RE: Sex Hindi Kahani अनाड़ी पति और ससुर रामलाल
अजय ने कहा, "सुन्नो, देख मैं तुझे समझा तो दूंगा इन शब्दों का मतलब, लेकिन जब तब इनपर प्रेक्टिकल काके नहीं समझाऊंगा तेरी समझ में कुछ नहीं आने वाला। बोल ... समझेगी?" "हाँ भैया, मुझे कैसे भी समझाओ, मुझे मंजूर है।" "उस दिन जब मैंने तेरी चूचियों पर हाथ फिराया था तो तू नाराज होकर अन्दर क्यों भागी थी?" "भैया, उस समय मुझे डर लग रहा था। हम लोग बाहर खड़े थे, कोई देख लेता तो ..? मैं अन्दर आई ही इसीलिए थी कि अगर आप अन्दर आकर मेरी चूचियां सहलाओगे तो किसी को भी पता नहीं चलेगा और मुझे भी अच्छा लगेगा।" अजय बोला, "इसका मतलब तो ये हुआ कि तू उस दिन भी तैयार थी अपनी चूचियों को मसलवानेके लिए? अरे यार, मैं ही बुद्धू था, जो उस दिन बुरी तरह डर कर भाग निकला। अच्छा, आ बैठ मेरे पास और एक बात बता ...क्या सच में तू मेरे साथ मज़े लूटना चाहती है या मुझे उल्लू बनाने के मूड में है। अगर वाकई तू जवानी के मज़े लेना चाहती है तो चल मेरे बैड पर चलते हैं।" सुनीता और अजय दोनों अब बैड पर आ बैठे। "अजय ने पूछा, "लाइट यों ही जलने दूं या बंद कर दूं?" सुनीता बोली, "भैया, जैसी आपकी मर्ज़ी, वैसे अँधेरे में मेरी समझ में क्या आएगा। मुझे अभी आपसे बहुत कुछ पूछना बाकी है।" "जैसा तू ठीक समझे, देख शरमाना बिलकुल नहीं ...बरना कुछ मज़ा नहीं आएगा। एक बात और ..." "क्या भैया?" "कल को किसी से कहेगी तो नहीं कि भैया ने मेरे साथ ये सब किया।" "नहीं भैया, मैं कसम खाकर कहती हूँ किसी को कुछ नहीं बताऊंगी" " तो चल, पहले मैं तेरे संग वो करता हूँ जहाँ से पति-पत्नी के मिलन की शुरुआत होती है। तू मेरे बिलकुल करीब आकर मुझसे चिपट जा ..." सुनीता आकर अजय से चिपट गई और उसके गले में हाथ डालकर बोली, "बताओ भैया, अब मुझे क्या करना है।" अजय बोला, "अब तुझे कुछ भी नहीं करना है, बस मज़े लेती जाना। जहाँ तुझे परेशानी हो मुझसे कहना, ठीक है ?" "ठीक है भैया ..." अजय ने सुनीता के होटों पर अपने होट रख दिए और उन्हें चूंसने लगा। सुनीता ने भी उसका पूरा साथ दिया। अजय के हाथ सुनीता की ब्रा के हुक खोल रहे थे, सुनीता ने जरा भी विरोध न किया। वह सुनीता की चूचियों को जोरों से दबाने लगा। उसने चूची की घुंडियों को मुंह में डालकर उन्हें भी चूसना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे अजय के हाथ सुनीता की नाभि के नीचे के भाग को टटोल रहे थे। अजय का एक हाथ सुनीता की सलवार के नाड़े से जा उलझा। वह उसे खोलने का प्रयास करने लगा और कुछ ही देर में अजय ने सुनीता की सलवार उतारकर पलंग के एक ओर रख दी। सुनीता कौतूहलवश यह सब चुपचाप देखे जा रही थी।
उसकी दिल की धड़कने बढ़ने लगी थीं। साँसों की गति भी तेज हो गई थी किन्तु फिर भी वह अजय के अपनी नाभि से नीचे की ओर फिसलते हुए हाथों को रोकने का प्रयास तक नहीं कर पा रही थी। अजय के हाथ धीरे-धीरे सुनीता की नंगी-चिकनी जाँघों पर फिसलने लगे। फिर उसने सुनीता की दोनों जाँघों के बीच में कुछ टटोलना आरम्भ कर दिया। इससे पहले अजय ने अभी तक किसी लड़की की चूत इतनी करीब से नहीं देखी थी और न किसी की चूत को सहलाया ही था। वह बोला, "सुन्नो, आज मैं तेरी प्यारी-प्यारी चूत को गौर से देखना चाहता हूँ।" सुनीता बोली, "भैया, मुझे भी अपना लंड दिखाओ न," "दिखा दूंगा, तुझे अपना लंड भी दिखाऊंगा, घवराती क्यों है सुन्नो मेरी जान! आज मैं तेरी हर वो इच्छा पूरी करूंगा जो तू कहेगी।" " तो पहले अपना लंड मेरे हाथों में दो, मैं देखना चाहती हूँ कि मेरी चूत में यह अपनी जगह बना भी पायेगा या फाड़कर रख देगा मेरी चूत को।" अजय ने झट-पट अपने सारे कपड़े उतार फैंके और एक दम नंगा होकर सुनीता की बगल में आ लेटा। सुनीता की ऊपर की कुर्ती भी उसने उतार कर पलंग के