RE: Sex Hindi Kahani अनाड़ी पति और ससुर रामलाल
रामलाल ने बहू को नंगा करके अपने सामने लिटा रखा था और उसकी जांघें फैलाकर सुरंग की एक-एक परत हटाकर रसदार योनि को चूंसे जा रहा था। अनीता अपने नितम्बो को जोरों से हिला-हिला कर पूरा आनंद ले रही थी। अनीता ने एक बार फिर टीवी का सीन देखा। लड़की की योनि में घोड़े का पूरा लिंग समा चुका था। एकाएक रामलाल को जैसे कुछ याद आ गया हो वह उठा और टेबल पर रखा रेज़र उठा लाया। उसने अनीता के गुप्तांग पर उगे काले-घने बाल अपनी उँगलियों में उलझाते हुए कहा - "ये घना जंगल और ये झाड़-झंकाड़ क्यों उगा रखा है अपनी इस खूबसूरत गुफा के चारों ओर?" "पापा जी, मुझे इन्हें साफ़ करना नहीं आता" "ठीक है, मैं ही इस जंगल का कटान किये देता हूँ।" ऐसा कहकर रामलाल ने उसकी योनि पर शेविंग-क्रीम लगाई और रेज़र से तनिक देर में सारा जंगल साफ़ कर दिया और बोला - "जाओ, बाथरूम में जाकर इसे धोकर आओ। तब दिखाऊँगा तुम्हे तुम्हारी इस गुफा की खूबसूरती। अनीता बाथरूम में जाकर अपनी योनि को धोकर आयी और फिर रामलाल के आगे अपनी दोनों जांघें इधर-उधर फैलाकर चित्त लेट गयी रामलाल ने एक शीशे के द्वारा उसे उसकी योनि की सुन्दरता दिखाई। अनीता हैरत से बोली, "अरे, मेरी ये तो बहुत ही प्यारी लग रही है।" वह आगे बोली, "पापा जी, आपके इस मोटे मूसल पर भी तो बहुत सारे बाल हैं। आप इन्हें साफ़ क्यों नहीं करते?" रामलाल बोला, "बहू, यही बाल तो हम मर्दों की शान हैं। जिसकी मूंछें न हों और लिंग पर घने बाल न हों तो फिर वह मर्द ही क्या। हमेशा एक बात याद रखना, औरतों की योनि चिकनी और बाल-रहित सुन्दर लगती है मगर पुरुषों के लिंग पर जितने अधिक बाल होंगे वह मर्द उतना ही औरतों के आकर्षण का केंद्र बनेगा।" अनीता बोली, "पापा जी, मुझे तो आपका ये बिना बालों के देखना है। लाइए रेज़र मुझे दीजिये और बिना हिले-डुले चुपचाप लेटे रहिये, वर्ना कुछ कट-कटा गया तो मुझे दोष मत दीजियेगा।" अनीता ने ससुर के लिंग पर झट-पट शेविंग क्रीम लगाई और सारे के सारे बाल मूंड कर रख दिए। रामलाल जब लिंग धोकर बाथरूम से लौटा तो उसके गोरे, मोटे और चिकने लिंग को देख कर अनीता की योनि लार चुआने लगी। योनि रामलाल के लिंग को गपकने के लिए बुरी तरह फड़फड़ाने लगी और अनिता ने लपक कर उसका मोटा तन-तनाया लिंग अपने मुंह में भर लिया और उतावली हो कर चूसने लगी। रामलाल बोला - "बहू, तू अब अपनी जांघें फैलाकर चित्त लेट जा और अपने नितम्बों के नीचे एक हल्का सा तकिया लगा ले।" "ऐसा क्यों पापा जी?" "ऐसा करने से तेरी योनि पूरी तरह से फ़ैल जाएगी और उसमे मेरा ये मोटा-ताज़ी, हट्टा-कट्टा डंडा बिना किसी परेशानी के सीधा अन्दर घुस जाएगा।" अनीता ने वैसा ही किया। रामलाल ने बहू के योनि-द्वार पर अपने लिंग का सुपाड़ा टिकाकर एक जोर-दार झटका मारा कि उसका समूंचा लिंग धचाक से अन्दर जा घुसा। अनीता आनंद से उछल पड़ी। वह मस्ती में आकर अपने कुल्हे और कमर उछाल-उछाल कर लिंग को ज्यादा से ज्यादा अन्दर-बाहर ले जाने की कोशिश में जुटी थी। रामलाल बोला, "बहू, तेरी तो वाकई बहुत ही चुस्त है। कुदरत ने बड़ी ही फुर्सत में गढ़ी होगी तेरी योनि।" "अनीता बोली, आपका