RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ एक यादगार और मादक रात
उधर चित लेटे हुए गंगा पर माधवी सवार हो गयी थी, जैसे घोड़े पर. गंगा का लंड सीधा पेट पर पड़ा था. चौड़ी की हुई जांघों के बीच माधवी की भोस लंड के साथ सॅट गयी थी. चूत में पैठे बिना लंड भोस की दरार में फिट बैठ गया था. अपने नितंब आगे पिछे कर के माधवी अपनी भोस लंड से घिस रही थी. माधवी के हर धक्के पर उस की क्लाइटॉरिस लंड से रगड़ी जा रही थी और लंड की टोपी चढ़ उतर होती रहती थी. भोस और लंड काम रस से तर-ब-तर हो गये थे. वो गंगा के सीने पर बाहें टिका कर आगे झुकी हुई थी और आँखें बंद किए सिसकारियाँ ले रही थी. गंगा उस के स्तन सहला रहे थे और कड़ी निपल्स को मसल रहे थे.
थोड़ी देर में वो थक गयी. गंगा के सीने पर गिर पड़ी. अपनी बाहों में उसे जाकड़ कर गंगा पलटे और उपर आ गये. माधवी ने जांघें चौड़ी कर अपने पाँव गंगा की कमर से लिपटाए, बाहें गले से लिपताई. भोस की दरार में सीधा लंड रख कर गंगा धक्के देने लगे, चूत में लंड डाले बिना. माधवी की क्लाइटॉरिस अच्छि तरह रगड़ी गयी तब वो छटपटाने लगी.
गंगा बोले : माधवी बिटिया, ये आखरी घड़ी है. अभी भी समय है. ना कहे तो उतर जाउ.
माधवी बोली नहीं. गंगा को जोरों से जाकड़ लिया. वो समझ गये. गंगा अब बैठ गये. टोपी उतार कर लंड का मत्था धक दिया. एक हाथ से भोस के होठ चौड़े किए और दूसरे हाथ से लंड पकड़ कर चूत के मुँह पर रख दिया. एक हलका दबाव दिया तो मत्था सरकता हुआ चूत में घुसा और योनि पटल तक जा कर रुक गया. गंगा रुके. लंड पकड़ कर गोल गोल घुमाया, हो सके इतना अंदर बाहर किया. चूत का मुँह ज़रा खुला और लंड का मत्था आसानी से अंदर आने जाने लगा. अब लंड को चूत के मुँह में फसा कर गंगा ने लंड छ्चोड़ दिया और वो माधवी उपर लेट गये. उस ने महावी का मुँह फ्रेंच किस से सील कर दिया, दोनो हाथ से नितंब पकड़े और कमर का एक झटका ऐसा मारा कि झिल्ली तोड़ आधा लंड चूत में घुस गया. दर्द से माधवी छ्टपटाई और उस के मुँह से चीख निकल पड़ी जो गंगा ने अपने मुँह मे झेल ली. गंगा रुक गये.
गंगा को देख परेश भी धक्का लगा ने लगा. हम कुर्सी में थे इसी लिए आधा लंड ही चूत में जा सकता था. परेश को हटा कर में फर्श पर आ गयी और जांघें फैला कर उसे फिर मेरे उपर ले लिया. तेज रफ़्तार से परेश मुझे चोदने लगा.
उधर माधवी शांत हुई तब गंगा ने पुछा : कैसा है अब दर्द? माधवी ने गंगा के कान में कुच्छ कहा जो में सुन नहीं पाई. गंगा ने लेकिन अपनी कमर से उस के पाँव च्छुड़ाए और इतने उपर उठा लिए कि घुटनें कान तक जा पहुँचे. माधवी के नितंब अधर हुए. गंगा की चौड़ी जांघें बीच से माधवी की भोस और उस में फसा हुआ गंगा का लंड साफ दिखने लगे. आधा लंड अब तक बाहर था जो गंगा धीरे धीरे चूत में पेल ने लगे. थोड़ा अंदर थोड़ा बाहर ऐसे करते करते दो चार इंच ज़्यादा अंदर घुस पाया लेकिन पूरा नहीं. अब गंगा ने वो तकनीक आज़माई जो मेरे साथ सुहाग रात को आज़माई थी.
