RE: Sex Hindi Kahani अनाड़ी पति और ससुर रामलाल
अनाड़ी पति और ससुर रामलाल--6
गतान्क से आगे............. ....
सुनीता ने उसकी योनि में एक उँगली डाल कर उसे अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। रमा की सिसकारियां फूट पड़ी। वह बोली, "सुनीता यार जोर-जोर से अन्दर-बाहर कर, बड़ा अच्छा लग रहा है। " "अभी करती हूँ, पहले मैं भी तो अपने कपड़े उतात दूं। अब कोई खतरा नहीं है, भैया कबके सो गए होंगे। तू भी अपनी कुर्ती उतार दे।" फिर दोनों ने अपने सभी कपड़े उतार दिए और एक-दूजे से बुरी तरह चिपट गयीं। तेज रौशनी का बल्व बुझाकर नाईट-बल्व जला दिया गया था मगर फिर भी दोनों के नंगे बदन का एक-एक पुर्जा स्पष्ट दिखाई दे रहा था। सुनीता बोली, "यार मेरी भी योनि को जरा सहला दे। चल ऐसा करते हैं कि एक-दूसरे की योनि को चाटते है।" रमा तुरंत मान गयी और उसने सुनीता की छातियों को रगड़ना और उसकी योनि को चाटना शुरू कर दिया। सुनीता ने रमा के योनि के बालों से खेलते हुए कहा, "यार रमा, तेरी योनि पर तो काफी घने बाल हैं। इन्हें काटती क्यों नहीं है?" रमा बोली, कई बार तो कैंची से काट चुकी हूँ, ये फिर से बड़े हो जाते हैं।" काफी देर की चूमाचाटी के बाद रमा और सुनीता दोनों ही बुरी तरह से गर्म हो गईं। सुनीता बोली, "यार, मेरा तो बहुत बुरा हाल है, पूरा बदन जल रहा है वासना की आग में। हाय कोई हमारा भी बॉय-फ्रेंड होता पास तो जमकर अन्दर करवा लेते।" रमा बोली, "बात तो तू सच ही कह रही है। इस वक्त मेरा भी बुरा हाल है। मेरी योनि तो लिंग डलवाने को फड़-फड़ा रही है।" सुनीता बोली, "रमा एक बात बता, जरा सोच अगर भैया आ जाएँ और कहें आज मैं तुम दोनों की लूँगा। तो तू क्या करे?" "क्या करूंगी, चुपचाप दे दूँगी उन्हें। और तू क्या करेगी?" रमा ने पूछा। सुनीता बोली, "जब तू दे देगी तो मुझे भी देनी ही पड़ेगी।" रमा हंसी, बोली, "चल पगली, भैया को दे देगी?" सुनीता बोली, "तो क्या हुआ, मेरे भैया ही तो हैं कोई गैर थोड़े ही हैं।" रमा ने हैरत से पूछा, "तू अपने सगे भाई का लिंग ले जायेगी अपनी योनि में? राम-राम ...." सुनीता बोली, "इसमें तुझे आश्चर्य क्यों हो रहा है? मेरी कितनी ही सहेलियां ऐसी हैं जो अपने सगे भाइयों से डलवाती हैं। चल तुझे मैं अपनी सहेली 'कम्मो' की कहानी सुनाती हूँ। तीन साल पहले मेरी उससे दोस्ती हुयी थी। एक दिन की बात है, कम्मो का बड़ा भाई अपने कमरे में पढ़ रहा था। इस समय घर पर कोई नहीं था। सब लोग किसी रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे। कम्मो अपने भाई के कमरे में गयी और पूछने लगी, "भैया, ये अनचाहे बाल क्या होते हैं? इस पेपर में लिखा है-अनचाहे बालों से छुटकारा पायें।" उसका भैया बोला, "अनचाहे बाल वह होते