RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ नीतू भाभी का कामशास्त्र
मैं ने उनकी आँखों में देखते हुए कहा, "क्या बताउ ……. आप तो मज़े से पागल कर रही थी मुझे. ……… मैं तो होश में नही था!"
"ह्म्म्म्ममम …..इस में कुच्छ बचा भी है?", पूछ्ते हुए भाभी एक दो बार फिर मेरे लौदे को चूत के अंदर दबाने लगी. "और झदोगे?"
"उफफफफफफफ्फ़ ……." मैं ने कहा, "कुच्छ नही बचा है …….इसकी क्या बात करती हैं …… कहा ना, मेरी जान भी नही बची है …….ऊऊओह!"
"अर्रे ……इतनी मस्ती से झड़ने के बाद कुच्छ मज़ेदार बात करो ….कुच्छ गंदी बातें तो करो!"
"ह्म्म्म्मम…"
"कुच्छ तो बोलो," और भाभी ने अपनी चूत को फिर सिनकोड लिया, और लंड का जकड़न बढ़ा दिया.
मैं ने उनके तरफ देखा. वो भी मुझे शोखी के साथ देख रही थी. मैं ने अपने हाथ उठाकर उनके बाल को छुते हुए कहा, " चूस लीजिए ……… अपनी चूत से मेरे लौदे को चूस लीजिए……चलिए!"
"हाँ?"
"हमम्म्मममममम…. एक-एक बूँद निचोड़ लीजिए!"
"अच्छा?"
"हामम्म्ममममम!"
"ऊर्ग्ग्घ्ह्ह्ह…." मैने कहा, "लीजिए और!"
"ह्म्म्म्म …… और भी है?"
" अब नही है… एक एक बूँद तो आप निचोड़ ली!"
"सच में? ….. एक भी बूँद नही?"
भाभी अपनी होंठ भींच रही थी. उनकी आँखों मे मस्ती समाई नही जा रही थी, और वो मुझ से कही, " हाऐ ……….. बहुत मज़ा आया!" मैं अपना एक हाथ उठाकर भाभी के गाल को सहलाया, उनके होंठ पर उंगली फेरा.
भाभी ने अपना सर फिर नीचे करके हल्के से कान को काटने लगी, अपनी गीली चूत की पत्तियॉं और दाने को मेरे लौदा के उपर रगदकर मेरे कान में धीरे से बोली, " क्यूँ?…हो सकता है …कि थोरा सा अभी भी बचा हो ……कहीं किसी कोने में!… क्यूँ…. अपने मुँह से चूस कर निकाल लूँ? ………ह्म्म्म्मममम? ….बोलो!"
तो दोस्तो कैसी लगी ये देवर भाभी की दास्तान
समाप्त
एंड.
|