तुम आओ

रत्ना : न्ही

सुरेश वही पर उसकी मॅक्सी उठा कर उसकी पॅंटी से खेलने लगता है और रत्ना मदहोश होने लगती है फिर धीरे धीरे सुरेश अप्प्ना काम निपटा कर ऑफीस चला जाता है लेकिन रत्ना पॅंटी पहनना भूल जाती है ...अब्ब देखो क्या होता है.........

सुरेश ने जी भर कर ली थी इसलिए थक कर रत्ना बेहाल हो गयइ थी और गहरी नींद मैं सो गयइ थी. ऑफीस से दो बार सुरेश ने कॉल किया लेकिन फोन रिसीव न्ही किया सुरेश समझ गया कि रत्ना सो रही है हमेशा ये ही होता था इसमे कोई असचार्य की बात न्ही थी.शाम के चार बजे रतना उठी टाय्लेट गयइ और वाहा जा कर अपपनी प्यारी सी चूत देखी जिसका दीवाना था सुरेश ... जो हरदम हाथ डालना तो ज़रूरी ही समझता था ....रत्ना की चूत बिल्कुल प्यारी चिकनी सुन्दर सी थी..जो अब्ब रत्ना को भी अच्छी लगती थी....

रत्ना फ्रेश हो कर किचन मैं गयइ और अप्प्ने लिए 1 कॉफफी बना कर लाई और अप्प्नि डाइयरी पढ़ने लगी आज उसे हिमांशु की बहुत याद आ रही थी...

हिमांशु..रत्ना का एक्स-बाय्फ्रेंड रत्ना ने अप्प्नि खूब रातें रंगीन की थी हिमांशु के साथ कभी पिक्चर हॉल मैं कभी होटेल मैं कभी पिक्निक मैं ...रत्ना सोचते सोचते बहुत पीछे चली गयइ...जब वो इंटर की स्टूडेंट थी और बोर्ड एग्ज़ॅम्स चल रहे थे आज केमिस्ट्री का एग्ज़ॅम था और रत्ना अप्प्नि तैयारीओं मैं व्यस्त थी ....पढ़ाई की ..अरे न्ही आज वो स्कूल बंक करके हिमांशु के साथ डेट पर जा रही थी घर से प्राची ने अपपनी स्कूटी ली और निकल पड़ी मा ने टीका लगा कर दही खिला कर भेजा ...

मा- बेटा अच्छा पेपर करके आना

रत्ना-ठीक मा अब जाउ देर हो जाएगी आज सीट्स भी चेंज हो गयइ होंगी

मा- ठीक से जाना बेटा स्कूटी धीरे चलाना

रत्ना- ठीक है मा बाइ...

रत्ना से स्कूटी ले कर रेव पहुचि जहा पर अप्प्नि स्कूटी पार्किंग मैं लगा कर वो हुमान्शु की कार मैं बैठ गयइ और वो दोनो लोंग ड्राइव पर निकल गये रास्ते मैं हिमांशु ने स्मूचिंग और किस्सिंग का मौका न्ही छ्चोड़ा फिर वो अप्प्ने पेट होटेल मैं पहुचे जहा का वेटर उन्हे ठीक से पहचानता था हिमांशु से उसे 200 रुपये दिए ओर वो अप्प्ने रूम मैं चले गये....रत्ना एक कली थी बिल्कुल खिली हुई कली..दूध सी रंगत ...गुलाबी गाल फिट और स्कूल ड्रेस मैं वो कोई छ्होटी बच्ची लग रही थी अंदर जाते ही हिमांशु ने उसे अप्प्नि गोद मैं खीच लिया और शर्ट के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा..

रत्ना: हिमांशु पागल हो क्या मुझे घर भी जाना है शर्ट पर दाग लग जाएँगे

हिमांशु: तो उतार दो ना इसे

रत्ना: न्ही पागल हो क्या , हम न्ही उतारेंगे

हिमांशु: तो यहा क्या हम तुमहरि आरती उतारेंगे

रत्ना: तो उतारो

हिमांशु:क्या ?

रत्ना: क्या उतारना है

हिमांशु : स्कर्ट

रत्ना : न्ही वो ऊपर करके काम कर लेना. शर्ट उतार दो

हिमांशु:न्ही मुझे तुम्हारी देखनी है

रत्ना: अरे हर बार देखना देखना है करते हो हमेशा तो देखते हो, बदल थोड़े ना गयइ है

हिमांशु: तुम दिखओगि कि हम जाए , और आज के बाद बुलाना मत मुझे

रत्ना: अरे बाबा गुस्सा मत हो उतार लो, तुम बहुत वो हो अप्प्नि बात मनवा लेते हो..

रत्ना : हिमांशु देखो ये अच्छी बात न्ही है हर बार तुम ये ही करते हो

हिमांशु: क्या ?

रत्ना :मुझे न्ही मालूम क्या कहते है इसे ?

हिमांशु: किसे ?

रत्ना: मुझे शरम आती है

हिमांशु : मेरे सामने नगी चूत ले के खड़ी हो तब शरम न्ही आ रही है

ये सुन कर रत्ना नाराज़ हो जाती है

रत्ना: रहने दो कपड़े दो

हिमांशु: नाराज़ हो गई क्या

रत्ना: न्ही मुझसे बात ना करो

हिमांशु: अरे मैने मज़ाक किया था यार्र फिर क्या ग़लत कहा , नंगी खड़ी हो झांते तक न्ही बनाती हो और "चुदाई" कहने मैं शरम आ रही है

रत्ना: ठीक है अब्ब तुम खुद देखो आज के बाद मुझसे बात मत करना....