हैं जो गुप्त स्थानों पर उग आते हैं।" "भैया, गुप्त-स्थान क्या होते हैं?" भैया झुंझलाते हुए बोला, "अब तुझे यह भी बताऊँ ..." "हां, बताओ भैया ये गुप्त-स्थान क्या होते हैं?" "देख कम्मो, मुझे पढने दे। मेरा मूड खराब मत कर।" "बता दो न भैया ..." कम्मो का भाई खीज उठा और बोला, "इधर आ, बताता हूँ।" कम्मो जब पास आई तो भैया बोला, "जब लड़के-लड़की जवान हो जाते हैं, तो उनके गुप्तांगों पर बाल उग आते हैं। अब ये न कहना कि गुप्तांग क्या होता है भैया।" कम्मो बोली, "भैया, मुझे सच में नहीं पता कि गुप्तांग क्या होता है।" भैया क्रोध से भर कर बोला, "पास आ तुझे बताता हूं कि गुप्तांग क्या होता है।" कम्मो जब पास आई तो भैया ने बताया कि जिन-जिन अंगों से आदमी टट्टी-पेशाब करता है उसे गुप्ताँग कहते हैं। जैसे तेरी पेशाब की जगह तेरा गुप्तांग है, और मेरी पेशाब की जगह मेरा गुप्तांग है। इनके अलाबा भी ये बाल बगलों में भी उग आते हैं। भैया ने कम्मो से कहा, "तेरी बगलों में बाल होंगे, आ इधर आ देखूं।" भैया ने बगल में हाथ डाल कर देखा और बोला, "हाँ हैं तो, इसी तरह से तेरी पेशाब की जगह पर भी बाल होने चाहिए ..." ऐसा कहकर भैया ने कम्मो की सलवार में हाथ डाल दिया और बोला, "वहां भी बहुत बड़े-बड़े बाल हैं, चल इन्हें साफ़ कर दूं। तू ऐसा कर पलंग पर जा कर लेट जा, मैं दरवाज़ा बंद करके आता हूँ।"
भैया जब दरवाज़ा बंद करके लौटा तो कम्मो ख़ुशी-ख़ुशी पलंग पर लेती हुई थी। भैया ने आकर उसकी सलवार खोली और काफी देर तक उसकी कुआंरी योनि को एक-टक निहारता रहा। बोला, "कम्मो, तेरी इस पर तो काफी बड़े-बड़े बाल उग आये हैं। आज इन्हें साफ़ करके ही दम लूँगा।" भैया दौड़ कर अपना शेविंग रेज़र ले आया और उसने थोड़ी ही देर में सारे बाल साफ़ कर दिए। योनि की सफाई करने के बाद वह बोला, "चल अपनी कुर्ती भी उतर दे आज तेरी बगलों के बाल भी साफ़ कर दूं।" कम्मो ने झट-पट कुर्ती भी उतार दी। अब कम्मो का गोरा, चिकना संगमरमर का सा नंगा बदन उसके भैया के सामने था। ऐसे में तो बड़े-बड़े ऋषि-मुनि तक का मन डोल जाता है भला इंसान बेचारे की तो औकात ही क्या है। कम्मो के निर्वसन शरीर पर उसके भैया का दिल भी डोल गया। वह बोल, "कम्मो, तू मेरे गुप्तांग के बाल नहीं देखना चाहेगी?" कम्मो बोली, "हाँ-हाँ, भैया दिखाओ अपने बाल भी ...." तभी उसके भैया ने अपना पायजामा खोल कर अपना लिंग बाहर निकाला और बोला, "देख मेरे गुप्तांग पर भी कितने बाल हैं।" कम्मो ने सलाह दी की वे उन्हें भी साफ़ कर दें। भैया ने झट-पट अपने लिंग के ऊपर के बाल भी साफ़ कर दिए। और बोला, "कम्मो, एक काम करते हैं, तू मेरा लिंग सहला और मैं तेरी ये जगह सहलाता हूँ। इससे हम-दोनों को ही अच्छा लगेगा।" कम्मो, भैया की बात पर राज़ी