RE: Sex Hindi Kahani अनाड़ी पति और ससुर रामलाल
अनीता ने अपने ससुर के यहाँ आकर केवल दो लोगों को ही पाया। एक तो उसका बुद्धू, अनाड़ी पति और दूसरा उसका ससुर रामलाल। सास, ननद, जेठ, देवर के नाम पर उसने किसी को नहीं देखा। वह अपने अनाड़ी पति के वारे में सोचती तो उसे अपने भाग्य पर बहुत ही क्रोध आता। किन्तु अब हो भी क्या सकता था। फिर वह सब्र कर लेती कि चलो बस औरतों के मामले में ही तो अनमोल शर्मीला है। बाकी न तो पागल है और न ही कम-दिमाग है। वैसे तो हर अच्छे-बुरे का ज्ञान है ही उसे। वह सोचने लगी कि अगर कल रात वह स्वयं पहल न करती तो सारी रात यों ही तड़पना पड़ता उसे। सुहागरात से ही अनीता के तन-बदन में आग सी लगी हुई थी। हालांकि उसके पति ने उसे संतुष्ट करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी। उसने जैसा कहा बेचारा वैसा ही करता रहा था सारी रात, किन्तु फिर भी अनीता के जिस्म की प्यास पूरी तरह से नहीं बुझ पाई थी। वह तो चाहती थी कि सुहाग की रात उसका पति उसके जवान व नंगे जिस्म की एक-एक पर्त हटा कर उसकी जवानी का भरपूर आनंद लेता किन्तु अनमोल ने तो उसे नंगा देखने तक से मना कर दिया था।
सुबह जब अनमोल उठा तब से ही उसकी तबियत कुछ ख़राब सी हो रही थी। वह सुबह खेतों में चला तो गया परन्तु अनमने और अलसाए हुए मन से। दूसरी रात फिर पत्नी ने छेड़ा-खानी शुरू कर दी। वह रात भर उसे अपनी ओर आकर्षित करने के नए-नए उपाय करती रही मगर अनमोल टस से मस न हुआ। हार झक मार कर वह सो गयी। तीसरी रात को अनमोल ने कहा, "अनीता मुझे परेशान न करो, मेरी तबियत ठीक नहीं है।" अनीता ने अनमोल के बदन को छू कर देखा उसे सच-मुच बुखार था। अनीता ने माथे पर पानी की गीली पट्टी रख कर सुबह तक बुखार तो उतार दिया फिर भी वह स्वयं को ठीक महसूस नहीं कर रहा था। अनमोल को डाक्टर को दिखाया गया। डाक्टर ने बताया कि कोई खास बात नहीं है। अधिक परिश्रम करने के कारण उसको कमजोरी आ गयी है। तीन दिन के बाद अनमोल का बुखार उतर गया। अनीता के मन में लड्डू फूटने लगे। आज की रात तो बस अपनी सारी इच्छाएं पूरी करके ही दम लेगी। आज तो वह पति के आगे पूरी नंगी होगर पसर जायेगी फिर देखें कैसे वह मना करेगा। रात हुयी, अनीता पूरी तैयारी के साथ उसके साथ लेटी थी। धीरे-धीरे उसका हाथ पति की जाँघों तक जा पहुंचा। अनमोल ने एक बार को उसे रोकना भी चाहा किन्तु वह अपनी पर उतर आयी। उसने पति के लिंग को कसकर अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और कहने लगी अगर इतनी ही शर्म आती है तो फिर मुझसे शादी ही क्यों की थी। आज में तुम्हे वो सारी चीजें दिखाउंगी जिनसे तुम दूर भागना चाहते हो। ऐसा कहते हुए उसने अपने ऊपर पड़ी रजाई एक ओर सरका दी और बोली- "इधर देखो मेरी तरफ ...बताओ तो सही मैं अब कैसी दिख रही हूँ।" अनमोल ने उसकी ओर देखा तो देखता ही रह गया। "अनीता तुम्हारा नंगा बदन इतना गोरा और सुन्दर है! मैंने तो आज तक किसी का नंगा बदन नहीं देखा।" अपनी आशा के विपरीत पति के बचन सुनकर अनीता की बाछें खिल उठीं। उसने उछल कर पति को अपनी बांहों में भर लिया। अनमोल बोला, "अरे, जरा सब्र करो। मुझे भी कपडे तो उतार लेने दो। आज मैं भी नंगा होकर ही तुम्हारा साथ दूंगा।" वह अपने कुरते के बटन खोलता हुआ बोला। तब तक अनीता ने उसके पायजामे का नाडा खोल दिया और उसे नीचे खिसकाने लगी। "अरे, अरे, रुको भी भई। जरा तो धीरज रखो। आज भी मैं वही करूंगा जो तुम कहोगी।" "तो फिर जल्दी उतार फेंको सारे कपड़ों को ...और आ चढ़ो एक अच्छे पति की तरह मेरे ऊपर।" कपड़े उतार कर अनमोल अनीता के ऊपर आ गया। उसका लिंग गर्म और तनतनाया हुआ था। अनीता ने लपक कर उसे पकड़ लिया और अपने समूचे नंगे जिस्म पर रगड़ने लगी। अपने पति को इस हाल में देख वह ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी। उससे अधिक देर तक नहीं रुका गया और उसने पति के लिंग को अपनी दोनों जाँघों के बीच कस कर भींच लिया और पति के ऊपर आकर लिंग को अपने योनि-द्वार पर टिकाकर अपने अन्दर घुसाने का प्रयास करने लगी। अनीता ने कस कर एक जोर-दार झटका दिया कि सारा का सारा लिंग एक ही बार में उसकी योनी के भीतर समा गया। ख़ुशी से उछल पड़ी वह, और फिर जोरों से धक्के मार-मार कर किलकारियां भरने लगी। पर बेचारी की यह ख़ुशी अधिक देर तक नहीं टिक सकी। दो-तीन झटकों में ही अनमोल का लिंग उसका साथ छोड़ बैठा। यानी एक दम खल्लास हो गया। अनीता ने दोबारा उसे खड़ा करने की बहुतेरी कोशिश की पर नाकाम रही। अनमोल ने उसके क्रोध को और भी बढ़ा दिया यह कह कर कि अनीता अब तुम भी सो जाओ। कल सुबह मुझे दो एकड़ खेत जोतना है। अनीता ने झुंझलाकर कहा - "दो एकड़ खेत क्या खाक़ जोतोगे ... पत्नी की दो इंच की जगह तो जोती नहीं जाती, कब से सूखी पड़ी है।" अनीता नाराज होकर सो गयी। सुबह पड़ोस की भाभी ने पूछा, "इतनी सुबह देवर जी कहाँ जाते हैं, मैं कई दिनों से देख रही हूँ उन्हें जाते हुए।" अनीता बोली, "आज कल उनपर खेत जोतने की धुन सबार है। इसी लिए सुबह-सुबह घर से निकल पड़ते हैं।" भाभी ने व्यंग्य कसा, " अरी बहू, तेरा खेत भी जोतता है या यों ही सूखा छोड़ रखा है।" इस पर अनीता की आंते-पीतें सुलग उठीं किन्तु मुंह से बोली कुछ नहीं। धीरे-धीरे एक माह बीत चला, अनमोल ने अनीता को छुआ तक नहीं।
क्रमशः....
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