RE: XXX Kahani दोस्त बना साला
वह गुलाबी रंग का शलवार कुर्ता पहने थी जिसमे वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. उसने ट्रे टेबल पर रखी और चाइ कप मैं निकाली फिर चली गयी. मैं उसे ही देख रहा था. वह एकदम नॉर्मल थी. हम दोनो ने चाइ पी. अब तक 4:30 बज गया था. चाइ पीने के बाद रमेश ट्रे लेकर बाहर चला गया. मैं वही बैठ रहा. 3-4 मिनिट बाद कमरे के बाहर से दोनो के हस्ने की आवाज़ आई तो मैं दरवाज़े को देखने लगा. तभी वह दोनो अंदर आए. अब मेरा दिल एकदम से धरकने लगा. रमेश सिर्फ़ लूँगी मे था और उसकी बहन सपना ब्लाक टाइट शर्ट और ब्लच मिनी स्कर्ट पहने थी. शर्ट इतनी टाइट थी कि उसकी दोनो बरी- बरी चुचियाँ से शर्ट फटी जा रही थी. रमेश अपनी बहन के बगल से हाथ डाले उसकी दोनो चुचियों को अपने हाथ से पकरे उसे धक्का देता अंदर ला रहा था और वह खिल-खिलाकर हंस रही थी. तभी उसने मुझे देखा तो चुप हो गयी और मुझे देखती मुस्कराने लगी. वह मुझे जानती थी. मैं भी दोनो को देख रहा था. वह दोनो पास आए और मेरे वाले सोफा पर ही बैठ गये. सपना बीच मैं बैठी थी. उसने एक पल मुझे देखा फिर अपनी भाई की तरफ मूड गयी और फिर खिल- खिलाने लगी. रमेश भी हंसते उसकी चुचियों को टच कर रहा था. दोनो को अपने सामने ऐसा करते देख मैं हक्का-बक्का था. तभी सपना हंसते हुवे बोली, "ओह्ह भाय्या जाओ तुम बहुत मज़ाक करते हो." वह दोनो आपस मैं इसी तरह की हरकत 2-3 मिनिट करते रहे फिर. सपना ने अपनी हँसी रोक कर कहा, "आहह भाय्या अब 3-4 दिन आराम रहेगा. मम्मी पापा तू 4 दिन बाद आएँगे. भाय्या?" "क्या है?" "ये आपके दोस्त तू बहुत डर रहे हैं. ये इतना डर क्यों रहे हैं?" "क्या पता तुम ही पूछ लो." वह मेरी तरफ मूडी और मेरे कंधे पर हाथ रख बोली, "आप घबरा क्यों रहे हैं?" "ज्ज्ज जी नही नही मैं मैं न.. नही तो." वह फिर खिल-खिलाकर हस्ने लगी. मैं उसकी उठती बैठती चुचियों को देखने लगा. मंन किया कि पकड़ लूँ पर डर गया. वह कुच्छ देर हँसती रही फिर मेरे दोनो हाथो को पकड़ मेरी आँखो मैं देखती बोली, "आप मेरे भाय्या के सबसे आछे दोस्त हैं. भाय्या आपकी बहुत तारीफ्फ करते हैं. कहते थे कि मेरा दोस्त बेचारा लल्लू है. कभी किसी लड़की को टच नही किया. कोई बात नही लो मेरी टच कर लो." और इतना कह उसने मेरे दोनो हाथो को अपनी चुचियों पर रख लिया. उसकी चुचियों पर हाथ रखते ही मेरी धड़कन तेज़ हो गयी. मेरा गला सूख गया. मैं चुपचाप हाथ रखे रहा तो वह फिर खिल- खिलाकर हासणे लगी. हंसते-हंसते बोली, "भाय्या आप सच कहते थे कि आपका दोस्त लल्लू है. लो अब हाथ मैं दे दिया तू भी चुप बैठा है कुच्छ करता ही नही." उसकी बात सुन हिम्मत कर मैने धीरे से उसकी चुचियों को दबाया तो मैं मज़े से भर गया. फिर दो तीन बार दोनो को दबाया तो वह अपने हाथ से अपनी शर्ट के बटन को खोलने लगी. शर्ट खुलते ही उसकी दोनो खूबसूरत कसी चुचियाँ नंगी हो गयी. वह शर्ट के नीचे कुच्छ भी नही पहने थी. मैं उसकी चुचियों को देखने लगा तो उसका भाई और मेरा दोस्त रमेश आगे आ दोनो चुचियों को पकड़ मसल्ते हुवे बोला, "लो यार अब तुम चुप बैठे हो और फिर कहोगे की बोर होते रहते हो. लो करो जो मंन मैं आए. मैं तो अपनी बहन की चुचियों को चूस-चूस कर पीता हूँ." इतना कह वह मेरे सामने अपनी बहन की एक चूची को अपने मुँह मैं लेकर पीने लगा तो सपना ने मुझे दूसरी वाली को पीने का इशारा किया. मैं भी झुककर उसकी दूसरी चूची को पीने लगा. वह एक को अपने भाई के मुँह मैं दे दूसरी चूची को अपने भाई के दोस्त के मुँह मैं देकर चुस्वकार मज़ा ले रही थी. मुझे अनोखा मज़ा मिल रहा था और मैं उसकी चूची को चूस्ते हुवे सोच रहा था कि सच यह तो बहुत मज़ा देने वाली चीज़ है.
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