हो गयी। उसने भैया के लिंग को मुट्ठी में भर कर सहलाना शुरु कर दिया और भैया कभी कम्मो की योनि पर हाथ फेरता तो कभी उसकी चूचियों को सहलाता और उन्हें मुंह में डाल कर चूंसता। कम्मो को इसमें बड़ा ही मज़ा आ रहा था। उसकी योनि भैया की उँगली की रगड़ से बुरी तरह से फड़कने लगी थी। भैया ने उँगली की रफ़्तार तेज कर दी तो कम्मो मारे मज़े के सीत्कार कर उठी। बोली, "भैया, एक बार को उँगली से मोटी कोई चीज़ मेरी पेशाब वाली जगह में घुसाकर देखो। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है।" "भैया ने कहा, "सीधा-सीधा यह क्यों नहीं कहती कि अपना ये मोटा लिंग डाल दूं तेरी इस जगह में। मगर, मेरी प्यारी कम्मो, अगर तेरी ये जगह फट गयी तो मेरे लिए परेशानी बढ़ जायेगी।" भैया जानता था कि कम्मो अभी पूरे सोलह वर्ष की भी नहीं हुई थी। अगर वह उसके लिंग की चोट बर्दाश्त न कर पाई तो उसकी योनि फट भी सकती है। इसलिए बहुत सोच-समझ कर उसने कम्मो की योनि में अपना लिंग डालने की हिम्मत जुटाई। इधर कम्मो लिंग अन्दर ले जाने को तड़प रही थी। इसके शरीर से आग की चिंगारियां सी फुट रहीं थीं। भैया ने डरते-डरते कम्मो की योनि पर लिंग का अग्र-भाग ही टिकाया और उसे धीरे-धीरे अन्दर सरकाने लगा। योनि बहुत चुस्त थी। लिंग का अन्दर घुस पाना असंभव सा प्रतीत हो रहा था। इस वार हिम्मत करके भैया ने आधे से ज्यादा लिंग कम्मो की योनि के अन्दर सरका दिया और कुछ देर यों ही कम्मो के ऊपर टिका रहा। सारा वज़न उसने अपनी हथेलियों पर उठा रखा था। इससे कम्मो को कोई खास तखलीफ़ भी नहीं हुई। भैया ने कम्मो से कहा, "कम्मो, अब मैं अपना पूरा लिंग तेरी योनि में घुसेड़ने जा रहा हूँ, देख अगर न झेल पाए तो बता दे।" "कम्मो बोली, "झेल लूंगी भैया, डालदो पूरा अन्दर ..." भैया ने उसकी स्वीकृति पाकर एक जोर का धक्का योनि में मारा और धचाक से समूंचा लिंग कम्मो की योनि में समां गया। दर्द के मारे कम्मो की चीख निकल पडी, योनि फट गयी और उसकी योनि से खून बह चला। इसके बाद तो भैया पूरी रफ़्तार पर आ गया। धक्के पे धक्का, फिर जो उसकी पिराई हुई तो कम्मो को भी मजा आने लगा और वह चिल्लाने लगी, "भैया, जोर-जोर से धक्के मारो ...आह: मुझे तो आज बड़ा ही मज़ा आ रहा है ....भैया ...आज मुझे पूरा निचोड़ कर रख दो भैया ..प्लीज़ ...मारो ...धक्के जोरों से मारो ...." भैया ने भी गाड़ी फुल स्पीड पर छोड़ दी जो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। लगभग पूरे एक घंटे तक कम्मो की योनि में घर्षण चलता रहा और दोनों लोग जम कर जवानी के मज़े लेते रहे। बहुत देर की पेलापेली के बाद भैया झड़ गया और कम्मो के ऊपर ही लुढ़क गया। उस रात कम्मो बताती है कि भैया ने उसकी योनि तीन-चार वार मारी और उस दिन से आज तक कम्मो की लेता ही चला आ रहा है। कम्मो बताती है कि वह अपने भैया के अलाबा अन्य कई लड़कों से भी डलवा चुकी है पर जो मज़ा उसे भैया के साथ आता है वो मज़ा किसी के साथ नहीं आता।