नीचे गिरा दी। अब सुनीता भी एक दम नंगी हो गई थी। दोनों एक दूसरे से बुरी तरह से चिपट गए। और एक दूसरे के गुप्तांगों से खेल रहे थे। अजय सुनीता की चूत में अपनी एक उंगली डालकर आगे-पीछे यानि अन्दर-बाहर कर रहा था जिससे सुनीता के मुंह से सिसकियाँ निकल रहीं थीं। अजय ने सुनीता को बताया कि इसी कार्य को फिंगरिंग कहते हैं। फिंगरिंग अर्थात चूत में उंगली डालकर उसे अन्दर-बाहर करना। इस क्रिया को हिन्दी में हस्त-मैथुन तथा अंग्रेजी में मास्टरबेशन कहते हैं। अजय बोला, "जब औरत काफी कामुक और बैश्यालु प्रकृति की हो उठती है तो वह किसी भी मर्द से या स्वयं ही अपनी योनि में पूरी मुट्टी डलवाकर सम्भोग से भी कहीं अधिक आनंद का लाभ उठाती है। सुन्नो, अब मैंने तीनो शब्दों का अर्थ बता दिया है। अब मैं तुझसे इसकी फीस बसूलूंगा।"
अजय एक तकिया उसके नितम्बों के नीचे लगाते हुए बोला, "अब मैं तेरी चूत में उंगली डालकर मैं अपनी उंगली को आगे-पीछे सरकाऊँगा यानि फिंगरिंग करूंगा" अजय ने सुनीता की चूत में उंगली डालकर अन्दर-बाहर रगड़ना शुरू कर दिया। सुनीता के मुंह से सिसकियाँ फूटने लगीं। अजय ने पूछा, "बता सुन्नो, तुझे कैसा महसूस हो रहा है?" "अच्छा लग रहा है भैया, जरा जोर से करों न, आह: मज़ा आ रहा है। एक बात बताओ भैया, आपने मेरे चूतड़ों के नीचे यह तकिया क्यों लगा दिया?" "इसलिए कि चूतड़ों के नीचे तकिया लगाने से औरत की चूत पहले की अपेक्षा कुछ अधिक खुल जाती है और उसमे कितना ही मोटा लंड क्यों न डाल दो, वह सब-कुछ आसानी से झेल जाती है।" सुनीता बोली, "भैया, बुरा तो नहीं मानोगे, एक बात पूछूं आपसे।" "पूछ चल, " "कहीं आप मेरी चूत में अपना लंड डालने की तैयारी तो नहीं कर रहे?" "हो भी सकता है अगर मेरे लंड से बर्दाश्त नहीं हुआ तो तेरी चूत मैं इसे घुसेड़ भी सकता हूँ।" "भैया, पहले अपने लंड का साइज़ दिखाओ मुझे ... मैं भी तो देखूं कितना मोटा है आपका..मैं आपका लम्बा-मोटा लिंग झेल भी पाऊँगी या नहीं" "चल तुझे अपना लंड दिखाता हूँ ...तू भी क्या याद करेगी कि भैया ने अपना लंड दिखाया, सुन्नो, एक बात तुझे पहले बताये देता हूँ, अगर मेरा मन कहीं तेरी चूत लेने को हुआ तो देनी पड़ेगी। फिर तुझे बिना चोदे मैं छोड़ने का नहीं।" यह कहते हुए अजय ने अपने पेण्ट की जिप खोली और अपना लम्बा-मोटा लिंग निकाल कर सुनीता के हाथ में थमा दिया। सुनीता ने कहा, "भैया, इसे मैं सहलाऊँ?" "सहला दे ..." सुनीता ने सहलाते-सहलाते उसके लिंग को चूम लिया और उसे ओठों से सहलाने लगी। अजय ने ताब में आकर सुनीता की चूचियां जोरों से रगडनी शुरू कर दीं। सुनीता बोली, "भैया, अब खुद भी नंगे हो जाओ न, मुझे आपका लंड खुलकर देखने की जल्दी हो रही है।" अजय ने अपना पैंट और अंडरवियर दोनों ही उतार फैंके और सुनीता के ऊपर आ चढ़ा। सुनीता बोली, "क्यों न हम एक दूसरे का नंगा बदन गौर से देखें। मुझे तो तुम्हारा ये गोरा और मोटा लंड बहुत ही उत्तेजित कर रहा है।" अजय बोला, "मैंने भी तेरी चूत अभी गौर से कहाँ देखी है। चल फैला तो अपनी दोनों जांघें इधर-उधर।" सुनीता ने अपनी दोनों जांघें फैलाकर अपनी चूत के दर्शन कराये। अजय सचमुच सुनीता की चूत देखकर निहाल हो गया। वह सुनीता से बोला, "सुन्नो, मेरी जान, आज तो अपनी इस गोरी, चिकनी और चुस्त चूत को मेरे हवाले कर दे। तेरी कसम जो भी तू कहेगी जिन्दगी भर करूंगा।" "वादा करते हो भैया, जो कहूँगी करोगे?" "हाँ, चल वादा रहा ..." अपने ख़ास दोस्तों से चुदवाओगे मुझे? देखो तुमने वादा किया है मुझसे।" अच्छा चल, चुदवादूंगा तुझे, लेकिन ये बता कि तू इतनी चुदक्कड़ कबसे बन गई।" यह सब बाद में बताऊँगी, पहले अपना लंड मेरी सुलगती बुर में डालकर तेजी से कस-कस कर धक्के लगा दो।"
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