RE: Sex Hindi Kahani अनाड़ी पति और ससुर रामलाल
लाइट तो ऑन थी ही, पलंग पर दोनों ससुर-बहू बिलकुल नग्नावस्था में बैठे थे। सुनीता ने मौसा जी के मोटे लिंग को कनखियों से देखा तो सर से पैर तक काँप गयी 'बाप रे, किसी आदमी का लिंग है या किसी घोड़े का' पूरे दस इंच लम्बा और मोटा लिंग अभी भी तनतनाया हुआ था, सुनीता की लेने की आस में। अनीता ने बोतल की सील तोड़ी और दो गिलासों में शराब उड़ेली दी। दोनों ने जैसे ही सिप करना चाहा कि सुनीता ने कम्बल से मुंह बाहर निकाल कर कहा, "दीदी, आप दोनों ये क्या पी रहे हैं? थोड़ी मुझे नहीं दोगे?" अनीता ने गुस्सा दिखाते हुए कहा, "ज़हर पी रहे हैं हम लोग, पीयेगी?" "हाँ, मुझे भी दो न," रामलाल ने सुनीता की हिमायत लेते हुए कहा, "हाँ, दे दो थोड़ी सी इस बेचारी को भी।" अनीता ने दो पैग शराब एक ही गिलास में डाल दी और गिलास थमाते हुए बोली, "ले मर, तू भी पी थोड़ी सी।" सुनीता ने दो घूँट गले से नीचे उतारे, और कड़वाहट से मुंह बनाती बोली, "दीदी, ये तो बहुत ही कड़वी है।" "अब गटक जा सारी चुपचाप, ज्यादा नखरे दिखाने की जरूरत नहीं है। ला थोड़ा सा पानी मिला दूं इसमें ...." अनीता ने बाकी का खाली गिलास पानी से भर दिया। सुनीता दो वार में ही सारी शराब गले के नीचे उतार गई और अपना कम्बल ओढ़ कर चुपचाप सोने का अभिनय करने लगी।
शराब पीने के बाद रामलाल का अध-खड़ा लिंग अब पूरा तन-कर खड़ा हो गया। उसने अनीता से पूछा, "क्या शुरू की जाए इसके साथ छेड़खानी?" अनीता ने धीरे से सर हिलाकर लाइन क्लियर होने का संकेत दे दिया। रामलाल अनीता से बोला, "तुम अपने लिए दूसरा कम्बल ले आओ। मैं तो अपनी प्यारी बिटिया के कम्बल में ही सो लूँगा।" ऐसा कह कर वह सुनीता के कम्बल में घुस गया। रामलाल के हाथ धीरे-धीरे सुनीता के वक्ष की ओर बढ़े। सुनीता ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी, वह केवल नाइटी में थी। रामलाल ने ऊपर से ही सुनीता की चूचियां दबा कर स्थिति का जायजा लिया। सुनीता सोने का बहाना करते हुए सीधी होकर बिलकुल चित्त लेट गई जिससे कि रामलाल को उसका सारा बदन टटोलने में किसी प्रकार की बाधा न पड़े। उसका दिल जोरों से धड़कने लगा, साँसें भी कुछ तेज चलने लगीं। रामलाल ने उसके होटों पर अपने होट टिका दिए और बेधड़क होकर चूसने लगा। सुनीता ने नकली विरोध जताया, "ओह दीदी, क्या मजाक करती हो। मुझे सोने भी दो अब .." रामलाल ने उसकी तनिक भी परवाह न करते हुए उसकी छातियाँ मसलनी शुरू कर दीं और फिर अपने हाथ उसके सारे बदन पर फेरने लगा। इधर सुनीता पर शराब और शवाब दोनों का ही नशा सबार था। उसके बदन में वासना की हजारों चींटियाँ सी रिंगने लगीं।
उसने अनजान बनते हुए रामलाल की जाँघों के बीच में हाथ रख कर उसके लिंग का स्पर्श भी कर लिया। तभी उसने लिंग को पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया, और बोली, "दीदी, तुम्हारी ये क्या चीज है?" इस बीच रामलाल ने उसकी नाइटी भी उतार फैंकी और उसे बिलकुल नंगी कर डाला। रामलाल ने ऊपर से कम्बल हटाकर उसका नग्न शरीर अनीता को दिखाते हुए कहा, "देखा रानी, तेरी बहिन बेहोशी में जाने क्या-क्या बड़बडाये जा रही है।" रामलाल ने उसकी दोनों जाँघों को थोडा सा फैलाकर उसकी योनि पर हाथ फिराते हुए कहा, "यार जानू तेरी बहिन तो बड़े ही गजब की चीज है। इसकी योनी तो देखो, कितनी गोरी और चिकनी है। कहो तो इसे चाट कर इसका पूरा स्वाद चख लूं? रानी, तू कहे तो इसकी योनि का पूरा रस पी जाऊं ...