सारी कहानी सुनकर रमा बोली, "इसका मतलब ये हुआ कि तू भी अपने भाई से अपनी योनि में उसका लिंग डलवा सकती है?" "हाँ, अगर जरूरत पड़ी तो " इधर कम्मो की बातों को सुनकर तो रमा और भी उतावली हो उठी और बोली, "सुनीता, अब मुझसे कतई बर्दाश्त नहीं हो रहा। प्लीज़ अब कुछ भी कर, पर मेरी आग को ठंडी कर दे। में कामोन्माद से भुनी जा रही हूँ। ऐसा करते हैं, अजय भैया को बुला लाती हूँ। तेरा इलाज़ तो सिर्फ उन्हीं के पास है।" इसी बीच कमरे का दरवाज़ा एक ही झटके से खुल गया। अजय ने अन्दर आकर उन दोनों से कहा, "कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है। मैं अब आ गया हूँ ..अब सब ठीक कर दूंगा। सुन्नो तुझे भी और तेरी सहेली को भी ... आओ दोनों अब मुझे देने के लिए तैयार हो जाओ। बताओ, पहले किसकी आग ठंडी करूँ? सुन्नो तेरी या तेरी इस सहेली की?" सुनीता बोली, "भैया, पहले आप रमा की आग ठंडी कर दो। मेरी तो बाद में भी हो जायेगी। "क्या नाम है इसका? " "रमा।" "ओह रमा, आओ रमा रानी तुमसे ही शुरुआत करें।"
रमा डरी-डरी सी अजय की ओर बढ़ने लगी। अजय ने लपक कर उसकी बांह पकड़ कर अपनी ओर खीच लिया और उसे बांहों में कस कर अनेक चुम्बन उसके सारे बदन पर जड़ दिए। फिर अजय ने उसे गोद में उठाकर पलंग पर ला पटका और सुनीता से बोला, "सुन्नो, तू भी आजा मेरी वांयी तरफ .....आज तुम दोनों की मैं एक साथ लूँगा। सुन्नो, तू मेरा लिंग मुंह में लेकर चूंस तब तक मैं इसकी चूंसता हूँ।" रमा बोली, "भैया, अब ये चूंसा-चांसी बंद करके अपना ये मोटा लिंग मेरी योनि में डालकर इसे फाड़ डालो ....मुझ पर कामोन्माद बुरी तरह से छाया हुआ है ....भैया ..प्लीज़ ... डाल दो इसे मेरी सुलगती हुई इस भट्टी में ..." अजय ने अपना तन-तनाया लिंग रमा की योनि पर टिका कर एक हल्का सा धक्का लगाया जिससे उसका लिंग रास्ते की सारी बाधाओं को चीरता हुआ योनि की जड़ तक पूरा का पूरा समा गया। रमा की एक दबी-दबी सी चीख़ कमरे में गूँज कर रह गई। कुछ देर की तखलीफ़ के बाद रमा को भी आनंद आने लगा और वह कुल्हे हिला-हिला कर उसका पूरा साथ देने लगी। उसके मुंह से विचित्र सी आवाजें निकलने लगीं थी। इसका अर्थ सुनीता और अजय दोनों ही भली भांति जानते थे। अजय ने आज रमा की इस तरफ से मारी थी की वह निहाल हो गयी। इसके बाद बची-खुची मौज-मस्ती आई बेचारी सुनीता के हिस्से में। उसके साथ कुछ देर तक ही अजय टिक पाया और फिर तीनो थके-मांदे एक-दूसरे के साथ ही नंगे पड़ कर सो गए।
क्रमशः....
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