उस ने होल से लंड बाहर खींचा स..र..र..र..र कर के. अकेला मत्था जब अंदर रह गया तब वो रुके. लंड ने ठुमका लगाया तो मत्थे ने ऑर मोटा हो कर चूत का मुँह ज़्यादा चौड़ा कर रक्खा. माधवी को ज़रा दर्द हुआ और उस के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. इस बार गंगा रुके नहीं. स..र.र..र..र..र.र कर के उस ने लंड फिर से चूत में डाला. आखरी दो इंच तो बाकी ही रह गया, जा ना सका. बाद में गंगा ने बताया कि माधवी की चूत पूरा लंड ले सके इतनी गहरी नहीं थी. उस को ज़्यादा दर्द ना लग जाय इसीलिए सावधानी से चोदना ज़रूरी था. ये तो अच्छा हुआ कि माधवी की पहली चुदाई गंगा ने की, वरना चाची की दहशत हक़ीकत में बदल जाती.
यहाँ परेश और में झाड़ चुके थे, परेश का लंड नर्म होता चला था. गंगा हलके, धीर्रे और गहरे धक्के से माधवी को चोदने लगे. माधवी के नितंब डोल ने लगे थे. लंड चूत की पक्फ पुच्च आवाज़ के साथ माधवी की सिसकारियाँ और गंगा की आहें गूँज रही थी.
परेश : भाभी, देख, भोस के होठ कैसे लंड से चिपक गये हैं ? बड़े भैया का लंड मोटा है ना ?
में : देवर्जी, तुम्हारा भी कुच्छ कम नहीं है.
गंगा के धक्के अब अनियमित होते चले थे. स..र..र..र.र की आवाज़ के कभी कभी घच्छ से लंड घुसेड देते थे. लगता था कि गंगा झड़ने के नज़दीक आ गये थे. माधवी लेकिन इतनी तैयार नहीं थी. उस ने खुद रास्ता निकाल लिया. अपने ही हाथ से क्लाइटॉरिस रगड़ डाली और छ्टपटाती हुई झड़ी . गंगा स्थिर थे लेकिन माधवी के चूतड़ ऐसे हिलाते थे कि लंड चूत में आया जाया करता था. माधवी का ऑर्गॅज़म शांत हुआ इस के बाद तेज रफ़्तार से धक्के मार कर गंगा झड़े और उतरे. करवट बदल कर माधवी सो गई. सफाई के बाद हम सब सो गये.
दूसरे दिन जागे तब परेश ने एक ओर चुदाई मागी मूह से. गंगा ने भी अनुरोध किया. में क्या करती ? दस मिनिट की मस्त चुदाई हो गई. परेश की खुशी छुपाए नही छुपति थी . शर्म की मारी माधवी किसी से नज़र मिला नहीं पाती थी. फिर भी गंगा ने उसे बुलाया तो उस के पास चली गयी. गले में बाहें डाल गोद में बैठ गयी. गंगा ने चूम कर पुछा : कैसा है दर्द ? नींद आई बराबर ?
शरमा कर उस ने अपना मुँह छुपा दिया गंगा के सीने में. कान में कुच्छ बोली.
गंगा : ना, अभी नहीं. दो दिन तक कुच्छ नहीं. चूत का घाव ठीक हो जाय इस के बाद.
लेकिन माधवी जैसी हठीली लड़की कहाँ किसी का सुनती है ? वो गंगा का मुँह चूमती रही और लंड टटोलती रही. गंगा भी रहे जवान आदमी, क्या करे बेचारा ? उठा कर वो माधवी को अंदर ले गये और आधे घंटे तक चोदा.
उस रात के बाद वो भाई बहन अक्सर हमारे घर आते रहे और चुदाई का मज़ा लेते रहे. जब स्कूल खुले तब उन्हें शहर में जाना पड़ा. मैं और गंगाधर इंतेज़ार कर रहे हैं कि कब वाकेशन पड़े और वो दोनो घर आए. आख़िर नये नये लंड से चुदवाने में और नयी नयी चूत को चोदने में कोई अनोखा आनंद आता है. है ना ? तो दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
|