प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
07-04-2017, 12:27 PM,
#6
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
कभी कभी तो मुझे लगता कि मैं सचमुच ही इस नन्ही परी से प्रेम करने लगा हूँ। मेरे वश में होता तो मैं इस परी को लेकर कहीं दूर चला जाता जहाँ हम दोनों के सिवा कोई ना होता। मैंने बचपन में 'अल्लादीन का चिराग' नामक एक कहानी पढ़ी थी। काश उस कहानी वाला चिराग मेरे पास होता तो मैं उस जिन्न को कहता कि मुझे अपनी इस परी के साथ कोहेकोफ़ ले जाए।
खैर... अब मैं इस जुगाड़ में था कि किस जगह और कैसे उससे मिला जाये। क्या उसे रात को होटल में बुलाना ठीक रहेगा ? पर सवाल यह था कि वो रात में यहाँ कैसे आएगी? मेरे मन में डर भी था कि कहीं किसी घाघ वेटर ने देख लिया और उसे कोई शक हो गया तो मैं तो मुफ्त में मारा जाऊँगा। मैं किसी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहता था। नई जगह थी कोई झमेला हो गया तो लेने के देने पड़ जायेंगे।
मेरी मुश्किल पलक ने आसान कर दी। उसने बताया कि कल दोपहर में वो होटल में ही मिलने आ जाएगी। मैंने उसे होटल का नाम पता और कमरे का नंबर दे दिया।
वैसे भी रविवार था तो मुझे कहीं नहीं जाना था। मैं उसका इंतज़ार करने लगा।
कोई 1:30 बजे रिसेप्शन से फोन आया कि कोई लड़की मिलने आई है। मैंने उसे कमरे में भेज देने को कह दिया। मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा। मैंने कमरे का दरवाज़ा थोड़ा सा खोल लिया था ताकि मुझे उसके आने का पता चल जाए।
इतने में पलक सीढ़ियों से आती हुई दिखाई दी। मैं तो ठगा सा उसे देखता ही रह गया। उसने सफ़ेद रंग के स्पोर्ट्स शूज, हलके भूरे रंग (स्किन कलर) की कॉटन की पैंट और ऊपर गुलाबी रंग का गोल गले वाला टॉप पहन रखा था। मेरी पहली नज़र उसकी गोलाइयों पर ही टिक कर रह गई। उसके बूब्स तो भरे पूरे लग रहे थे। मैंने उसे ऊपर से नीचे तक निहारा। गहना रंग, गोल चेहरा, मोती मोती काली आँखें, सुतवां नाक, लम्बी गरदन, सर के बाल कन्धों तक कटे हुए और कानों में सोने की छोटी छोटी बालियाँ। पतले पतली जाँघों के ऊपर छोटे छोटे खरबूजों जैसे कसे हुए नितम्ब।
इससे पहले कि मैं उसकी पैंट के अन्दर जाँघों के बीच बने उभार का कुछ अंदाज़ा लगता पलक बोली,"स… सर ? कहाँ खो गए?"
"ओह.. हाँ. प पलक अ... आओ… मैं तो तुम्हारी ही राह देख रहा था !" मैंने उसे बाजू से पकड़ कर अन्दर खींच लिया और दरवाजा बंद कर लिया। उसकी पतली पतली गुलाबी रंग की लम्बी छछहरी बाहें तो इतनी नाज़ुक लग रही थी कि मुझे तो लगा जरा सा दबाते ही लाल हो जायेंगी। उसकी अंगुलियाँ तो इतनी लम्बी थी कि मैं तो यही सोचता जा रहा था कि अगर पलक अपने हाथों में मेरे पप्पू को पकड़ ले तो वो तो इसकी अँगुलियों के बीच में आकर अपना सब कुछ एक ही पल में लुटा देगा।
"क्या आज ही आये हैं?"
"ओह.. हाँ मैं कल शाम को आ गया था !"
"तो आपने मुझे कल क्यों नहीं बताया?" उसने मिक्की की तरह तुनकते हुए उलाहना दिया।
"ब.. म.. " मैं तो उसे देख और अपने पास पाकर हकला सा ही गया था। वो मुझे घूरती रही।
बड़ी मुश्किल से मेरे मुँह से निकला,"ओह… वो मैं रात में देरी से पहुँचा था ना इसलिए तुम्हें नहीं बता पाया !"
"ओ.के. कोई बात नहीं … पता है मैं कितनी उतावली हो रही थी आपसे मिलने को?"
"हाँ हाँ... मैं जानता हूँ मेरी परी ! मैं भी तो तुमसे मिलने को कितना उतावला था !"
"हुंह… हटो परे.. झूठे कहीं के?" उसने मेरी ओर ऐसे देखा जैसे मैं कोई बहरूपिया या चिड़ीमार हूँ।
"ओह पलक अब छोड़ो ना इन बातों को.. और बताओ तुम कैसी हो?"
"हु ठीक छूं जी तमे केवा छो मधु दीदी केम छे ?" (मैं ठीक हूँ जी आप कैसे हैं और मधु दीदी कैसी हैं ?")
"हाँ वो भी ठीक ही होंगी !"
सच पूछो तो वो क्या पूछ रही थी और मैं क्या जवाब दे रहा था मुझे खुद पता नहीं था। आप तो जानते ही हैं कि मैंने कितनी ही लड़कियों और औरतों को बिना किसी झंझट के चोद लिया था पर आज इस नाजुक परी को अपने इतना पास पाकर मेरे पसीने ही छूट रहे थे। कैसे बात आगे बढाऊँ मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
पलक के पास तो रोज़ ही प्रश्नों का पिटारा होता था, सवालों की एक लम्बी फेहरिस्त होती थी उसके पास।
एक बार मैंने उसे मज़ाक में कह दिया था कि पलक तुम तो इतने सवाल पूछती रहती हो कि थोड़े दिनों में तुम तो पूरी प्रेम गुरुआनी बन जाओगी। तो उसने बड़ी अदा से मुस्कुराते हुए जवाब दिया था,"फिर तो आपको 10-12 साल बाद में पैदा होना चाहिए था !"
"क्यों ? फिर क्या होता ?"
"तमे आतला गहला पण नथी के मारी वात न समज्या होय?" (आप इतने बेवकूफ नहीं हैं कि मेरी बात ना समझे हों)
"प्लीज बताओ ना ?"
"जनाब वधरे रंगीन सपना जोवा नि जरुर नथी" (जनाब ज्यादा रंगीन सपने देखने की जरुरत नहीं है ?)
क्यों?"
"पेली.. मधु मक्खी (मधुर) तमने खाई जासे आने मने पण जीवति नथी छोड्शे (वो मधु मक्खी (मधुर) आपको काट खाएगी और मुझे भी जिन्दा नहीं छोड़ेगी) पलक खिलखिला कर हंस पड़ी।
कई बार तो लगता था कि पलक मेरे मन में छिपी बातें जानती है। मेरी और उसकी उम्र में हालांकि बहुत अंतर है पर देर सवेर वो मेरे प्रेम को स्वीकार कर ही लेगी। मैं अभी अपने ख्यालों में खोया ही था कि पलक की आवाज से चौंका।
"सर एक बात पूछूं ?"
"यस... हाँ जरुर !"
"क्या एक आदमी दो शादियाँ नहीं कर सकता?"

कहानी जारी रहेगी !
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RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ - by sexstories - 07-04-2017, 12:27 PM

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