हथियार कौन सा कम गजब का है। पापा जी, सच बताइए, सासू जी के अलाबा और कितनी औरतों की फाड़ी है आपके इस मोटे लट्ठे ने।" रामलाल अनीता की योनि में लगातार जोरों के धक्के लगाता हुआ बोला, "मैंने कभी इस बात का हिसाब नहीं लगाया। हाँ, तुझे एक बात से सावधान कर दूं। मेरे-तेरे बीच के इन संबधों की तेरी पड़ोसिन जिठानी को को जरा भी भनक न लग जाए। वह बड़ी ही छिनाल किस्म की औरत है। हमें सारे में बदनाम करके ही छोड़ेगी।" "नहीं पापा जी, मैं क्या पागल हूँ जो किसी को भी इस बात की जरा भी भनक लगने दूँगी। वैसे, आप एक बात बताओ, क्या ये औरत आपसे बची हुयी है?" रामलाल जोरों से हंस पड़ा , बोला - "तेरा यह सोचना बिलकुल सही है बहू, इसने भी मुझसे एक वार नहीं, कितनी ही वार ठुकवाया है।" "अच्छा, एक बात और पूछनी है आपसे .." "पूंछो बहू,..." "पहली रात को क्या सासू जी आपका ये मोटा हथियार झेल पाई थीं?" "अरे कुछ मत पूछ बहू, जब मेरा तेरी सास के साथ ब्याह हुआ था तब वह सिर्फ 13 साल की थी और मैं 18 साल का। इतना तजुर्बा भी कहाँ था तब मुझे, कि पहले उसकी योनि को सहला-सहला कर गर्म करता और जब वह तैयार हो जाती तो मैं उसकी क्वारी व अनछुई योनि में अपना लिंग धीरे-धीरे सरकाता। मैं तो बेचारी पर एक-दम से टूट पड़ा था और उसे नंगी करने उसकी योनि के चिथड़े-चिथड़े कर डाले थे। बस योनि फट कर फरुक्काबाद जा पहुंची थी। पूरे तीन दिन मैं होश में आयी थी तेरी सास। अगली बार जब मैंने उसकी ली तो पहले उसे खूब गरम कर लिया था जिससे वह खुद ही अपने अन्दर डलवाने को राज़ी हो गयी।" अनीता तपाक से बोली, "जैसे मेरी योनि को सहला-सहला कर उसे आपने खौलती भट्टी बना दिया था आज। पापा जी, इधर का काम चालू रखिये ...एक वार, सिर्फ एक वार मेरी सुलगती सुरंग को फाड़ कर रख दीजिये। मैं हमेशा-हमेशा के लिए आपकी दासी बन जाऊंगी। " "ले बहू, तू भी क्या याद करेगी ...तेरा भी कभी किसी मर्द से पाला पड़ा था। आज मुझे रोकना मत, अभी तेरी उफनती जवानी को मसल कर रखे देता हूँ।" ऐसा कह कर रामलाल अपने मोटे लिंग पर तेल मलकर अनीता पर दुबारा पिला तो अनीता सिर से पैर तक आनंद में डूब गयी। रामलाल के लिंग का मज़ा ही कुछ और था पर वह भी कब हिम्मत हारने वाली थी। अपने ससुर को खूब अपने नितम्बों को उछाल-उछाल कर दे रही थी। अंतत: लगभग एक घंटे की इस लिंग-योनि की धुआं-धार लड़ाई में दोनों ही एक साथ झड़ गए और काफी देर तक एक-दूजे के नंगे शरीरों से लिपट कर सोते रहे। बीच-बीच में दो-तीन वार उनकी आँखें खुलीं तो वही सिलसिला दुबारा शुरू हो गया। उस रात रामलाल ने बहू की चार वार मारी और हर वार में दोनों को ही पहले से दूना मज़ा आया। अनीता उसी रात से ससुर की पक्की चेली बन गयी। अब वह ससुर के खाने-पीने का भी काफी ध्यान रखती थी ताकि उसका फौलादी डंडा पहले की तरह ही मजबूत बना रहे। पति की नपुंशकता की अब उसे जरा भी फ़िक्र न थी। हाँ, इस घटना के बाद रिश्ते जरूर बदल गए थे। रामलाल सबके सामने अनीता को बहू या बेटी कहकर पुकारता परन्तु एकांत में उसे मेरी रानी, मेरी बुलबुल आदि नामों से संबोधित करता था। और अनीता समाज के सामने एक लम्बा घूंघट निकाले उसके पैर छूकर ससुर का आशीर्वाद लेती और रात में अपने सारे कपडे उतार कर उसके आगे पसर जाती थी।