रत्ना इतना ही सोच रही थी कि किसी ने दरवाज़ा खटखटाया तो रत्ना जैसे होश मैं आ गई..........दरवाज़ा खटखटाया जा रहा था इसका मतलब कोई अंदर ही है डोर ओपन किया तो देखा कि मकान मालकिन का पागल लड़का था

लड़का : आंटी 1 ठंडी बोटेल दे दो पानी की

रत्ना: {मन मैं घोनचू पागल मैं आंटी दिखती हूँ इसे अभी ठोक दे तो 3 बच्चो का बाप बन जाए} ये लो पानी

पानी दे कर गेट बंद कर लेती है , लेकिन तभी कोई काम याद आ जाता है और वो मकान मालकिन के रूम की तरफ जाती है और बेड पर बैठ जाती है. बेड पर रत्ना कुछ इस तरह से बैठी होती है कि उसकी मॅक्सी उप्पेर उठ जाती है और पॅंटी तो रत्ना ने सुबह से ही न्ही पहनी थी..

रत्ना :चाची कहा हो ?

मकान मालकिन{म्म} : अब क्या हो गया रत्ना बोल बेटा .

रत्ना: चाची कल वो आपको किराया दिया था उसमे 500 रुपये ज़्यादा आ गये थे आपने कहा था सुबह वापस ले लेना सुबह से सो रही थी याद न्ही रहा

: हाँ , हाँ लाती हूँ अब्बी रुक्क जा तू

मकान मालकिन जाती है एक 500 का नोट ले कर आती है तभी उसकी नज़र रत्ना की उप्पर उठी मॅक्सी पर पड़ती है अंदर का भी हल्का नज़ारा दिखता है

: आज कल फ़ुर्सत भी मिल पाती होग्गी तुज्झे

रत्ना: किस बात की चाची ,

: कपड़े भी तो न्ही पहने का मौका मिल पाता

रत्ना : तुम भी चाची

: क्या तुम भी देख तेरी चूत दिख रही है , झांते न्ही साफ करती क्या कभी , इसे साफ रखा कर न्ही तो इन्फेक्षन हो जाएगा

रत्ना मकान मालकिन के मूह से ये सुनकर हैरान हो गयइ , शायद छ्होटे सहर का असर था आगे आगे देखो होता है क्या ................

आख़िर लड़की तो लड़की ही होती है वो तो नॉर्माली अप्प्नि मा के आगे भी कपड़े न्ही बदलती फिर एक अंजान औरत उसकी बेहद प्राइवेट पार्ट के बारे मैं कॉमेंट पास करे तो ये तो उसके लिए एक दोसरे मर्द से चुदवा लेने के बराबर बात हुई...

रत्ना : क्या चाची आंट शॅंट बोल रही हो इतने गंदे वर्ड्स कोई यूज़ करता है

मालकिन: अब्ब बाई चूत को पुसी कह देगी तो क्या वो चुदवाना छ्चोड़ कर चोदने लगेगी

रत्ना तो हक्का बक्का रह जाती है एसे शब्द सुनकर और वापस कमरे मैं आ जाती है

और याद करती है कि जब हिमांशु को उसने किस तरह से डांटा था चूत शब्द का यूज़ करने पर ..शायद रत्ना को आक्चुयल पता न्ही था कि योनि को चूत भी कहते है क्योंकि हाइह्क्लास सोसिटी का असर भी हो सकता है कि वो चूत कहने मैं हीनता महसूस कर रही थी क्योंकि चूत तो ग़रीबो की होती है.

लेकिन उसने तय कर लिया कि अब कल ही यहा से रूम शिफ्ट कर देंगे चाहे जो कुछ भी हो अगर इस बुढ़िया का एसा ही बहाविएर रहा तो किसी दिन इसका लड़का मुझ पर ना चढ़ जाए ... उसने तुरंत सुरेश को कॉल किया

रत्ना: सुरेश आज ही न्या अड्रेस ले कर आओ हम कल ही शिफ्ट करेंगे

सुरेश: अरे जानू क्या हुआ इतना गुस्सा किसी ने कुछ कहा

रत्ना: तुम आज ही रूम देखो न्ही तो मैं पापा से कह कर पापा का कोई गुड़गाँवा वाला बंग्लो ले लेती हू तुम्हे पसंद हो या ना हो

सुरेश: रत्ना तुम जानती हो ना कि मैं भीख न्ही लेता इसलिए मैने तुम्हारी शादी मैं दहेज़ भी न्ही लिया था क्योंकि मैं कुछ भी बिना मेहनत के न्ही लेना चाहता

रत्ना : प्लीज़ सुरेश प्लीज़ फिर वाहा तुम मुझे अपने हिसाब से रखना सारा दिन बिना कपड़ो के रहूंगी जैसा तुम सोचते हो लेकिन किराए के घर मैं एसा कैसे हो पाएगा बोलो

सुरेश : ठीक है लेकिन तुम्हे मेरा मूह मैं भी लेना पड़ेगा क्योंकि तुम हमेशा कहती हो "छि ये केवल पिक्चर मैं होता है इसे कोई मूह मैं डालता है " समझी कि न्ही

रत्ना : ठीक है बाबा वो भी करूँगी

सुरेश : क्या ?

रत्ना: अरे वो ही लूँगी मूह मैं

सुरेश : वो क्या ?

रत्ना : तुम्हारा लंड बस खुश...

लंड शब्द रत्ना इतनी उत्तेजना मैं बोल देती है आवाज़ बाहर पागल लड़के तक चली जाती है और वो गेट खटखटाने लगता है ....

क्रमशः..............................................
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