बड़ी रस दार मालूम पड़ रही है।" "अनीता बोली, "और क्या ...जब नशे में मस्त पड़ी है तो उठालो मौके का फायदा। होश में आ गई तो शायद न भी दे। अभी अच्छा मौका है, डाल दो अपना समूंचा लिंग इसकी योनि के अन्दर।" रामलाल ने उसकी जांघें सहलानी शुरू कर दीं। फिर धीरे से उसकी गोरी-चिकनी योनि में अपनी एक उंगली घुसेड़ कर उसे अन्दर-बाहर करने लगा। उसने अनीता से पूछा, "क्यों जानू इसकी योनि के बाल तुमने साफ़ किये हैं?" "नहीं तो ..." अनीता बोली - "इसी ने साफ़ किये होंगे, पूरे एक घंटे में बाथरूम से निकली थी नहाकर।"
रामलाल सुनीता की योनि पर हाथ फेरता हुआ बोला, "क्या गजब की सुरंग है इसकी ! कसम से इसकी सुलगती भट्टी तो इतनी गर्म है कि डंडा डाल दो तो वह भी जल-भुन कर राख होकर निकलेगा अन्दर से।" सुनीता से अब नहीं रहा गया, बोली - "तो डाल क्यों नहीं देते अपना डंडा मेरी गर्म-गर्म भट्टी में।" रामलाल की बांछें खिल उठीं। उसने सुनीता की चूची को मुंह में भर कर चूंसना शुरू कर दिया। सुनीता की सिसकियाँ कमरे में गूँज कर वातावरण को और भी सेक्सी व रोमांटिक बनाने लगीं। रामलाल अब खुलकर उसके नग्न शरीर से खेल रहा था। सुनीता ने रामलाल का लिंग पकड़ कर अपने मुंह में डाल लिया और मस्ती में आकर उसे चूंसने लगी। अब उसे अपने बदन की गर्मी कतई सहन नहीं हो रही थी। उसने रामलाल का लिंग अपनी जाँघों के बीच में दबाते हुए कहा, "मौसा जी, प्लीज़ ..अब अपना यह मोटा डंडा मेरी जाँघों के भीतर सरकाइये, मुझे बड़ा आनंद आ रहा है।" तब रामलाल ने मोटे लिंग का ऊपरी लाल भाग सुनीता की योनि में धीरे-धीरे सरकाना आरम्भ किया। सुनीता की योनि में एक तेज सनसनाहट दौड़ गई। उसने कस कर अपने दांत भींच लिए और लिंग की मोटाई को झेल पाने का प्रयास करने लगी। रामलाल का लिंग जितना उसकी योनि के अन्दर घुस रहा था योनि में उतनी ही पीड़ा बढ़ती जा रही थी। अब रामलाल के लिंग में भी और अधिक उत्तेजना आ गई थी। उसने एक जोरदार धक्का पूरी ताकत के साथ मारा जिससे उसका समूंचा लिंग सुनीता की कोरी योनी को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।
सुनीता के मुंह से एक जोरों की चीख निकल कर वातावरण में गूँज उठी और वह रामलाल के लिंग को योनि से बाहर निकालने की चेष्टा करने लगी। अनीता ने रामलाल से कहा, "जानू इसके कहने पर अपने इंजन को रोकना नहीं, देखना अभी कुछ ही देर में रेल पटरी पर आ जाएगी। योनि से खून बह निकला जो चादर पर फैल गया था। अनीता सुनीता को डाटते हुए बोली, " देख सुनीता, अब तू चुपचाप पड़ी रह कर इनके लिंग के धक्के झेलती रह, यों व्यर्थ की चिखापुकारी से कुछ नहीं होगा। इस वक्त जो दर्द तुझे महसूस हो रहा है वह कुछ ही देर में मज़े में बदल जायेगा। इन्हें रोके मत, इनके रेस के घोड़े को सरपट दौड़ने दे, अधाधुंध अन्दर-बाहर। इनका बेलगाम घोडा जितनी तेजी से अन्दर-बाहर के चक्कर काटेगा उतना ही तुझे मज़ा आएगा।" बड़ी बहिन की बात मानकर सुनीता थोड़ी देर अपना दम रोके यों ही छटपटाती रही और कुछ ही देर में उसे मज़ा आने लगा। रामलाल अबतक सेंकडों धक्के सुनीता की योनि में लगा चुका था। अब सुनीता के मुख से रामलाल के हर धक्के के साथ मादक सिसकारियाँ फूट रही थीं। उसे लगा कि वह स्वर्ग की सैर कर रही है। इधर रामलाल अपने तेज धक्कों से उसे और भी आनंदित किये जा रहा था। सुनीता अब अपने नितम्बों को उचका-उचका कर अपनी योनि में उसके लिंग को गपकने का प्रयास कर रही थी।