आज रामलाल अपनी बहू अनीता के साथ कामक्रीड़ा में व्यस्त था। अपने बेटे अनमोल को वह अक्सर विवाह-शादियों में भेजता रहता था ताकि वह अधिक से अधिक रातें अपनी पुत्र-बधु अनीता के बिता सके। अनीता से यौन-सम्बंध बनाने के बाद से वह पहले की अपेक्षा कुछ और अधिक जवान दिखने लगा था। बहू की योनि में अपनी उंगली डाल कर उसे इधर-उधर घुमाते हुए उसने पूछा - "रानी, मैं देख रहा हूँ, कुछ दिनों से तुम किसी चिंता में डूबी हुयी नज़र आ रही हो।" अनीता ने कहा - राजा जी, मेरी छोटी बहिन के ससुराल वालों ने पूरे पांच लाख रूपए की मांग की है। मेरे तीनों भाई मिलकर सिर्फ चार लाख रूपए ही जुटा पाए हैं। उन लोगों का कहना है कि अगर पूरे पैसों का प्रवंध नहीं हुआ तो वे लोग मेरी बहिन सुनीता से सगाई तोड़ कर किसी दूसरी जगह अपने बेटे का ब्याह कर लेंगे।" रामलाल कुछ सोचता हुआ बोला, "उनकी माँ का खोपड़ा सालों की। तू चिन्ता मत कर, उनका मुंह बंद करना मुझे आता है। बस इतनी सी बात को लेकर परेशान है मेरी जान।" रामलाल ने एक साथ तीन उंगलियाँ बहु की योनि में घुसेड़ दीं। अनीता ने एक लम्बी से आह: भरी। ससुर की बात पर अनीता खुश हो गयी, उसने रामलाल का लिंग अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाना शुरू कर दिया और उसके अंडकोषों की गोलियों को घुमा-घुमा कर उनसे खेलने लगी।
रामलाल बोला - "अपनी बहिन को यहीं बुला ले मेरी रानी, मेरी जान! हम भी तो देखें तेरी बहिन कितनी खूबसूरत है।" "मेरी बहिन मुझसे सिर्फ तीन साल ही छोटी है। देखने में बहुत गोरी-चिट्टी, तीखे नयन नक्श, पतली कमर, सुडौल कूल्हों, के साथ-साथ उसके सीने का उभार भी बड़े गज़ब का है।" रामलाल के मुंह में पानी भर आया, बहू की बहिन की इतनी सारी तारीफें सुनकर। वह आहें भरता हुआ बोला - "हाय, हाय, हाय! क्या मेरा दम ही निकाल कर छोड़ेगी मेरी जान, अब उसकी तारीफें करना बंद करके यह बता की कब उसे बुला कर मेरी आँखों को ठंडक देगी। मेरा तो कलेजा ही मुंह को आ रहा है उसकी तारीफें सुन-सुन कर ..." अनीता बोली - "देखो जानू, बुला तो मैं लूंगी ही उसे मगर उस पर अपनी नीयत मत खराब कर बैठना। वह पढ़ी-लिखी लड़की है, अभी-अभी बीए पास किया है उसने। आपके झांसे में नहीं फंसने वाली वो।" रामलाल ने उसे पानी चढ़ाया बोला, "फिर तू किस मर्ज़ की दबा है मेरी बालूसाही! तेरे होते हुए भी अगर हमें तेरी बहिन की कातिल जवानी चखने को न मिली तो कितने दुःख की बात होगी। हाँ, रूपए-पैसों की तू चिंता न करना। ये चाबी का गुच्छा तेरे हाथों में थमा दूंगा, जितना जी चाहे खर्च करना अपनी बहिन की शादी में। तू तो इस घर की मालकिन है, मालकिन!"
रामलाल 500 बीघे का जोता था। ट्रेक्टर-ट्राली, जीप, मोटर-साइकिल, नौकर-चाकर, एक बड़ी हवेली सब-कुछ तो था उसके पास, क्या नहीं था? तिजूरी नोटों से भरी रहती थी उसकी। अगर कहीं कमी थी तो उसके बेटे के पास पुरुषत्व की। अनीता तो तब भी रानी होती और अब भी महारानियों की तरह राज कर रही थी, रामलाल की धन-दौलत पर और साथ ही उसके दिल पर भी।
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