RE: स्कूल कॉलेज सेक्स शरीफ सिस्टर
आज़ाद! ठीक से तकिये पर मुख रख ले और तकिया में मुँह दबा ले. मैं समझ गया कि अब वह मेरी गान्ड में अप'ना 10" का मूसल ठोकेगा और साला मुँह दबाने के लिए कह रहा है जिस'से कि मेरी आवाज़ ना निक'ले. मैने वैसे ही किया. डर भी लग रहा था, पर इस नये तज़ूर'बे के बारे में सोच सोच मैं काफ़ी उत्तेजित भी हो गया था और मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था.
गुल ख़ान मेरी गान्ड के ठीक पीछे अप'ने पैरों पर खड़ा होके मेरी पीठ पर झुक गया और उस'ने अप'नी बाहें मेरी छाती पर कस ली/ तभी मुझे उस'का लंड अप'नी गान्ड के छेद पर महसूस हुवा और मैने तकिये में दाँत भींच के अप'ना चेहरा और कस के गाढ दिया. मेरी गान्ड का किला फ़तेह होने वाला था. गुल ख़ान ने लंड का दबाव मेरी गांद में दिया और एक तेज़ दर्द की लहर मेरे सारे बदन में दौड़ गयी. मैं कस'मासाया पर मैने सोच रखा था कि चाहे जो हो जा'य मुझे गले से आवाज़ बाहर नहीं निकलने देनी है.
फिर गुल ख़ान अप'ने लंड के सुपारे को मेरी गान्ड में कुच्छ देर हिलाता रहा. जिस'से मेरी गान्ड में भरा जमा हुवा नारियल तेल फैल'ने लगा. उस'के लंड का सुपारा मेरी गान्ड में अट'का 'पच' 'पच' कर के हिल रहा था. तभी उस'ने मेरी गान्ड पर और दबाव बढ़ाना शुरू किया और मुझे लंड अंदर सरक'ता साफ मालूम पड़ा. कुच्छ दूर तक तो बिना दर्द के अंदर सरक गया परंतु इस'के बाद मुझे ऐसे लगा कि जैसे मेरी गान्ड चीरी जा रही हो. तभी मैने अप'ना ध्यान शमी की पह'ली चुदाई की तरफ मोड़ दिया.
अब मुझे महसूस हो रहा था कि जब शमी की चूत में मैने पह'ली बार लंड पेला था तो उसे भी ऐसा दर्द हुवा होगा. मैं यह सोच कर पहली बार गान्ड मार'वाने के दर्द को झेल'ने लगा कि अभी कुच्छ देर पह'ले जब मैने अप'नी सग़ी बहन की चूत को ऐसा ही दर्द दिया था तो अब मैं क्यों चिल्लाउ. मैं अप'ने ख़यालों में खोया हुवा था और उधर गुल ख़ान ने मेरी नारियल तेल से सनी गान्ड में पूरा 10" का लंड जड़ तक पेल दिया था. उस'की बाहें मेरी छाती पर और कस गयी.
फिर गुल ख़ान ने आधा लंड मेरी गान्ड से निकाला और वापस धीरे से पूरा अंदर डाल दिया. ऐसा उस'ने तीन बार किया और तीस'री बार मुझे दर्द महसूस नहीं हुवा. फिर तो अचानक तूफान आ गया. अब गुल ख़ान सुपरे तक लंड बाहर खींच एक ही झट'के में पूरा जड़ तक घुसा रहा था. धीरे धीरे उस'की स्पीड बढ़'ती गयी और मुझे केवल पच्च पच्च सुनाई पड़ रहा था. मेरा लंड तन गया था और जब गुल ख़ान ने मेरी छाती से एक हाथ नीचे बढ़ाके मेरा लंड पक'डा तो मुझे बहुत मज़ा आया. मैं बोल पड़ा,
गुल ख़ान मेरे लंड को सर'का मारो. ओह तुम तो गान्ड मार'ने के पूरे एक्सपर्ट हो. गुल ख़ान ने मेरे लंड को मुत्ठी में जाकड़ लिया और वह मेरे लंड को मूठ मार'ने लगा. उधर बहुत तेज़ी के साथ उस'का लंड भी मेरी गान्ड में अंदर बाहर हो रहा था. तभी शमी कमरे में आ गयी और जैसे ही वह मूड के वापस जाने लगी गुल ख़ान बोल पड़ा,
शमी बेटे यहाँ आओ और बैठो. देखो मैं तुम्हारे भाई से तुम्हारा बद'ला कैसे ले रहा हूँ. ठीक से नहा ली हो ना. अभी दर्द कम हो गया न. शमी ने हां में गर्दन हिला दी.
ले साले झेल मेरा लंड. आज तेरी गान्ड फाड़ के बिटिया का बदला लूँगा. ले झेल.... गुल ख़ान मेरे लंड को मुठियाते हुए दना डन मेरी गान्ड में लंड पेल रहा था. तभी मेरे लंड से फव्वारा छूटा और तभी मुझे अप'नी गान्ड में गुल ख़ान के रस का फव्वारा महसूस हुवा. उस दिन और कुच्छ नहीं हुवा. शमी और दिन की अपेक्षा आज बहुत जल्द अप'ने कम'रे में जा कर सो गयी. मैं भी जल्द सो गया. दूसरे दिन मैं और शमी रोज की तरह यूनिवर्सिटी और स्कूल गये. दुस'री रात शमी राज़ी हो गयी. तीसरे दिन जब तक अम्मी अब्बू नहीं आ गये तब तक शमी इस खेल की खिलाड़ी बन चुकी थी. तो दोस्तो कैसी लगी ये कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
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