RE: Sex Hindi Kahani अनाड़ी पति और ससुर रामलाल
अनाड़ी पति और ससुर रामलाल--4
गतान्क से आगे............. ....
रामलाल बोला, "मेरी रानी, किसी भी चढ़ती जवानी की लड़की की योनि को चूत कहते हैं। इसके दो नाम हैं - एक चूत, दूसरा नाम है इसका 'बुर' चूत सदैव बिना बालों वाली योनि को कहते हैं जबकि 'बुर' के ऊपर घने काले बाल होते हैं। अब नंबर आता है, भोसड़ी का। मेरी दोनों रानियों ध्यान से सुनना। जब औरत की योनि से एक बच्चा बाहर आ जाता है, तो उसे भोसड़ी कहते है। और जब उससे 4-5 बच्चे बाहर आ जाते हैं तो वह भोसड़ा बन जाता है।" सुनीता ने चहक कर पूछा, "और अगर किसी औरत की योनि से दस-बारह बच्चे निकल चुके हों तो वह क्या कहलाएगी?" रामलाल बोला, "ये प्रश्न तुमने अच्छा किया। ऐसी औरत की योनि को चूत या भोसड़ी का दर्ज़ा देना गलत होगा। ऐसी योनि बम-भोसड़ा कही जाने के योग्य होगी।" तीनों लोग जोरों से हंस पड़े। अनीता ने पूछा, "राजा जी, इसीप्रकार लिंगों के भी कई नाम होते होंगे?" "हाँ, होते हैं। आमतौर पर गवांरू भाषा में इसे 'लंड' कहते है। परन्तु लड़ते वक्त या गालियाँ देते वक्त लोग इसे 'लौड़ा' कहकर संबोधित करते हैं। ये सारे शब्द मुझे कतई पसंद नहीं हैं, क्योंकि मैंने बीसियों रातें तुम्हारे संग गुजारी हैं। तुम ही खुद बताओ अगर मैंने कभी इन गंदे शब्दों का प्रयोग किया हो। हाँ, मेरी जिन्दगी में कुछ ऐसी औरतें जरूर आई हैं, जो अधिक उत्तेजित अवस्था में चीखने लगती हैं ..'फाड़ डालो मेरी चूत' ...'मेरी चूत चोद-चोद कर इसका चबूतरा बना डालो' ...मेरी चूत को इतना चोदो कि इसका भोसड़ा बन जाए' बगैरा, बगैरा।
एक काम-क्रीडा होती है - गुदा-मैथुन। इसमें पुरुष, स्त्री की योनि न मार कर उसकी गुदा मारता है। मेरे अपने विचार से तो गुदा-मैथुन सबसे गन्दी, अप्राकृतिक एवं भयंकर काम-क्रीड़ा है। इससे एड्स जैसी ला-इलाज़ बीमारियाँ होने का खतरा रहता है।" अनीता ने पूछा, "राजा जी, ये चोदना कौन सी बला है। मैंने कितने ही लोगो को कहते सुना है 'तेरी माँ चोद दूंगा साले' रामलाल ने बताया कि स्त्री की योनि में लिंग डालकर धक्के मारने की क्रिया को 'चोदना' कहते हैं। मैंने तुम दोनों बहिनों के साथ सम्भोग किया है, चोदा नहीं है तुम्हें।" सुनीता बोली, "मेरे खसम महाराज, एक वार और जोरों से चोदो न मुझे," रामलाल बोला, "चलो, तुम्हारी यह इच्छा भी आज पूरी किये देता हूँ। अनीता रानी, पहले एक-एक पैग और बनाओ, हम तीनों के लिए। तीनो शराब गले से उतारने के बाद और भी ज्यादा उत्तेजित हो गए। इस बार तीनों लोग एक साथ मिलकर काम-क्रीडा कर रहे थे। रामलाल के एक ओर सुनीता और दूसरी ओर अनीता लेटी और उन दोनों के बीच में रामलाल लेटे-लेटे दोनों के नग्न शरीर पर हाथ फेर रहा था। रामलाल कभी सुनीता की योनि लेता तो कभी अनीता की चूचियों से खेलता। रात के दस बजे से लेकर सुबह के पांच बज गए। तब तक तीनों लोग शरीर की नुमाइश और काम-क्रीडा में व्यस्त रहे। इस प्रकार रामलाल ने दोनों बहिनों की रात भर बजाई।