वह मस्ती में भर कर चीखने लगी, "मौसा जी, जरा जोरों के धक्के लगाओ ...तुम्हारे हर धक्के में मुझे स्वर्ग की सैर का आनंद मिल रहा है ....आह: ...आज तो फाड़ के रख दो मेरी योनि को ....और जोर से ...और जोरों से ...उई माँ ...मौसा जी ...प्लीज़ धीरे-धीरे नहीं ...थोड़े और जोर से फाड़ो ..." उसने रामलाल को कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया। अपनी दोनों टाँगों से उसने अपने मौसा जी के नितम्बों को जकड़ रखा था। अजब प्यास थी उसकी जो बुझाए नहीं बुझ रही थी। अंत: रामलाल ने उसकी प्यास बुझा ही डाली। सुनीता रामलाल से पहले ही क्षरित हो कर शांत पड़ गई, उसने अपने हाथ-पैर पटकने बंद कर थे पर वह अब भी चुपचाप पड़ी अपने मौसा जी के लिंग के झटके झेल रही थी। आखिरकार रामलाल के लिंग से भी वीर्य की एक प्रचंड धारा फूट पड़ी। उसने ढेर सारा वीर्य सुनीता की योनि में भर दिया और निढाल सा हो उसके ऊपर लेट गया।
कुछ देर बाद तीनों का नशा मंद पड़ा। रात के करीब दो बजे सुनीता का हाथ रामलाल के लिंग को टटोलने लगा। वह उसके लिंग को धीरे-धीरे पुन: सहलाने लगी। बल्ब की तेज रौशनी में उसने सोते हुए रामलाल के लिंग को गौर से देखा और फिर उसे अपनी उँगलियों में कस कर सहलाना शुरू कर दिया था। रामलाल और अनीता दोनों ही जाग रहे थे। उसकी इस हरकत पर दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े। अनीता ने कहा, "देख ले अपने मौसा जी के लिंग को, है न उतना ही मोटा, लम्बा जितना कि मैंने तुझे बताया था।" वह शरमा कर मुस्कुराई। रामलाल ने भी हँसते हुए पूछा, "क्यों मेरी जान, मज़ा आया कुछ?" सुनीता ने शरमाकर रामलाल के सीने में अपना मुंह छिपाते हुए कहा, "हाँ मौसा जी, मुझे मेरी आशा से कहीं अधिक मज़ा आया आपके साथ। मालूम है, मैंने आपके साथ यह पहला शारीरिक सम्बन्ध बनाया है।" रामलाल बोला, "सुनीता रानी, अब से मुझसे मौसा जी मत कहना। मुझसे शारीरिक सम्बन्ध बनाकर तूने मुझे अपना क्या बना लिया है, जानती है?" सुनीता चुप रही। रामलाल बोला, "अब तूने मुझे अपना खसम बना लिया है। मैं अब तुम दोनों बहिनों का खसम हूँ। आई कुछ बात समझ में?" सुनीता बोली, "ठीक है खसम जी, पर सबके आगे तो मैं आपको मौसा जी ही कहूँगी।" रामलाल ने सुनीता की योनि में उंगली घुसेड़ कर उसे अन्दर-बाहर करते हुए कहा, "चलो सबके आगे तुम्हारा मौसा ही बना रहूँगा।"
सुनीता ने रामलाल के एक हाथ से अपनी छातियाँ मसलवाते हुए कहा, "हमारा आपसे मिलन भी अनीता दीदी के सहयोग से ही हुआ है। अगर आज दीदी मुझे वह ब्लू-फिल्म नहीं दिखाती तो मैं आपके इस मोटे हथियार से अपनी योनि फड़वाने का इतना आनंद कभी नहीं ले पाती। मेरे खसम, अब तो अपना ये डंडा एक वार फिर से मेरी योनि में घुसेड़ कर उसे फाड़ डालने की कृपा कर दो। इस वार मेरी सुरंग फाड़ कर रख दोगे तो भी मैं अपने मुंह से उफ़ तक न करूंगी।" रामलाल बोला, "क्यों अपनी चूत का चित्तोड़-गढ़ बनबाना चाह रही है। मैं तो बना डालूँगा, कुछ धक्को में तेरी योनि की वो दशा कर दूंगा कि किसी को दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगी। चल हो जा तैयार .." ऐसा कहकर राम लाल ने अपने मजबूत लिंग पर हाथ फिराया। इसी बीच अनीता बोली, "क्यों जी, आज में एक बात पूछना चाहती हूँ मुझे ये समझाओ कि योनि को लोग और किस-किस नामों से पुकारते हैं?" अनीता की बात पर सुनीता और रामलाल दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े।
क्रमशः....
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