RE: Kamukta Kahani मम्मी – पापा का खेल
इस यात्रा ने मेरा निश्चय पक्का कर दिया ….क्योंकि उसके बेइंतहा
सौंदर्या ने, उसके साथ की मदहोशी ने….उसके मांसल सीने को जब मैने
इतने नज़दीक से देखा……जीन्स मैं कसे उसके चौड़े गोल पुत्तों को
…उफफफफफ्फ़…मैं कैसा तड़प रहा था मैं ही जानता हूँ.
जल्द ही वो दिन आ गया…..मैं उस दिन घर पर अकेला था. बबली भी आ
गयी….लंच के बाद. मेरी त्यारी पूरी थी. एक बहुत सुंदर बीच ब्रा
और जी-स्ट्रिंग मैने खरीदी. एक नया जॉकी अंडरवेर अपने लिए या
कहूँ की उस दिन के लिए, जिसका मुझे किसी भी चीज़ से ज़्यादा इंतज़ार
था.
फिर उस दिन वो आई…लंच के बाद. वो सुबह टशन गयी थी, तब उसका
भाई ताला लगाकर कहीं चला गया था. कुछ और काम ना था तो वो
मेरे घर आ गई. उस दिन मैं भी अकेला था.क्या बताऊं जब दरवाजा
खोला और उसे खड़ा देखा तो मेरे बदन मैं एक झुरजुरी सी हो गई.
वो कमसिन हसीना मेरे सामने खड़ी थी.उन्नत तना हुई शर्ट मैं कसे
कसे बूब्स….वो गड्राया बदन….मेरी नस –नस फड़कने लगी. हम
बातचीत मैं खो गये. आख़िर वोही बोली चलो घर-घर खेलते
हैं…..जैसे हम बचपन मैं खेलते थे!
हां चलो…..बहुत मज़ा आएगा……देखते हैं बचपन का खेल अब खेलने
मैं कैसा लगता है……ठीक है…..तुम मम्मी …मैं डॅडी……
और हमारे बच्चे…? उसने हंसते हुए पूछा….
अरे हां….बच्चा तो कोई भी नहीं..है….तो फिर तो हम केवल पति
–पत्नी हुए ना अभी…..ना की मम्मी-डॅडी.
वो खुस हुई….हां ये ठीक है…..पति-पत्नी. आप मेरे पति और मैं
आपकी पत्नी. और आज हम पूरे घर के अंदर ये खेलेंगे…ना की किसी
कोने मैं…..
ओके….मैने कहा.
और हम पति-पत्नी की तरह आक्टिंग करने लगे. खेल सुरू हो गया. मैं
फिर उसकी खूबसूरती के जादू मैं डूबने लगा. मेरे शरीर मैं एक
खुशनुमा मादकता च्चाने लगी. उसके बदन को छूने …देखने के बहाने
मैं ढूँढने लगा. जैसे वो किचन मैं चाइ बनाने लगी…तो मैं
चुपके से पीछे पहुँच गया….और उसके बम्स पर एक चिकोटी काटी. वो
उच्छली…ऊऊ….क्या कर रहे हैं आप…..
अपनी खूबसूरत बीबी से छेड़ छाड़…..मैने मुस्कुराते हुए कहा.
वो वाक़ई मैं बेलन लेकर झूठ-मूठ मरने के लिए मेरे पीछे
आई….मैं दूसरे कमरे मैं भगा….उसने एक मारा भी…..
आआहह….तुम तो मारने वाली बीबी हो…..मैने शिकायत भरे स्वर मैं
कहा……देखना जो मेरी असली बीवी होगी ना….वो मुझसे पागलों की तरह
प्यार करेगी.
और आप….? आप उसे कितना प्यार करोगे….?
मैं…..आपने से भी ज़्यादा……दुनिया उसके कदमों मे रख दूँगा मैं…..
साच…? वो कितनी लकी होगी…..अच्छा आप उसे किस तरह पुकरूगे…?
मैं उसे हमेशा डार्लिंग कहूँगा…..
तो आज के लिए मुझे भी कहो ना….
ओके…..तो मेरी डार्लिंग बबली…..ये बेलन वापस रखो…..और नाश्ता
दो…..मुझे ऑफीस भी जाना है….
ओह…..हां अभी देती हूँ…..आप ऑफीस के लिए त्यार हो जाओ…
वो जैसे ही जाने लगी…मैने कहा एक मिनिट. वो रुकी. मैं आगे बड़ा ,
अचानक मैने उसे आपनी बाहों मैं उठा लिया…और ले चला….
आआहह….ऊओह…आप क्या कर रहे हैं……ऊओ..हह..और वो खिलखिलाई.
अपनी सुंदर सेक्सी पत्नी..को मैं ऐसे ही भाहों मैं उठा रखूँगा …..
डार्लिंग! मैने उसे उठा कर किचन तक ले गया….जिस्मों की ये पहली
मुलाकात बड़ी असरदायक थी. उसके दूधिया बूब्स की एक छोटी सी झलक
मिली जो उसने मुझे वहाँ पर देखते हुए देखा भी. झंघाओं का वो
स्पर्श…जब मैं उसे उठाए हुए था….धीरे धीरे उसके जिस्म से मेरी
छेड़ चाड बादने लगी. एक दो बार मैने उसे बाहों मैं भी भरा. वो
थोडा शरमाई भी..ज़्यादा नहीं…हल्की सी सुर्ख लाली …..गालों पर.
चलो आब ऑफीस जाओ…बहुत नटखट है ये मेरा पति…..सिर्फ़ शैतानिया
ही सुझति हैं आपको….वो बोली.
मैं झूठ-मूठ ऑफीस जाने का नाटक करने लगा (ये इस खेल का एक हिस्सा
होता था). ऑफीस जाने से पहले….मैं फिर उसके सामने खड़ा हो गया.
अब क्या है…..?
उसके कान मैं मैने कहा…….एक किस…..डार्लिंग, जो हर बीवी आपने पति
को ऑफीस जाने से पहले देती है.
और ये कहकर मैने उसे बाहों मैं भर लिया. वो
कसमसाई….छ्चोड़िए….क्या कर रहे हैं….बट अब मेरे होंठों ने….अपनी
प्यास भुझा ने की ठान ली थी. मैने उसे कसते हुए एक चुंबन उसके
दाहिने गाल पर जाड दिया…..सुंदर मदहोश कर देने वाला एक लंबा सा
किस. फिर उसे एक भरपूर नजऱ से देखा……उसके खूबसूरत चेहरे
को…दोनो मुस्कुराए…या मुस्कुराने की कोशिश की…..और फिर एक उनपेक्षित
चुंबन मैने उसके होंठो पर रख दिया. इस चुंबन ने जादू सा
किया. इसका प्रभाव ये हुआ की मेरे उठते हुए काम लंड ने इस चुंबन के
असर मैं आकर उसकी पेल्विस मैं एक चुभन दे डाली.ठीक वहीं
जहाँ…कुदरत ने उसका कर्म क्षेत्र बनाया है.
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