उस रात दोनों बहिनें इतनी अधिक तृप्त हो गईं कि दूसरे दिन दस बजे तक सोती रहीं। पूरे सप्ताह रामलाल ने सुनीता को इतना छकाया था कि जिसकी याद वह जीवन भर नहीं भूल पाएगी। सुनीता तो अपने घर वापस जाना ही नहीं चाहती थी। जाते वक्त सुनीता रामलाल से एकांत में चिपट कर खूब रोई। उसका लिंग पायजामे के ऊपर से ही सहलाते हुए बोली, "जानू अपने इस डंडे का ख़याल रखना। मुझे शादी के बाद भी इसकी जरूरत पड़ सकती है। क्या पता मेरा पति भी जीजू के जैसा ही निकला तो ...?" सुनीता भारी मन से, न चाहते हुए भी अपने घर चली तो गयी पर जाते-जाते रामलाल के लिए एक प्रश्न छोड़ गयी ...कि कहीं उसका पति भी जीजू जैसा ही निकला तो .....?
सुनीता दीदी के घर से आ तो गई किन्तु रातें काटे नहीं कट रहीं थीं। जब उसे रामलाल के साथ गुजारी रातों की याद सताती तो वह वासना के सागर में गोते लगाने लगती और उसके समूंचे बदन में आग की सी लपटें उठने लगतीं। आज तो उसे बिलकुल नीद नहीं आ रही थी। वह जाकर खिड़की पर खड़ी हो गयी और मझली भाभी के कमरे में झाँकने लगी। रात के करीब ग्यारह बजे का समय था। ठीक इसी समय उसके बड़े भैया विजय ने मामी के कमरे में प्रवेश किया। मझली भाभी के कमरे की हर चीज इस खिड़की से साफ़ दिखाई देती थी। उसने देखा - बड़े भैया के आते ही मझली भाभी पलंग से उठ खड़ी हुयी और वह भैया की बाहों में लिपट गयी। बड़े भैया ने उसके साथ चूमा-चाटी शुरू कर कर दी और उन्होंने भाभी को बिलकुल नंगा करके उसकी चूचियां मुंह में भर कर चूंसना शुरू कर दिया। अब वह खुद भी नंगे हो कर भाभी के नंगे बदन का जमकर मज़ा ले रहे थे। आज भैया ने भाभी के साथ कुछ अलग ही किस्म का मैथुन करना शुरू कर दिया. भाभी अपने दोनों नितम्बों को पीछे की ओर उभार कर झुकी हुई थीं और भैया अपना लिंग उनकी गुदा में डालने की कोशिश कर रहे थे। भैया का मोटा लिंग उनकी गुदा में नहीं घुस पा रहा था इसलिए भैया ने लिंग पर थोडा सा तेल लगाया और फिर अन्दर करने की कोशिश करने लगे। इस वार वह अपनी कोशिश में कामयाब हो गए क्योंकि उनका लिंग आधे से अधिक भाभी की गुदा के अन्दर घुस गया था। फिर भैया ने एक जोर का धक्का भाभी की गुदा पर लगाया। इस वार पूरा का पूरा लिंग भाभी की गुदा को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया। भाभी दर्द से चिल्लाने लगीं। भैया ने धीरज बंधाया, "कोई बात नहीं मेरी जान, पहली वार गुदा-मैथुन में ऐसे ही दर्द होता है। आगे से ऐसा कुछ भी नहीं होगा। भाभी की गुदा का दर्द शायद कुछ कम हो गया था क्योंकि उन्होंने भी भैया की लिंग पर पीछे की ओर धक्के लगाने शुरू कर दिए थे।
