RE: Sex Hindi Kahani अनाड़ी पति और ससुर रामलाल
सुनीता ने दीदी से कहा, "दीदी, तुम्हें एक बात नहीं मालूम होगी।" "क्या?" अनीता ने पूछा। सुनीता ने बताया, "तुम्हारी शादी के बाद एक दिन मैं यों ही खिड़की की ओट से मझले भैया के कमरे में झाँकने लगी, मुझे भाभी के साथ किसी मर्द की आवाजें सुनाई दीं। कोई कह रहा था, 'अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे ऊपर आजा। अब मुझसे ज्यादा इन्तजार नहीं हो रहा।' मेरी उत्सुकता बढ़ी। मैंने सोचा की मझले भैया तो नाइट ड्यूटी जाते है फिर ये कौन आदमी भाभी से नंगी होने की बात कह रहा है। मैंने खिड़की थोड़ी सी और खोल कर अन्दर झाँका तो दीदी, बिलकुल ऐसा ही सीन अन्दर चल रहा था जैसा कि हम-लोगों ने अभी ब्लू-फिल्म में देखा था। बड़े भैया, मझली भाभी को नंगी करके अपने ऊपर लिटाये हुए थे और भाभी ऊपर से धक्के मार-मार कर बड़े भैया का लिंग अन्दर लिए जा रहीं थीं। मुझे यह खेल देखने का चस्का लग गया। एक बार मैंने उनका यह खेल छोटे भैया को भी दिखाया। देखते-देखते छोटे भैया उत्तेजित हो उठे और उन्होंने मेरी छातियों पर हाथ फेरना आरम्भ कर दिया। मैं किसी तरह भाग कर अपने कमरे में चली आई, छोटे भैया ने समझा कि बुरा मान कर अंदर भाग आई हूँ। वे मेरे पीछे-पीछे आये और मुझसे माफ़ी मांगने लगे। आगे कभी ऐसा न करने का वादा भी करने लगे। मैं कुछ नहीं बोली, और बह चुपचाप वहां से चले गए। उनके चले जाने के बाद मैं बहुत पछताई कि क्यों मैंने उनको नाराज़ कर दिया। अगर उनसे करवा ही लेती तो उस दिन मुझे कितना आनंद आता। अफ़सोस तो इस बात का रहा कि उन्होंने दुबारा मेरी छातियाँ क्यों नहीं दबाई। अगर आगे वह ऐसा करें तो मुझे क्या करना चाहिए दीदी? हथियार डाल दूं उनके आगे, और कर दूं अपने आपको उनके हवाले?"
"पागल हो गयी है क्या तू! सगे भाई से यह सब करवाने की बात तेरे दिमाग में आई ही कैसे! देख सुनीता, सगे भाई-बहिन का रिश्ता बहुत ही पवित्र होता है। आगे से ऐसा कभी सोचना भी मत।" " दीदी, तुम्हारी बातें सही हैं मगर जब लड़का और लड़की दोनों के ही सर पर वासना का भूत सबार हो जाये तो बेचारा दिल क्या करे? मेरी कितनी ही सहेलियां ऐसी हैं जिनके यौन-सम्बन्ध उनके अपने सगे भाइयों से हैं। और ये सम्बन्ध उनके वर्षों से चले आ रहे हैं। मेरी एक सहेली को तो अपनी शादी के बाद अपने सगे छोटे भाई के साथ सम्बन्ध बनाने पड़े। उसका पति नपुंशक है और कभी उसके लिंग में थोड़ी-बहुत उत्तेजना आती भी है तो वह पत्नी की योनि तक पहुँचते-पहुँचते ही झड़ जाता है।"
दोनों बहिनों को बातें करते-करते शाम हो आयी। ससुर ने आवाज लगाई, "बहू, जरा इधर तो आ। क्या आज खाना नहीं बनाना है?" अनीता पास आकर ससुर के कान में फुसफुसाई, "जानू आज समझो तुम्हारा काम बन गया। उसी को पटाने में इतनी देर लग गई। आप आज रात को मेरे पलंग पर आकर चुप-चाप लेट जाना, आगे सब मैं सम्हाल लूंगी।