यह सब देखना सुनीता की बर्दाश्त के बाहर था अत:उसने अपना एक हाथ सलवार में डालकर अपनी योनि को कुरेदना शुरू कर दिया। इसी बीच छोटे भैया आ धमके। उसे खिड़की पर आँखें टिकाये देखकर मुस्कुराते हुए बोले, "सुन्नो, दीदी के पास से आते ही तुमने फिर से भैया और मझली भाभी की ब्लू-फिल्म देखना शुरू कर दी। हट, अब मैं भी थोड़ा सा मज़ा ले लूं। सुनीता के वहां से हटते ही अजय भैया ने अपनी आँखें खिड़की पर टिका दीं। सुनीता अपने कमरे में आकर कुर्सी पर बैठ गई तभी उसकी निगाह टेबल पर रखी एक इंग्लिश मैगजीन पर पड़ी। उठाकर देखा तो ज्ञात हुआ कि वह एक सेक्सी-मगज़ीन थी। उसमे एक जगह पर सुनीता ने मास्टरबेशन, फिंगरिंग और फिस्टिंग जैसे शब्द पढ़े, जो उसकी समझ में नहीं आरहे थे। उसने मन में सोचा कि भैया से सेक्स के वारे में बात करने का इससे बढ़िया मौका उसे कभी नहीं मिलेगा। क्यों न भैया के कमरे में चल कर इन बातों का ही मज़ा लिया जाए। वह उठ कर भैया के कमरे की चल दी। अजय अपने कमरे में एक कुर्सी पर बैठा हुआ था। सुनीता दरबाजा ठेल कर अन्दर आ गई और अजय से बोली, "भैया, मुझे इन शब्दों के अर्थ नहीं समझ में आ रहे हैं, मुझे बता दो प्लीज़ ....." अजय ने देखा कि वही सेक्सी मैगज़ीन सुनीता के हाथ में थी जिसे वह स्वयं सुनीता की अनुपस्थिति में उसकी टेबल पर रख आया था जिससे कि सुनीता उसे पढ़े तो उसके अन्दर भी सेक्स की भावना प्रवल हो उठे। सेक्स की मैगज़ीन को सुनीता के हाथ में देखकर अजय मन ही मन खुश हो उठा पर ऊपर से गुस्सा दिखाते हुए उसे डाटकर बोला, "अरे ये तो सेक्सी मैगज़ीन है। कहाँ से लाई इसे? ऐसी सेक्सी किताबें पढ़ते हुए तुझे शर्म नहीं आती? मालूम है, ये सेक्सी-मैगज़ीन वालिग़ लोग पढ़ा करते हैं।" सुनीता बेझिझक होकर बोली, "भैया, मैं भी तो अब वालिग़ हो चुकी हूँ। पूरे 19 वर्ष की हो चुकी हूँ। फिर मेरी शादी भी तो होने वाली है अब।" अजय चुप हो गया और बोला, "बता, क्या पूछना चाहती है?" सुनीता ने पूछा, "भैया, ये मास्टरबेशन क्या होता है? एक ये फिंगरिंग और फिस्टिंग शब्दों का मतलब समझ में नहीं आ रहा।" अजय मुस्कुराया और बोला, "जा पहले कमरे की सिटकनी लगा कर आ ... तब मैं डिटेल में तुझे इसका मतलब समझाऊंगा।" सुनीता ने दरबाजा अन्दर से बंद कर दिया। उसके मन में लड्डू फूट रहे थे कि आज अजय उसकी जरूर लेगा। वह ख़ुशी-ख़ुशी लौटकर आई और कुर्सी खींच कर अजय के पास ही बैठ गई।
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