रात हुई, दोनों बहिनें अलग-अलग बिस्तरों पर लेतीं। सुनीता आँखें बंद करके सोई हुई होने का नाटक करने लगी। रात के करीब दस बजे धीरे से दरबाजा खुलने की आवाज आई। सुनीता चौकन्नी हो गई, उसने कम्बल से एक आँख निकाल कर देखा कि दीदी के ससुर अन्दर आये। अन्दर आकर उन्होंने अन्दर से कुण्डी लगा ली और दबे पाँव दीदी के कम्बल में घुस गए। अनीता पहले से ही पेटीकोट और ब्रा में थी। रामलाल ने भी अपने सारे वस्त्र उतार फैंके और अनीता को नंगी करके उसके ऊपर चढ़ गया। अब दोनों की काम-क्रीड़ायें शुरू हो गईं। रामलाल धीरे से अनीता के कान में बोला, "थोड़ी सी पिएगी मेरी जान, आज मैं बिलायती व्हिस्की लेकर आया हूँ। आज बोतल की और इस नई लौंडिया की सील एक साथ तोडूंगा।" रामलाल ने अपने कुरते को टटोलना शुरू किया ही था कि अनीता उसे रोकते हुए बोली, "अभी नहीं, सुनीता पर काबू पाने के बाद शुरू करेंगे पीना। आज मैं तुम दोनों को अपने हाथों से पिलाऊंगी और खुद भी पीउंगी तुम्हारे साथ। पहले मेरी बहिन की अनछुई जवानी का ढक्कन तो खोल दो, बाद में बोतल का ढक्कन खुलेगा। रामलाल मुस्कुराया, बोला - "मेरी जान, तू मेरे लिए कितना कुछ करने को तैयार है। यहाँ तक कि अपनी छोटी बहिन की सील तुडवाने को भी राज़ी हो गई।" "आप भी तो हमारे ऊपर सब-कुछ लुटाने को तैयार रहते हो मेरे राजा, फिर तुम्हारी रानी तुम्हारे लिए इतना सा काम भी नहीं कर सकती।"
सुनीता कम्बल की ओट से सब-कुछ साफ़-साफ़ देख पा रही थी। नाईट बल्ब की रौशनी में दोनों के गुप्तांग स्पष्ट दिखाई दे रहे थे। सुनीता ने सोचा 'दीदी ने तो कहा था लाइट ऑन करके दोनों के ऊपर से कम्बल हटाने के लिए। यहाँ तो कुछ भी हटाने की जरूरत नहीं है, सब काम कम्बल हटाकर ही हो रहा है।' सुनीता ने उठकर लाइट ऑन कर दी। दोनों ने दिखावे के तौर पर अपने को कम्बल में ढकने का प्रयास किया। सुनीता बोली, "दीदी, मैं तो तुम्हारे पास सोऊँगी। मुझे तो डर लग रहा है अकेले में। अनीता ने दिखावटी तौर पर उसे समझाया, "हम-लोग यहाँ क्या कर रहे हैं, ये तो तूने देख ही लिया है, फिर भी तू मेरे पास सोने की ज़िद कर रही है।" रामलाल बोला, "हाँ,हाँ, सुला लो न बेचारी को अपने पास। उसे हमारे काम से क्या मतलब, एक कोने में पड़ी रहेगी बेचारी। आजा बेटी, तू मेरी तरफ आजा।" सुनीता झट-पट रामलाल की ओर जा लेटी और बोली, "आप लोगों को जो भी करना है करो, मुझे तो जोरों की नीद लगी है।" इधर अनीता और रामलाल का पहला राउंड चल रहा था, इस बीच सुनीता कभी अपनी चूचियों को दबाती तो कभी अपनी योनि खुजलाती। जब अनीता और रामलाल स्खलित होगये तो रामलाल ने कहा, "जानू लाओ तो हमारी व्हिस्की की बोतल, इससे जोश पूरा आएगा, और लिंग की ताकत पहले से भी दूनी हो जाएगी।" अनीता बोली, "मुझे तो बहुत थोड़ी सी देना, मैं तो पीकर सो जाउंगी। मेरे राजा, आज तो तुमने मेरी फाड़ कर रख दी। योनि भी बहुत दर्द कर रही है।" फिर वह अपने ससुर जी के कान में बोली, "आज इसको कतई छोड़ना मत, सोने का बहाना बनाये पड़ी है। आज मैंने ब्लू-फिल्म दिखाकर इसे तुम्हारा यह मूसल सा मोटा लिंग अन्दर डलवाने के लिए बिलकुल तैयार कर लिया है।"
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